प्रारंभिक परीक्षा
हेपेटाइटिस B: भारत में लोक स्वास्थ्य संबंधी चिंता
स्रोत: डाउन टू अर्थ
नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल द्वारा एक हालिया अध्ययन के अनुसार लीवर सिरोसिस और कैंसर का कारण बनने वाली संभावित घातक बीमारी हेपेटाइटिस B के बारे में, भारत में सार्वजनिक जागरूकता तथा जानकारी अपर्याप्त है।
हेपेटाइटिस क्या है?
- परिचय:
- हेपेटाइटिस शब्द यकृत की किसी भी सूजन को संदर्भित करता है- किसी भी कारण से यकृत कोशिकाओं में होने वाली जलन या सूजन।
- यह तीव्र भी हो सकता है (यकृत की सूजन जिस बीमारी की वजह से होती है उनमें पीलिया, बुखार, उल्टी आदि शामिल हैं) यकृत की सूजन छह महीने से अधिक समय तक भी रहती है, लेकिन अनिवार्य रूप से इसका कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है।
- लक्षण:
- हेपेटाइटिस से संक्रमित कुछ व्यक्तियों में लक्षण दिखाई नहीं दे सकते हैं, लेकिन सामान्य लक्षणों में बुखार, थकान, भूख न लगना, मतली, उल्टी, पेट में दर्द, डार्क यूरिन, मिट्टी के रंग का मल त्याग, जोड़ों का दर्द और पीलिया शामिल हैं।
- कारण:
- आमतौर पर यह A, B, C, D और E सहित "हेपेटोट्रोपिक" (यकृत निर्देशित) वायरस के एक समूह के कारण होता है। अन्य वायरस भी इसका कारण हो सकते हैं, जैसे कि वैरिकाला वायरस जो चिकन पॉक्स का कारण बनता है ।
- SARS-CoV-2, Covid-19 पैदा करने वाला वायरस भी यकृत को नुकसान पहुँचा सकता है।
- अन्य कारणों में ड्रग्स और अल्कोहल का दुरुपयोग, यकृत में वसा का निर्माण (फैटी लीवर हेपेटाइटिस) या एक ऑटोइम्यून प्रक्रिया शामिल है जिसमें एक व्यक्ति का शरीर एंटीबॉडी बनाता है जो यकृत (ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस) पर हमला करता है। हेपेटाइटिस एकमात्र संचारी रोग है जिसकी मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है।
- आमतौर पर यह A, B, C, D और E सहित "हेपेटोट्रोपिक" (यकृत निर्देशित) वायरस के एक समूह के कारण होता है। अन्य वायरस भी इसका कारण हो सकते हैं, जैसे कि वैरिकाला वायरस जो चिकन पॉक्स का कारण बनता है ।
- हेपेटाइटिस के प्रकार:
- हेपेटाइटिस A वायरस (HAV):
- हेपेटाइटिस A यकृत की सूजन है जो हल्के से लेकर गंभीर तक होती है, जो दूषित भोजन या पानी, संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क से फैलती है और इसे टीके से रोका जा सकता है तथा अधिकांश लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं एवं आजीवन प्रतिरक्षा प्राप्त कर लेते हैं।
- हेपेटाइटिस B वायरस (HBV):
- हेपेटाइटिस B एक वायरल संक्रमण है जो तीव्र या दीर्घकालिक यकृत रोग का कारण बन सकता है, जो अक्सर माँ से बच्चे में, बचपन के संपर्क के माध्यम से या यौन संबंध या असुरक्षित इंजेक्शन के माध्यम से फैलता है लेकिन टीकों द्वारा इसे रोका जा सकता है।
- हेपेटाइटिस B के टीके HBV के संपर्क में आने से पहले दिये जाने पर HBV संक्रमण को रोकने में अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं।
