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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 27 Jul, 2024
  • 28 min read
प्रारंभिक परीक्षा

लद्दाख का रॉक वार्निश

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मैग्नेटोफॉसिल्स (Magnetofossils), मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित चुंबकीय कणों के जीवाश्म अवशेष लद्दाख में रॉक वार्निश परतों में देखे गए हैं। 

  • रॉक वार्निश एक गहरे भूरे से लेकर काले रंग की परत होती है जो शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में स्थिर, उपवायुमण्डलीय रूप से अनावृत चट्टानी सतहों को ढक लेती है।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • निष्कर्ष:
    • लद्दाख से प्राप्त रॉक वार्निश नमूनों के विश्लेषण से वार्निश सतह पर ऑक्सीकृत मैंगनीज (Mn4+) और कार्बोक्जिलिक एसिड कार्यक्षमता की उच्च सांद्रता की पहचान की गई, जो कार्बनिक उपस्थिति का संकेत देती है।
    • इन निष्कर्षों से पता चलता है कि संभावित मार्टियन एनालॉग साइट, लद्दाख के रॉक वार्निश में जैविक स्रोतों से प्राप्त चुंबकीय खनिजों की समृद्ध सांद्रता शामिल है।
      • चुंबकीय खनिज वे होते हैं जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का रिकॉर्ड तब से सुरक्षित रखते हैं जब वे निर्मित हुए थे और ये चट्टानों, तलछटों एवं मृदा में पाए जा सकते हैं।
  • महत्त्व:
    • यह अध्ययन खगोल-जीव विज्ञान के लिये बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि विषम वातावरण (जैसे कि लद्दाख जिसे "भारत का ठंडा रेगिस्तान" कहा जाता है) में जीवन किस प्रकार विद्यमान रह सकता है।
    • यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा मंगल अन्वेषण सहित भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों की योजना बनाने हेतु महत्त्वपूर्ण है, जहाँ रहने योग्य वातावरण की पहचान करना एक प्राथमिक लक्ष्य है।
      • रॉक वार्निश में जैविक उपस्थिति की पहचान करके, वैज्ञानिक मंगल ग्रह और अन्य ग्रह निकायों पर संभावित जैव-प्रमाणों/बायोसिग्नेचर (Biosignature) को बेहतर ढंग से लक्षित कर सकते हैं, जिससे अलौकिक जीवन/एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल लाइफ (Extraterrestrial Life) की खोज में सहायता मिल सकती है।
        • बायोसिग्नेचर कोई भी गुण, तत्त्व, अणु, पदार्थ या विशेषता है जिसका उपयोग पिछले या वर्तमान जीवन के साक्ष्य के रूप में किया जा सकता है।

मैग्नेटोफॉसिल्स 

  • परिचय:
    • "मैग्नेटोफॉसिल्स" मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया (Magnetotactic Bacteria) के जीवाश्म अवशेषों को संदर्भित करता है जिनमें चुंबकीय खनिज होते हैं।
      • मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड में जीवाश्म युक्त चुंबकीय कण उत्सर्जित करते हैं।
  • मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया:
    • मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया ज़्यादातर प्रोकैरियोटिक जीव होते हैं जो स्वयं को पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ व्यवस्थित करते हैं। इसकी खोज वर्ष 1963 में साल्वाटोर बेलिनी ने की थी।
    • ये जीव उन स्थानों तक पहुँचने के लिये चुंबकीय क्षेत्र का अनुसरण करते हैं जहाँ इष्टतम ऑक्सीजन सांद्रता होती है। यह प्रक्रिया उनकी कोशिकाओं के भीतर लौह-समृद्ध क्रिस्टल की उपस्थिति से सुगम होती है।
      • मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया जल निकायों में बदलते ऑक्सीजन स्तर और तलछट संतृप्ति को नेविगेट करने के लिये अपनी कोशिकाओं के भीतर मैग्नेटाइट या ग्रेगाइट के छोटे क्रिस्टल बनाते हैं।
      • मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया के भीतर क्रिस्टल मैग्नेटोटैक्सिस के माध्यम से एक शृंखला विन्यास में व्यवस्थित होते हैं।
    • दुर्लभ विशाल मैग्नेटो जीवाश्म पारंपरिक चुंबकीय जीवाश्मों की तुलना में इतने सामान्य नहीं हैं, ये संभवतः बैक्टीरिया के बजाय यूकेरियोट्स द्वारा निर्मित होते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये:  (2021)

1. जीवाणु 
2. कवक 
3. विषाणु

उपर्युक्त में से किन्हें कृत्रिम/संश्लेषित माध्यम में संवर्धित किया जा सकता है?

