बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी की शताब्दी
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 'बोस-आइंस्टीन' सांख्यिकी की शताब्दी मनाई गई, जिसमें कण अविभेद्यता (Particle Indistinguishability) पर सत्येंद्र नाथ बोस के अभूतपूर्व कार्य को सम्मानित किया गया।
- उनके योगदान ने बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट सहित क्वांटम यांत्रिकी में प्रमुख प्रगति की नींव रखी और आधुनिक भौतिकी को आकार देना जारी रखा।
सत्येंद्र नाथ बोस कौन थे?
- प्रारंभिक जीवन: 1 जनवरी 1894 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में जन्मे बोस एक होनहार छात्र थे, जो कम उम्र से ही गणित में उत्कृष्ट थे।
- वे रेडियो तरंग अनुसंधान के अग्रणी जगदीश चंद्र बोस से प्रेरित थे, एस.एन. बोस ने क्वांटम यांत्रिकी के क्षेत्र में कदम रखा, जिसके कारण इस क्षेत्र में उनका अभूतपूर्व योगदान हुआ।
बोस का योगदान:
- बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी: वर्ष 1924 में, बोस ने "प्लैंक का नियम और प्रकाश क्वांटम की परिकल्पना" नामक एक शोधपत्र प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने कणों, विशेष रूप से फोटॉनों को अविभाज्य इकाइयों के रूप में गिनने का एक नया तरीका प्रस्तुत किया।
- अल्बर्ट आइंस्टीन ने बोस के पेपर के महत्त्व को पहचाना और उनके विचारों को आगे बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी का विकास हुआ और बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट की खोज हुई।
- बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी ने चिरसम्मत यांत्रिकी की पूर्वधारणा को चुनौती दी कि कण अलग-अलग पहचाने जा सकते हैं, जहाँ प्रत्येक कण को अद्वितीय माना जाता है और उसे व्यक्तिगत रूप से ट्रैक किया जा सकता है।
- बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी क्वांटम यांत्रिकी में कणों के दो वर्गों के बीच अंतर करती है: बोसॉन और फर्मिऑन।
- बोसोन, जिनका नाम बोस के नाम पर रखा गया है, एक ही क्वांटम अवस्था में रह सकते हैं, जिससे वे एक दूसरे से अलग नहीं हो सकते। इसका मतलब है कि एक बोसोन को दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता।
- इसके विपरीत, फर्मिऑन पाउली अपवर्जन सिद्धांत का पालन करते हैं (किसी भी दो इलेक्ट्रॉनों की चार इलेक्ट्रॉनिक क्वांटम संख्याएँ समान नहीं हो सकतीं), जो पदार्थ की संरचना को नियंत्रित करता है।
- बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट (BEC): बोस के कार्य को आइंस्टीन द्वारा विस्तारित किया गया, जिससे BEC की भविष्यवाणी हुई, जो पदार्थ की एक अनूठी अवस्था है, जो तब बनती है जब बोसॉनिक परमाणुओं को परम शून्य (- 273.15 डिग्री सेल्सियस) के करीब ठंडा किया जाता है, जिससे वे तरंग-जैसे गुणों के साथ एक एकल क्वांटम इकाई में विलीन हो जाते हैं।
- यह अवधारणा सैद्धांतिक ही रही जब तक कि वर्ष 1995 में एरिक कॉर्नेल और कार्ल विमन द्वारा प्रयोगात्मक रूप से इसकी पुष्टि नहीं की गई, जिन्हें वर्ष 2001 में उनके कार्य के लिये नोबेल पुरस्कार मिला।
- आधुनिक भौतिकी में प्रासंगिकता: हिग्स बोसोन जैसी खोजें और क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रगति बोस के सिद्धांतों की स्थायी प्रासंगिकता को उज़ागर करती है। बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी न केवल भौतिकी बल्कि ब्रह्मांड विज्ञान और संघनित पदार्थ विज्ञान को भी प्रभावित करती है।
- पुरस्कार और सम्मान: सत्येंद्र नाथ बोस, जिन्हें व्यापक रूप से गॉड पार्टिकल के जनक के रूप में जाना जाता है, को वर्ष 1954 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 1959 में, उन्हें भारत का राष्ट्रीय प्रोफेसर नामित किया गया, जो किसी विद्वान के लिये सर्वोच्च सम्मान था, वे इस पद पर 15 वर्षों तक रहे।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा संदर्भ "क्यूबिट" शब्द का उल्लेख करता है? (a) क्लाउड सेवाएँ उत्तर: B व्याख्या:
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6 वीं AITIGA संयुक्त समिति की बैठक
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, छठी आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता (AITIGA) संयुक्त समिति और संबंधित बैठकें नई दिल्ली में आयोजित की गईं।
- यह भारत और आसियान देशों के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ाने के लिये AITIGA की समीक्षा में एक महत्वपूर्ण चरण था।
छठी AITIGA संयुक्त समिति बैठक की मुख्य बातें क्या हैं?
