प्रारंभिक परीक्षा
अपराध में फिंगरप्रिंट साक्ष्य का उपयोग
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
बॉलीवुड अभिनेता पर हमले की जाँच ने अपराधों को सुलझाने में फिंगरप्रिंट्स के महत्त्व पर ज़ोर दिया है।
साक्ष्य सामग्री के रूप में फिंगरप्रिंट्स का कानूनी पक्ष क्या है?
- फिंगरप्रिंट का उपयोग: फिंगरप्रिंट का उपयोग अपराध स्थल से लिये गए प्रिंटों का मिलान करने तथा यह पता लगाने के लिये किया जाता है कि क्या अभियुक्त का कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड है नही।
- आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 एक वर्ष से अधिक कारावास वाले अपराधों के लिये गिरफ्तार व्यक्तियों के फिंगरप्रिंट के भंडारण की अनुमति प्रदान करता है।
- हेनरी वर्गीकरण प्रणाली (HCS) के अनुसार, पहचान निर्धारित करने के लिये उंगली के शीर्ष एक तिहाई भाग को ध्यान में रखा जाता है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग पैटर्न (घुमाव और मेहराब) होते हैं।
- संवैधानिक आधार: अनुच्छेद 20(3) के तहत किसी भी अपराध के आरोपी व्यक्ति को अपने खिलाफ गवाह बनने के लिये मज़बूर नहीं किया जाएगा।
- आत्म-दोष के विरुद्ध संरक्षण का मौखिक और लिखित साक्ष्य दोनों रूपों में प्रावधान है।
- हालाँकि इसमें भौतिक वस्तुओं की अनिवार्य प्रस्तुति, अंगूठे के निशान, हस्ताक्षर, रक्त के नमूने देने की बाध्यता अथवा शारीरिक अंगों के प्रदर्शन की बाध्यता निहित नहीं है।
- इसके अलावा यह केवल आपराधिक कार्यवाही तक ही सीमित है, न कि दीवानी कार्यवाही या गैर-आपराधिक प्रकृति की कार्यवाही तक।
- न्यायिक निर्णय: काठी कालू ओघद, 1961 मामले में, सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने माना कि किसी अभियुक्त को जाँच के लिये नमूना लिखावट, हस्ताक्षर, या उंगलियों के निशान या पैरों के निशान प्रदान करने के लिये विवश किया जाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 (3) के तहत आत्म-दोष के विरुद्ध संरक्षण के उनके अधिकार का उल्लंघन नहीं है।
- रितेश सिन्हा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, 2019 मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तलेखन नमूनों के मापदंडों को व्यापक बनाते हुए इसमें आवाज़ के नमूने भी शामिल कर लिये, और अभिनिर्धारित किया, इससे आत्म-दोषी सिद्ध किये जाने के विरुद्ध अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा।
- सेल्वी बनाम कर्नाटक, 2010 मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि आरोपी की सहमति के बिना नार्को एनालिसिस टेस्ट देना आत्म-अभिशंसन के खिलाफ उसके अधिकार का उल्लंघन होगा।
नोट: आधार अधिनियम, 2016 की धारा 29 के तहत भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा मुख्य बायोमेट्रिक जानकारी जैसे फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन या इसी प्रकार की कोई जैविक लक्षण का किसी भी एजेंसी के साथ "किसी भी कारणवाश" साझा किया जाना प्रतिबंधित है।
प्रारंभिक परीक्षा
फिस्कल हेल्थ इंडेक्स 2025
स्रोत: पी.आई.बी.
राजकोषीय प्रशासन में सुधार लाने के उद्देश्य से, राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (नीति आयोग) ने अपना पहला फिस्कल हेल्थ इंडेक्स (FHI) 2025 लॉन्च किया।
- इस सूचकांक में वर्ष 2022 से वर्ष 23 की अवधि में 18 प्रमुख भारतीय राज्यों की राजकोषीय स्थिति का व्यापक मूल्यांकन किया गया है, तथा डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान की गई है जो राज्य स्तर पर नीतिगत हस्तक्षेपों का मार्गदर्शन करेगा।
फिस्कल हेल्थ इंडेक्स (FHI) क्या है?
