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ट्रैकिंग SDG7: द एनर्जी प्रोग्रेस रिपोर्ट 2023

  • 08 Jun 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

SDG7, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA), विश्व बैंक, विद्युत, उप-सहारा अफ्रीका, पृथ्वी शिखर सम्मेलन, सहस्राब्दी विकास लक्ष्य, जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता

मेन्स के लिये:

SDG-7 की उपलब्धि में बाधक कारक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA), अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग, विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ संगठन (World Health Organization- WHO) के सहयोग से "ट्रैकिंग SDG- 7: द एनर्जी प्रोग्रेस रिपोर्ट 2023" जारी की गई है।

  • इस रिपोर्ट में उन विभिन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है जो संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य- 7 (Sustainable Development Goal- SDG- 7) को प्राप्त करने की दिशा में बाधक हैं।

प्रमुख बिंदु  

  • SDG- 7 की उपलब्धि में बाधक कारक: 
    • उच्च मुद्रास्फीति, अनिश्चित समष्टि आर्थिक परिदृश्य, ऋण संकट और सीमित वित्तीय प्रवाह जैसे कारकों ने SDG- 7 को प्राप्त करने में विश्व के समक्ष बाधा के रूप में योगदान दिया है।
    • रिपोर्ट में कई प्रमुख आर्थिक कारकों की पहचान की गई है जो विश्व भर में SDG- 7 की प्राप्ति में बाधक हैं:
      • अनिश्चित व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण और मुद्रास्फीति का उच्च स्तर
      • कई देशों में मुद्रा मूल्य में उतार-चढ़ाव और कर्ज़ संकट
      • वित्तपोषण और आपूर्ति शृंखला का अभाव
      • सख्त वित्तीय परिस्थितियाँ और वस्तुओं की बढ़ती कीमतें
  • विशिष्ट लक्ष्यों की दिशा में प्रगति: 
    • विद्युत तक पहुँच: वर्ष 2010 से 2021 के बीच विद्युत की वैश्विक पहुँच 84% से बढ़कर 91% हो गई, हालाँकि वार्षिक वृद्धि धीमी रही है।
      • विद्युत सुविधा से वंचित लोगों की संख्या वर्ष 2010 के 1.1 बिलियन से घटकर वर्ष 2021 में 675 मिलियन हो गई।
      • वर्ष 2030 तक विद्युत की सार्वभौमिक पहुँच का लक्ष्य प्राप्त करना कठिन बना हुआ है।
    • स्वच्छ खाना पकाने तक पहुँच: वर्ष 2010 के 2.9 बिलियन लोगों से बढ़कर यह वर्ष 2021 में 2.3 बिलियन हो गई है, लेकिन वर्ष 2030 तक 1.9 बिलियन लोगों के पास स्वच्छ खाना पकाने हेतु ऊर्जा की कमी हो सकती है।
      • रिपोर्ट बताती है कि लगभग 100 मिलियन लोग जिन्होंने हाल ही में स्वच्छ खाना पकाने के लिये स्वच्छ ऊर्जा को अपनाया है वे पारंपरिक बायोमास उपयोग पर वापस लौट सकते हैं।
      • वर्ष 2030 में उप-सहारा अफ्रीका में स्वच्छ खाना पकाने तक पहुँच से वंचित लोगों की संख्या सबसे अधिक होने की उम्मीद है (10 में से 6 लोग)।
    • नवीकरणीय ऊर्जा (लक्ष्य 7.2): वर्ष 2010 के बाद से नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ा है लेकिन इसे पर्याप्त रूप से अभी और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है।
      • कुल अंतिम ऊर्जा खपत में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 19.1% (या पारंपरिक बायोमास को छोड़कर 12.5%) रहा है।
      • अंतर्राष्ट्रीय जलवायु और ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने हेतु वर्ष 2030 तक नवीकरणीय विद्युत उत्पादन और संबंधित बुनियादी ढाँचे में वार्षिक 1.4-1.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता है।
    • ऊर्जा दक्षता (लक्ष्य 7.3): ऊर्जा दक्षता में सुधार की वर्तमान दर के साथ वर्ष 2030 तक दोगुनी होने को लेकर संशय बना है।
      • 1.8% की औसत वार्षिक वृद्धि वर्ष 2010-2030 के बीच प्रतिवर्ष 2.6% की लक्षित वृद्धि से भी कम है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्तीय प्रवाह (लक्ष्य 7.a): विकासशील देशों में स्वच्छ ऊर्जा का समर्थन करने वाले वित्तीय प्रवाह में वर्ष 2020 से गिरावट आई है। 
      • वित्तीय संसाधन पिछले दशक (2010-2019) के औसत से एक-तिहाई कम हैं।
      • वित्तीय प्रवाह में घटती रुचि कुछ देशों में देखी गई है जो SDG7 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये चुनौतियाँ पेश कर रही है, विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों में, भूमि से घिरे विकासशील देशों में तथा छोटे विकासशील द्वीपीय देशों में।

