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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 30 Sep, 2024
  • 23 min read
प्रारंभिक परीक्षा

भगत सिंह की जयंती

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

28 सितंबर 2024 को  महान क्रांतिकारी भगत सिंह की जयंती मनाई गई, जिनकी शिक्षाएँ भारत के लोगों को प्रेरित करती हैं। उनकी जयंती राष्ट्रीय नायक के रूप में मनाई जाती है, जिन्होंने साहस और बलिदान के साथ ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध देश की आज़ादी के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया था।

भगत सिंह कौन थे?

  • जन्म: भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को बंगा, पंजाब, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। वे एक सिख परिवार से थे जो उपनिवेशवाद विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे, उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे।
  • प्रारंभिक जीवन: जब वह बारह वर्ष के थे, तब उन्होंने जलियाँवाला बाग में हुए नरसंहार को देखा, जिससे उनमें देशभक्ति की भावना प्रबल हुई और उन्हें भारत की स्वतंत्रता के लिये लड़ने की प्रेरणा मिली।
  • शिक्षा: उन्होंने लाहौर में लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित नेशनल कॉलेज में दाखिला लिया, जिसने स्वदेशी आंदोलन को बल मिलने के साथ क्रांतिकारी विचारों के प्रसार हेतु एक मंच प्राप्त हुआ।
  • क्रांतिकारी संगठन: भगत सिंह वर्ष 1924 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के सदस्य बने, बाद में वर्ष 1928 में इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) कर दिया गया।
    • नौजवान भारत सभा की स्थापना वर्ष 1926 में भगत सिंह ने की थी, जिसका उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम के लिये युवाओं को संगठित करना था।
  • प्रमुख कार्य: भगत सिंह पुलिस की बर्बरता के कारण लाला लाजपत राय की मृत्यु के प्रतिशोध के रूप में वर्ष 1928 में पुलिस अधिकारी जेपी सॉन्डर्स की हत्या (लाहौर षडयंत्र केस) में शामिल थे।
    • उन्होंने 18 अप्रैल, 1929 को बी.के. दत्त के साथ मिलकर दमनकारी ब्रिटिश कानूनों के विरोध में केंद्रीय विधान सभा में बम फेंका।
  • गिरफ्तारी और मुकदमा: वर्ष 1929 में उन्हें बम कांड के लिये गिरफ्तार किया गया साथ ही लाहौर षडयंत्र मामले में हत्या के आरोप मे उन पर मुकदमा चला, जिसमे उन्हें दोषी ठहराया गया तथा मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई।
    • 23 मार्च, 1931 को साथी क्रांतिकारी सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर में उन्हें फाँसी दे दी गई। भगत सिंह को शहीद-ए-आज़म के नाम से जाना जाता है
  • साहित्यिक योगदान: उनकी महत्त्वपूर्ण कृतियों में 'मैं नास्तिक क्यों हूँ', 'जेल डायरी’ और अन्य कृतियाँ, समाजवाद तथा क्रांति का समर्थन करने वाले कई राजनीतिक घोषणा-पत्र शामिल हैं।
    • अपनी प्रारंभिक रचना विश्व प्रेम  में भगत सिंह ने समानता के महत्त्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने भूख और युद्ध से मुक्त एक ऐसे विश्व की परिकल्पना की, जो मानव जाति और राष्ट्रीयता की सीमाओं से परे हो।
  • विचारधाराएँ: उन्होंने मार्क्सवादी और समाजवादी विचारधाराओं का समर्थन किया, तर्कवाद, समानता और न्याय पर ज़ोर दिया। संगठित धर्म, जिसे मानसिक एवं शारीरिक गुलामी के रूप में देखा जाता था, की आलोचना की।
  • विरासत: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद करने के लिये प्रत्येक वर्ष उनके जन्मदिन और उनकी फाँसी के दिन को याद किया जाता है। उन्हें एक राष्ट्रीय नायक और शहीद के रूप में जाना जाता है।
    • प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि देने के लिये शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

वर्तमान में विश्व में भगत सिंह की विचारधारा की क्या प्रासंगिकता है?