(a) केवल 1 और 2          
(b)  केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3          
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र हर कुछ सौ हजार सालों में उत्क्रमित हुआ है।
  2.  पृथ्वी जब 4000 मिलियन वर्षों से भी अधिक पहले बनी, तो ऑक्सीजन 54% थी और कार्बन डाइऑक्साइड नहीं थी।
  3.  जब जीवित जीव पैदा हुए, उन्होंने पृथ्वी के आरंभिक वायुमण्डल को बदल दिया।

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1   
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3   
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रारंभिक परीक्षा

ADCs द्वारा 125वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित करने की मांग

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, मोजोरम और त्रिपुरा के 10 स्वायत्त ज़िला परिषदों (Autonomous District Councils- ADCs) के मुख्य कार्यकारी मजिस्ट्रेटों (Chief Executive Magistrates- CEMs) ने केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात की और 125वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित करने की मांग रखी।

  • इस संदर्भ में, केंद्र सरकार ने विधेयक से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिये गृह राज्य मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का निर्णय लिया।

125वें संविधान संशोधन विधेयक में प्रस्तावित संशोधन क्या हैं?

  • विधेयक का उद्देश्य संविधान की छठी अनुसूची के तहत जनजातीय स्वायत्त परिषदों को अधिक वित्तीय, कार्यकारी और प्रशासनिक शक्तियाँ प्रदान करना है।
  • ग्राम एवं नगर परिषदें:
    • प्रस्ताव में मौजूदा ज़िला और क्षेत्रीय परिषदों के साथ-साथ ग्राम एवं नगर परिषदों का गठन भी शामिल है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग गाँवों या गाँवों के समूहों के लिये ग्राम परिषदें (Village Councils) स्थापित की जाएंगी, जबकि प्रत्येक ज़िले के शहरी क्षेत्रों में नगर परिषदें स्थापित की जाएंगी।
  • ज़िला परिषदों को निम्नलिखित के संबंध में कानून बनाने का अधिकार होगा:
    • ग्राम और नगर परिषदों की संख्या एवं संरचना। 
    • इन परिषदों में चुनाव हेतु निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन। 
    • ग्राम एवं नगर परिषदों की शक्तियाँ और कार्य।
  • शक्तियों के हस्तांतरण के नियम: राज्यपाल को ग्राम एवं नगर परिषदों को शक्तियों तथा उत्तरदायित्वों के हस्तांतरण हेतु नियम बनाने का अधिकार होगा।
    • इन नियमों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
      • आर्थिक विकास योजनाओं की तैयारी।
      • भूमि सुधारों का कार्यान्वयन।
      • शहरी एवं नगरीय नियोजन।
      • अन्य उत्तरदायित्वों के साथ-साथ भूमि उपयोग का विनियमन।
    • विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि राज्यपाल दल-बदल/दल -परिवर्तन (Defection) के आधार पर परिषद सदस्यों की अनर्हता संबंधी नियम भी बना सकता है।
  • राज्य वित्त आयोग:  विधेयक में  ज़िला, ग्राम और नगर परिषदों  की वित्तीय स्थिति का आकलन करने के लिये इन राज्यों में  एक वित्त आयोग की नियुक्ति का प्रावधान है। आयोग निम्नलिखित के संबंध में सिफारिशें करेगा:
    • राज्य और ज़िला परिषदों के बीच करों का वितरण।
    • राज्य की  संचित निधि से ज़िला, ग्राम और नगर परिषदों को अनुदान सहायता।
  • परिषदों के चुनाव: ज़िला परिषदों, क्षेत्रीय परिषदों, ग्राम परिषदों और नगर परिषदों के चुनावों की देख-रेख राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की जाएगी, जिसकी नियुक्ति इन चार राज्यों के लिये राज्यपाल द्वारा की जाती है। 
  • विधेयक की वर्तमान स्थिति:
    • संविधान (125वाँ  संशोधन) विधेयक 2019,  को राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया था और बाद में इसे गृह मामलों पर विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समिति को भेज दिया गया। 
    • समिति  ने वर्ष 2020 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में विधेयक के बारे में कई चिंताएँ व्यक्त थीं और  तब से यह लंबित है।

