प्रिलिम्स फैक्ट्स (28 Oct, 2024)



उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट 2024

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने बाकू, अज़रबैजान में UNFCCC की होने वाली COP 29 की बैठक से पहले उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट 2024 प्रकाशित की।

इस रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?

  • वर्तमान संदर्भ: इस रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि यदि देश वर्तमान पर्यावरण नीतियों को बनाए रखते हैं, तो वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 3.1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा।
  • पेरिस समझौता के समक्ष खतरा: राष्ट्रीय स्तर पर अभिनिर्धारित योगदान (NDCs) के पूर्ण कार्यान्वयन से अभी भी 2.6 डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि होगी।
    • पेरिस समझौते का लक्ष्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2°C से नीचे रखना है तथा इसे 1.5°C तक सीमित रखने का प्रयास करना है।
    • वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित रखने के लिये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के वर्ष 2025 से पहले चरम पर पहुँचने के साथ वर्ष 2030 तक इसमें 43% की कमी लानी होगी।
  • रिकॉर्ड उच्च उत्सर्जन: वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वर्ष 2023 में 57.1 गीगाटन CO₂ समतुल्य गैसों (tCO₂e) तक पहुँच गया है।
    • भारत का उत्सर्जन 6.1% तक बढ़ा है जबकि समग्र वैश्विक उत्सर्जन वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में 1.3% बढ़ा है।
  • प्रमुख उत्सर्जक: 
    • G20 का योगदान: G20 देशों (अफ्रीकी संघ को छोड़कर ) ने वर्ष 2023 में वैश्विक उत्सर्जन में 77% का योगदान दिया।
    • प्रमुख हितधारकों से उच्च उत्सर्जन: छह सबसे बड़े उत्सर्जकों की वैश्विक उत्सर्जन में 63% भागीदारी रही।

  • प्रति व्यक्ति उत्सर्जन: 
    • वर्ष 2022 में भारत का प्रति व्यक्ति GHG उत्सर्जन 2.9 tCO₂e था, जो चीन (11 tCO₂e) और अमेरिका (18 tCO₂e) से काफी कम है।
    • विकसित देशों में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत (6.6 tCO₂e) से लगभग तीन गुना अधिक है जबकि भारत, अफ्रीकी संघ और सबसे कम विकसित देश इससे नीचे हैं।
    • आवश्यक उत्सर्जन कटौती: 1.5°C लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये वर्ष 2035 तक प्रत्येक वर्ष कम से कम 7.5% की कटौती आवश्यक है।
    • अंतराल को कम करने की लागत: वर्ष 2050 तक नेट-शून्य लक्ष्य प्राप्त करने के लिये प्रतिवर्ष 900 बिलियन से 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर या वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1% की आवश्यकता होगी।
  • उत्सर्जन में कमी के उपाय: 
    • सौर और पवन ऊर्जा के विस्तार से वर्ष 2030 तक आवश्यक उत्सर्जन में 27% की कमी लाई जा सकती है।
    • वन संरक्षण और पुनर्स्थापन से लगभग 20% की कटौती हो सकती है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)

  • स्थापना: स्टॉकहोम में मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के बाद वर्ष 1972 में स्थापित।
  • मुख्यालय: नैरोबी, केन्या।
  • शासी निकाय: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) इसका शासी निकाय है।
    • UNEA पर्यावरण से संबंधित मामलों के लिये विश्व का सर्वोच्च स्तरीय निर्णय लेने वाला निकाय है, जिसमें सभी 193 सदस्य देश शामिल हैं।
  • कार्यक्रम और पहल: जलवायु कार्रवाई, पारिस्थितिकी तंत्र बहाली, स्वच्छ समुद्र और सतत् विकास लक्ष्य (SDGs) समर्थन सहित प्रमुख पहलों में भूमिका निभाता है।
  • रिपोर्टें: यह वैश्विक नीतियों का मार्गदर्शन करने के लिये उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट, वैश्विक पर्यावरण आउटलुक और अनुकूलन अंतराल रिपोर्ट जैसी प्रभावशाली रिपोर्टें प्रकाशित करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. यू. एन. ई. पी. द्वारा समर्थित ‘कॉमन कार्बन मेट्रिक’को किसलिये विकसित किया गया है? (2021)