  • विश्व बंधुत्व: भगत सिंह का विश्व प्रेम  का विचार बढ़ते राष्ट्रवाद, नस्लवाद और आर्थिक असमानताओं के समय में वैश्विक शांति, समानता एवं सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • सांप्रदायिक सद्भाव: उनके लेख सांप्रदायिक दंगे और उनके समाधान  में सांप्रदायिकता की उनकी आलोचना समकालीन भारत में प्रासंगिक है, जहाँ धार्मिक एवं सांप्रदायिक तनाव सामाजिक एकता को कमज़ोर कर रहे हैं।
  • राजनीति में छात्रों की भागीदारी: भगत सिंह ने छात्रों से राजनीतिक चर्चा में भाग लेने का आह्वान किया है, जैसा कि उनके लेख 'छात्र और राजनीति'  में रेखांकित किया गया है, जो वर्तमान में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर युवाओं की भूमिका के बारे में चल रहे संवाद के अनुरूप है।
  • कमज़ोर समुदायों का उत्थान: सिंह ने अपनी पुस्तक 'द प्रॉब्लम ऑफ अनटचेबिलिटी'  में कमज़ोर समूहों के सशक्तीकरण और जातिगत पदानुक्रम को समाप्त करने का समर्थन किया है, जो आज भारत में सामाजिक न्याय एवं समानता के लिये चल रहे संघर्षों के साथ मेल खाता है।
  • क्रांतिकारी भावना: भगत सिंह का क्रांति पर दृष्टिकोण, जो उनके लेख 'क्रांति क्या है?'  में रेखांकित है, दमनकारी प्रणालियों और प्रतिक्रियावादी शक्तियों को निरंतर चुनौती देने का आह्वान करता है।
    • यह विचार वैश्विक स्तर पर राजनीतिक सुधार और सामाजिक परिवर्तन के आधुनिक आंदोलनों का समर्थन करता है।


रैपिड फायर

ग्लोबई नेटवर्क

स्रोत: TH

हाल ही में भारत को भ्रष्टाचार विरोधी कानून प्रवर्तन प्राधिकरणों के वैश्विक परिचालन नेटवर्क (ग्लोबई नेटवर्क) की 15 सदस्यीय संचालन समिति हेतु चुना गया। 

ग्लोबई के बारे में:

  • ग्लोबई नेटवर्क G-20 की पहल है जिसे वर्ष 2020 से भारत द्वारा समर्थित किया जा रहा है।
    • इसकी स्थापना वर्ष 2021 में भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सम्मलेन में एक विशेष कार्यक्रम के दौरान की गई थी।
  • इसका संचालन इसके सदस्यों द्वारा किया जाता है और इसे ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) द्वारा समर्थन प्राप्त है
    • वर्तमान में इसमें 121 सदस्य देश और 219 प्राधिकरण शामिल हैं।
    • इसकी पहलों के प्रभावी ढंग से मार्गदर्शन हेतु इसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और 13 सदस्य शामिल हैं।
    • यह सीमा पार वित्तीय अपराधों को रोकने के क्रम में खुफिया जानकारी और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सुविधा प्रदान करता है
  • इस संदर्भ में भारत में गृह मंत्रालय (MHA) केंद्रीय प्राधिकरण है जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) सदस्य प्राधिकरण हैं।

भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्य प्रयास:

अधिक पढ़ें: भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCAC)


प्रारंभिक परीक्षा

विश्व रेबीज़ दिवस, 2024

स्रोत: द हिंदू 

विश्व रेबीज़ दिवस प्रतिवर्ष 28 सितंबर को मनाया जाता है जिसका उद्देश्य इस प्राणघातक रोग के बारे में पूर्व की गलत धारणाओं पर चिंतन करने और साथ ही इसकी रोकथाम और नियंत्रण के लिये टीकों एवं आधुनिक कार्यनीतियों को उन्नत करने हेतु किये जा रहे निरंतर प्रयासों पर प्रकाश डालना है।

रेबीज़ क्या है?

  • परिचय:
    • यह एक टीका निवार्य, वायरल ज़ूनोटिक रोग है।
    • यह रोग राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस के कारण होता है , जो उन्मत्त पशुओं (कुत्ते, बिल्ली, बंदर इत्यादि) की लार में मौजूद होता है।
    • मानव में इसका संचरण मुख्य रूप से संक्रमित कुत्तों के काटने से होता है तथा समय पर टीकाकरण से पूर्णतया इसका निवारण किया जा सकता है।
    • इसके प्रथमतः नैदानिक ​​लक्षण दिखने के बाद, रेबीज़ लगभग 100% प्राणघातक होता है। कार्डियो-श्वसन विफलता के कारण मृत्यु हमेशा चार दिन से दो सप्ताह के भीतर होती है।
      • इसकी इन्क्युबेशन अवधि प्रायः 2 से 3 माह होती है किंतु यह 1 सप्ताह से 1 वर्ष तक या कभी-कभी इससे भी अधिक हो सकती है।
    • लक्षण: रेबीज़ के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं और कुछ दिनों विद्यमान रह सकते हैं।
      • शामिल लक्षण: बुखार, सिरदर्द, मतली, उल्टी, चिंता, अति सक्रियता, निगलने में कठिनाई, अत्यधिक लार आना, मतिभ्रम, अनिद्रा (नींद विकार)।

विश्व रेबीज़ दिवस (WRD) के बारे में हमें क्या जानना चाहिये?