- हेपेटाइटिस B एक वायरल संक्रमण है जो तीव्र या दीर्घकालिक यकृत रोग का कारण बन सकता है, जो अक्सर माँ से बच्चे में, बचपन के संपर्क के माध्यम से या यौन संबंध या असुरक्षित इंजेक्शन के माध्यम से फैलता है लेकिन टीकों द्वारा इसे रोका जा सकता है।
- हेपेटाइटिस C वायरस (HCV):
- हेपेटाइटिस C एक रक्तजनित वायरस है जो तीव्र और क्रोनिक दोनों प्रकार के हेपेटाइटिस का कारण बनता है, जिसकी गंभीरता कम से लेकर अत्यधिक गंभीर तक होती है, जिसमें लिवर सिरोसिस और कैंसर भी शामिल है, जो मुख्य रूप से असुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल, रक्त संक्रमण, इंजेक्शन दवा के उपयोग तथा यौन प्रथाओं के माध्यम से फैलता है।
- डायरेक्ट-एक्टिंग एंटीवायरल दवाओं (DAA) का उपयोग करके इलाज की दर 95% से अधिक है, फिर भी निदान और उपचार तक पहुँच सीमित है तथा कोई प्रभावी टीका उपलब्ध नहीं है।
- हेपेटाइटिस D वायरस (HDV):
- दुनिया भर में क्रोनिक HBV संक्रमण वाले लगभग 5% लोग हेपेटाइटिस D से संक्रमित होते हैं, एक ऐसा वायरस जिसे दोहराने के लिये हेपेटाइटिस B वायरस (HBV) की आवश्यकता होती है। सह-संक्रमण या सुपर-संक्रमण दवा उपयोगकर्त्ताओं, डायलिसिस रोगियों और स्वदेशी आबादी में आम बात है। यह लीवर के स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा पैदा करता है, जिसमें कैंसर या मृत्यु की संभावना भी शामिल है।
- इसकी रोकथाम हेपेटाइटिस B टीकाकरण के माध्यम से संभव है, उपचार की प्रभावशीलता सीमित है।
- हेपटाइटिस E वायरस (HEV):
- HIV संक्रमण के कारण होने वाला हेपेटाइटिस E विश्व स्तर पर प्रचलित है, विशेष रूप से पूर्व और दक्षिण एशिया में, चीन तथा कुछ अन्य देशों में लाइसेंस प्राप्त टीके के साथ दूषित पानी के माध्यम से फैलता है एवं दुनिया भर में अतिरिक्त टीकों के लिये शोध चल रहा है।
- हेपेटाइटिस A वायरस (HAV):
- हेपेटाइटिस से निपटने हेतु सरकार की पहल:
- राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम: राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2030 तक देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में वायरल हेपेटाइटिस को समाप्त करना है।
- भारत का यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (UIP): भारत का यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib), खसरा, रूबेला, जापानी एन्सेफलाइटिस (JE), और रोटावायरस डायरिया के कारण होने वाले हेपेटाइटिस बी, तपेदिक, डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टिटनेस, पोलियो, निमोनिया, मेनिनजाइटिस सहित 11 वैक्सीन-रोकथाम योग्य रोगों के खिलाफ मुफ्त टीकाकरण प्रदान करता है।
- वैश्विक पहल:
- WHO की वैश्विक हेपेटाइटिस रणनीति
- वैश्विक हेपेटाइटिस उन्मूलन के लिये गठबंधन (CGHE)
- वैश्विक हेपेटाइटिस कार्यक्रम
सर्वेक्षण द्वारा की गई सिफारिशें क्या हैं?