(a) संपूर्ण विश्व में निर्माण कार्यों के कार्बन पदचिह्न का आकलन करने के लिये।
(b) कार्बन उत्सर्जन व्यापार में विश्व भर में वाणिज्यिक कृषि संस्थाओं के प्रवेश हेतु अधिकार प्रदान करने के लिये।
(c) सरकारों को अपने देशों द्वारा किये गए समग्र कार्बन पदचिह्न के आकलन हेतु अधिकार देने के लिये।
(d) किसी इकाई समय (यूनिट टाइम) में विश्व में जीवाश्म ईंधनों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले समग्र कार्बन पदचिह्न के आकलन के लिये।

उत्तर: (a)


प्रश्न. “मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ” यह पहल किसके द्वारा शुरू की गई थी? (2018) 

(a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल
(b) UNEP सचिवालय
(c) UNFCCC सचिवालय
(d) विश्व मौसम विज्ञान संगठन

उत्तर: (c)


न्यूट्रिनो का अध्ययन करने के लिये चीन का JUNO मिशन

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

निर्माण के कई वर्षों  बाद, चीन की जियांगमेन भूमिगत न्यूट्रिनो वेधशाला (JUNO) न्यूट्रिनो पर डेटा संग्रह शुरू करने के लिये तैयार है। इस अत्याधुनिक कण भौतिकी प्रयोग का उद्देश्य उप-परमाणु कणों के बारे में हमारे ज्ञान में वृद्धि करना है।

जूनो(JUNO) की विशेषताएँ क्या हैं?

  • जूनो सौर प्रक्रियाओं का वास्तविक समय दृश्य प्राप्त करने के लिये सौर न्यूट्रिनो का निरीक्षण करेगा तथा पृथ्वी के आंतरिक भाग में यूरेनियम और थोरियम के अवक्षय से उत्पन्न न्यूट्रिनो का अध्ययन करेगा, ताकि मेंटल संवहन और विवर्तनिक प्लेटों की गति के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके।
  • वर्ष 2025 के अंत में कार्यशील होने के लिये तैयार, जूनो वर्ष 2030 के आसपास निर्धारित अमेरिकी डीप अंडरग्राउंड न्यूट्रिनो एक्सपेरीमेंट (DUNE) से पहले आरंभ होगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: जूनो की अनुसंधान टीम में अमेरिका, फ्राँस, जर्मनी, इटली, रूस और ताइवान के वैज्ञानिक शामिल हैं, जो व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को दर्शाता है।
  • न्यूट्रिनो अनुसंधान के भविष्योन्मुखी अनुप्रयोग: हालाँकि यद्यपि वर्तमान में न्यूट्रिनो का कोई प्रत्यक्ष उपयोग नहीं है, फिर भी वैज्ञानिक संभावित संचार अनुप्रयोगों के बारे में अनुमान लगा रहे हैं, जैसे कि ठोस पदार्थ के माध्यम से प्रकाश की गति से लंबी दूरी का संचार प्रेषित करना

न्यूट्रिनो क्या हैं?