  • परिचय: 
    • इसकी शुरुआत प्रथमतः वर्ष 2007 में की गई थी। यह लुई पाश्चर की पुण्यतिथि का प्रतीक है, जिन्होंने पहला रेबीज़ टीका विकसित किया था।
      • लुई पाश्चर एक फ्राँसीसी रसायनज्ञ, फार्मासिस्ट और सूक्ष्म जीवविज्ञानी थे, जो टीकाकरण, सूक्ष्मजीव किण्वन और पाश्चरीकरण के सिद्धांतों की खोजों के लिये प्रसिद्ध थे।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2030 तक कुत्तों से संचरित होने वाले रेबीज़ को समाप्त करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
  • विषय: 
    • विश्व रेबीज़ दिवस 2024 का विषय है 'ब्रेकिंग रेबीज बाउंड्रीज़'। 
    • यह वन हेल्थ दृष्टिकोण पर ज़ोर देता है, जो मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण क्षेत्रों के बीच सहयोग पर आधारित है।

भारत में रेबीज़ संबंधी तथ्य क्या हैं?

  • भारत में रेबीज़: 
    • 2021 में, भारत में रेबीज़ से 59,000 लोगों की मृत्यु हुई, जो विश्व में हुई कुल मृत्यु का 35% है, इनमें से 96% मृत्यु कुत्तों के काटने के कारण हुई।
    • भारत में कुत्तों से संचरित होने वाले रेबीज़ के निवारण की लागत लगभग 8.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
    • रेबीज़ की रोकथाम के लिये नए रेबीज़ इम्युनोग्लोबुलिन (रेबीज़ Ig) टीके का उपयोग किया जाता है।
  • कुत्ता जनित रेबीज़ उन्मूलन के लिये भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPRE):
    • 2030 तक रेबीज़ को समाप्त करने के लिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा 2023 में इस योजना की शुरुआत की गई। जिसमें शामिल तत्त्व निम्नवत है: 
      • जागरूकता: रेबीज़ के बारे में जन जागरूकता का उत्थापन करना। 
      • निगरानी: निगरानी और स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करना। 
      • टीकाकरण: मनुष्यों और कुत्तों के लिये रोगनिरोधी टीकाकरण। 
      • कुत्तों की संख्या का प्रबंधन
      • रेबीज़ वैक्सीन के स्टॉक की वास्तविक समय पर निगरानी और लाभार्थियों का रिकॉर्ड दर्ज करना। 

रेबीज़ के उपचार हेतु भारत की पहल

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. निम्नलिखित रोगों पर विचार कीजिये: (2014)

1. डिप्थीरिया
2. मसूरिका 
3. चेचक

ऊपर दिये गए रोगों में से कौन-सा/सी रोग का भारत में उन्मूलन किया गया है?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) कोई नहीं

उत्तर: (b)


प्रश्न. ‘पुन:संयोजित (रीकॉम्बिनेंट) वेक्टर वैक्सीन’ से संबंधित हाल के विकास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. इन वैक्सीनों के विकास में आनुवंशिक इंजीनियरी का प्रयोग किया जाता है।
  2.  जीवाणुओं और विषाणुओं का प्रयोग रोगवाहक (वेक्टर) के रूप में किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1                        
(b)  केवल 2
(c)  1 और 2 दोनों   
(d)  न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


रैपिड फायर

कुमकी हाथी

स्रोत: द हिंदू

 हाल ही में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक ने आंध्र प्रदेश में हाथियों के आतंक को नियंत्रित करने के क्रम में कर्नाटक से प्रशिक्षित हाथियों (कुमकी) को लाने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। 

  • इसमें हाथियों को पकड़ने के लिये विशेषज्ञ टीम की तैनाती, महावतों का प्रशिक्षण कार्यक्रम, ज्ञान हस्तांतरण, जानवरों को पकड़ने और उन्हें डार्ट करने के लिये मानक संचालन प्रक्रिया ( SOP), पोषण एवं खाद्य पदार्थ के साथ कार्यशालाएँ एवं सेमिनार शामिल हैं।
  • कर्नाटक से 62 कुमकी हाथियों को उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में स्थानांतरित किया गया है।

कुमकी: 

  • कुमकी शब्द का प्रयोग भारत में प्रशिक्षित बंदी एशियाई हाथियों को संदर्भित करने के लिये किया जाता है।
  • ये  घायल जंगली हाथियों का पता लगाने, उन्हें बचाने एवं उनके उपचार में सहायता करने के साथ उन्हें मानव बस्तियों से दूर भगाने में सहायक हैं।
    • कुछ हाथियों को आदेशों का पालन करने तथा अन्य हाथियों को प्रशिक्षित करने में सहायता करने के लिये प्रशिक्षित किया जाता है।
    • ये संरक्षण पहलों का समर्थन करने के क्रम में वन गश्ती में भाग लेते हैं।
  • भारत में विश्व के लगभग 60% एशियाई हाथी हैं। वर्ष 2017 की गणना के अनुसार अनुमानित 27,312 हाथी तथा 138 चिन्हित हाथी गलियारे हैं।
  • हाथियों में गर्भावधि लगभग 22 माह की होती है, जो किसी भी स्थलीय जानवर की तुलना में सबसे लंबी है। 
  • एशियाई हाथियों (भारतीय) को IUCN रेड लिस्ट में लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