- भारत द्वारा समीक्षा की मांग: भारत ने आसियान देशों के लिये असंगत व्यापार लाभ का हवाला देते हुए, वर्ष 2010 में मूल रूप से क्रियान्वित किये गए AITIGA की समीक्षा की मांग की थी।
- आसियान को भारत का निर्यात 25.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वित्त वर्ष 2010-11) से बढ़कर 41.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वित्त वर्ष 2023-24) हो गया, इसी अवधि में आयात 30.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 79.66 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- भारत के उद्देश्यों की समीक्षा:
- उन्नत बाज़ार पहुँच: भारत का उद्देश्य आसियान देश, विशेष रूप से वियतनाम, भारतीय वस्तुओं के लिये अधिक बाज़ार खोलने की प्रतिबद्धता को दर्शाना है।
- मूल नियमों की कठोरता (ROO): भारत चीनी वस्तुओं को तरजीही दरों पर आसियान देशों से होकर आने से रोकने के लिये अधिक कठोर ROO प्रावधानों की मांग कर रहा है।
- वार्ता में प्रगति: भारत और आसियान ने टैरिफ वार्ता आरंभ करने की दिशा में प्रारंभिक प्रगति की है, जो समीक्षा प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
नोट: भारत के वैश्विक व्यापार में आसियान का योगदान लगभग 11% है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 121 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया और 73 बिलियन अमेरिकी डॉलर (अप्रैल-अक्तूबर 2024) पर पहुँच गया, जो 5.2% की वृद्धि को दर्शाता है।
- आसियान के साथ भारत का व्यापार घाटा, AITIGA के संचालन के पहले पूर्ण वर्ष 2010-11 में 4.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 38.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रारंभिकप्रश्न: निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से कौन-से आसियान के 'मुक्त-व्यापार साझेदार' हैं? (a) 1, 2, 4 और 5 उत्तर: C प्रश्न: 'रीजनल कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016) (a) G20 उत्तर: B |
राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र
स्रोत: डाउन टू अर्थ
पटना में राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र (NDRC) को अपने उद्घाटन के आठ महीनों बाद भी निष्क्रियता का सामना करना पड़ रहा है, जो गंगा नदी डॉल्फिन के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों और पहलों को रेखांकित करता है।
- अपनी स्थापना के बावज़ूद, आवश्यक उपकरणों और कुशल कर्मियों की कमी के कारण यह अभी भी क्रियान्वित नहीं हुआ है।
- NDRC का उद्घाटन वर्ष 2024 में किया गया, यह गंगा नदी डॉल्फिन पर शोध और संरक्षण के लिये समर्पित है।
- यह गंगा नदी पर केंद्रित है और इसका उद्देश्य डॉल्फिन के व्यवहार, आवास और संरक्षण संबंधी संकट पर अध्ययन को सुविधाजनक बनाना है।
- गंगा डॉल्फिन संरक्षण हेतु पहलें:
- प्रोजेक्ट डॉल्फिन
- गंगा डॉल्फिन के लिये संरक्षण कार्य योजना: इसे राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया, जिसमें आवास संरक्षण, सामुदायिक भागीदारी और मानव-डॉल्फिन संघर्ष के शमन के लिये विशिष्ट कार्यों का विवरण दिया गया था।
- इस योजना में डॉल्फिन की आबादी और उसके जीवन संबंधी संकट का आकलन करने के लिये सर्वेक्षण करना तथा स्थानीय समुदायों में जागरुकता बढ़ाना शामिल है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN: लुप्तप्राय
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972: अनुसूची-I
- लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट-I
- प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (CMS): परिशिष्ट-I.
और पढ़ें: भारत का पहला डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र
गणित की समस्याओं को हल करने के लिये बैक्टीरिया
स्रोत: द हिंदू
सिंथेटिक जीव विज्ञान में हालिया प्रगति, विशेष रूप से कोलकाता स्थित साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स में गणितीय गणना करने हेतु बैक्टीरिया इंजीनियरिंग, इस क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
- शोधकर्त्ताओं ने एस्चेरिचिया कोलाई बैक्टीरिया को जैविक कंप्यूटर के रूप में कार्य करने के लिये तैयार किया है, जो गणितीय समस्याओं को हल करने में सक्षम है, अर्थात् यह निर्धारित करना कि कोई संख्या अभाज्य है या कोई अक्षर स्वर है, आदि।
- इसे आनुवंशिक चक्र की प्रक्रिया के पश्चात् प्राप्त किया गया था, जिन्हें रासायनिक प्रेरकों द्वारा सक्रिय किया जा सकता है, जिससे ये बैक्टीरिया कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (ANN) की तरह व्यवहार कर सकते हैं।
- टीम ने बैक्टोन्यूरॉन्स विकसित किये, जो कि ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो तंत्रिका नेटवर्क में न्यूरॉन्स की तरह कार्य करते हैं।