  • न्यूट्रिनो उप-परमाणु कण होते हैं जिनमें कोई विद्युत आवेश नहीं होता है, उनका द्रव्यमान छोटा होता है और वे लेफ्ट हैंडेड होते हैं (उनके घूमने की दिशा उनकी गति की दिशा के विपरीत होती है)। 
    • वे ब्रह्मांड में फोटॉन के बाद दूसरे सबसे प्रचुर कण हैं और पदार्थ बनाने वाले कणों में सबसे प्रचुर हैं। 
  • न्यूट्रिनो पदार्थ के साथ बहुत कम ही परस्पर क्रिया करते हैं, जिससे उनका अध्ययन करना मुश्किल हो जाता है।
  • न्यूट्रिनो एक प्रकार (इलेक्ट्रॉन-न्यूट्रिनो, म्यूऑन-न्यूट्रिनो, टाऊ-न्यूट्रिनो) से दूसरे प्रकार में बदल सकते हैं क्योंकि वे यात्रा करते हैं और अन्य कणों के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, जिसे न्यूट्रिनो दोलन कहा जाता है।
  • न्यूट्रिनो पदार्थ के साथ सीमित परस्पर क्रिया दर के कारण बड़ी दूरी तक सूचना ले जा सकते हैं। 
  • उन्हें संभावित रूप से सूचना प्रसारित करने के लिये प्रयोग किया जा सकता है, जो संचार चैनलों में विद्युत चुंबकीय तरंगों की जगह ले सकता है।
    • भौतिकविदों ने न्यूट्रिनो का अध्ययन करने और न्यूट्रिनो तथा डिटेक्टर के पदार्थ के बीच परस्पर क्रिया की संख्या को अधिकतम करने के लिये बड़े एवं संवेदनशील डिटेक्टर बनाए हैं। 

Neutrinos

डीप अंडरग्राउंड न्यूट्रिनो एक्सपेरीमेंट (DUNE)

  • इसका मुख्यालय अमेरिका के साउथ डकोटा में होगा, यह लगभग 1,500 मीटर गहराई में होने वाला एक्सपेरीमेंट है।
  • उद्देश्य: न्यूट्रिनो के मूल गुणों को समझने के लिये न्यूट्रिनो दोलनों का परीक्षण करना, जिसमें उनका द्रव्यमान पदानुक्रम भी शामिल है।
    • मैटर और एंटीमैटर के बीच विषमता के साथ न्यूट्रिनो अंतःक्रिया और संभावित प्रोटॉन क्षय का अध्ययन करना।
  • वैश्विक सहयोग: इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, जापान और ब्राज़ील सहित 30 से अधिक देशों के वैज्ञानिक शामिल हैं, जो इसे कण भौतिकी में सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों में से एक बनाता है।
  • वैज्ञानिक महत्त्व: इससे कण भौतिकी के बारे में अंतर्दृष्टि प्राप्त होने की उम्मीद है जो ब्रह्मांड के विकास के सिद्धांतों को प्रभावित कर सकती है।

भारतीय न्यूट्रिनो वेधशाला (INO)

  • यह एक प्रस्तावित कण भौतिकी अनुसंधान मेगा परियोजना है जिसका उद्देश्य 1,200 मीटर गहरी गुफा में न्यूट्रिनो का अध्ययन करना है।
  • यह परियोजना को तमिलनाडु में थेनी ज़िले के पोट्टीपुरम गाँव में स्थापित करने का प्रस्ताव है।
  • इस परियोजना को शुरू में गणितीय विज्ञान संस्थान और फिर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च द्वारा प्रस्तावित किया गया था। 
  • अक्टूबर 2024 तक राज्य सरकार और पारिस्थितिकीविदों के विरोध के कारण INO परियोजना का निर्माण रुका हुआ है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के संदर्भ में, हाल ही में समाचारों में रहे दक्षिण ध्रुव पर स्थित एक कण डिटेक्टर 'आइसक्यूब' के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. यह विश्व का सबसे बड़ा न्यूट्रीनो डिटेक्टर है जिसमें एक क्यूबिक किलोमीटर बर्फ शामिल है।  
  2.  यह डार्क मैटर की खोज के लिये एक शक्तिशाली दूरबीन है।  
  3.  यह बर्फ में गहराई तक दबा हुआ है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


राज्य आकस्मिक ऋण उपकरण (SCDI)

स्रोत: TH

वैश्विक संप्रभु ऋण गोलमेज सम्मेलन (GSDR) में ऋण पुनर्गठन प्रक्रियाओं में चुनौतियों पर विचार किया जाएगा तथा इसमें राज्य आकस्मिक ऋण उपकरणों (SCDI) पर भी चर्चा की जाएगी।

