5वीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची | 22 Jul 2024

प्रिलिम्स के लिये:

सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची, आत्मनिर्भरता, रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम, सृजन पोर्टल, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस, तेजस, आईएनएस विक्रांत, मेक इन इंडिया, अनुच्छेद 355, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो

मेन्स के लिये:

भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता, आंतरिक सुरक्षा ढाँचा, भारत के समक्ष प्रमुख सुरक्षा चुनौतियाँ।

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा मंत्रालय (MoD) ने रक्षा वस्तुओं से संबंधित पाँचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (PIL) अधिसूचित की है, जिसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और आयात को कम करना तथा घरेलू रक्षा क्षेत्र को प्रोत्साहित करना है।

  • हाल के घटनाक्रमों ने भारत के लिये एक व्यापक आंतरिक सुरक्षा योजना तैयार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। जैसे-जैसे भारत का अंतर्राष्ट्रीय कद बढ़ता है और इसकी अर्थव्यवस्था मज़बूत होती है, आंतरिक सामंजस्य सुनिश्चित करना तथा सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करना सर्वोपरि हो जाता है।

पाँचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • उद्देश्य और दायरा: पाँचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची में 346 वस्तुएँ शामिल हैं, जिनका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (DPSU) द्वारा आयात पर निर्भरता को कम करना है।
    • यह सुनिश्चित करता है कि ये वस्तुएँ विशेष रूप से भारतीय उद्योग से खरीदी जाएँ, जिसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) तथा स्टार्टअप शामिल हैं।
    • इन वस्तुओं में रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट (LRU), सिस्टम, सब-सिस्टम, असेंबली, सब-असेंबली, स्पेयर, कंपोनेंट और कच्चा माल शामिल हैं।
  • कार्यान्वयन: यह सूची रक्षा मंत्रालय के सृजन पोर्टल पर उपलब्ध है, जो DPSU और सेवा मुख्यालयों (SHQ) को निजी उद्योगों के स्वदेशीकरण हेतु रक्षा संबंधी वस्तुएँ प्रस्तावित करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
    • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और अन्य जैसे DPSU ने रुचि की अभिव्यक्ति (Expressions of Interest- EoI) तथा निविदा या प्रस्ताव के लिये अनुरोध (RFP) जारी करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।
  • प्रभाव: इन वस्तुओं के स्वदेशीकरण से 1,048 करोड़ रुपए के मूल्य का आयात प्रतिस्थापन होने की उम्मीद है।
    • यह पहल घरेलू रक्षा उद्योग को आश्वासन प्रदान करती है, जिससे उन्हें आयात से प्रतिस्पर्द्धा के जोखिम के बिना रक्षा उत्पाद विकसित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
  • भविष्य के लक्ष्य: रक्षा मंत्रालय का लक्ष्य वर्ष 2025 तक प्रत्येक वर्ष सूची का विस्तार जारी रखना है, जिससे स्वदेशीकरण की जाने वाली वस्तुओं की संख्या में और वृद्धि होगी।
    • यह वृद्धिशील दृष्टिकोण रक्षा उत्पादन में अधिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के दीर्घकालिक लक्ष्य का समर्थन करता है।

सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची

  • परिचय: सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची उन वस्तुओं की सूची है, जिन्हें भारतीय सशस्त्र बल केवल घरेलू निर्माताओं से ही खरीद सकते हैं, जिसमें निजी क्षेत्र या DPSU शामिल हैं।
    • इस अवधारणा को रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 में पेश किया गया था, जिसमें प्रमुख प्रणालियों, प्लेटफॉर्मों, शस्त्र प्रणालियों, सेंसर और युद्ध सामग्री के लिये आयात प्रतिस्थापन पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
    • इस सूची में भारत की रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करने और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण वस्तुओं की विविध श्रेणी शामिल हैं।
  • प्रगति:
    • पहली सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची अगस्त, 2020 में प्रख्यापित की गई थी, उसके पश्चात् निरंतर सूचियाँ जारी की गईं, जिसके परिणामस्वरूप कुल 4,666 वस्तुएँ हो गईं।
      • अब तक आयात प्रतिस्थापन मूल्य में 3,400 करोड़ रुपए मूल्य की 2,972 वस्तुओं का स्वदेशीकरण किया जा चुका है।
      • DPSU के लिये ये पाँच सूचियाँ सैन्य कार्य विभाग (DMA) द्वारा अधिसूचित 509 वस्तुओं की पाँच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों के अतिरिक्त हैं। इन सूचियों में अत्यधिक जटिल प्रणालियाँ, सेंसर, हथियार और गोला-बारूद शामिल हैं।
    • उद्योगों के स्वदेशीकरण के लिये 36,000 से अधिक रक्षा वस्तुओं की पेशकश की गई है, जिनमें से 12,300 से अधिक वस्तुओं का स्वदेशीकरण विगत तीन वर्षों में किया गया है। परिणामस्वरूप, DPSU ने घरेलू विक्रेताओं को 7,572 करोड़ रुपए के ऑर्डर दिये हैं।

भारत में रक्षा के स्वदेशीकरण की क्या आवश्यकता है? 

