प्रारंभिक परीक्षा
पीएम-वाणी
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (पीएम-वाणी/PM-WANI) ढाँचे का उद्देश्य डिजिटल इंडिया के सार्वजनिक वाई-फाई एक्सेस पॉइंट स्थापित करके पूरे भारत में इंटरनेट सेवाओं के प्रसार में तेज़ी लाना है।
- नवंबर 2024 तक 246,993 हॉटस्पॉट स्थापित किये जाने के साथ, यह पहल भारत के डिजिटल इंडिया मिशन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सस्ती और व्यापक इंटरनेट पहुँच प्रदान करना है।
पीएम-वाणी क्या है?
- दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा वर्ष 2020 में लॉन्च किये गए पीएम-वाणी फ्रेमवर्क का उद्देश्य पूरे भारत में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट का विस्तार करना है।
- यह दुकानदारों जैसे स्थानीय व्यवसायों को वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित करने की अनुमति प्रदान करता है, जिससे किफायती इंटरनेट पहुँच उपलब्ध के साथ राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 के लक्ष्यों को समर्थन मिलेगा।
- महत्त्व: स्थानीय व्यवसायों को लाइसेंस या शुल्क की आवश्यकता के बिना वाई-फाई प्रदाता बनने में सक्षम बनाकर, यह योजना व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा देती है तथा तीव्र क्रियान्वयन सुनिश्चित करती है।
- पीएम-वाणी से इंटरनेट पहुँच में उल्लेखनीय सुधार आएगा तथा डिजिटल समावेशन और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
- पीएम-वाणी इकोसिस्टम:
- पब्लिक डेटा ऑफिस (PDO): पीएम-वाणी वाई-फाई हॉटस्पॉट की स्थापना, रखरखाव और संचालन करता है।
- PDO दूरसंचार या इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से इंटरनेट बैंडविड्थ प्राप्त करके लास्ट-मील कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं तथा ग्राहकों को ब्रॉडबैंड सेवाएँ प्रदान करते हैं।
- पब्लिक डेटा ऑफिस (PDO): पीएम-वाणी वाई-फाई हॉटस्पॉट की स्थापना, रखरखाव और संचालन करता है।
- पब्लिक डेटा ऑफिस एग्रीगेटर (PDOA): PDO को प्राधिकरण और लेखांकन जैसी एकत्रीकरण सेवाएँ प्रदान करता है।
- PDOA अंतिम उपभोक्ताओं तक सेवाएँ पहुँचाने में PDO को सुविधा प्रदान करता है।
- ऐप प्रदाता: उपयोगकर्त्ताओं को पंजीकृत करने और आस-पास के PM-WANI अनुरूप वाई-फाई हॉटस्पॉट प्रदर्शित करने के लिये एक एप्लिकेशन विकसित करता है। इंटरनेट सेवा तक पहुँच प्रदान करने हेतु संभावित ब्रॉडबैंड उपयोगकर्त्ताओं को प्रमाणित करता है।
- सेंट्रल रजिस्ट्री: यह ऐप प्रदाताओं, PDOA और PDO का विवरण प्रदान करती है। वर्तमान में इसका प्रबंधन सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DoT) द्वारा किया जाता है।
- C-DoT की स्थापना वर्ष 1984 में हुई थी। यह दूरसंचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग का एक स्वायत्त दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास (शोध एवं विकास) केंद्र है। यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत सोसायटी है।
राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018
- राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 का उद्देश्य डिजिटल बुनियादी ढाँचे और सेवाओं को बढ़ाकर भारत को डिजिटल रूप से सशक्त अर्थव्यवस्था में बदलना है।
- राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 द्वारा वर्ष 2022 तक 10 मिलियन सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
- मुख्य उद्देश्य: सार्वभौमिक ब्रॉडबैंड पहुँच सुनिश्चित करना, चार मिलियन रोज़गार सृजित करना, डिजिटल संचार क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) योगदान को 8% तक बढ़ाना और डिजिटल संप्रभुता सुनिश्चित करना।