SCDI:

  • यह विशिष्ट आर्थिक या राजकोषीय लक्ष्यों को पूरा करने वाले देशों पर निर्भर भुगतान वाले बॉण्ड की पेशकश करके ऋण पुनर्गठन में तेज़ी लाने में सहायता करता है।
  • इनकी कोई निश्चित ब्याज दर नहीं होती। 
    • भुगतान संरचना आर्थिक विकास, प्राकृतिक संसाधन राजस्व या कर प्राप्तियों के आधार पर भिन्न होती है।
  • SCDI विशेष रूप से ऐसे मामलों में "सौदा त्वरक" के रूप में कार्य करते हैं जहाँ किसी देश के आर्थिक दृष्टिकोण के बारे में मौलिक असहमति होती है।

GSDR:

  • GSDR का परिचालन वर्ष 2023 से शुरू हुआ जिसकी सह-अध्यक्षता IMF, विश्व बैंक और G20 प्रेसीडेंसी (वर्तमान में ब्राज़ील) द्वारा की गई।
  • इसमें आधिकारिक द्विपक्षीय ऋणदाता (पेरिस क्लब के पारंपरिक ऋणदाता सदस्य और नये ऋणदाता दोनों), निजी ऋणदाता और उधार लेने वाले देश शामिल हैं।
    • पेरिस क्लब (1956) ऋणदाता देशों का एक अनौपचारिक समूह है जो वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे देशों, मुख्यतः ऋण चुकाने में संघर्ष कर रहे देशों को सहायता देने के लिये मिलकर कार्य करता है।

Global_Sovereign_Debt_Roundtable

और पढ़ें: वैश्विक ऋण संकट पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट


फ्रूट फ्लाई का मस्तिष्क मानचित्रण

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में, वैज्ञानिकों ने एक वयस्क फ्रूट फ्लाई  के सम्पूर्ण मस्तिष्क का मानचित्रण किया, जो एक ऐसी सफलता है जिससे पशुओं और मनुष्यों में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के बारे में हमारी समझ में वृद्धि होगी।

  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य यह समझना है कि मस्तिष्क किस प्रकार कार्य करता है तथा कौन से संकेत मस्तिष्क के स्वस्थ कार्यों को समर्थन प्रदान करते हैं।
  • अनुसंधान का दायरा: 
    • अध्ययन में फ्रूट फ्लाई  में 139,000 से अधिक न्यूरॉन्स के बीच 50 मिलियन से अधिक तंत्रिका कनेक्शनों का मानचित्रण किया गया, जो न्यूरोबायोलॉजिकल अनुसंधान का एक सामान्य मॉडल है।
  • कनेक्टोम विकास: 
    • इस अनुसंधान ने वयस्क फ्रूट फ्लाई  के मस्तिष्क के लिये एक संयोजकता निर्मित की, जिससे कृमि कैनोरहैबडाइटिस एलिगेंस और फ्रूट फ्लाई  के लार्वा जैसे सरल जीवों के अध्ययन का विस्तार हुआ।
  • तंत्रिका विज्ञान में अनुप्रयोग: 
    • फ्रूट फ्लाई,जो सीखने, याद रखने और सामाजिक संपर्क जैसे व्यवहार करने में सक्षम होती हैं,मनुष्यों से संबंधित मस्तिष्क कार्यों के अध्ययन के लिये मूल्यवान मॉडल के रूप में काम करती हैं।
  • फ्रूट फ्लाई का परिचय: 
    • फ्रूट फ्लाई,ड्रोसोफिलिडे परिवार का हिस्सा हैं, जिन्हें आमतौर पर सिरका, वाइन या पोमेस फ्लाई के रूप में जाना जाता है और ये आमतौर पर पके या सड़े हुए फलों पर पाई जाती हैं।
    • पिछले 100 वर्षों से यह जैविक अनुसंधान में व्यापक रूप से प्रयुक्त मॉडल रहा है, जिसने कई खोजों में योगदान दिया है।
    • इसका जीनोम पूर्णतः अनुक्रमित है, जिससे इसके जैवरसायन, शरीरक्रिया विज्ञान और व्यवहार के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करती है।