- परिचय: फिस्कल हेल्थ इंडेक्स (FHI) भारतीय राज्यों की राजकोषीय स्थिति का मूल्यांकन करने हेतु एक मूल्यांकन साधन है और इसके अंतर्गत उन विशिष्ट क्षेत्रों पर प्रकाश डाला जाता है जिनमें सुधार किया जा सकता है।
- पैरामीटर: FHI पाँच प्रमुख उप-सूचकांकों के आधार पर राज्यों का श्रेणीकरण करता है।
- व्यय की गुणवत्ता: इसमें दीर्घकालिक विकास (विकासात्मक) बनाम नियमित परिचालन (गैर-विकासात्मक) पर किये गए व्यय के अनुपात को मापा जाता है।
- इसमें आर्थिक उत्पादन के हिस्से के रूप में पूंजी निवेश का आकलन किया जाता है।
- राजस्व जुटाना: यह राज्य की स्वयं का राजस्व उत्पन्न करने तथा अपने व्यय को स्वतंत्र रूप से पूरा करने की क्षमता को दर्शाता है।
- राजकोषीय विवेक: इसमें आर्थिक उत्पादन के सापेक्ष घाटे (राजकोषीय और राजस्व) तथा उधारी का आकलन किया जाता है, तथा संबद्ध राज्य की राजकोषीय स्थिति का विवरण प्रदान किया जाता है।
- ऋण सूचकांक: इसके अंतर्गत आर्थिक आकार के सापेक्ष ब्याज भुगतान और देनदारियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए राज्य के ऋण बोझ का आकलन किया जाता है।
- ऋण स्थिरता: इसके अंतर्गत सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वृद्धि की तुलना ब्याज भुगतान से की जाती है, जिसमें सकारात्मक अंतर राजकोषीय स्थिरता को दर्शाता है।
- व्यय की गुणवत्ता: इसमें दीर्घकालिक विकास (विकासात्मक) बनाम नियमित परिचालन (गैर-विकासात्मक) पर किये गए व्यय के अनुपात को मापा जाता है।
- उद्देश्य: राज्य स्तर पर सतत् आर्थिक विकास, राजकोषीय समेकन और बेहतर संसाधन प्रबंधन के लिये लक्षित सुधार तैयार करने में नीति निर्माताओं का मार्गदर्शन करना।
- राज्यों की राजकोषीय रणनीतियों को राष्ट्रीय आर्थिक उद्देश्यों के साथ संरेखित करते हुए उनके बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करना।
- FHI 2025 से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता: ओडिशा 67.8 के सर्वोच्च समग्र FHI स्कोर के साथ शीर्ष पर है, इसके बाद छत्तीसगढ़ (55.2), गोवा (53.6), झारखंड (51.6) और गुजरात (50.5) का स्थान है, जिनकी ऋण सूचकांक, राजस्व संग्रहण और राजकोषीय विवेकशीलता की स्थिति सुदृढ़ है।
- राजस्व संग्रहण: गोवा, तेलंगाना और ओडिशा राजस्व संग्रहण और राजकोषीय विवेकशीलता में अग्रणी हैं।
- ओडिशा, झारखंड, गोवा और छत्तीसगढ़ गैर-कर राजस्व के मामले में बेहतर हैं, जहाँ ओडिशा मुख्य रूप से खनन संबद्ध प्रीमियम पर निर्भर है, जबकि छत्तीसगढ़ को कोयला ब्लॉक नीलामी से लाभ प्राप्त होता है।
- पंजाब और पश्चिम बंगाल राजस्व जुटाने में पिछड़ रहे हैं, जिससे राजकोषीय प्रबंधन एवं आर्थिक लचीलेपन में असमानता पर प्रकाश पड़ता है।
- पंजाब, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे आकांक्षी राज्यों को गंभीर राजकोषीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- पंजाब और केरल ऋण स्थिरता और व्यय की गुणवत्ता के मामले में संघर्ष कर रहे हैं जबकि आंध्र प्रदेश, उच्च राजकोषीय घाटे से ग्रसित है।
- पूंजीगत व्यय: मध्य प्रदेश, ओडिशा, गोवा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ने पूंजीगत व्यय के लिये 27% का आवंटन किया है, जो दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों ने इस क्षेत्र में केवल 10% ही आवंटित किये हैं, जिससे दीर्घकालिक विकास प्रभावित होता है।