संविधान की छठी अनुसूची क्या है?

  • क्षेत्र: इस अनुसूची के तहत जनजातीय अधिकारों के संरक्षण हेतु असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन का प्रावधान किया गया है।
  • संवैधानिक आधार: इस अनुसूची के तहत अनुच्छेद 244 (2) (छठी अनुसूची के प्रावधान असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन पर लागू होंगे) और अनुच्छेद 275 (1) (यह भारत की समेकित निधि से अनुदान सहायता को सुनिश्चित करता है) आते हैं।
  • स्वायत्तता: इस अनुसूची के तहत स्वायत्त ज़िला परिषदों (ADCs) में शासन का प्रावधान किया गया है, जिसमें भूमि, वन, कृषि, विरासत, सीमा शुल्क और करों पर कानून का निर्माण करना शामिल है।
  • शासन: ADC विधायी, कार्यकारी और न्यायिक शक्तियों के साथ छोटे राज्यों की तरह कार्य करते हैं।

स्वायत्त ज़िला परिषदें (ADCs) क्या हैं? 

  • परिचय: ADCs संविधान की छठी अनुसूची (अनुच्छेद 244) के तहत पूर्वोत्तर भारत में बनाए गए संवैधानिक साधन हैं। इनका उद्देश्य जनजातीय लोगों की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करना तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है।
    • राज्यपाल का प्राधिकार: स्वायत्त ज़िलों को उनके क्षेत्रों और सीमाओं सहित व्यवस्थित, पुनर्गठित एवं संशोधित कर सकता है।
    • जनजातीय वितरण: यदि कई जनजातियाँ मौजूद हैं, तो राज्यपाल ज़िले के भीतर स्वायत्त क्षेत्र का गठन कर सकता है।
  • संरचना:
    • ज़िला परिषद: प्रत्येक ज़िले में 30 सदस्यों की एक परिषद होती है (4 राज्यपाल द्वारा नामित, 26 निर्वाचित), जिसका कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है।
    • क्षेत्रीय/आंचलिक परिषद: प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र की अपनी परिषद होती है।
    • प्रशासन: ज़िला और क्षेत्रीय परिषदें अपने क्षेत्राधिकार का प्रबंधन करती हैं तथा जनजातीय विवादों के लिये ग्राम परिषदें या न्यायालयों की स्थापना कर सकती हैं। अपील की सुनवाई राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट तरीके से की जाती है।
  • वर्तमान में 10 स्वायत्त परिषदें अस्तित्व में हैं - असम, मेघालय और मिज़ोरम में तीन-तीन तथा त्रिपुरा में एक।

schedules_in_Indian_Constitution

और पढ़ें: छठी अनुसूची एवं इनर लाइन परमिट प्रणाली

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

Q. भारत के संविधान की किस अनुसूची के अधीन जनजातीय भूमि का, खनन के लिए निजी पक्षकारों को अंतरण अकृत और शून्य घोषित किया जा सकता है?