- प्रमुख विशेषताएँ: इसमें सभी नागरिकों के लिये 50 MBPS की गति से ब्रॉडबैंड उपलब्ध कराना, जिन क्षेत्रों में सेवाएँ उपलब्ध नही है, कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना, 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित करना, दस लाख व्यक्तियों को नए युग के कौशल के प्रशिक्षण प्रदान करना, शामिल है।
- राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 इंटरनेट ऑफ थिंग्स पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार करने, डेटा संरक्षण स्थापित करने और डिजिटल संचार में जवाबदेही एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
- राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 और वाई-फाई हॉटस्पॉट लक्ष्य: भारत अपने सार्वजनिक वाई-फाई रोलआउट लक्ष्य से चूक गया है, नीति द्वारा निर्धारित 10 मिलियन लक्ष्य के बजाय केवल 0.5 मिलियन हॉटस्पॉट ही स्थापित कर पाया है।
नोट: भारत 6G विज़न का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 50 मिलियन सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित करना है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण वृद्धि और निम्न कनेक्टिविटी लागत की आवश्यकता होगी।
प्रारंभिक परीक्षा
दूरसंचार (महत्त्वपूर्ण दूरसंचार अवसंरचना) नियम, 2024
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दूरसंचार अधिनियम, 2023 के अंतर्गत दूरसंचार (महत्त्वपूर्ण दूरसंचार अवसंरचना) नियम, 2024 जारी किये गए।
- इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य या सुरक्षा पर उनके संभावित प्रभाव के आधार पर महत्त्वपूर्ण दूरसंचार अवसंरचना (CTI) के रूप में नामित दूरसंचार नेटवर्क को विनियमित करना है।
- एक अन्य घटनाक्रम में, दूरसंचार (सेवाओं का अस्थायी निलंबन) नियम, 2024, दूरसंचार निलंबन नियम, 2017 के स्थान पर प्रभावी हो गए।
दूरसंचार (CTI) नियम, 2024 के प्रावधान क्या हैं?
- डेटा और नेटवर्क पहुँच: जिन दूरसंचार संस्थाओं के नेटवर्क को CTI के रूप में नामित किया गया है, उन्हें प्रमाणित CTI भागों के हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और डेटा का निरीक्षण करने के लिये सरकार द्वारा अधिकृत कर्मियों को पहुँच प्रदान करनी होगी।
- निरीक्षण और रिपोर्टिंग: नियमों के अनुसार कार्यान्वयन की निगरानी के लिये एक मुख्य दूरसंचार सुरक्षा अधिकारी (CTSO) की नियुक्ति आवश्यक है।
- संस्थाओं को साइबर सुरक्षा घटनाओं की रिपोर्ट 6 घंटे के भीतर देनी होगी।
- आवश्यक दस्तावेज़: दूरसंचार इकाई को सरकार को CTI नेटवर्क विवरण, अधिकृत कार्मिक, हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर सूची, संकट प्रबंधन योजनाएँ, सुरक्षा ऑडिट, अनुपालन रिपोर्ट और सेवा स्तर समझौते (SLA) उपलब्ध कराने होंगे।
- संचालन और अद्यतन: भारत के बाहर से CTI की दूरस्थ मरम्मत या रखरखाव के लिये पूर्व लिखित सरकारी अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
- सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर के अद्यतन के लिये, संस्थाओं को सरकारी समीक्षा हेतु परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
- सरकारी मानक: सभी CTI हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और पुर्जों को सरकारी मानकों का अनुपालन करना होगा, जिसमें आवश्यक, इंटरफेस और सुरक्षा आश्वासन आवश्यकताएँ और अन्य अधिसूचित मानक शामिल हैं।
दूरसंचार (सेवाओं का अस्थायी निलंबन) नियम, 2024 क्या हैं?
