शासन व्यवस्था
खनन हेतु रॉयल्टी दरों को कैबिनेट की स्वीकृति
- 16 Oct 2023
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प्रिलिम्स के लिये:कैबिनेट द्वारा खनन हेतु रॉयल्टी दरों को स्वीकृति, खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1957 ('MMDR Act'), लिथियम और नाइओबियम, खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023, दुर्लभ पृथ्वी धातुओं। मेन्स के लिये:कैबिनेट द्वारा खनन हेतु रॉयल्टी दरों को स्वीकृति, विश्व भर (दक्षिण एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप सहित) में प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों का वितरण |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 महत्त्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों अर्थात् लिथियम, नाइओबियम एवं दुर्लभ मृदा तत्त्व (REE) के संबंध में रॉयल्टी की दर निर्दिष्ट करने के लिये खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1957 ('MMDR अधिनियम') की दूसरी अनुसूची में संशोधन को मंज़ूरी दे दी है।
- इससे केंद्र सरकार देश में पहली बार लिथियम, नाइओबियम और REE के लिये ब्लॉकों की नीलामी कर सकेगी।
नोट:
- खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 संसद द्वारा पारित किया गया, जो 17 अगस्त, 2023 से लागू हुआ।
- संशोधन ने लिथियम और नाइओबियम सहित छह खनिजों को परमाणु खनिजों की सूची से हटा दिया, जिससे नीलामी के माध्यम से निजी क्षेत्र को इन खनिजों के लिये रियायतें देने की अनुमति मिल गई।
रॉयल्टी दरें:
- परिचय:
- खनिज रॉयल्टी वह भुगतान है जो सरकार को खनिज संसाधनों के निष्कर्षण की अनुमति देने के लिये प्राप्त होती है।
- सेंटर फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक प्रोग्रेस (CSEP) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व में भारत की खनिज रॉयल्टी दरें सबसे अधिक हैं, जो इसके खनन क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को प्रभावित करती हैं।
- प्रमुख संशोधन:
- MMDR अधिनियम की दूसरी अनुसूची विभिन्न खनिजों के लिये रॉयल्टी दरों का प्रावधान करती है। संशोधन से इन खनिजों के लिये रॉयल्टी दरें काफी कम हो गईं हैं।
- उदाहरण के लिये लिथियम खनन पर लंदन मेटल एक्सचेंज मूल्य के आधार पर 3% की रॉयल्टी लगेगी।
- नाइओबियम भी, प्राथमिक और द्वितीयक दोनों स्रोतों के मामले में, ASP पर गणना की गई 3% रॉयल्टी के अधीन होगा।
- REE में रेयर अर्थ ऑक्साइड (वह अयस्क जिसमें REE सबसे अधिक पाया जाता है) के ASP (औसत बिक्री मूल्य) के आधार पर 1% की रॉयल्टी होगी।
- खान मंत्रालय ने इन खनिजों के ASP की गणना करने का तरीका निर्धारित किया है, जिसके आधार पर बिड (bid) पैरामीटर निर्धारित किये जाएंगे।
- आयात को कम करने तथा इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और ऊर्जा भंडारण समाधान जैसे संबंधित अंतिम-उपयोग (end-use) उद्योगों की स्थापना के उद्देश्य से घरेलू खनन को बढ़ावा देने की मांग की गई है।
प्रयास का महत्त्व:
- निजी क्षेत्र की भागीदारी:
- चूँकि सरकार ने इन खनिजों को "निर्दिष्ट" परमाणु खनिजों की सूची से हटा दिया है, इसलिये यह संशोधन निजी क्षेत्र के लिये नीलामी रियायतों के माध्यम से भागीदारी का मार्ग प्रशस्त करता है।
- ग्लोबल बेंचमार्किंग और व्यावसायिक दोहन:
- वैश्विक मानकों के अनुरूप नई रॉयल्टी दरों को निर्दिष्ट कर, सरकार केंद्र सरकार अथवा राज्यों द्वारा आयोजित प्रतिस्पर्धी नीलामियों के माध्यम से इन खनिजों के व्यावसायिक दोहन को बढ़ावा दे रही है।
- घरेलू खनन और उद्योगों को बढ़ावा देना:
- इस प्रयास का उद्देश्य आयात को कम करने के लिये घरेलू खनन को प्रोत्साहित करना तथा इलेक्ट्रिक वाहनों व ऊर्जा भंडारण समाधान जैसे अंतिम-उपयोग उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देना है।
- शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्ति:
- इस संशोधन में लक्षित महत्त्वपूर्ण खनिजों को भारत के ऊर्जा परिवर्तन तथा वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लक्ष्य के लिये आवश्यक माना जाता है।
- चीन के विरुद्ध रणनीतिक प्रयास:
- लिथियम-आयन ऊर्जा भंडारण वस्तुओं के एक प्रमुख उत्पादक चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिये भारत लिथियम मूल्य शृंखला में शामिल होने का प्रयास कर रहा है।
लिथियम, REE, नाइओबियम से संबंधित मुख्य बिंदु:
- लिथियम:
- इलेक्ट्रिक वाहनों, लैपटॉप और मोबाइल फोन में उपयोग की जाने वाली रिचार्जेबल लिथियम-आयन बैटरी के लिये लिथियम एक मुख्य घटक है। वर्तमान में भारत लिथियम के लिये आयात पर निर्भर है तथा इसने हाल ही के वर्षों में लिथियम निष्कर्षण के लिये जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में अन्वेषण प्रयास किये हैं।
- दुर्लभ मृदा तत्त्व (REE):
- इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयुक्त स्थायी चुंबक मोटरों के लिये REE अत्यावश्यक हैं। ये मुख्य रूप से चीन से प्राप्त अथवा संसाधित होते हैं, जो भारत की आपूर्ति शृंखला की चुनौती को दर्शाता है।
- दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (REE) के खनन से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ सकता है। भारत पर्यावरणीय संधारणीयता को ध्यान में रखते हुए REE की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये कार्य कर रहा है।
- नाइओबियम:
- नाइओबियम का उपयोग मिश्र धातुओं (alloys) को और मज़बूत करने के लिये किया जाता है, जो उन्हें जेट इंजन, इमारतों, तेल एवं गैस पाइपलाइनों, MRI स्कैनर के लिये मैग्नेट आदि जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों में विशेष रूप से उपयोगी बनाता है।
- नाइओबियम एक चांदी जैसी धातु है जो अपनी सतह पर ऑक्साइड की परत के कारण संक्षारण के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी है।
- नाइओबियम चाँदी जैसी दिखने वाली एक धातु है जिसकी सतह पर ऑक्साइड की परत मौजूद होती है जो इसे अत्यधिक संक्षारण रोधी बनाती है।
भारत में खनन क्षेत्र का परिदृश्य:
- विनिर्माण क्षेत्र की रीढ़:
- खनन उद्योग का देश की अर्थव्यवस्था में काफी योगदान है, यह विनिर्माण और बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों के लिये रीढ़ की हड्डी अर्थात् प्रमुख आधार के रूप में कार्य करता है।
- खनन और उत्खनन क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2.5% का योगदान है।
- विस्तार:
- लौह अयस्क उत्पादन के मामले में भारत विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है और आँकड़ों के अनुसार, विश्वभर में कोयला उत्पादन के संदर्भ में भारत वर्ष 2021 में दूसरे स्थान पर था।
- संयुक्त रूप से वित्त वर्ष 2021 में 4.1 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष एल्युमीनियम उत्पादन (प्राथमिक और द्वितीयक) के साथ भारत विश्वभर में दूसरे स्थान पर था।
- विश्व खनिज उत्पादन 2016-20, ब्रिटिश भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, उत्पादन मात्रा के संदर्भ में विश्व में वर्ष 2020 में उत्पादन में भारत की रैंकिंग:
- लौह अयस्क उत्पादन के मामले में भारत विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है और आँकड़ों के अनुसार, विश्वभर में कोयला उत्पादन के संदर्भ में भारत वर्ष 2021 में दूसरे स्थान पर था।
खनिज/संसाधन | वर्ष 2020 में उत्पादन में रैंक |
कोयला एवं लिग्नाइट | 2nd |
स्टील (कच्चा/तरल) | 2nd |
जस्ता (स्लैब) | 3rd |
एल्यूमीनियम (प्राथमिक) | 3rd |
क्रोमाइट अयस्क एवं सांद्रण | 4th |
लौह अयस्क |
4th |
ग्रेफाइट | 4th |
मैंगनीज अयस्क | 5th |
बाक्साइट | 6th |
तांबा (परिष्कृत) | 7th |
- वर्ष 2023 में भारत में विद्युतीकरण के विस्तार और समग्र आर्थिक विकास के कारण खनिज की मांग में 3% की वृद्धि होने की संभावना है।
- भारत को इस्पात और एल्यूमिना के उत्पादन और रूपांतरण से काफी लाभ होता है। इसका प्रमुख कारण इसकी रणनीतिक अवस्थिति है जो निर्यात क्षमता के विकास के साथ-साथ एशियाई बाज़ारों में तेज़ी से विकसित होने में मदद करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बहुत कम प्रतिशत योगदान है। चर्चा कीजिये। (2021) प्रश्न. प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है"। विवेचना कीजिये। (2017) |