(a) तीसरी अनुसूची
(b) पाँचवीं अनुसूची
(c) नौवीं अनुसूची
(d) बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (b)


रैपिड फायर

अनुदान योजना

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने सबवेंशन स्कीम के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में घर खरीदने वालों को राहत प्रदान की है। 

  • सर्वोच्च न्यायालय ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे लोगों के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई न करें जिन्हें अपने फ्लैटों का आधिपत्य नहीं मिला है। 
  • सबवेंशन स्कीम: 
    • रियल एस्टेट में सबवेंशन स्कीम में खरीदार, बैंकर और डेवलपर के बीच त्रिपक्षीय समझौता होता है।
    • खरीदार 5-20% अग्रिम भुगतान करता है, जबकि बैंक डेवलपर को बाकी राशि उधार देता है। 
    • डेवलपर तब तक ऋण ब्याज का भुगतान करता है जब तक खरीदार कब्ज़ा नहीं ले लेता, जिसके बाद खरीदार की EMI शुरू होती है। 
    • यह योजना डेवलपर्स के लिये बिक्री को बढ़ावा देती है और खरीदारों के लिये EMI भुगतान में देरी करती है। 
    • हालाँकि, वर्तमान मामले में कई बिल्डर से इन भुगतानों में चूक हुई है।
  • सब्सिडी:
    • सब्सिडी सरकार या किसी अन्य संस्था द्वारा उपभोक्ता के लिये किसी उत्पाद या सेवा की लागत को कम करने के लिये दी जाने वाली प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता है। 
    • इससे उपभोक्ता के लिये उत्पाद या सेवा की कीमत में कमी आती है। उदाहरण के लिये, खाद्यान्न, उर्वरक या ईंधन पर सरकारी सब्सिडी। 

और पढ़ें: ब्याज सहायता योजना


रैपिड फायर

नई पेंशन योजना ‘वात्सल्य’

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

केंद्रीय बजट 2024-25 में राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme- NPS) ‘वात्सल्य’ (Vatsalya) की घोषणा की गई है, जो अवयस्कों के लिये एक अभूतपूर्व पेंशन योजना है।

  • यह योजना माता-पिता या अभिभावकों को अपने बच्चों के लिये NPS खाता खोलने की अनुमति देती है, जिससे कम उम्र से ही उत्तरदायी वित्तीय प्रबंधन की नींव रखी जा सके।
    • यह एक अंशदायी पेंशन योजना है जिसमें माता-पिता और अभिभावक अंशदान करेंगे।
  • वयस्कता (18 वर्ष की आयु) प्राप्त होने पर, NPS ‘वात्सल्य’ खाते सहज रूप से नियमित NPS खातों में परिवर्तित हो जाएँगे, जिससे निरंतर बचत की आदत को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • NPS सभी नागरिकों- जिसमें 18 से 70 वर्ष की आयु के निवासी और अनिवासी भारतीय (NRI) दोनों शामिल हैं, के लिये एक स्वैच्छिक पेंशन प्रणाली है।
    • यह एक बाज़ार-संबद्ध अंशदान योजना है जो भारतीय नागरिकों को अपनी सेवानिवृत्ति के लिये व्यवस्थित रूप से बचत करने तथा उससे कर लाभ प्राप्त करने की अनुमति देती है।

और पढ़ें: राष्ट्रीय पेंशन योजना, केंद्रीय बजट 2024-25


रैपिड फायर

टाइफून गेमी

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में टाइफून गेमी (Gaemi) के कारण भारी वर्षा हुई है, जिसके कारण पूर्वी चीन, ताइवान और फिलीपींस में व्यापक क्षति और जान-माल की हानि हुई है।

  • टाइफून गेमी जिसने ताइवान लैंडफॉल किया विगत आठ वर्षों में यहाँ आने वाला सबसे शक्तिशाली तूफान है, जिससे द्वीप के दूसरे सबसे बड़े शहर ताइचुंग में भीषण बाढ़ आ गई।
    • फिलीपींस में इसने मौसमी वर्षा में वृद्धि की, जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ और भूस्खलन शुरू हो गया तथा झेजियांग (Zhejiang) प्रांत में भीषण बाढ़ आ गई तथा चीन के वेनझोउ (Wenzhou) शहर में तूफानी वर्षा की उच्चतम चेतावनी जारी कर दी गई।
  • टाइफून एक तरह का तूफान है। इसकी उत्पत्ति के स्थान के आधार पर इसे हरीकेन, टाइफून या चक्रवात कह सकते हैं।
    • इन सभी प्रकार के तूफानों का वैज्ञानिक नाम उष्णकटिबंधीय चक्रवात है।
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवात प्रबल वृत्ताकार तूफान होते हैं जो गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों के ऊपर उत्पन्न होते हैं। इनकी गति 119 किमी/घंटा से अधिक होती है और ये अपने साथ भारी वर्षा लाते हैं।
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवात उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त दिशा में गति करते हैं।