- अनिवार्य प्रकाशन: इंटरनेट शटडाउन सहित दूरसंचार सेवाओं को निलंबित करने वाले सभी आदेशों को विशिष्ट कारणों, भौगोलिक क्षेत्र और अवधि के साथ प्रकाशित किया जाना चाहिये।
- निलंबन अवधि 15 दिन से अधिक नहीं हो सकती।
- सक्षम प्राधिकारी: निलंबन आदेश केवल "सक्षम प्राधिकारी" द्वारा जारी किया जा सकता है, जो कि केंद्र सरकार के लिये केंद्रीय गृह सचिव और राज्यों के लिये राज्य गृह सचिव है।
- समीक्षा तंत्र: आदेश जारी होने के 5 दिनों के भीतर इसकी वैधता की समीक्षा के लिये समीक्षा समिति की बैठक आवश्यक है ।
- केंद्रीय समीक्षा समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं, जबकि राज्य समिति की अध्यक्षता मुख्य सचिव करते हैं।
- नोडल अधिकारी: लाइसेंस प्राप्त सेवा प्रदाताओं को निलंबन आदेश प्राप्त करने और उन्हें लागू करने के लिये प्रत्येक सेवा क्षेत्र में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा।
- सुरक्षित संचार: केवल पुलिस अधीक्षक या उससे उच्च स्तर के अधिकारी ही इन आदेशों को लिखित रूप में या सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संप्रेषित कर सकते हैं।
नोट: अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ, केस 2020 में , उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इंटरनेट के उपयोग पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अस्थायी, सीमित, वैध, आवश्यक और आनुपातिक होने चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में ‘पब्लिक की इन्फ्रास्ट्रक्चर’ पदबंध किसके प्रसंग में प्रयुक्त किया जाता है? (2020) (a) डिजिटल सुरक्षा आधारभूत संरचना उत्तर: A प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से कौन दूरसंचार, बीमा, बिजली आदि क्षेत्रों में स्वतंत्र नियामकों की समीक्षा करता है? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: a |
रैपिड फायर
सेंटर फॉर प्रोसेसिंग एक्सेलेरेटेड कॉरपोरेट एग्जिट (C-PACE)
स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड
सेंटर फॉर प्रोसेसिंग एक्सेलेरेटेड कॉरपोरेट एग्जिट (C-PACE) ने कंपनी बंद करने की प्रक्रिया को कुशलतापूर्वक 70-90 दिनों तक सुव्यवस्थित कर दिया है।
- इसका उद्देश्य छह महीने के भीतर कंपनियों को स्वैच्छिक रूप से बंद करने की प्रक्रिया में तेजी लाना है।
- 5 अगस्त 2024 से, C-PACE को सीमित देयता भागीदारी (LLP) को समाप्त करने से संबंधित ई-फॉर्म के प्रसंस्करण का अधिकार भी दिया गया है।
- C-PACE को कंपनी बंद करने की प्रक्रिया को केंद्रीकृत और सुव्यवस्थित करने के लिये कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) द्वारा लॉन्च किया गया था।
- यह कंपनी रजिस्ट्रार (RoC) के अधीन कार्य करता है, जो MCA के अंतर्गत एक कार्यालय है।
- यह हितधारकों के साथ भौतिक संपर्क की आवश्यकता को समाप्त करके 'व्यापार करने में आसानी' को सुगम बनाता है।
- कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 248, कंपनी रजिस्ट्रार को किसी कंपनी का नाम कंपनी रजिस्टर से हटाने का अधिकार देती है।
- अमेरिका में कंपनियों को स्वैच्छिक रूप से बंद करने में 90 से 180 दिन का समय लगता है, जबकि जर्मनी में इसमें एक वर्ष से अधिक का समय लगता है।
और पढ़ें: कॉर्पोरेट गवर्नेंस
रैपिड फायर
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के कोर और बफर ज़ोन से होकर निजी बसों के संचालन के मुद्दे पर विचार करते हुए वन्यजीव संरक्षण और स्थानीय समुदाय की आवश्यकताओं के बीच संतुलन स्थापित करने पर ज़ोर दिया।
- सर्वोच्च न्यायालय जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के वर्ष 2020 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मुख्य क्षेत्र के भीतर निजी बसों को अनुमति दी गई थी, जिस पर वर्ष 2021 से रोक लगी हुई थी।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 38(o) में कहा गया है कि बाघ अभयारण्यों को पारिस्थितिक रूप से असंवहनीय उपयोगों के लिये नहीं बदला जा सकता।
