प्रारंभिक परीक्षा
स्नेक आइलैंड
यूक्रेन ने काला सागर में ज़मीनी द्वीप, जिसे ‘स्नेक आइलैंड’ भी कहा जाता है, पर हवाई हमलों में रूसी सेना को गंभीर क्षति पहुँचाई है।
- माना जाता है कि द्वीप पर ये हमले पश्चिम द्वारा यूक्रेन को दी गई मिसाइलों का उपयोग करके दूसरी बड़ी सैन्य सफलता है।
स्नेक आइलैंड:
- विशेषताएँ:
- ज़मीनी द्वीप, जिसे स्नेक या सर्पेंट आइलैंड के नाम से भी जाना जाता है, यह 700 मीटर से कम आकार की चट्टान का एक छोटा टुकड़ा है, जिसे एक्स-आकार का बताया गया है।
- अवस्थिति:
- यह काला सागर में तट से 35 किमी. दूर डेन्यूब के मुहाने के पूर्व में और ओडेसा के बंदरगाह शहर के लगभग दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
- वोल्गा के बाद डेन्यूब यूरोप की दूसरी सबसे लंबी नदी है। यह पश्चिमी जर्मनी के ब्लैक फॉरेस्ट पहाड़ों से निकलती है और लगभग 2,850 किमी. तक काला सागर पर अपने मुहाने तक बहती है।
- द्वीप को मानचित्र पर ‘विलेज ऑफ बाइल’ द्वारा चिह्नित किया गया है, यह यूक्रेन के अंतर्गत आता है।
- यह काला सागर में तट से 35 किमी. दूर डेन्यूब के मुहाने के पूर्व में और ओडेसा के बंदरगाह शहर के लगभग दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
काला सागर:
- आस-पास के क्षेत्र:
- काला सागर उत्तर और उत्तर पश्चिम में यूक्रेन, पूर्व में रूस और जॉर्जिया, दक्षिण में तुर्कीये और पश्चिम में बुल्गारिया और रोमानिया से घिरा है।
- जलडमरूमध्य:
- काला सागर बोस्फोरस के द्वारा मरमरा सागर से और डार्डानेल्स के द्वारा एजियन सागर से जुड़ता है, यह पारंपरिक रूप से यूरोप के लिये रूस का गर्म जल का प्रवेश द्वार रहा है।
- काला सागर भी केर्च जलडमरूमध्य द्वारा आज़ोव सागर से जुड़ा हुआ है।
- रूस के लिये महत्त्व:
- सामरिक मध्यवर्ती क्षेत्र/बफर:
- काला सागर भूमध्य सागर के लिये मील का पत्थर है और साथ ही नाटो देशों और रूस के बीच एक रणनीतिक बफर भी है।
- भूस्थैतिक महत्त्व:
- काला सागर क्षेत्र का प्रभुत्व मास्को के लिये भू-रणनीतिक अनिवार्यता है, (दोनों भूमध्य सागर में रूसी शक्ति का प्रभाव और दक्षिणी यूरोप के प्रमुख बाज़ारों हेतु आर्थिक प्रवेश द्वार को सुरक्षित करने के लिये)।
- रूस वर्ष 2014 के क्रीमिया संकट के बाद से काला सागर पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर रहा है।
- वर्तमान संघर्ष में काला सागर पर नियंत्रण के साथ ही रूस और क्रीमिया को जोड़ने वाले भूमि पुल पर नियंत्रण रूस का प्रमुख लक्ष्य रहा है।
- काला सागर तक यूक्रेन की पहुंँच को कम करने से यह एक स्थलरुद्ध देश में तब्दील हो जाएगा और इसके रसद व्यापार के लिये एक गंभीर झटका होगा।
- काला सागर क्षेत्र का प्रभुत्व मास्को के लिये भू-रणनीतिक अनिवार्यता है, (दोनों भूमध्य सागर में रूसी शक्ति का प्रभाव और दक्षिणी यूरोप के प्रमुख बाज़ारों हेतु आर्थिक प्रवेश द्वार को सुरक्षित करने के लिये)।
- सामरिक मध्यवर्ती क्षेत्र/बफर:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2019) समुद्र सीमा देश
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं? (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (B) सही उत्तर है। |
