नीतिशास्त्र
हिरासत में प्रताड़ना तथा संबंधित नैतिक चिंताएँ
- 27 Jun 2023
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:हिरासत में प्रताड़ित करना, मानवाधिकार, हिरासत में मौत, अनुच्छेद 21, आईपीसी, सीआरपीसी मेन्स के लिये:हिरासत में प्रताड़ित करना तथा इसके विरुद्ध नैतिक तर्क |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 2006 में एक 26 वर्षीय व्यक्ति की हिरासत में प्रताड़ना के कारण मौत के लिये ज़िम्मेदार उत्तर प्रदेश के पाँच पुलिसकर्मियों की दोषसिद्धि तथा 10 साल की सज़ा (वर्ष 2019 में दी गई) को बरकरार रखा है।
हिरासत में प्रताड़ना:
- परिचय:
- हिरासत में प्रताड़ित करने का मतलब है किसी ऐसे व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक पीड़ा या कष्ट पहुँचाना जो पुलिस या अन्य अधिकारियों की हिरासत में है।
- यह मानवाधिकारों और गरिमा का गंभीर उल्लंघन है तथा सामान्यतः हिरासत में मौतें तब होती हैं जब किसी व्यक्ति को हिरासत में प्रताड़ित किया जाता है।
- हिरासत में मौत के प्रकार:
- पुलिस हिरासत में मौत: यह अत्यधिक बल प्रयोग, प्रताड़ना, चिकित्सा देखभाल से इनकार या अन्य प्रकार के दुर्व्यवहार के परिणामस्वरूप हो सकती है।
- न्यायिक हिरासत में मौत: यह भीड़भाड़, खराब स्वच्छता स्थिति, चिकित्सा सुविधाओं की कमी, जेल या कैद में हिंसा या आत्महत्या के कारण हो सकती है।
- सेना या अर्द्धसैनिक बलों की हिरासत में मौत: यह प्रताड़ना, न्यायेत्तर हत्याओं, मुठभेड़ों या गोलीबारी की घटनाओं के माध्यम से हो सकती है।
हिरासत में यातना से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
|
हिरासत में यातना के विरुद्ध नैतिक तर्क:
- मानवाधिकारों और गरिमा का उल्लंघन करना:
- प्रत्येक व्यक्ति की अंतर्निहित गरिमा होती है और उसके साथ सम्मान एवं निष्पक्षता से व्यवहार किया जाना चाहिये। हिरासत में हिंसा व्यक्तियों को शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक नुकसान पहुँचाकर उनकी गरिमा छीनकर तथा उन्हें बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित करके इस मौलिक सिद्धांत का उल्लंघन करती है।
- कानून के शासन को नज़रअंदाज/कमज़ोर करना:
- हिरासत में हिंसा कानून के शासन और उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों को कमज़ोर करती है।
- कानून प्रवर्तन अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे कानून को बनाए रखें और लागू करें, लेकिन हिंसा में शामिल होना उन सिद्धांतों के विपरीत है जिनका उन्हें पालन करना चाहिये- न्याय, समानता और मानवाधिकारों की सुरक्षा।
- दोषी ठहराना:
- हिरासत में यातना "दोषी साबित होने तक निर्दोष" के सिद्धांत को कमज़ोर करती है। किसी अपराध के लिये दोषी ठहराए जाने से पहले व्यक्तियों को यातना देना निष्पक्ष सुनवाई और उचित प्रक्रिया के उनके अधिकार का उल्लंघन है।
- यह न्याय प्रणाली की ज़िम्मेदारी है कि वह अपराध या बेगुनाही का निर्धारण करे, न कि यातना के माध्यम से सज़ा दे।
- व्यावसायिकता और सत्यनिष्ठा के विरुद्ध:
- पुलिस अधिकारियों और प्राधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे व्यावसायिकता, सत्यनिष्ठा एवं मानवाधिकारों के प्रति सम्मान सहित उच्च नैतिक मानकों का पालन करें।
- हिरासत में हिंसा इन नैतिक सिद्धांतों का उल्लंघन करती है और पूरे व्यवसाय की प्रतिष्ठा को धूमिल करती है।
- कमज़ोर व्यक्तियों को निशाना बनाता है:
- नैतिक रूप से इन कमज़ोर व्यक्तियों को और अधिक हानि पहुँचाने के स्थान पर उनके अधिकारों की रक्षा और समर्थन करना अधिक महत्त्वपूर्ण है।
- कानूनी और नैतिक ज़िम्मेदारी से विश्वासघात:
- कानून प्रवर्तन अधिकारियों और प्राधिकारियों की उनकी हिरासत में रहने वाले लोगों के कल्याण एवं अधिकारों की रक्षा करने की कानूनी तथा नैतिक ज़िम्मेदारी है। हिंसा या दुर्व्यवहार में संलग्न होना उनकी ज़िम्मेदारी के साथ विश्वासघात और उनकी भूमिकाओं में निहित नैतिक दायित्वों के उल्लंघन को दर्शाता है।
आगे की राह
- कानूनी प्रणालियों को मज़बूत करने में व्यापक रूप से कानून बनाना शामिल है जो स्पष्ट रूप से हिरासत में यातना को अपराध घोषित करता है तथा त्वरित और निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करता है, ये उपाय हिरासत में यातना से निपटने के लिये उठाए जा सकते हैं।
- पुलिस सुधारों को ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये जो व्यावसायिकता बनाए रखने के साथ सहानुभूति पैदा करने के अतिरिक्त मानवाधिकारों की सुरक्षा पर बल देते हैं।
- ऐसे मामलों की प्रभावी ढंग से निगरानी और समाधान करने के लिये निरीक्षण तंत्र स्थापित किया जाना चाहिये।
- नागरिक समाज और मानवाधिकार संगठनों को पीड़ितों की वकालत करनी चाहिये तथा साथ ही त्वरित कानूनी सहायता प्रदान करनी चाहिये,इसके निवारण और न्याय के लिये अंतर्राष्ट्रीय निकायों के साथ सहयोग भी प्राप्त करना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
|