- यदि ऐसा परिवर्तन आवश्यक हो तो उत्तराखंड राज्य को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सलाह पर राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से अनुमोदन प्राप्त करना होगा।
- संरक्षित क्षेत्रों के परिवर्तन में पारिस्थितिकी तंत्र को दीर्घकालिक नुकसान से बचाने के लिये सख्त दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिये।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 38(o) में कहा गया है कि बाघ अभयारण्यों को पारिस्थितिक रूप से असंवहनीय उपयोगों के लिये नहीं बदला जा सकता।
- उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में स्थित जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व का हिस्सा है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1936 में बंगाल बाघ के संरक्षण के लिये हैली राष्ट्रीय उद्यान के रूप में की गई थी, यह भारत का सबसे तथा वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल पहला राष्ट्रीय उद्यान है।
- कोर ज़ोन प्राकृतिक संसाधनों के लिये कानूनी रूप से संरक्षित क्षेत्र है, जबकि इसके चारों ओर का क्षेत्र बफर ज़ोन कहलाता है, जिसमे सुसंगत मानवीय गतिविधियों के साथ-साथ स्थायी प्रकृति संरक्षण की भी अनुमति प्राप्त होती है।
और पढ़ें: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व: उत्तराखंड
रैपिड फायर
शिकायत निवारण मूल्यांकन और सूचकांक (GRAI) 2023
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (MoPP&P) द्वारा GRAI 2023 लॉन्च किया गया। इस पहल का उद्देश्य भारत के विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों तथा विभागों के शिकायत निवारण तंत्र का मूल्यांकन करने के साथ इसमें सुधार करना है।
- GRAI की संकल्पना प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा MoPP&P की संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।
- चार आयामों (दक्षता, फीडबैक, डोमेन, संगठनात्मक प्रतिबद्धता) और 11 संकेतकों पर आधारित GRAI सूचकांक के तहत 89 केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों का मूल्यांकन होने से शिकायत निवारण का तुलनात्मक विश्लेषण संभव हो पाता है।
- इस मूल्यांकन के लिये प्रयुक्त डेटा केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण एवं प्रबंधन प्रणाली (CPGRAMS) से एकत्र किया गया, जिससे एक मानकीकृत मूल्यांकन प्रक्रिया सुनिश्चित हुई।
- CPGRAMS एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो सेवा वितरण से संबंधित किसी भी विषय पर लोक प्राधिकारियों के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज कराने हेतु नागरिकों के लिये 24x7 उपलब्ध है।
- राष्ट्रमंडल सचिवालय द्वारा सर्वोत्तम अभ्यास के रूप में मान्यता प्राप्त CPGRAMS, नागरिकों के लिये शिकायत दर्ज करने तथा उन पर नज़र रखने के लिये एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिससे लोक सेवा में पारदर्शिता बढ़ती है।
- रिपोर्ट से पता चलता है कि 89 में से 85 मंत्रालयों ने पिछले वर्ष की तुलना में अपने GRAI स्कोर में सुधार दिखाया है।
- इसमें लगभग 10% मंत्रालयों/विभागों द्वारा 50% से अधिक तथा 28% द्वारा 25-50% के बीच वृद्धि दर्ज की गई।
अधिक पढ़ें: CPGRAMS के तहत त्वरित शिकायत निवारण
रैपिड फायर
लोथल में उत्खनन स्थल का धसाव
स्रोत: हिन्दुस्तान टाइम्स
हाल ही में हड़प्पा स्थल लोथल में शोध उत्खनन के दौरान एक शोध छात्रा की उत्खनन स्थल पर मिट्टी धसाव के कारण मृत्यु हो गई।
- लोथल का परिचय: गुजरात के भाल क्षेत्र में स्थित लोथल हड़प्पा सभ्यता के सबसे दक्षिणी स्थलों में से एक है।
- ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 2200 ई.पू. में हुआ था।
- इसका उत्खनन वर्ष 1954 में एस.आर. राव ने की थी।
- गुजराती में लोथल का अर्थ है “मृतकों का टीला”। ( सिंधी में मोहनजोदड़ो का भी यही अर्थ है)।
- यहाँ विश्व का सबसे प्राचीन ज्ञात गोदीवाड़ा था, जो शहर को साबरमती नदी के प्राचीन मार्ग से जोड़ती थी।
- यह हड़प्पा सभ्यता का एकमात्र बंदरगाह शहर है।
- लोथल को अप्रैल 2014 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था।
- लोथल में एक राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NHMC) विकसित किया जा रहा है।
- सुरकोटदा और धोलावीरा गुजरात के अन्य महत्वपूर्ण हड़प्पा स्थल हैं।
रैपिड फायर
‘एकलव्य’ ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा भारतीय सेना के लिये “एकलव्य” नामक एक ऑनलाइन शिक्षण मंच का शुभारंभ किया गया।
- उद्देश्य: परिवर्तन के दशक (2023-2032) में आगे बढ़ाने के साथ श्रेणीबद्ध और 2024 की थीम- “प्रौद्योगिकी समावेशन का वर्ष” के तहत भारतीय सेना अधिकारियों की व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में सुधार करना।
- विकसित: “भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू सूचना विज्ञान (BISAG-N), गांधीनगर’’ द्वारा इसे विकसित किया गया है।
- विषय-वस्तु: भारतीय सेना के 17 श्रेणी ‘ए’ प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों द्वारा कुल 96 पाठ्यक्रम इस प्लेटफॉर्म पर होस्ट किये जा चुके हैं।
- पाठ्यक्रमों की तीन श्रेणियाँ:
- प्री-कोर्स प्रिपरेटरी कैप्सूल: सभी ऑफलाइन पाठ्यक्रमों के लिये ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में “मूल बातें” स्थानांतरित करना है।
- नियुक्ति या विशिष्ट असाइनमेंट-संबंधी पाठ्यक्रम: जैसे सूचना युद्ध, रक्षा भूमि प्रबंधन, वित्तीय नियोजन, अनुशासन और सतर्कता कार्य हेतु नियुक्तियाँ आदि।
- प्रोफेशनल डेवलपमेंट सूट: रणनीति, परिचालन कला, नेतृत्व, संगठनात्मक व्यवहार,उभरती प्रौद्योगिकी आदि पर पाठ्यक्रम शामिल हैं।
- नॉलेज हाईवे: एकलव्य प्लेटफार्म में खोज योग्य “नॉलेज हाईवे” की कार्यक्षमता भी है, जिसमें विभिन्न पत्रिकाएँ, शोध पत्र और लेख आदि एक ही विंडो के अंतर्गत अपलोड किये जाते हैं।
और पढ़ें: भारतीय सेना में तकनीकी
रैपिड फायर
CPSE के लिये संशोधित लाभांश दिशानिर्देश
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) के लिये संशोधित दिशानिर्देश पेश किये हैं, जिसमें कर के बाद लाभ (PAT) का 30% या निवल मूल्य का 4%, जो भी अधिक हो, का न्यूनतम वार्षिक लाभांश भुगतान अनिवार्य किया गया है।
- इससे पहले, 2016 के दिशानिर्देशों में यह निर्धारित किया गया था कि लाभांश भुगतान कर के बाद लाभ (PAT) का 30% या निवल मूल्य का 5% होना चाहिये, जो भी अधिक हो।
- ये दिशानिर्देश CPSE की उन सहायक कंपनियों पर भी लागू होंगे जिनमें मूल केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम की हिस्सेदारी 51% से अधिक है।
- दिशा-निर्देशों के अनुसार, ऐसे CPSE जिनका बाज़ार मूल्य छह महीने से बुक वैल्यू से कम है और जिनकी नेटवर्थ कम से कम 3,000 करोड़ रुपए है, वे शेयर बायबैक पर विचार कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, वे बोनस शेयर जारी कर सकते हैं, जब रिज़र्व उनकी चुकता इक्विटी से 20 गुना अधिक हो।
- शेयर बायबैक किसी कंपनी द्वारा शेयर बाज़ार से अपने शेयरों का पुनः अधिग्रहण है।
- बोनस शेयर, मौजूदा शेयरधारकों को बिना किसी अतिरिक्त लागत के दिये जाने वाले अतिरिक्त शेयर होते हैं, जो उनके वर्तमान में रखे गए शेयरों की मात्रा पर आधारित होते हैं।
- DIPAM केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में विनिवेश और इक्विटी बिक्री सहित केंद्र सरकार के निवेशों का प्रबंधन करता है।
अधिक पढ़ें: सार्वजनिक उद्यम विभाग