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हीराकुंड बाँध नहर प्रणाली का जीर्णोद्धार

  • 07 Oct 2024
  • 5 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

ओडिशा के हीराकुंड बाँध से संबंधित छह दशक पुरानी नहर प्रणाली का व्यापक स्तर पर जीर्णोद्धार किया जाएगा। 

  • इस पहल का उद्देश्य सिंचाई संबंधी बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण करना, जल की बर्बादी को कम करना और कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है, जिससे क्षेत्र के किसानों को आवश्यक सहायता मिल सके।

जीर्णोद्धार के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

  • जीर्णोद्धार की आवश्यकता: बरगढ़ और सासन मुख्य नहरों समेत विभिन्न नहर अवसंरचनाएँ जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। 
  • मौज़ूदा मृदायुक्त नहरों के कारण जल की काफी हानि होती है, जिससे सिंचाई दक्षता कम हो जाती है।
  • जल रिसाव के कारण कुछ कृषि भूमि खेती के लिये अनुपयुक्त हो जाती है, जिससे स्थानीय किसानों के लिये चुनौतियाँ जटिल हो जाती हैं।
  • जीर्णोद्धार की मुख्य विशेषताएँ: बेहतर जल वितरण और प्रबंधन के लिये समस्त मृदा के जल मार्गों को कंक्रीट पथों में परिवर्तित करना।
  • इस परियोजना से किसानों की बेहतर पहुँच के लिये अंतिम छोर के क्षेत्रों में जल की उपलब्धता बढ़ेगी।
  • स्थानीय किसानों पर प्रभाव: सिंचाई क्षमता और वास्तविक उपयोग के बीच अंतर को कम करना इसका उद्देश्य है। सिंचाई क्षमता में वृद्धि से किसानों को लाभ होगा और फसल की उपज़ बढ़ेगी।

हीराकुंड बाँध के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: यह एक बहुउद्देशीय योजना है, जिसकी परिकल्पना महानदी में विनाशकारी बाढ़ की पुनरावृत्ति के बाद वर्ष 1937 में इंजी. एम. विश्वेश्वरैया ने की थी।
    • वर्ष 1952-53 के आसपास निर्मित हीराकुंड बाँध स्वतंत्रता के पश्चात् भारत की पहली प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है।
    • यह विश्व में सबसे लंबे प्रमुख मिट्टी के बाँध के रूप में जाना जाता है, जो महानदी पर 25.8 किमी तक फैला है।
    • इसका उद्घाटन वर्ष 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
    • हीराकुंड बाँध हीराकुंड जलाशय का निर्माण करता है, जिसे हीराकुंड झील के नाम से भी जाना जाता है, यह एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक है। हीराकुंड जलाशय को वर्ष 2021 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
  • उद्देश्य और लाभ: बाँध की जलविद्युत उत्पादन की स्थापित क्षमता 359.8 मेगावाट है, जो क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति में योगदान देती है।
    • यह जलाशय 436,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करता है, जिससे क्षेत्र के किसानों को लाभ मिलता है।
  • कैटल आईलैंड: यह हीराकुंड जलाशय के सबसे बाहरी हिस्से में स्थित है। यहाँ वनीय मवेशियों का एक बड़ा झुंड रहता है।

महानदी 

  • उद्गम: यह नदी छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले में सिहावा पर्वत शृंखला से निकलती है।
  • मुहाना: यह ओडिशा के जगतसिंहपुर में फाल्स प्वाइंट पर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • सहायक नदियाँ:
    • वाम तट: सियोनाथ, मांड, आईबी, हसदेव और केलो (Kelo)।
    • दाहिना तट: ओंग, पैरी, जोंक और तेलेन।
  • बेसिन और भूगोल: महानदी बेसिन छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों तथा झारखंड, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के अपेक्षाकृत छोटे भागों तक फैला हुआ है।
    • यह उत्तर में मध्य भारत की पहाड़ियों, दक्षिण और पूर्व में पूर्वी घाटों तथा पश्चिम में मैकाल श्रेणी से घिरा हुआ है। 
    • महानदी देश की प्रमुख नदियों में से एक है और प्रायद्वीपीय नदियों में जल संभाव्यता और बाढ़ उत्पादन क्षमता के मामले में यह गोदावरी के बाद दूसरे स्थान पर है।

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