प्रकार

स्थान

टाइफून 

चीन सागर और प्रशांत महासागर

हरीकेन

वेस्ट इंडियन आइलैंड, कैरेबियन सागर, अटलांटिक महासागर

टॉरनैडो

पश्चिमी अफ्रीका का गिनी क्षेत्र, दक्षिणी USA

विली-विलीज़

उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया

उष्णकटिबंधीय चक्रवात

हिंद महासागर क्षेत्र

और पढ़ें: चक्रवात


रैपिड फायर

इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (INS) टॉवर्स

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने मुंबई में इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी (INS) सचिवालय के दौरे के दौरान INS टावर्स का उद्घाटन किया। यह नई इमारत समाचार पत्र उद्योग के मुख्य केंद्र के रूप में कार्य करेगी।

  • सोसायटी की स्थापना वर्ष 1927 में एक समूह की स्थापना के साथ की गई थी जिसे आरंभ में ‘द इंडिया, बर्मा एंड सीलोन न्यूज़पेपर्स लंदन कमेटी’ के नाम से जाना जाता था।
  • इसने भारत, बर्मा, सीलोन और अन्य एशियाई देशों में प्रकाशित समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, समीक्षाओं तथा जर्नलों के लिये आधिकारिक प्रतिनिधि निकाय के रूप में कार्य किया।

और पढ़ें: भारतीय प्रेस परिषद


प्रारंभिक परीक्षा

गल्फ स्ट्रीम और जलवायु संवेदनशीलता

स्रोत: साइंस डेली 

चर्चा में क्यों?

नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि उपोष्णकटिबंधीय उत्तरी अटलांटिक में अधिक शक्तिशाली पवनों के कारण पिछले हिमयुग (लगभग 20,000 वर्ष पूर्व) के दौरान गल्फ स्ट्रीम काफी प्रबल थी।

  • इस खोज से पता चलता है कि गल्फ स्ट्रीम की प्रबलता सागरीय पवनों के पैटर्न में बदलाव के प्रति संवेदनशील है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण इन पवनों के कमज़ोर होने पर भविष्य की जलवायु को प्रभावित कर सकती है।

नोट: 

  • गल्फ स्ट्रीम एक शक्तिशाली महासागरीय धारा है जो मेक्सिको की खाड़ी से उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट तक उष्ण जल का प्रवाह करती है।
  • इसके पश्चात यह अटलांटिक महासागर को पार करती है और पश्चिमी यूरोप की जलवायु को प्रभावित करती है, जिससे यहाँ की जलवायु पूर्व की तुलना में अधिक गर्म हो जाती है।

अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • शोध पद्धति: उत्तरी कैरोलिना और फ्लोरिडा के तलछट क्रोड से जीवाश्म फोरामिनिफेरा के विश्लेषण का प्रयोग प्रागैतिहासिक गल्फ स्ट्रीम की प्रबलता का अनुमान लगाने के लिये किया गया था।
    • निष्कर्षों से पता चला कि पिछले हिमयुग के दौरान गल्फ स्ट्रीम दोगुनी गहरी और धाराएँ अधिक तीव्र थी।
  • जलवायु पर प्रभाव: गल्फ स्ट्रीम की प्रबलता के बावजूद, वैश्विक जलवायु वर्तमान की तुलना में बहुत शीतल थी।
    • भविष्य में गल्फ स्ट्रीम का दुर्बल होना, यूरोप तक पहुँचने वाली उष्णकटिबंधीय उष्णता को सीमित कर सकता है, जिससे महाद्वीपीय शीतलता में वृद्धि हो सकती है और उत्तरी अमेरिका में समुद्र का स्तर बढ़ सकता है।
  • अटलांटिक मेरिडियन ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) की भूमिका: गल्फ स्ट्रीम AMOC का हिस्सा है, जिसमें गभीर जल का निर्माण और पवनों के प्रतिरूप दोनों शामिल हैं।
    • जलवायु परिवर्तन संबंधी व्यवधानों के के परिणाम, जैसे कि ग्रीनलैंड से ग्लेशियर का पिघलना, AMOC को दुर्बल कर सकता है।
    • AMOC की दुर्बलता यूरोप को 10 से 15 डिग्री सेल्सियस तक शीतल कर सकती है, कृषि को बाधित कर सकती है और मौसमीय प्रतिरूपों को बदल सकती है।
  • AMOC लूप और जलवायु प्रभाव:
    • AMOC को एक सामान्य कन्वेयर बेल्ट के बजाय परस्पर संबद्ध लूप (उपोष्णकटिबंधीय और उपध्रुवीय) के रूप में देखा जाना चाहिये।
      • AMOC के विभिन्न हिस्से जलवायु परिवर्तन के प्रति विशिष्ट रूप से अनुक्रिया कर सकते हैं, जिससे जलवायु संबंधित प्रक्रियाएँ प्रभावित हो सकती हैं।

अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) 

  • परिचय: AMOC महासागरीय धाराओं का एक प्रमुख तंत्र है जो वैश्विक महासागर कन्वेयर बेल्ट या थर्मोहेलिन सर्कुलेशन (ThermoHaline Circulation- THC) का हिस्सा है, जो विश्व के महासागरों में उष्णता और पोषक तत्त्वों का वितरण करता है।
  • AMOC का कार्य: AMOC उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से उत्तरी गोलार्द्ध में उष्ण पृष्ठीय जल पहुँचाता है, जहाँ जल शीतल होकर सागर तल में चला जाता है। फिर यह दक्षिण अटलांटिक के माध्यम से एक निम्न धारा के रूप में वापस आता है, अंततः अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट/परिध्रुवीय धारा (ACC) द्वारा सभी महासागरीय बेसिनों में विस्तृत हो जाता है, जो विश्व की एकमात्र चक्रीय धारा है।
  • AMOC के दुर्बल होने के निहितार्थ: गल्फ स्ट्रीम सहित एक दुर्बल AMOC के कारण यूरोपीय क्षेत्र बहुत शीतल हो सकता है, वर्षा कम हो सकती है, जो संभावित रूप से अल नीनो को प्रभावित कर सकता है तथा दक्षिण अमेरिका व अफ्रीका में मानसून में भी परिवर्तन कर सकता है।
  • ह्रास के कारण: पूर्वानुमान बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग प्रमुख महासागरीय तंत्रों को कमज़ोर कर सकती है। ग्रीनलैंड की पिघलती बर्फ और "लास्ट आइस एरिया" अलवण जल का स्रोत हैं जो जल की लवणता एवं घनत्व को कम करता है, जिससे AMOC प्रवाह बाधित होता है। हिंद महासागर में वर्षा और नदी अपवाह में वृद्धि भी AMOC को प्रभावित कर सकती है।
  • महत्त्व: AMOC सागरीय उष्णता को पुनर्वितरित करने और वैश्विक मौसमीय प्रतिरूपों को विनियमित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

और पढ़ें: महासागरीय धाराएँ

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. अफ्रीकी और यूरेशियाई रेगिस्तान बेल्ट के निर्माण का मुख्य कारण क्या हो सकते हैं? (2011)

  1. यह उपोष्णकटिबंधीय उच्च दबाव कोशिकाओं में स्थित है
  2. यह गर्म महासागर धाराओं के प्रभाव में है।
  3. इस संदर्भ में उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)केवल 1
(b)केवल 2
(c)1 और 2 दोनों
(d)न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a)

प्रश्न. निम्नलिखित कारकों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. पृथ्वी का
  2. वायुदाब और हवा
  3. महासागरीय जल का घनत्व
  4. पृथ्वी की परिक्रमा

उपर्युक्त में से कौन-से कारक महासागरीय धाराओं को प्रभावित करते हैं?

(a)केवल 1 और 2
(b)केवल 1, 2 और 3
(c)केवल 1 और 4
(d)2, 3 और 4

उत्तर: (b)


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