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
पार्टिसिपेटरी नोट्स
पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के माध्यम से मई के अंत, 2022 तक भारतीय पूंजी बाज़ार में निवेश घटकर 86,706 करोड़ रुपए रह गया है।
- हालांँकि अनुमानतः आने वाली 1-2 तिमाहियों में विदेशी निवेशक अपना बिकवाली का रुख बदलेंगे और देश के शेयरों में वापसी करेंगे।
- पी-नोट निवेश में गिरावट के अनुरूप विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के अंतर्गत परिसंपत्तियांँ मई, 2022 के अंत में 50.74 ट्रिलियन रुपए (जो अप्रैल, 2022 के अंत में थी) से 5% घटकर 48.23 ट्रिलियन रुपए हो गईं।
- FPI द्वारा इक्विटी से शुद्ध निकासी का यह लगातार आठवांँ महीना था।
पार्टिसिपेटरी नोट्स:
- पी-नोट्स विदेशी निवेशकों को पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा जारी किये गए ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स (ODI) हैं जो सीधे खुद को पंजीकृत किये बिना भारतीय शेयर बाज़ारों का हिस्सा बनना चाहते हैं।
- पी-नोट्स में भारतीय स्टॉक उनकी अंतर्निहित संपत्ति के रूप में होते हैं।
- FPI अनिवासी हैं जो भारतीय प्रतिभूतियों जैसे शेयर, सरकारी बॉण्ड, कॉरपोरेट बॉण्ड आदि में निवेश करते हैं।
- हालांँकि पी-नोट धारकों के लिये सरल पंजीकरण आवश्यकताएंँ हैं, उन्हें भारतीय सुरक्षा और विनिमय बोर्ड (SEBI) की उचित त्वरित प्रक्रिया से गुजरना होगा।
पी-नोट्स में कमी के कारण:
- मुद्रास्फीति के स्तर में अनिश्चितता:
- मुद्रास्फीति के स्तर और अमेरिकी फेडरल रिज़र्व (Fed’s) की कार्रवाइयों को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।.
- पी-नोट्स में गिरावट का श्रेय यूएस फेड द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा करने के कारण को दिया जा रहा है जो मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये दरों में बढ़ोतरी कर रहा है।
- ब्रिटेन और यूरोज़ोन सहित अन्य केंद्रीय बैंक भी इसका अनुसरण कर रहे हैं।
- मुद्रा/करेंसी में सुधार:
- करेंसी की स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ है।
- एक सुधार एक मूल्य प्रतिक्षेप है जिसे प्रत्येक प्रवृत्ति आवेग के बाद देखा जा सकता है। सुधार होने के बाद, मूल्य अपनी प्रवृत्ति पर वापस आ जाता है। वर्तमान समय में उपकरणों की अधिक बिक्री या अधिक खरीद के कारण मुद्रा बाज़ार में सुधार होता है।
- इस कमी का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी और डेबिट पोर्टफोलियो में बाज़ार सुधार को लेकर है।
- करेंसी की स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ है।
भविष्य में पी-नोट्स के संबंधित उम्मीदें:
- इक्विटी बाज़ार इन स्तरों पर कुछ आकर्षक कीमत प्रदान कर रहे हैं।
- आपूर्ति-शृंखला और मुद्रास्फीति के मुद्दों के आने वाले महीनों में कम होने की उम्मीद है।
- बाज़ार आमतौर पर आर्थिक चक्र से आगे बढ़ते हैं।
- यह माना जाता है कि अगली एक/दो तिमाहियों में FPI को भारतीय इक्विटी हेतु पूंजी आवंटित करने के लिये वापस लाना चाहिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी बातें भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में समाविष्ट होंगी?
