भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत की तेल निर्भरता
- 21 Dec 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:तेल निर्भरता, यूरोपीय संघ, तेल और प्राकृतिक गैस निगम, CoP26 प्रतिबद्धताएँँ, नवीकरणीय ऊर्जा मेन्स के लिये:भारत की तेल पर निर्भरता और उससे संबंधित कदम |
चर्चा में क्यों?
रूस लगातार दूसरे महीने नवंबर 2022 में पारंपरिक विक्रेताओं इराक और सऊदी अरब को पीछे छोड़कर भारत के लिये शीर्ष तेल आपूर्तिकर्त्ता बना हुआ है।
- रूस के पास अब भारत के कुल कच्चे तेल के आयात की 22% हिस्सेदारी है, जो इराक के 20.5% और सऊदी अरब के 16% की तुलना में अधिक है।
- 5 दिसंबर से रूस के समुद्री तेल के आयात पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध ने रूस को लगभग 1 मिलियन बैरल प्रतिदिन के लिये मुख्य रूप से एशिया में वैकल्पिक बाज़ारों की तलाश करने के लिये प्रेरित किया है।
भारत के तेल आयात/खपत का वर्तमान परिदृश्य:
- अमेरिका और चीन के बाद भारत लगभग 5 मिलियन बैरल प्रतिदिन के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है। देश में तेल की मांग सालाना 3-4 फीसदी की दर से बढ़ रही है।
- इस अनुमान के आधार पर एक दशक में भारत प्रतिदिन लगभग 7 मिलियन बैरल की खपत कर सकता है।
- पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के अनुसार, भारत ने वर्ष 2021-22 में 212.2 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया, जो पिछले वर्ष में 196.5 मिलियन टन था।
- अप्रैल 2022-23 में तेल आयात निर्भरता लगभग 86.4% थी, जो एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में 85.9% रही थी।
- यह तर्क दिया गया है कि बढ़ती मांग के कारण तेल की खपत में वृद्धि हुई है, जिसने उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों को हाशिये पर डाल दिया है।
- कच्चे तेल का उच्च आयात बिल व्यापक आर्थिक मापदंडों (Macroeconomic Parameters) को प्रभावित कर सकता है।
कच्चे तेल के आयात को कम करने के लिये की गई पहल:
- मार्च 2015 में भारत के प्रधानमंत्री ने ‘ऊर्जा संगम 2015’ क अनावरण किया जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को आकार देने के उद्देश्य से आयोजित भारत की सबसे बड़ी वैश्विक हाइड्रोकार्बन बैठक थी।
- इस अवसर पर सभी हितधारकों से आग्रह किया गया कि वे तेल एवं गैस के घरेलू उत्पादन में वृद्धि करें ताकि वर्ष 2022 तक आयात निर्भरता को 77 प्रतिशत से घटाकर 67 प्रतिशत और वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत तक सीमित किया जा सके।
- सरकार ने प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट (PSC) व्यवस्था, डिस्कवर्ड स्मॉल फील्ड पॉलिसी, हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (HELP), न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (NELP) आदि के तहत तेल और प्राकृतिक गैस के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिये विभिन्न नीतियाँ भी पेश की हैं।
- हालाँकि घरेलू तेल उत्पादन के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि तेल और गैस परियोजनाओं में अन्वेषण से लेकर उत्पादन तक की लंबी प्रक्रियात्मक अवधि होती है।
- इसके अलावा मूल्य निर्धारण और कर नीतियाँ स्थिर नहीं हैं, साथ ही तेल तथा गैस व्यवसाय में बड़ी पूंजी की आवश्यकता होती है। निवेशक अक्सर जोखिम लेने के प्रति सावधान रहते हैं।
- भारत सरकार कच्चे तेल के आयात पर देश की निर्भरता को कम करने, कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (EBP) को बढ़ावा दे रही है।
- सरकार ने पेट्रोल में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण (जिसे E20 भी कहा जाता है) के लक्ष्य को वर्ष 2030 से पहले ही वर्ष 2025 तक पूरा कर लेने का निश्चय किया है।
भारत की तेल आयात निर्भरता को कम करने हेतु आवश्यक कदम:
- घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन: 10% सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि की ओर बढ़ते हुए हमें यह ध्यान रखना चाहिये कि भारत में तेल की मांग केवल बढ़ने वाली है और यह भी कि आने वाले कई वर्षों तक भारत एक तेल अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
- तेल संबंधी आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने का एकमात्र तरीका विदेशों में भारत के स्वामित्त्व वाली अन्वेषण एवं उत्पादन संपत्तियों को और विकसित करना है। चीन ने भी यही तरीका अपनाया है।
- सार्वजनिक क्षेत्र की दिग्गज तेल कंपनी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) भी मौजूदा परिपक्व तेल-क्षेत्रों के पुनर्विकास और नए/सीमांत क्षेत्रों के विकास के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने के लिये विभिन्न कदम उठा रही है।
- वैकल्पिक हरित स्रोत: भारत के लिये एक अन्य विकल्प यह है कि अपने दायरे का विस्तार करे और हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करे। अर्थव्यवस्था के गति पकड़ने के साथ ही बिजली की मांग में तेज़ी आ रही है। CoP26 प्रतिबद्धताओं के साथ नवीकरणीय ऊर्जा की मांग अब तक के उच्चतम स्तर पर है, जिसके लिये पर्याप्त क्षमता वृद्धि की आवश्यकता है।
- नियामक समर्थन के साथ ही निजी निवेश और सरकारी पहलों के कारण पवन क्षेत्र ने गति पकड़ ली है।
- हालाँकि सौर सेल एवं मॉड्यूल की वैश्विक आपूर्ति और अनुकूल नीतियों के समर्थन से सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनकर उभरी है।
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