रैपिड फायर
ब्याज समानीकरण योजना का पुनर्नियोजन
- 15 Jul 2024
- 3 min read
स्रोत: द हिंदू
इंजीनियरिंग निर्यातकों के संगठन इंजीनियरिंग निर्यात संवर्द्धन परिषद (EEPC इंडिया) ने सभी निर्यातकों के लिये ब्याज समानीकरण योजना (Interest Equalization Scheme- IES) को बहाल करने और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को होने वाले लाभ में वृद्धि करने का अनुरोध किया।
- निर्यातकों द्वारा माल के लदान (शिपमेंट) से पहले और उसके बाद (प्री एंड पोस्ट) प्राप्त किये जाने वाले रुपया ऋण के लिये IES की शुरुआत वर्ष 2015 में की गई थी तथा इसको MSME के अतिरिक्त सभी निर्यातकों के लिये जून 2024 में समाप्त कर दिया गया।
- IES वाणिज्य मंत्रालय का एक कार्यक्रम है जो निर्यातकों को रियायती ब्याज दर पर बैंक ऋण प्राप्त करने में मदद करता है। EEPC ने 410 टैरिफ लाइनों के लिये ब्याज छूट दर को 3% पर बहाल करने और किसी भी टैरिफ लाइन के तहत निर्यात करने वाले MSME के लिये इस दर को बढ़ाकर 5% करने का आग्रह किया।
- वर्ष 1955 में स्थापित EEPC इंडिया ने भारत के इंजीनियरिंग निर्यात की वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो वर्ष 1955 के 10 मिलियन अमरीकी डॉलर की अपेक्षा वित्त वर्ष 2023-2024 में 109.32 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है।
- इसे केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा भारत में मॉडल EPC के रूप में मान्यता दी गई है तथा यह भारत सरकार द्वारा प्रायोजित है। इसका सरकारी नीतियों में सक्रिय रूप से योगदान है तथा यह भारत के इंजीनियरिंग उद्योग और सरकार के बीच सेतु की भूमिका निभाता है।
- वर्ष 2021 में शुरू की गई निर्यातित उत्पादों पर शुल्क एवं कर में छूट की योजना (Remission of Duties and Taxes on Export Products- RoDTEP) मौजूदा भारत से व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात योजना (MEIS) को प्रतिस्थापित करती है।
- यह सुनिश्चित करती है कि निर्यातकों को उन अंतर्निहित करों और शुल्कों पर रिफंड प्राप्त हो जिनकी पहले वसूली नहीं की जा सकती थी जबकि IES का उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देने के लिये शिपमेंट से पूर्व तथा शिपमेंट के बाद निर्यात ऋण पर ब्याज दर समानीकरण प्रदान करना है।