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) 1, 2, 3 और 4 उत्तर: (d)
अतः विकल्प (d) सही उत्तर है। |
स्रोत: इकनॉमिक टाइम्स
प्रारंभिक परीक्षा
ब्लैक डेथ
साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्त्ताओं ने दावा किया है कि ब्लैक डेथ की पहचान आधुनिक उत्तरी किर्गिस्तान में 1338-1339 के आसपास हुई थी। लगभग 7-8 वर्ष पहले इसने दुनिया के बड़े हिस्से को नुकसान पहुँचाया था।
ब्लैक डेथ
- ब्लैक डेथ शब्द बुबोनिक प्लेग को संदर्भित करता है जो वर्ष 1346-53 में पश्चिमी एशिया, उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में फैला।
- अधिकांश विद्वान इस बात से सहमत हैं कि ब्लैक डेथ, जिसने लाखों लोगों की जान ली थी, यर्सिनिया पेस्टिस जीवाणु के कारण हुई थी और पिस्सू द्वारा फैल गई थी जिसके मेज़बान कृंतक (चूहा गिलहरी आदि कतरने वाले जानवर) थे।
- सूक्ष्मजीव येर्सिनिया पेस्टिस मानव आबादी में फैल गया, जिन्होंने इसे मानव पिस्सू के वेक्टर के माध्यम से या सीधे श्वसन प्रणाली के माध्यम से दूसरों को प्रेषित किया।
- महामारी के बारे में लिखने वाले समकालीनों ने अक्सर बुबो (कठोर, सूजन वाले लिम्फ नोड्स) को विशिष्ट नैदानिक विशेषता के रूप में वर्णित किया।
- 14वीं शताब्दी में जनसांख्यिकीय विनाश के कारण महामारी को 'ग्रेट डेथ' के रूप में संदर्भित किया गया था।
- उस समय व्यापक ऐतिहासिक डेटा की कमी के कारण मरने वालों की सही संख्या जानना मुश्किल है।
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 24 जून, 2022
भारत-नेपाल भारत गौरव पर्यटक ट्रेन
हाल ही में पहली भारत-नेपाल भारत गौरव पर्यटन ट्रेन को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से रवाना किया गया है। इस ट्रेन में 500 भारतीय पर्यटक सवार हैं। यह पर्यटक ट्रेन पहली बार भारत और नेपाल को जोड़ेगी। भारत और नेपाल के बीच भारत गौरव पर्यटक ट्रेन देश भर के लोगों को देश के स्थापत्य, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों का दर्शन कराने का अवसर प्रदान करेगी। इस ट्रेन की पहली यात्रा (रामायण सर्किट) में अयोध्या, नंदीग्राम, वाराणसी, सीतामढ़ी, चित्रकूट, प्रयागराज, हम्पी, पंचवटी (नासिक), रामेश्वरम् और भद्राचलम् जैसे अन्य लोकप्रिय स्थलों के अलावा जनकपुर (नेपाल में) के धार्मिक गंतव्य को भी कवर किया जायेगा। भारत गौरव ट्रेनें भारत की समृद्ध आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को अपने लोगों को दिखाने का एक प्रयास है। इस अनोखे विचार की परिकल्पना रेल मंत्रालय ने की थी। यह अवधारणा देश भर में बड़े पैमाने पर पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगी। यह लोगों को भारतीय संस्कृति का पता लगाने का अवसर भी प्रदान करेगा। यह ट्रेन 18 दिन की यात्रा पूरी करने के बाद वापस दिल्ली लौटेगी। यह पूरे रामायण दौरे में करीब 8000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
रुचिरा कंबोज