  • आयात निर्भरता: अपने रक्षा-औद्योगिक आधार को मज़बूत करने के निरंतर प्रयासों के बावजूद, भारत विश्व का सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा है। 
    • वर्ष 2019 और वर्ष 2023 के बीच, देश की कुल वैश्विक हथियार आयात में 9.8% हिस्सेदारी रही, जो इसकी रक्षा खरीद में रणनीतिक भेद्यता को दर्शाती है।
  • सामरिक स्वायत्तता: विदेशी हथियारों के आयात पर भारी निर्भरता से भारत की सामरिक स्वायत्तता से समझौता होता है। रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण द्वारा भारत, बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम करने के साथ महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित कर सकता है।
    • भू-राजनीतिक तनाव के दौरान विदेशी हथियारों पर निर्भरता, जोखिम उत्पन्न कर सकती है। स्वदेशी उत्पादन संकट के दौरान रक्षा उपकरणों की निर्बाध आपूर्ति और उपलब्धता सुनिश्चित करके, राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा मिल सकता है।
    • आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में भारत के राजनीतिक लाभ को बढ़ावा मिलता है। यह वैश्विक वार्ता और रक्षा सहयोग में भारत की स्थिति को मज़बूत करता है।
  • आर्थिक लाभ: स्वदेशीकरण रोज़गार सृजन, नवाचार को बढ़ावा देने और औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करके घरेलू अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलता है।
    • यह विदेशी मुद्रा के बहिर्वाह को कम करता है, जिससे आर्थिक स्थिरता में योगदान मिलता है।
    • स्वदेशी उत्पादन लंबे समय में अधिक लागत प्रभावी हो सकता है। यह विदेशों से हथियार आयात करने से जुड़ी खरीद लागत, रखरखाव और रसद चुनौतियों को कम कर सकता है।
  • सतत् विकास: स्वदेशीकरण यह सुनिश्चित करके कि रक्षा उद्योग राष्ट्रीय हितों और पर्यावरणीय विचारों के साथ सामंजस्य में विकसित हो,सतत् विकास को बढ़ावा देता है।

रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण की स्थिति क्या है?

  • निर्यात में वृद्धि: वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपए (लगभग 2.63 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुँच गया, जो  विगत वित्त वर्ष की तुलना में  32.5% की वृद्धि दर्शाता है।
    • वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में विगत 10 वर्षों में रक्षा क्षेत्र में 31 गुना वृद्धि हुई है। 
    • इस वृद्धि में निजी क्षेत्र और DPSUs ने क्रमशः 60% तथा 40% का योगदान दिया है। 
    • इस वृद्धि का श्रेय नीतिगत सुधारों, 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' पहलों और रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए किये गए डिजिटल समाधानों को दिया जाता है।
  • उपलब्धियाँ: भारतीय रक्षा क्षेत्र में कई उन्नत प्रणालियों का उत्पादन हुआ है, जिनमें  155 मिमी.  आर्टिलरी गन 'धनुष', हल्का लड़ाकू विमान 'तेजस', आईएनएस विक्रांत: विमान वाहक तथा विभिन्न अन्य प्लेटफॉर्म व उपकरण, विशेष रूप से  एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन (ATAG) हॉवित्ज़र शामिल हैं।  
  • आयात पर निर्भरता में कमी: पिछले चार वर्षों में  विदेशी रक्षा खरीद पर व्यय 46% से घटकर 36% हो गया है, जो आयात पर निर्भरता कम करने में स्वदेशीकरण प्रयासों के प्रभाव को दर्शाता है।
  • घरेलू खरीद में हिस्सेदारी में वृद्धि: कुल रक्षा खरीद में घरेलू खरीद की हिस्सेदारी वर्ष 2018-19 के 54% से बढ़कर चालू वर्ष में 68% हो गई है, जिसमें रक्षा बजट का 25% हिस्सा निजी उद्योग से खरीद के लिये आवंटित किया गया है।
  • उत्पादन का मूल्य: सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की रक्षा कंपनियों द्वारा किये गए उत्पादन का मूल्य पिछले दो वर्षों में 79,071 करोड़ रुपए से बढ़कर 84,643 करोड़ रुपए हो गया है, जो इस क्षेत्र की क्षमता तथा उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है।

रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण से संबंधित पहल

  • रक्षा खरीद नीति (DPP), 2016:  DPP 2016  ने अधिग्रहण की "Buy-IDDM" (Indigenous Designed and Manufactured) विकसित श्रेणी की शुरुआत की है और इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
    • यह नीतिगत बदलाव स्थानीय उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने तथा आयात पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से किया गया है।
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020:  इसका उद्देश्य  रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देना है। इसमें PIL, स्वदेशी खरीद को प्राथमिकता, MSMEs और छोटे शिपयार्ड के लिये आरक्षण, स्वदेशी सामग्री में वृद्धि तथा 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देने के लिये नई श्रेणियों की शुरुआत जैसी विशेषताएँ शामिल हैं। 
    • इसके अतिरिक्त, यह आयात प्रतिस्थापन के माध्यम से आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिये आयातित पुर्जों के स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • औद्योगिक लाइसेंसिंग: लाइसेंसिंग प्रक्रिया को विस्तारित वैधता के साथ सुव्यवस्थित किया गया है, जिससे रक्षा क्षेत्र में निवेश सरल हो गया है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): FDI नीति अब स्वचालित मार्ग के तहत 74% तक निवेश की अनुमति देती है, जिससे रक्षा विनिर्माण में विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलता है।
  • निर्माण प्रक्रिया: रक्षा खरीद प्रक्रिया (DPP) में "Make" प्रक्रिया रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिज़ाइन, विकास और विनिर्माण को प्रोत्साहित करती है।
    • यह मेक इन इंडिया पहल का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें स्वदेशी क्षमताओं का निर्माण करने के लिये सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
  • रक्षा औद्योगिक गलियारे: निवेश आकर्षित करने और व्यापक रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो गलियारे स्थापित किये गए हैं। इन गलियारों में लगभग 6,089 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है।
  • नवीन एवं सहायक योजनाएँ:
    • मिशन डेफस्पेस (DefSpace): रक्षा अनुप्रयोगों के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को उन्नत करने हेतु लॉन्च किया गया।
    • रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (iDEX): अप्रैल 2018 में शुरू की गई यह योजना स्टार्ट-अप, MSMEs और अनुसंधान संस्थानों को शामिल करते हुए रक्षा क्षेत्र में नवाचार का समर्थन करती है। वर्ष 2022 में शुरू की गई 'iDEX प्राइम' फ्रेमवर्क’ उच्च-स्तरीय समाधानों के लिये 10 करोड़ रुपए तक का अनुदान प्रदान करती है।
    • सृजन पोर्टल: स्वदेशीकरण को सुगम बनाने के लिये शुरू किये गए सृजन (SRIJAN) पोर्टल पर स्थानीय उत्पादन के लिये पहले से आयातित 19,509 वस्तुओं को सूचीबद्ध किया गया है। अब तक 4,006 वस्तुओं ने भारतीय उद्योगों की रुचि आकर्षित की है।
  • अनुसंधान एवं विकास (R&D): अनुसंधान एवं विकास बजट का 25% उद्योग-आधारित अनुसंधान एवं विकास के लिये आवंटित किया गया है, जो रक्षा क्षेत्र में तकनीकी उन्नति और नवाचार को बढ़ावा देता है।

निष्कर्ष:

पाँचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। जबकि स्वदेशीकरण के प्रयास रक्षा क्षमताओं और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिये तैयार हैं, क्षेत्रीय अस्थिरता तथा प्रणालीगत सुधार सहित आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करना राष्ट्रीय सामंजस्य एवं स्थिरता बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है। जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा, इन तत्त्वों को एकीकृत करना उसकी वैश्विक स्थिति और आंतरिक लचीलेपन को मज़बूत करने के लिये महत्त्वपूर्ण होगा।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों (PIL) की प्रारंभ से लेकर सामयिक प्रगति और उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिये। इन सूचियों ने भारत की रक्षा खरीद रणनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है?

प्रश्न. भारत के आंतरिक सुरक्षा ढाँचे की वर्तमान स्थिति का आकलन कीजिये। आंतरिक सुरक्षा के प्रभावी प्रबंधन के लिये किन प्रमुख चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिये?

और पढ़ें: NSA कार्यालय एवं देश के सुरक्षा ढाँचे का पुनर्गठन

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. विनिर्माण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार ने कौन-सी नई नीतिगत पहल/पहलें की है/हैं? (2012)

  1. राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण क्षेत्रों की स्थापना 
  2. 'एकल खिड़की मंज़ूरी’ (सिंगल विंडो क्लीयरेंस) की सुविधा प्रदान करना 
  3. प्रौद्योगिकी अधिग्रहण तथा विकास कोष की स्थापना

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. भारत के समक्ष आने वाली आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ क्या हैं? ऐसे खतरों का मुकाबला करने के लिये नियुक्त केंद्रीय खुफिया और जाँच एजेंसियों की भूमिका बताइये। (2023)

प्रश्न. भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये बाह्य राज्य और गैर-राज्य कारकों द्वारा प्रस्तुत बहुआयामी चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। इन संकटों का मुकाबला करने के लिये आवश्यक उपायों की भी चर्चा कीजिये। (2021)

प्रश्न. भारत के पूर्वी भाग में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक क्या हैं? प्रभावित क्षेत्रों में खतरों के प्रतिकारार्थ भारत सरकार, नागरिक प्रशासन और सुरक्षा बलों को किस सामरिकी को अपनाना चाहिये? (2020)