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शासन व्यवस्था

पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023

  • 21 Apr 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, रेबीज़, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, वन हेल्थ

मेन्स के लिये:

भारत में रेबीज़ की स्थिति, पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 जारी किया है। यह नियम पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 का स्थान लेगा, जिसे पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत जारी किया गया है

पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023:

  • पृष्ठभूमि:  
    • नवंबर 2022 तक संसद में पेश किये गए आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 और 2022 के बीच भारत में स्ट्रीट डॉग/ कुत्तों के काटने के 160 मिलियन मामले दर्ज किये गए।
    • जिससे कुत्ते के मालिक, कुत्ते के भोजन और देखभाल करने वालों के खिलाफ प्रतिशोध के कृत्यों के साथ-साथ शहरी निवासियों के बीच संघर्ष भी बढ़ गया है।
  • प्रावधान:  
    • नियमों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भारतीय पशु कल्याण बोर्ड और आवारा पशुओं को होने वाली परेशानियों के उन्मूलन के लिये लोगों से संबंधित दिशा-निर्देशों के अनुसार तैयार किया गया है। 
      • सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न आदेशों में विशेष रूप से उल्लेख किया है कि कुत्तों के स्थानांतरण की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
    • नियमों का उद्देश्य पशु जन्म नियंत्रण (ABC) कार्यक्रमों के माध्यम से आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करना है।
      • एबीसी कार्यक्रमों को चलाने की ज़िम्मेदारी संबंधित स्थानीय निकायों, नगर पालिकाओं, नगर निगमों और पंचायतों की है।
      • नगर निगमों को ABC और एंटी रेबीज़ कार्यक्रम को संयुक्त रूप से लागू करने की आवश्यकता है।
    • यह एक क्षेत्र में कुत्तों को स्थानांतरित किये बिना मानव और आवारा कुत्तों के संघर्ष से निपटने के तरीके पर दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
    • यह पशु कल्याण सुनिश्चित करने, ABC कार्यक्रमों को चलाने में शामिल क्रूरता को संबोधित करने पर भी महत्त्व देता है। 

रेबीज़

  • परिचय:  
    • रेबीज़ एक वैक्सीन द्वारा रोकथाम योग्य ज़ूनोटिक विषाणु जनित बीमारी है। 
      • एशिया और अफ्रीका में 95% से अधिक मानव मौतें इसके कारण होती हैं और यह बीमारी अंटार्कटिक को छोड़कर सभी महाद्वीपों पर देखी गई है।
  • कारण:  
    • यह राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस के कारण होता है जो पागल जानवर (कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि) की लार में मौजूद होता है।
    • यह एक संक्रमित पशु के काटने के बाद अनिवार्य रूप से फैलता है जिससे घाव में लार और वायरस का प्रवेश होता है।
      • WHO के अनुसार, कुत्ते मानव रेबीज़ से होने वाली मौतों का मुख्य स्रोत हैं, जो मनुष्यों को रेबीज़ के सभी संचरणों में 99% तक योगदान देते हैं। 
  • भारत में रेबीज़ की स्थिति:
    • भारत रेबीज़ के लिये स्थानिक है एवं विश्व में रेबीज़ से होने वाली कुल मौतों में 36% मौतें भारत में देखी गई हैं।
    • WHO के अनुसार, भारत में रिपोर्ट किये गए रेबीज़ के लगभग 30-60% मामले और मौतों में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, क्योंकि जानवर के काटने के कारण बच्चों में उत्पन्न होने वाले लक्षणों की पहचान करना मुश्किल है और इसकी रिपोर्ट भी नहीं की जाती है। 
  • उपचार: 
    • रेबीज़ को पालतू जानवरों का टीकाकरण कर, वन्य जीवन से दूर रखकर तथा लक्षणों के शुरू होने से पहले संभावित जोखिम को चिकित्सा देखभाल प्रदान करके रोका जा सकता है
  • रेबीज़ नियंत्रण से संबंधित पहल:
    • वैश्विक:
      • यूनाइटेड अगेंस्ट रेबीज़ फोरम: UAR फोरम विभिन्न संगठनों, मंत्रालयों एवं देशों के वैश्विक विशेषज्ञों को एक साथ लाता है ताकि वे वर्ष 2030 तक रेबीज़ के कारण होने वाली मृत्यु को शून्य तक लाने के प्रयासों को सुविधाजनक बनाने हेतु विशिष्ट उद्देश्यों एवं गतिविधियों की दिशा में काम कर सकें।
    • भारत की पहल:  
      • वर्ष 2030 तक कुत्तों से होने वाले रेबीज़ के उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय कार्ययोजना (National Action Plan For Dog Mediated Rabies Elimination- NAPRE): NAPRE को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) द्वारा मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के सहयोग से तैयार किया गया था।
      • रेबीज़ के उन्मूलन हेतु इसका दृष्टिकोण विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं रेबीज़ नियंत्रण के वैश्विक गठबंधन (GARC) जैसी कई अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों की सिफारिशों पर आधारित है।

निष्कर्ष: 

  • भारत वन हेल्थ नेटवर्क बनाने के लिये उत्सुक है, यह न केवल रेबीज़ बल्कि पशु और मानव स्वास्थ्य तथा अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों के बीच बेहतर समन्वय एवं संचार के माध्यम से मानव-पशु-पर्यावरण इंटरफेस पर कई स्वास्थ्य जोखिमों की निगरानी तथा स्वास्थ्य प्रणाली को भी मज़बूत करेगा।

स्रोत: पी.आई.बी.

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