- ऋण प्रबंधन: ओडिशा और गोवा जैसे शीर्ष राज्य प्रभावी रूप से ऋण का प्रबंधन करते हैं तथा चूक का जोखिम कम होता है, जबकि पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे निचले स्तर के राज्यों में ऋण का बोझ बढ़ता जा रहा है, जिससे ऋण स्थिरता के बारे में चिंताएँ बढ़ रही हैं।
और पढ़ें: राज्य वित्त पर आरबीआई की रिपोर्ट 2024-25
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. अटल नवप्रवर्तन (इनोवेशन) मिशन किसके अधीन स्थापित किया गया है? (2019) (a) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग उत्तर: (c) प्रश्न. भारत सरकार ने नीति (NITI) आयोग की स्थापना निम्नलिखित में से किसका स्थान लेने के लिये की है? (2015) (a) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग उत्तर: (d) |
रैपिड फायर
SDSC से ISRO का 100 वाँ प्रक्षेपण
स्रोत: द हिंदू
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से NVS-02 उपग्रह को स्थापित करने के लिये GSLV -F 15 का उपयोग करते हुए अपना ऐतिहासिक 100 वाँ प्रक्षेपण किया।
- NVS-02 भारतीय तारामंडल के साथ नेविगेशन (NavIC) की दूसरी पीढ़ी के उपग्रहों की शृंखला में दूसरा उपग्रह है।
- NavIC प्रणाली कक्षा में 7 परिचालन उपग्रहों (भूस्थिर कक्षा में 3 और भू-समकालिक कक्षा में 4) से बनी है ।
- NavIC भारतीय उपमहाद्वीप और उससे 1,500 किमी दूर तक के क्षेत्रों में उपयोगकर्त्ताओं को सटीक स्थिति, वेग और समय की जानकारी प्रदान करता है।
- GSLV-F15 GSLV की 17वीं उड़ान है, तथा स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण वाली 11वीं उड़ान है।
- SDSC से पहला प्रक्षेपण अगस्त 1979 में रोहिणी प्रौद्योगिकी पेलोड (आंशिक रूप से सफल) के साथ किया गया।
- ISRO के प्रमुख प्रक्षेपणों में चंद्रयान-1 (2008), मार्स ऑर्बिटर मिशन (2013), PSLV-C37 (2017, विश्व रिकॉर्ड: 104 उपग्रह प्रक्षेपित ), चंद्रयान-2 (2019), और चंद्रयान-3 (2023), आदित्य-L1 (2023) शामिल हैं।
और पढ़ें: ISRO का नया NavIC उपग्रह NVS-01
रैपिड फायर
मिशन 300 अफ्रीका ऊर्जा शिखर सम्मेलन
स्रोत: डाउन टू अर्थ
मिशन 300 अफ्रीका ऊर्जा शिखर सम्मेलन, तंज़ानिया के दार एस सलाम में आयोजित किया गया जिसका उद्देश्य संपूर्ण अफ्रीका में ऊर्जा पहुँच में तेज़ी लाना है।
- अफ्रीका ऊर्जा शिखर सम्मेलन तंज़ानिया सरकार, अफ्रीकी संघ, अफ्रीकी विकास बैंक और विश्व बैंक द्वारा आयोजित किया गया।
- शिखर सम्मेलन मिशन 300 पहल पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक उप-सहारा अफ्रीका में 300 मिलियन लोगों को विद्युत् उपलब्ध कराना है।
- 600 मिलियन से अधिक अफ्रीकियों के पास निर्बाध विद्युत् की सुविधा नहीं है, नाइजीरिया और उप-सहारा अफ्रीका में 80% वैश्विक आबादी विद्युत् विहीन है।
- शिखर सम्मेलन में 12 अफ्रीकी देशों द्वारा राष्ट्रीय ऊर्जा समझौते प्रस्तुत किये गये, जिनमें चाड, कोटे डी आइवर, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, लाइबेरिया, मेडागास्कर, मलावी, मॉरिटानिया, नाइजर, नाइजीरिया, सेनेगल, तंज़ानिया और ज़ाम्बिया शामिल हैं।