हाल ही में रुचिरा कंबोज को संयुक्त राष्ट्र में भारत की अगली स्थायी प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया है। वह वर्तमान में भूटान में भारतीय राजदूत के पद पर कार्यरत्त हो।रुचिरा कंबोज टी.एस. तिरुमूर्ति का स्थान लेंगी तथा शीघ्र ही उनके द्वारा कार्यभार संभालने की संभावना है। रुचिरा कंबोज वर्ष 1987 के सिविल सेवा बैच की अखिल भारतीय महिला टॉपर और साथ ही वर्ष 1987 विदेश सेवा बैच की टॉपर रही है। उन्होंने पेरिस, फ्रांँस से अपनी राजनयिक यात्रा शुरू की और वह वर्ष1989-91 के दौरान फ्रांँस में भारतीय दूतावास में तीसरी सचिव के रूप में तैनात थीं। वह दक्षिण अफ्रीका में भारतीय उच्चायुक्त, पेरिस में यूनेस्को में भारत की स्थायी प्रतिनिधि और नई दिल्ली में प्रोटोकॉल की प्रमुख भी रही हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र में भारत का सबसे प्रमुख राजनयिक प्रतिनिधि होता है। यह न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन का प्रमुख है। वर्तमान में, टी.एस. तिरुमूर्ति भारत के स्थायी प्रतिनिधि हैं। उन्हें मई 2020 में नियुक्त किया गया था।
सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी द्वारा भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च (Centre for Brain Research – CBR) का उद्घाटन किया गया है। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने बागची पार्थसारथी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की आधारशिला भी रखी जो 832 बेड वाला अस्पताल है। CBR अपनी तरह की एक शोध सुविधा है, जो उम्र से संबंधित मस्तिष्क विकारों के प्रबंधन हेतु साक्ष्य-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप प्रदान करने के लिये महत्त्वपूर्ण शोध कार्य करने पर केंद्रित है। सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च को एक गैर-लाभकारी, स्वायत्त अनुसंधान संगठन के रूप में स्थापित किया गया था। यह गोपालकृष्णन और उनकी पत्नी सुधा गोपालकृष्णन की ओर से एक उदार उपहार था जो उनके द्वारा दी गई दान राशि द्वारा वित्त पोषित है और कई अनुदान एजेंसियों से विशिष्ट परियोजनाओं को संचालित करने हेतु अनुसंधान अनुदान प्राप्त करता है। गोपालकृष्णन ने अत्याधुनिक भवन के निर्माण के लिये धन उपलब्ध कराया है। बागची पार्थसारथी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल को IISc बेंगलुरु परिसर में विकसित किया जाएगा। यह अस्पताल प्रतिष्ठित संस्थान में विज्ञान, चिकित्सा और इंजीनियरिंग को एकीकृत करने में मदद करेगा।
पासपोर्ट सेवा दिवस
हर साल 24 जून को पासपोर्ट सेवा दिवस (Passport Seva Divas) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को 24 जून, 1967 में पासपोर्ट अधिनियम के अधिनियमन (enactment) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पासपोर्ट सेवा दिवस पर, भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि चिप युक्त ई-पासपोर्ट के उत्पादन की प्रक्रिया चल रही है। इससे भारतीय यात्रा की सुरक्षा को काफी हद तक मज़बूत करने में मदद मिलेगी। चिप्स में आवेदकों के व्यक्तिगत विवरण को स्टोर कर उन्हें डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित किया जाएगा। उनमे 64 केबी का मेमोरी स्पेस होगा। इस चिप में करीब 30 अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं को स्टोर किया जाएगा। पासपोर्ट अधिनियम भारतीय पासपोर्ट प्राप्त करने की प्रक्रियाओं का वर्णन करता है। इस अधिनियम ने ब्रिटिश भारतीय पासपोर्ट और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 का स्थान लिया था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार, यह अधिनियम दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है। इस अधिनियम के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति ने विदेशी नागरिकता हासिल कर ली है, तो उसे अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा।