भारतीय इतिहास
डॉ. अंबेडकर का 69वाँ महापरिनिर्वाण दिवस
- 06 Dec 2024
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प्रिलिम्स के लिये:डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर, भारतीय संविधान, भगवान बौद्ध, सामाजिक समानता, सकारात्मक कार्रवाई, पूना समझौता, भारतीय वित्त आयोग, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, दामोदर घाटी परियोजना, हीराकुंड बाँध, रोज़गार कार्यालय, प्रारूप समिति, विधि के समक्ष समानता, सर्वोच्च न्यायालय, नीति निदेशक सिद्धांत। मेन्स के लिये:कल्याणकारी राज्य, जाति-आधारित भेदभाव, सामाजिक न्याय में डॉ. अंबेडकर का योगदान, संविधान निर्माण और राष्ट्र निर्माण के प्रयास। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार और सामाजिक न्याय के अग्रदूत भारत रत्न डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में 6 दिसंबर को 69वाँ महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया।
- डॉ. बी.आर. अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस सामाजिक सुधार, न्याय और समानता पर उनके परिवर्तनकारी प्रभाव पर ज़ोर देते हुए उनकी विरासत का सम्मान करता है।
- "महापरिनिर्वाण" शब्द बौद्ध दर्शन से निकला है जो जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति का प्रतीक है तथा बौद्ध कैलेंडर में सबसे पवित्र दिन है।
डॉ. अंबेडकर ने किस प्रकार सामाजिक न्याय का समर्थन किया?
- शोषितों के समर्थक: डॉ. अंबेडकर दलितों, महिलाओं और मज़दूरों के लिये आशा की किरण बनकर उभरे। उन्होंने जाति आधारित भेदभाव को मिटाने और सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया।
- उनका समर्थन प्रणालीगत बाधाओं को समाप्त करने और हाशिये पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने तक फैला हुआ था।
- सशक्तीकरण पहल: डॉ. अंबेडकर ने हाशिये पर पड़े समूहों के उत्थान के लिये सकारात्मक कार्रवाई का समर्थन किया, ताकि हाशिये पर पड़े समूहों द्वारा सामना किये गए ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिये शिक्षा, रोज़गार और राजनीति में आरक्षण जैसी नीतियों का प्रावधान किया जा सके।
- अनुच्छेद 15(4), 16(4) और 334 के तहत आरक्षण शिक्षा, सार्वजनिक रोज़गार, विधायी निकायों और चुनावों में हाशिये के समूहों के लिये प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
- शिक्षा को बढ़ावा देने, सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार लाने और बहिष्कृत समुदायों को सशक्त बनाने के लिये बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1923) की स्थापना की।
- दलितों की आवाज़: दलितों को मंच प्रदान करने और सामाजिक असमानताओं को चुनौती देने के लिये मूकनायक (मूक नेता) समाचार पत्र की स्थापना की।
- अग्रणी आंदोलन: सार्वजनिक जल संसाधनों तक समान पहुँच का समर्थन करते हुए महाड़ सत्याग्रह (1927) सहित ऐतिहासिक आंदोलनों का नेतृत्व किया।
- वर्ष 1930 में कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन (नासिक सत्याग्रह) का नेतृत्व किया, ताकि पूजा स्थलों पर जाति आधारित प्रतिबंधों को तोड़ा जा सके, जो अस्पृश्यता के खिलाफ एक व्यापक लड़ाई का प्रतीक है।
- पूना समझौता (1932): पूना समझौता पर बातचीत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने दलितों के लिये पृथक निर्वाचिका मंडलों के स्थान पर आरक्षित सीटें स्थापित कीं, जिससे उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व का मार्ग प्रशस्त हुआ।
संविधान निर्माण में डॉ. अंबेडकर का क्या योगदान था?
- प्रारूप समिति के अध्यक्ष: वर्ष 1947 में नियुक्त प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में, डॉ. अंबेडकर ने विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधान को तैयार करने की सावधानीपूर्वक प्रक्रिया का निरीक्षण किया।
- विविध विचारों और चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वर्ष 1949 में सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के प्रावधानों के साथ संविधान को अपनाया जाए।
- मौलिक अधिकार: डॉ. अंबेडकर ने संविधान के भाग III का मसौदा तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो विधि के समक्ष समानता, भेदभाव के खिलाफ संरक्षण (अनुच्छेद 15, 17) और अल्पसंख्यकों के लिये सुरक्षा जैसे मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है।
- शिक्षा और रोज़गार में आरक्षण के प्रावधान (अनुच्छेद 15[4], 16[4]) का उद्देश्य हाशिये पर पड़े समुदायों का उत्थान करना और समानता सुनिश्चित करना है, जो सामाजिक न्याय और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की रीढ़ है।
- अनुच्छेद 32: "संविधान की आत्मा" कहे जाने वाले अनुच्छेद 32 में नागरिकों को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिये सर्वोच्च न्यायालय/उच्च न्यायालय में जाने का अधिकार दिया गया है।
- उन्होंने संवैधानिक गारंटियों की रक्षा में इसकी केंद्रीय भूमिका पर बल दिया।
- संसदीय लोकतंत्र: उन्होंने सरकार के संसदीय स्वरूप की वकालत की, जिसके बारे में उनका मानना था कि इससे जवाबदेही, पारदर्शिता और सामाजिक लोकतंत्र को बढ़ावा मिलता है।
- इस प्रणाली को समतावादी सिद्धांतों को बनाए रखने और राष्ट्र की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये डिज़ाइन किया गया था।
- संघीय संरचना: इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों को संतुलित करते हुए दोहरी राजनीति की संकल्पना की गई।
- यह ढाँचा भारत की अद्वितीय सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता के अनुकूल बनाया गया था, जिससे एकता और लचीलापन दोनों सुनिश्चित हो सके।
- राज्य नीति के निदेशक सिद्धांत: निदेशक सिद्धांतों को कल्याणकारी राज्य बनाने, सामाजिक सुरक्षा, लैंगिक समानता और बेहतर जीवन स्तर जैसे लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिये एक मार्गदर्शक के रूप में देखा गया ।
- यद्यपि ये सिद्धांत न्यायोचित नहीं हैं, फिर भी ये भारत में नीति-निर्माण का अभिन्न अंग बने हुए हैं।
राष्ट्र निर्माण में डॉ. अंबेडकर का क्या योगदान था?