- सरकार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय ऊर्जा संधियाँ वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक विद्युत् पहुँच और स्वच्छ भोजन पकाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये रोडमैप के रूप में काम करेंगी, जो वर्ष 2030 तक सभी के लिये सस्ती, विश्वसनीय, सतत् ऊर्जा पहुँच के लिये संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य 7 (SDG7) के साथ संरेखित होंगी।
रैपिड फायर
लाला लाजपत राय की जयंती
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय को उनकी 160 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
लाला लाजपत राय
- परिचय: उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के फिरोज़पुर ज़िले में हुआ था।
- पंजाब केसरी के नाम से प्रसिद्ध , वे एक प्रेरक नेता एवं समाज सुधारक थे।
- स्वतंत्रता योगदान: वह भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (INC) के एक प्रमुख नेता थे, उन्होंने बंगाल विभाजन (1905) का विरोध किया और असहयोग आंदोलन (1920) का समर्थन किया।
- उन्होंने वर्ष 1916 में बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट द्वारा शुरू किये गए भारत के होमरूल आंदोलन का समर्थन करने के लिये होम रूल लीग ऑफ अमेरिका (1917) की स्थापना की और रॉलेट एक्ट तथा जलियाँवाला बाग हत्याकांड का विरोध किया।
- उन्होंने साइमन कमीशन के विरोध में हुए आंदोलन (1928) का नेतृत्व किया , जहाँ लाठीचार्ज में लगी चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
और पढ़ें: लाला लाजपत राय
रैपिड फायर
कम सोडियम युक्त नमक का उपयोग: WHO
स्रोत: डब्ल्यू.एच.ओ.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी रोगों (CVD) और अत्यधिक नमक के सेवन से होने वाले स्ट्रोक के निवारण हेतु कम सोडियम युक्त नमक विकल्पों (LSSS) को बढ़ावा देने वाले नए आहार संबंधी दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
- पोटेशियम क्लोराइड, मैग्नीशियम सल्फेट और कैल्शियम क्लोराइड युक्त ये विकल्प स्वाद को बनाए रखते हुए सोडियम उपभोग को कम करने में मदद करते हैं।
- विश्व स्तर पर, अनुपयुक्त आहार के कारण प्रतिवर्ष 8 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से 1.9 मिलियन लोगों की मृत्यु का कारण उच्च सोडियम सेवन है।
सोडियम युक्त नमक के सेवन से संबंधित मुख्य तथ्य:
- WHO का सुझाव: WHO ने वयस्कों के लिये प्रतिदिन 5 ग्राम से कम नमक (2 ग्राम सोडियम) का सेवन किये जाने का सुझा दिया है।
- यह सरकारों को LSSS को स्वास्थ्य कार्यक्रमों में एकीकृत करने, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में इसके उपयोग को प्रोत्साहित करने तथा लेबलिंग विनियमों में सुधार लाने हेतु प्रोत्साहित करेगा।
- भारत: भारत में नमक का सेवन अधिक (10.4 ग्राम/दिन) तथा पोटेशियम का स्तर कम होने के कारण उच्च रक्तचाप होता है।
- FSSAI खाद्य नमक में 97% सोडियम क्लोराइड के उपयोग को अनिवार्य करने, एंटीकेकिंग एजेंटों की मात्रा 2.2% तक सीमित करने और "कम सोडियम" और "सोडियम-मुक्त" दावों के लिये सटीक सोडियम लेबलिंग किये जाने पर बल देने के साथ सोडियम के उपयोग में कमी लाने की नीतियों का कार्यान्वन कर रहा है।
और पढ़ें: नमक का सीमित सेवन