अधिक पढ़ें: बंदी हाथी (स्थानांतरण या परिवहन) नियम, 2024


रैपिड फायर

बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र

स्रोत: पी.आई.बी

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा किये गए बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र (BIA) के उद्घाटन से भारत के औद्योगिक परिदृश्य की प्रमुख प्रगति (विशेष रूप से महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में) पर प्रकाश पड़ा है।

  • रणनीतिक स्थान: 7,855 एकड़ की परिवर्तनकारी परियोजना के रूप में BIA को दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे के एक भाग के रूप में राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (NICDP) के तहत विकसित किया गया है।  
    • इसकी NH-752E, औरंगाबाद रेलवे स्टेशन, औरंगाबाद हवाई अड्डे और जालना ड्राई पोर्ट से उत्कृष्ट कनेक्टिविटी है।
    • NICDP भारत का सबसे महत्त्वाकांक्षी बुनियादी ढाँचा कार्यक्रम है जिसका लक्ष्य नए औद्योगिक शहरों को "स्मार्ट सिटी" के रूप में विकसित करना तथा बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों में अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों को शामिल करना है।
  • चरणबद्ध विकास: 6,414 करोड़ रुपये के बजट से स्वीकृत इस परियोजना का विकास तीन चरणों में किया जाएगा।
    • महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास एवं कार्यान्वयन ट्रस्ट के साथ मिलकर महाराष्ट्र औद्योगिक टाउनशिप लिमिटेड ने इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना को आगे बढ़ाने में भूमिका निभाई है।
  • औद्योगिक उत्कृष्टता हेतु विज़न: यह परियोजना "मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड" पहल के अनुरूप है जिसका उद्देश्य रोज़गार, निर्यात और सतत् विकास को बढ़ावा देना है।

और पढ़ें: 12 नए औद्योगिक स्मार्ट शहरों को मंज़ूरी


रैपिड फायर

हिमालयी आपदाओं पर पर्माफ्रॉस्ट क्षरण का प्रभाव

स्रोत: द हिंदू 

भारत के आर्कटिक अभियान के एक भाग के रूप में ग्लेशियोलॉजिस्ट, जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय में आपदा जोखिमों का आकलन करने के लिये पर्माफ्रॉस्ट क्षरण पर शोध कर रहे हैं।

  • पर्माफ्रॉस्ट अथवा स्थायी तुषार-भूमि वह भूमि है जो कम-से-कम दो वर्षों तक 32°F (0°C) या इससे नीचे जमी हुई अवस्था में रहती है, यह आमतौर पर उच्च अक्षांश और उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाती है।
    • पर्माफ्रॉस्ट मृदा, चट्टानों, रेत का मिश्रण है जो वर्ष भर बर्फ से जमी हुई एक परत के रूप में होती है।
  • ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप पर्माफ्रॉस्ट पिघलता (स्थायी रूप से जमी हुई मृदा या चट्टान का पिघलना) है, जिसके कारण भूस्खलन जैसी घटनाएँ देखने को मिलती है जो बुनियादी ढाँचा को प्रभावित कर सकती हैं।
    • भारतीय हिमालय में पर्माफ्रॉस्ट और आपदाओं के बीच संभावित संबंध की जानकारी का आभाव एक महत्त्वपूर्ण अंतर है , जिसमें दक्षिण ल्होनक ग्लेशियल झील (सिक्किम) के फटने जैसी हाल की घटनाएं भी शामिल हैं।
    • भारतीय हिमालय में पर्माफ्रॉस्ट और प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे कि हाल ही में सिक्किम में दक्षिण ल्होनक ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड, के बीच संभावित जानकारी के अभाव का परिणाम हैं।
  • ग्लेशियोलॉजिस्ट का लक्ष्य आर्कटिक क्षेत्रों में पर्माफ्रॉस्ट का अध्ययन करके आँकड़ों के अंतराल को कम करना तथा हिमालयी स्थलाकृति के निष्कर्षों का लाभ उठाना है।
    • इसका लक्ष्य स्थानीय समुदायों के बीच पूर्व चेतावनी प्रणालियों और दीर्घकालिक बुनियादी ढाँचे की योजना के लिये जागरूकता उत्पन्न करना है।

और पढ़ें: आर्कटिक में पर्माफ्रॉस्ट का विगलन और औद्योगिक संदूषण


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