सागर नितल प्रसरण | 25 Apr 2022

प्रिलिम्स के लिये:

सागर नितल प्रसरण, प्लेट विवर्तनिकी, सर्कम-पैसिफिक बेल्ट, पैंजिया 

मेन्स के लिये:

सागर नितल प्रसरण संकल्पना और संबंधित भौगोलिक विशेषताएंँ

चर्चा में क्यों?

पिछले 19 मिलियन वर्षों के आंँकड़ों का विश्लेषण करने वाले एक अध्ययन के अनुसार, सागर नितल प्रसरण की दर (Seafloor Spreading Rates) वैश्विक स्तर पर लगभग 35% तक धीमी हो गई है।

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अध्ययन की मुख्य विशेषताएंँ:

  • इस अध्ययन हेतु शोधकर्त्ताओं द्वारा विश्व की सबसे बड़ी फैली हुई कटकों (मध्य-महासागरीय कटक) में से 18 का चयन किया।
    • कटक या पर्वत कटक एक भौगोलिक विशेषता है जिसमें पर्वतों या पहाड़ियों की एक शृंखला होती है जो एक विस्तारित दूरी के लिये निरंतर ऊंँचा शिखर बनाती हैं।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा समुद्री क्रस्ट पर चट्टानों में चुंबकीय रिकॉर्ड का अध्ययन कर गणना की गई कि पिछले 19 मिलियन वर्षों में समुद्री क्रस्ट कितना बना। 
    • समुद्री क्रस्ट की बेसाल्ट चट्टानों में चुंबकीय गुण विद्यमान होता है।  
    • जब मैग्मा सतह पर पहुंँच जाता है और क्रस्ट बनाने के लिये ठंडा होना शुरू हो जाता है तब इन चट्टानों का चुंबकत्व पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित होता है।
  • लेकिन ये रिकॉर्ड अधूरे हैं क्योंकि सबडक्शन ज़ोन में क्रस्ट नष्ट हो जाते हैं।
    • सबडक्शन ज़ोन (Subduction Zone) एक ऐसा बिंदु है जहाँ दो टेक्टोनिक प्लेट टकराती हैं तथा उनमें से एक प्लेट दूसरी के नीचे पृथ्वी के मेंटल में डूब जाती है।

सागर नितल प्रसरण:

  • वर्ष 1960 में अमेरिकी भूभौतिकीविद् हैरी एच. हेस द्वारा सागर नितल प्रसरण परिकल्पना प्रस्तावित की गई थी।
  • सागर नितल प्रसरण मैग्मा के दरार में ऊपर उठने की प्रक्रिया है क्योंकि पुरानी पपड़ी खुद को विपरीत दिशाओं में खींचती है। ठंडा समुद्री जल मैग्मा को ठंडा करता है, जिससे एक नया क्रस्ट बनता है।
  • मैग्मा के ऊपर की ओर गति करने और अंततः इसके शीतल होने में लगे लाखों वर्षों में समुद्र तल पर ऊँचे उभार/रिज (High Ridges) निर्मित हो गए हैं। 
    • हालांँकि सागर नितल क्षेत्र (Seafloor) निम्नस्खलन क्षेत्र/सबडक्शन ज़ोन (Subduction Zones) में विलीन हो जाते हैं, जहाँ महासागरीय क्रस्ट महाद्वीपों के नीचे तैरते रहते हैं तथा पुनः मेंटल में मिलकर (Mantle) फैलते हुए समुद्र नितल प्रसरण रिज पर जमा हो जाते हैं।
  • रिंग ऑफ फायर में पूर्वी प्रशांत उत्थान सागर नितल प्रसरण का एक प्रमुख स्थल है।
    • यह प्रशांत प्लेट, कोकोस प्लेट (मध्य अमेरिका के पश्चिम में), नज़का प्लेट (दक्षिण अमेरिका के पश्चिम में), उत्तर-अमेरिकी प्लेट और अंटार्कटिक प्लेट की अपसारी सीमा पर स्थित है।

सागर नितल प्रसरण में कमी का कारण:

  • महाद्वीपों पर बढ़ते पर्वत सागर नितल प्रसरण में कमी के प्रमुख कारकों में से एक हो सकते हैं (क्योंकि यह सागर नितल प्रसरण प्रतिरोध का कारण बनता है)।
    • लगभग 200 मिलियन वर्ष पहले जब पैंजिया महाद्वीप टूटने लगा था, तब किसी भी बड़ी प्लेट के टकराने की घटना या संबंधित पर्वत शृंखलाएंँ विद्यमान नहीं थीं।
    • उस समय महाद्वीप समतल थे।
  • पैंजिया महाद्वीप के खंडन/विभाजन की परिपक्व अवस्था: जैसे-जैसे पैंजिया टूटता गया, नए महासागरीय बेसिन निर्मित होते गए और अंततः खंडित महाद्वीप एक-दूसरे में टकराने लगे।
    • यह भारत और यूरेशिया, अरब प्रायद्वीप तथा यूरेशिया के साथ-साथ अफ्रीका व यूरेशिया के बीच विभाजित हुआ।
      • यह पैंजिया महाद्वीप के विभाजन एवं  फैलाव के 'परिपक्व' चरण (Mature Stage) का एक स्वाभाविक परिणाम है।
  • मेंटल कन्वेक्शन (Mantle Convection) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पृथ्वी के कोर से ऊष्मा को सतह पर ऊपर की ओर स्थानांतरित किया जाता है।  
    • मेंटल पृथ्वी की आतंरिक परतो में से एक है जो नीचे कोर से और ऊपर क्रस्ट से घिरा होता है।
    • मेंटल कन्वेक्शन से मेंटल के गतिशील होने का पता चलता है क्योंकि यह सफेद-गर्म कोर (White-Hot Core) से भंगुर लिथोस्फीयर (Brittle Lithosphere) में ऊष्मा को स्थानांतरित करता है। 
      • मेंटल नीचे से गर्म तथा ऊपर से ठंडा होता है और इसका समग्र तापमान लंबे समय के बाद कम हो जाता है।  

सागर नितल प्रसरण का प्रभाव:

  • सागर नितल प्रसरण समुद्र के जल स्तर और कार्बन चक्र को प्रभावित करता है।
    • समुद्र का जल स्तर: 
      • सागर नितल प्रसरण के साथ कटक (रिज) का भी विस्तार होता है तथा गर्म और नए स्थलमंडल (लिथोस्फीयर) का तेज़ी से निर्माण होने के साथ कटक से तेज़ गति से दूर जाने, ठंडा होने एवं सिकुड़ने के फलस्वरूप समुद्र स्तर में वृद्धि होती है।
    • कार्बन चक्र: 
      • समुद्र तल के अधिक फैलाव के कारण ज्वालामुखी घटनाएँ बढ़ रही हैं, इससे वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि हो रही है।   

 स्रोत: डाउन टू अर्थ