- सर्वेक्षण के अनुसार, केवल 22.7% प्रतिभागियों ने पूर्ण हेपेटाइटिस B टीकाकरण को पूरा किया था।
- इसलिये यह अनुशंसा करता है कि समग्र टीकाकरण प्रयासों को बढ़ाने के साथ-साथ HBV के खिलाफ प्रभावी टीकाकरण के लिये पहुँच सुनिश्चित करना और आबादी के सभी वर्गों, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाली आबादी तक पहुँचना महत्त्वपूर्ण है।
- सर्वेक्षण से पता चलता है, कि सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से केवल एक-चौथाई लोगों को रोग की पर्याप्त समझ थी, जिसमें इसके संचरण, यकृत पर प्रभाव और टीकाकरण की महत्त्वपूर्ण भूमिका शामिल थी।
- इसलिये हेपेटाइटिस B पर व्यापक गलत धारणाओं और अपर्याप्त शिक्षा का सामना करने के लिये ज्ञान अंतराल को संबोधित करने के लिये लक्षित सूचना अभियानों की आवश्यकता ही एक माध्यम है।
- इसके लिये, लोगों की इष्टतम प्रभावशीलता के लिये पूर्ण टीकाकरण की आवश्यकता पर शिक्षित किया जाना चाहिये, क्योंकि व्यक्तियों के लिये एक या दो खुराक प्राप्त करने के बाद अंतिम खुराक चूकना सामान्य है।
- यह अनुशंसा करता है कि शैक्षिक अभियानों को आम जनता, विशेष रूप से महिलाओं, वृद्ध व्यक्तियों, निम्न शिक्षा स्तर वाले लोगों और ग्रामीण निवासियों को लक्षित करना चाहिये, जिन्होंने अध्ययन में कम ज्ञान स्कोर तथा टीकाकरण दर प्रदर्शित की है।
- इसका निष्कर्ष यह है कि व्यापक रणनीतियाँ, जो स्वास्थ्य साक्षरता और टीकाकरण कवरेज को एकीकृत करती है, राष्ट्रीय तथा वैश्विक HBV नियंत्रण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
हेपेटाइटिस B - टू द पॉइंट | दृष्टि आईएएस हिंदी
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है? (a) यकृतशोध B विषाणु HIV की तरह ही संचरित होता है। उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग टैटू गुदवाने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
प्रारंभिक परीक्षा
बोन ग्राफ्टिंग प्रौद्योगिकी
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर ने अस्थियों के उपचार और पुनर्जनन को बढ़ावा देने वाली एक नवीन तथा स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक के लाइसेंस के लिये कनाडा स्थित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी (Conlis Global) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
नैनो हाइड्रोक्सीएपेटाइट-आधारित पोरस कम्पोजिट स्कैफोल्ड क्या हैं?
- परिचय:
- नैनो हाइड्रॉक्सीपैटाइट-आधारित पोरस कम्पोजिट स्कैफोल्ड्स बायोडिग्रेडेबल हैं और इनमें अस्थियों के पुनर्जनन के लिये ऑस्टियोइंडक्टिव तथा ऑस्टियोप्रोमोटिव गुण हैं।
- यह अत्यधिक बायोकम्पैटिबल है, जो ऑस्टियोब्लास्ट कोशिकाओं के साथ स्वस्थ कोशिका सामग्री अंतःक्रिया सुनिश्चित करता है, जो उच्च यांत्रिक शक्ति और पॉलिमर नेटवर्क तथा विलायक के बीच परस्पर क्रिया प्रदर्शित करता है।
- विशेषताएँ:
- इसमें ऑस्टियोइंडक्टिव और ऑस्टियोप्रोमोटिव गुण होते हैं, जिसके कारण इसमें अस्थियों को ठीक करने तथा अस्थियों के विकास की विशेषताएँ होती हैं।
- वे अत्यधिक जैव-अनुकूलित होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ओस्टियोब्लास्ट कोशिकाओं के साथ अच्छी कोशिका सामग्री अंतःक्रिया होती है, जो उच्च यांत्रिक शक्ति और पॉलिमर नेटवर्क तथा विलायक के बीच अंतःक्रिया प्रदर्शित करती है।
- ओस्टियोब्लास्ट कोशिकाएँ अस्थि के निर्माण और अस्थि के रीमॉडलिंग के दौरान अस्थि के खनिजकरण के लिये ज़िम्मेदार होती हैं।
- अनुप्रयोग:
- इसका उपयोग आमतौर पर आर्थोपेडिक और दंत प्रत्यारोपण, बॉन ग्राफ्ट विकल्प, कृत्रिम उपकरणों के लिये कोटिंग्स तथा ऊतक इंजीनियरिंग मचानों में किया जाता है।
- कनेक्टिविटी और संरचनात्मक दोष, ऑक्सीजन तथा रक्त परिसंचरण से समझौता किये बिना, कार्यात्मक मचानों का उपयोग बड़े आकार की अस्थि के दोषों में भराव के रूप में किया जा सकता है।
- यह ऊतक निर्माण, खनिजकरण और तेज़ी से दोष उपचार को बढ़ाता है।
बोन ग्राफ्टिंग क्या है?
- परिचय:
- बोन ग्राफ्टिंग में एक सर्जिकल तकनीक शामिल होती है जहाँ प्रत्यारोपित अस्थि का उपयोग बीमारी या चोट से प्रभावित अस्थियों के उपचार और पुनर्निर्माण के लिये किया जाता है।
- यह प्रक्रिया पूरे शरीर में अस्थियों के उपचार के लिये लागू होती है।
- ग्राफ्टिंग उद्देश्यों के लिये सर्जन विभिन्न स्रोतों जैसे कूल्हों, पैरों या पसलियों से अस्थि काट सकते हैं।
- उद्देश्य:
- आविष्कार का प्राथमिक उद्देश्य मौजूदा उपचारों की कमियों को दूर करना है।
- अन्य विकल्प संक्रमण और प्रतिरक्षा संबंधी जटिलताओं से जुड़े हुए हैं।
- यह तकनीक अस्थि विकृति से निपटने, अनियमित अस्थि दोषों के पुनर्निर्माण और दंत अनुप्रयोगों के लिये अस्थि सक्रिय अणुओं, एंटीबायोटिक्स या किसी अन्य दवा की डिलीवरी प्रदान करती है।
- आविष्कार का प्राथमिक उद्देश्य मौजूदा उपचारों की कमियों को दूर करना है।
- कार्य:
- यह तकनीक अस्थि-सक्रिय जैव-अणुओं के वाहक के रूप में कार्य करके, उन्हें सीधे प्रत्यारोपण स्थल पर पहुँचाकर जैव अनुकूल तरीके से अस्थि पुनर्जनन की सुविधा प्रदान करती है।
- यह सामग्री अस्थि की विकृति के पुनर्निर्माण और मरम्मत के लिये मौजूदा बाज़ार में उपलब्ध प्रौद्योगिकियों की कमियों तथा जटिलताओं को दूर करने का एक व्यवहार्य तरीका प्रदान करती है।
- बड़े पैमाने पर अस्थि के दोषों में भराव के रूप में कार्यात्मक मचान का उपयोग संरचनात्मक दोष, कनेक्शन, ऑक्सीजन वितरण या रक्त परिसंचरण से समझौता किये बिना ऊतक विकास, खनिजकरण और दोष मरम्मत में सुधार कर सकता है।
- इसे ऑटोग्राफ़्ट सीमाओं को पार करते हुए, अस्थि के विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग टैटू गुदवाने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है? (2013)
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रैपिड फायर
लद्दाख में निम्मू-पदम-दारचा मार्ग
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में सीमा सड़क संगठन (BRO) ने लद्दाख में रणनीतिक निम्मू-पदम-दारचा मार्ग को जोड़कर एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
- यह मार्ग कारगिल-लेह राजमार्ग के साथ दारचा और निम्मू से गुजरते हुए मनाली तथा लेह के बीच एक महत्त्वपूर्ण लिंक के रूप में करेगा।
- यह मार्ग अब मौजूदा मनाली-लेह और श्रीनगर-लेह मार्गों के साथ-साथ लद्दाख को भीतरी इलाकों से जोड़ने वाली तीसरी धुरी के रूप में कार्य करेगा।
- यह सड़क अन्य मार्गों की तुलना में कम दूरी के कारण रणनीतिक महत्त्व रखती है। यह लद्दाख क्षेत्र को प्रत्येक मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
- यह केवल एक दर्रे यानी 16,558 फीट की ऊँचाई पर शिंकुन ला को पार करता है, जहाँ बीआरओ की देखरेख में सुरंग का काम शुरू होने वाला है।
- सड़क के पूरा होने से न केवल रक्षा तैयारी मज़बूत होगी, बल्कि ज़ांस्कर घाटी में आर्थिक विकास में भी योगदान मिलेगा।
- बीआरओ की कल्पना और स्थापना वर्ष 1960 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा देश के उत्तर तथा उत्तर पूर्वी सीमा क्षेत्रों में सड़कों के नेटवर्क के त्वरित विकास के समन्वय के लिये की गई थी।
- यह रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है।
और पढ़ें: वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम, बीआरओ ने रोहतांग दर्रा, ज़ोजी ला, लद्दाख का महत्त्व।