सतत् विकास लक्ष्य 7:  

  • परिचय:  
    • सतत् विकास लक्ष्य (SDG), जिन्हें वैश्विक लक्ष्यों के रूप में भी जाना जाता है, को वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राज्यों द्वारा गरीबी को समाप्त करने, ग्रह (Planet) की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिये एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था कि सभी लोग वर्ष 2030 तक शांति एवं समृद्धि प्राप्त कर सकें।  
    • इस एजेंडे के केंद्र में 17 सतत् विकास लक्ष्य (SDG) हैं, जो सभी देशों द्वारा उनके विकास की स्थिति की परवाह किये बिना कार्रवाई के लिये दबाव निर्देश के रूप में कार्य करते हैं।
    • वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक में ‘2030 सतत् विकास हेतु एजेंडा’ के तहत सदस्य देशों द्वारा 17 विकास लक्ष्य अर्थात् एसडीजी (Sustainable Development goals-SDGs) तथा 169 प्रयोजन अंगीकृत किये गए हैं।
  • SDG की पृष्ठभूमि: 
    • जून 1992 में ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में हुए पृथ्वी शिखर सम्मेलन में 178 से अधिक देशों ने एजेंडा 21, मानव जीवन में सुधार और पर्यावरण की रक्षा के लिये सतत् विकास हेतु वैश्विक साझेदारी बनाने के लिये एक व्यापक कार्य योजना, को अपनाया। 
    • सितंबर 2000 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सहस्राब्दी शिखर सम्मेलन में सदस्य राज्यों ने सर्वसम्मति से मिलेनियम घोषणा को अपनाया।
    • वर्ष 2015 में कई प्रमुख समझौतों को अपनाने के साथ यह बहुपक्षवाद और अंतर्राष्ट्रीय नीति को आकार देने के लिये एक ऐतिहासिक वर्ष था:
  •  वर्तमान स्थिति:
    • अब सतत् विकास पर वार्षिक उच्च-स्तरीय राजनीतिक मंच SDG के अनुवर्ती और समीक्षा के लिये केंद्रीय संयुक्त राष्ट्र मंच के रूप में कार्य करता है।
    • संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (UNDESA) में सतत् विकास लक्ष्यों हेतु प्रभाग (Division for Sustainable Development Goals- DSDG) SDG तथा उनके संबंधित विषयगत मुद्दों के लिये पर्याप्त समर्थन एवं क्षमता प्रदान करता है।
  • सतत् विकास लक्ष्य- 7:  
    • सतत् विकास लक्ष्य 7 (SDG7) 2030 तक "सभी के लिये सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा" का आह्वान करता है। इसके तीन मुख्य लक्ष्य वर्ष 2030 तक हमारे काम का आधार हैं:
      • लक्ष्य 7.1: वहनीय, विश्वसनीय और आधुनिक ऊर्जा सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
      • लक्ष्य 7.2: वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी में पर्याप्त वृद्धि करना।
      • लक्ष्य 7.3: ऊर्जा दक्षता में सुधार की वैश्विक दर को दोगुना करना।
      • लक्ष्य 7.a: अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और उन्नत एवं स्वच्छ जीवाश्म-ईंधन प्रौद्योगिकी सहित स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान तथा प्रौद्योगिकी तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि करना तथा ऊर्जा बुनियादी ढाँचे एवं स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में निवेश को प्रोत्साहित करना।
      • लक्ष्य 7.b: विकासशील देशों, विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों, छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों और भूमि से घिरे विकासशील देशों में सभी के लिये आधुनिक तथा धारणीय ऊर्जा सेवाओं की आपूर्ति के लिये बुनियादी ढाँचे का विस्तार व प्रौद्योगिकी का उन्नयन।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) 

  1. धारणीय विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) पहली बार वर्ष 1972 में एक वैश्विक विचार मंडल (global think tank), जिसे क्लब ऑफ रोम कहा जाता था, ने प्रस्तावित किया था। 
  2. धारणीय विकास लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्राप्त किये जाने हैं। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (b) 


मेन्स: 

प्रश्न. वहनीय (अफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य हैं। भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)

प्रश्न. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 धारणीय विकास लक्ष्य-4 (2030) के साथ अनुरूपता में है। उसका ध्येय भारत में भारत में शिक्षा प्रणाली की पुनः संरचना एवं पुनः स्थापना करना है। इस कथन का समालोचनात्मक निरीक्षण कीजिये। (2020)

स्रोत:डाउन टू अर्थ

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