और पढ़ें: कनेक्टोम, ब्रेनवेयर


FTSE सूचकांक में शामिल हुए भारतीय बॉण्ड

स्रोत: लाइवमिंट

हाल ही में FTSE (फाइनेंशियल टाइम्स स्टॉक एक्सचेंज) रसेल ने घोषणा की है कि वह सितंबर 2025 से भारत के सॉवरेन बॉन्ड को अपने इमर्जिंग मार्केट गवर्नमेंट बॉण्ड इंडेक्स (EMGBI) में शामिल करेगा।

परिचय:

  • FTSE रसेल (एक अग्रणी वैश्विक सूचकांक प्रदाता), जेपी मॉर्गन और ब्लूमबर्ग के बाद भारतीय बॉन्ड को अपने इमर्जिंग मार्केट बॉण्ड इंडेक्स में शामिल करने वाला तीसरा संगठन बन गया है।
    • EMGBI द्वारा 16 देशों के स्थानीय मुद्रा सरकारी बॉन्ड के प्रदर्शन पर नज़र रखी जाती है, जो पोर्टफोलियो प्रबंधकों के लिये एक व्यापक बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है।

भारत का प्रतिनिधित्व:

  • तीन वर्षों तक FTSE की निगरानी सूची में रहने के बाद भारतीय सरकारी बॉन्ड अब EMGBI का 9.35% प्रतिनिधित्व करेंगे।

भारत के बॉन्ड बाज़ार पर प्रभाव:

  • इस समावेशन से भारत के बॉन्ड बाज़ार में अरबों डॉलर का निवेश हो सकता है, जिससे भारतीय बॉन्डों की मांग बढ़ेगी और निवेशकों की भावना में सुधार होगा।
  • भारतीय बॉन्डों के तहत लगभग 18.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश आकर्षित हुआ है, जो बढ़ती वैश्विक रुचि का संकेत है।

सरकारी बॉन्ड:

  • यह केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा जारी किया जाने वाला एक व्यापार योग्य ऋण साधन है।
  • इसका उपयोग सरकार द्वारा अपने राजकोषीय घाटे के वित्तपोषण के लिये लोगों से धन उधार लेने के लिये किया जाता है।

और पढ़ें: भारतीय बॉण्ड का JP मॉर्गन GBI-EM सूचकांक में समावेश


ITBP स्थापना दिवस 2024

स्रोत: PIB

हाल ही में प्रधानमंत्री ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के हिमवीरों और उनके परिवारों को ITBP स्थापना दिवस के अवसर पर शुभकामनाएँ दीं। ITBP गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है।

  • इसकी स्थापना 24 अक्तूबर, 1962 को भारत - चीन युद्ध के दौरान की गई थी और यह एक सीमा सुरक्षा पुलिस बल है जो उच्च ऊँचाई वाले अभियानों में विशेषज्ञता रखता है।
    • वर्ष 2004 में, केंद्र की "एक सीमा एक बल" सिफारिश के आधार पर, लद्दाख में काराकोरम दर्रे से अरुणाचल प्रदेश में जचेप ला तक संपूर्ण 3,488 किलोमीटर भारत-चीन सीमा को ITBP को सौंप दिया गया था।
    • इसके बाद ITBP ने सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में असम राइफल्स से सीमा सुरक्षा का कार्यभार संभाला।
  • आदर्श वाक्य: "शौर्य-दृढ़ता-कर्म निष्ठा"।
  • वर्तमान में यह जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में तैनात है। 
  • ITBP हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के लिये 'प्रथम प्रतिक्रियाकर्त्ता' के रूप में राहत और बचाव अभियान भी संचालित करता है।

और पढ़ें: भारत की सीमा और उसका प्रबंधन