रैपिड फायर
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ऐतिहासिक AI प्रस्ताव को अपनाया
स्रोत: द हिंदू
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सतत् विकास के लक्ष्यों के अनुरूप कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रणालियों के सुरक्षित, संरक्षित और भरोसेमंद उपयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित एक ऐतिहासिक प्रस्ताव को अपनाकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है।
- यह अंगीकरण पहली बार है जब असेंबली ने AI के तेज़ी से विकसित हो रहे क्षेत्र में विनियमन को संबोधित किया है, जो वैश्विक शासन में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर दर्शाता है।
- प्रस्ताव 17 सतत् विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति लाने के लिये AI की क्षमता को पहचानता है और सुरक्षित AI उपयोग हेतु नियामक ढाँचे तथा शासन दृष्टिकोण विकसित करने के लिये राज्यों, निजी क्षेत्रों, नागरिक समाज एवं अन्य हितधारकों के बीच सहयोग का आह्वान करता है।
- इसके अतिरिक्त असेंबली AI प्रौद्योगिकियों तक समावेशी पहुँच प्राप्त करने और डिजिटल साक्षरता बढ़ाने में विकासशील देशों का समर्थन करके डिजिटल विभाजन को कम करने के महत्त्व पर ज़ोर देती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि तकनीकी प्रगति से सभी को समान रूप से लाभ हो।
- हालाँकि महासभा के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, फिर भी वे वैश्विक राय के एक महत्त्वपूर्ण संकेतक के रूप में काम करते हैं।
और पढ़ें: नैतिक AI को बढ़ावा देना
रैपिड फायर
जिब्राल्टर जलडमरूमध्य क्षेपित क्षेत्र पर चिंता
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
हाल ही में वैज्ञानिकों ने अटलांटिक महासागर के भविष्य को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने स्पेन और मोरक्को के बीच स्थित जिब्राल्टर जलडमरूमध्य के नीचे एक क्षेपित क्षेत्र (subduction zone) की पहचान की है।
- यह यूरोप और अफ्रीका को अलग करने वाली एक संकीर्ण खाई है। यह यूरेशियन प्लेट और अफ्रीकी प्लेट के मिलन बिंदु को चिह्नित करता है।
- अग्निवलय (The Ring of Fire): प्रशांत महासागर के रिंग ऑफ फायर के समान, जहाँ क्षेपित क्षेत्र प्रशांत महासागर को घेरे है, अटलांटिक महासागर एक नई क्षेपित प्रणाली के निर्माण के लिये अनुकूल हो सकता है।
- क्षेपण की प्रक्रिया: क्षेपित क्षेत्र वहाँ होते हैं जहाँ टेक्टोनिक प्लेटें परस्पर क्रिया करती हैं, जिसमें एक प्लेट दूसरे के नीचे क्षेपित हो जाती है। इस मामले में, अफ्रीकी प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे जा रही है, जिससे भूकंपीय गतिविधि और भूकंप का खतरा पैदा हो रहा है।
- वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह क्षेपित क्षेत्र अगले 20 मिलियन वर्षों में पश्चिम की ओर विस्तारित होगा।
- महासागरीय बेसिन का सिकुड़ना: क्षेपण की प्रक्रिया से समुद्री बेसिन सिकुड़ सकता है और अंततः अटलांटिक महासागर बंद हो सकता है।
- क्षेपित अतिक्रमण: इसके वर्तमान अपेक्षाकृत छोटे आकार (लगभग 125 मील लंबाई) के बावजूद, अनुमान बताते हैं कि क्षेपण क्षेत्र अगले दो दशकों के भीतर लगभग 500 मील तक विस्तारित हो सकता है।
- इस घटना को "क्षेपित अतिक्रमण (subduction invasion)" के रूप में जाना जाता है।