सामाजिक न्याय
नमक का सीमित सेवन
- 06 Apr 2023
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:विश्व स्वास्थ्य संगठन, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, ईट राइट इंडिया अभियान, SDG, FSSAI मेन्स के लिये:नमक का सीमित सेवन |
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) वयस्कों के लिये 5 ग्राम से कम नमक के दैनिक उपभोग की सिफारिश करता है किंतु एक औसत भारतीय की सोडियम खपत इस मात्रा के दोगुनी से भी अधिक है।
- WHO ने सदस्य राज्यों के लिये वर्ष 2025 तक जनसंख्या द्वारा सोडियम सेवन को 30% तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है किंतु प्रगति धीमी रही है। भारत का 4 में से 2 का सोडियम स्कोर इस स्वास्थ्य चिंता को दूर करने के लिये अधिक कठोर प्रयासों की आवश्यकता को इंगित करता है।
- WHO ने हाल ही में 'सोडियम उपभोग कटौती पर वैश्विक रिपोर्ट' (Global Report on Sodium Intake Reduction) प्रकाशित की, जिसमें वर्ष 2025 तक जनसंख्या द्वारा सोडियम उपभोग को 30% कम करने की दिशा में अपने 194 सदस्य राज्यों की प्रगति पर प्रकाश डाला गया है।
नमक का सीमित सेवन करने की आवश्यकता:
- अत्यधिक नमक के सेवन के उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसे खतरनाक परिणाम हो सकते हैं।
- सोडियम का सेवन कम करना आवश्यक है क्योंकि यह निम्न रक्तचाप के साथ दृढ़ता से सहसंबद्ध है, जिससे हृदय रोगों में कमी आ सकती है।
- हृदय रोग विश्व भर में मृत्यु दर का प्रमुख कारण है तथा भारत जैसे निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (LMIC) पर महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव के लिये ज़िम्मेदार है।
- भारत में कई कारकों के कारण हृदय रोग और उच्च रक्तचाप की गंभीर चुनौती है, जिनमें बढ़ती मृत्यु दर सहित पुरुषों में उच्च प्रबलता, विशेष रूप से दक्षिणी राज्यों में पूर्व-उच्च रक्तचाप वाली एक बड़ी आबादी शामिल है।
- मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑफ कॉज़ ऑफ डेथ (MCCD) 2020 रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में सभी प्रलेखित मौतों में से 32.1% के लिये संचारी रोग ज़िम्मेदार हैं, जिसमें उच्च रक्तचाप एक प्रमुख जोखिम कारक है।
- विश्व आर्थिक मंच का अनुमान है कि हृदय रोग के कारण वर्ष 2012 से 2030 के बीच अकेले भारतीय अर्थव्यवस्था को 2 ट्रिलियन अमेरिकी डाॅलर से अधिक की क्षति होगी।
संबंधित पहलें:
- ईट राइट इंडिया अभियान:
- इसे भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India- FSSAI) द्वारा लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य भारतीय खाद्य प्रणाली में बदलाव लाना तथा यह सुनिश्चित करना है कि सभी के पास सुरक्षित, पौष्टिक एवं संपोषणीय भोजन उपलब्ध हो।
- ‘आज से थोड़ा कम’ अभियान:
- FSSAI ने 'आज से थोड़ा कम' सोशल मीडिया अभियान शुरू किया है। इन प्रयासों के बावजूद भारतीयों की औसत सोडियम खपत अत्यधिक स्तर पर बनी हुई है। अध्ययनों में पाया गया है कि भारत में सोडियम की सामान्य दैनिक खपत लगभग 11 ग्राम है, जो प्रतिदिन 5 ग्राम की अनुशंसित मात्रा से बहुत अधिक है।
नमक के सेवन का महत्त्व:
- सोडियम क्लोराइड के रूप में नमक आवश्यक पोषक तत्त्व है जो शरीर में कई महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाता है।
- सोडियम एक इलेक्ट्रोलाइट है जो शरीर में तरल पदार्थ के संतुलन को नियंत्रित करने में मदद करता है और तंत्रिका आवेगों एवं मांसपेशियों के संचरण में सहायता करता है।
- नमक का सेवन उचित शारीरिक क्रिया को बनाए रखने हेतु महत्त्वपूर्ण है, लेकिन इसके अत्यधिक सेवन के नकारात्मक स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं, जिससे नमक का सेवन कम मात्रा में करना आवश्यक हो जाता है।
चुनौतियों का समाधान:
- नमक की खपत को कम करने के लिये भारत को उपभोक्ताओं, उद्योग और सरकार को शामिल करने वाले बहु-आयामी दृष्टिकोण के साथ एक व्यापक राष्ट्रीय रणनीति का निर्माण करने की आवश्यकता है। सोडियम के अत्यधिक सेवन के कारण होने वाले उच्च रक्तचाप की समस्या से निपटने के लिये राज्य और केंद्र सरकारों के बीच सहयोग आवश्यक है।
- विश्व भर में गैर-संचारी रोगों (NCD) के कारण होने वाली अधिकांश मौतों की संख्या को सीमित करने और इस रोग की रोकथाम के लिये सोडियम की खपत को कम करना एक लागत प्रभावी रणनीति है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार, सोडियम की खपत को कम करने के लिये नीतियों को लागू करने से वर्ष 2030 तक विश्व स्तर पर अनुमानित सात मिलियन लोगों की जान बचाई जा सकती है।
- NCD से होने वाली मौतों को कम करना सतत् विकास लक्ष्यों में से एक है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सोडियम की खपत में कटौती संबंधी नीति काफी महत्त्वपूर्ण है।