- आर्थिक ढाँचा: डॉ. अंबेडकर के शैक्षणिक योगदान ने कई आर्थिक संस्थाओं की नींव रखी।
- उनकी डॉक्टरेट थीसिस ने भारत के वित्त आयोग के निर्माण और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 के नीति ढाँचे को प्रभावित किया ।
- अवसंरचना विजन: दामोदर घाटी परियोजना, हीराकुंड बाँध और सोन नदी परियोजना जैसी बड़े पैमाने की अवसंरचना परियोजनाओं की परिकल्पना की गई और उन्हें बढ़ावा दिया गया, ताकि स्थायी संसाधन प्रबंधन और राष्ट्रीय विकास सुनिश्चित हो सके।
- राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड प्रणाली की संकल्पना की, ऊर्जा सुरक्षा और औद्योगिक विकास में दूरदर्शिता का प्रदर्शन किया।
- रोज़गार सुधार: देश भर में व्यवस्थित रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने के लिये नौकरी नियुक्ति प्रणालियों को सुव्यवस्थित करने हेतु रोज़गार कार्यालयों की स्थापना की गई।
- सामाजिक और आर्थिक न्याय: समावेशी नीतियों के माध्यम से आर्थिक असमानताओं को पाटने की वकालत की और हाशिये पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाने के लिये शासन संरचनाओं में सामाजिक न्याय को एकीकृत करने का समर्थन किया।
डॉ. बी.आर. अंबेडकर को सरकार की श्रद्धांजलि
- भारत रत्न पुरस्कार: डॉ. अंबेडकर को वर्ष 1990 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया।
- अंबेडकर सर्किट: अंबेडकर के जीवन से संबंधित पाँच स्थानों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया गया (पंचतीर्थ विकास):
- जन्मस्थान महू
- लंदन में स्मारक (शिक्षा भूमि)
- नागपुर में दीक्षा भूमि
- मुंबई में चैत्य भूमि
- दिल्ली में महापरिनिर्वाण भूमि
- भीम ऐप: डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिये इनके सम्मान में एक डिजिटल भुगतान ऐप लॉन्च किया गया, जो वित्तीय समावेशन और सशक्तीकरण का प्रतीक है।
- डॉ. अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र (DACE): 31 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरंभ किये गए ये केंद्र अनुसूचित जाति के छात्रों को सिविल सेवा परीक्षाओं के लिये मुफ्त कोचिंग प्रदान करते हैं।
- अंबेडकर सामाजिक नवप्रवर्तन और उद्भवन मिशन (ASIIM): अनुसूचित जाति के युवाओं को स्टार्टअप विचारों के लिये वित्तपोषण द्वारा सहायता प्रदान करता है।
- स्मारक टिकट और सिक्के: डॉ. अंबेडकर की विरासत को सम्मानित करने के लिये 10 रुपए और 125 रुपए मूल्यवर्ग के सिक्के और एक स्मारक डाक टिकट जारी किये गए।
- राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारक: संकल्प भूमि बरगद परिसर (वडोदरा) और सतारा में अंबेडकर स्कूल जैसे स्थलों को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में प्रस्तावित किया गया।
- संविधान दिवस समारोह: वर्ष 2015 से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में अंबेडकर की भूमिका को याद दिलाता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: डॉ. अंबेडकर ने आर्थिक विकास, बुनियादी ढाँचे, सामाजिक न्याय और भारतीय संविधान को आकार देने में अपनी भूमिका के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में कैसे योगदान दिया? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने निम्नलिखित में से किस दल की स्थापित की थी? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. अपसारी उपागमों और रणनीतियों के होने के बावज़ूद महात्मा गांधी और डॉ. बी.आर. अंबेडकर का दलितों की बेहतरी का एकसमान लक्ष्य था। स्पष्ट कीजिये।(2015) |