- ये बैक्टोन्यूरॉन्स रासायनिक आगतों को संसाधित करते हैं और विशिष्ट गणनाओं के आधार पर फ्लोरोसेंट प्रोटीन का उत्पादन करते हैं।
- इसमें गणितीय समस्याओं को रासायनिक यौगिकों की उपस्थिति या अनुपस्थिति द्वारा प्रदर्शित बाइनरी कोड में परिवर्तित करके, बैक्टीरिया संबंधी प्रश्नों का उत्तर फ्लोरोसेंट संकेतों के साथ "हाँ" या "नहीं" में दे सकते हैं।
- इंजीनियर बैक्टीरिया केवल सरल कार्य ही नहीं कर सकते; ये अनुकूलन समस्याओं को भी हल कर सकते हैं, जैसे कि एक पाई को एक निश्चित संख्या में सीधे कट लगाकर कितने टुकड़ों में विभाजित किया जा सकता है, इसकी गणना करना आदि।
- यह क्षमता बताती है कि बैक्टीरिया कंप्यूटर उत्तरोत्तर अधिक जटिल कम्प्यूटेशनल कार्यों को संभाल सकते हैं, जिससे संभावित रूप से विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयोगों को बढ़ावा मिल सकता है।
और पढ़ें: कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क
विकसित भारत युवा नेता संवाद
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत के प्रधानमंत्री ने जनवरी में दिल्ली में स्वामी विवेकानंद की 162वीं जयंती के अवसर पर आयोजित होने वाले 'विकसित भारत युवा नेता संवाद' (Viksit Bharat Young Leaders Dialogue- VBYLD) की घोषणा की और युवा विकास में राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps- NCC) की भूमिका पर प्रकाश डाला।
- विकसित भारत युवा नेता संवाद: इसका उद्देश्य भारत भर से उन युवा मस्तिष्कों को राजनीति में शामिल करना है, जिनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है तथा यह युवा सशक्तिकरण के लिये एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
- इस कार्यक्रम में 2,000 चयनित युवा भाग लेंगे तथा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ मिलकर राष्ट्र की प्रगति के लिये नवीन विचार प्रस्तुत करेंगे, जिससे भारत के भविष्य के लिये रोडमैप तैयार करने में मदद मिलेगी।
- NCC: NCC की स्थापना वर्ष 1948 में (एच. एन. कुंजरू समिति-1946 की सिफारिश पर), NCC अधिनियम 1948 के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य युवाओं में चरित्र, भाईचारा, नेतृत्व और सेवा आदर्शों का विकास करना था।
- इसका उद्देश्य राष्ट्रीय रक्षा में रुचि को प्रोत्साहित करना तथा आपातकालीन स्थितियों में सशस्त्र बलों के लिये रिज़र्व का निर्माण करना भी है।
- NCC से पहले विश्वविद्यालय कोर (1917) की स्थापना हुई थी, जो बाद में वर्ष 1920 में विश्वविद्यालय प्रशिक्षण कोर (University Training Corps- UTC) और वर्ष 1942 में विश्वविद्यालय अधिकारी प्रशिक्षण कोर (University Officers Training Corps- UOTC) के रूप में विकसित हुआ।
- NCC का नेतृत्व महानिदेशक करते हैं, जो लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के एक सेना अधिकारी होते हैं, जो दिल्ली स्थित NCC मुख्यालय से इसके संचालन की देखरेख करते हैं।
और पढ़ें: बदलती युवा चिंताएँ और आकांक्षाएँ
गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत के राष्ट्रपति ने गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस की पूर्व संध्या पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तथा मानवता और धार्मिक स्वतंत्रता हेतु उनके बलिदान का स्मरण किया।
- प्रारंभिक जीवन: वर्ष 1621 में अमृतसर में जन्मे गुरु तेग बहादुर को उनके तपस्वी स्वभाव के कारण शुरू में त्यागमल के नाम से जाना जाता था। धार्मिक दर्शन एवं युद्ध कौशल में प्रशिक्षित होने के साथ युद्ध में वीरता के लिये उन्हें "तेग बहादुर" की उपाधि प्रदान की गई।
- गुरु के रूप में योगदान: वर्ष 1664 में गुरु हरकिशन के बाद 9 वें सिख गुरु बने। इन्होंने वर्ष 1665 में आनंदपुर साहिब की स्थापना की तथा समानता, न्याय और भक्ति पर ध्यान केंद्रित करते हुए गुरु ग्रंथ साहिब में 700 से अधिक भजनों का योगदान दिया।
- धार्मिक स्वतंत्रता के समर्थक: इन्होंने औरंगजेब के शासनकाल के दौरान जबरन धर्मांतरण का विरोध किया तथा अपने अनुयायियों के बीच निर्भयता (निरभौ) और सद्भाव (निरवैर) को प्रोत्साहित किया।
- शहीदी दिवस: 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर (जिनकी कश्मीरी पंडितों की रक्षा करने एवं जबरन इस्लाम में धर्मांतरण का विरोध करने के लिये औरंगजेब द्वारा वर्ष 1675 में हत्या की गई थी) के सम्मान में शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- दिल्ली के चांदनी चौक स्थित गुरुद्वारा शीशगंज साहिब, उनके शहीद होने का स्थल है।
सिख धर्म के दस गुरु:
गुरु नानक देव (1469-1539) |
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गुरु अंगद (1504-1552) |
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गुरु अमर दास (1479-1574) |
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गुरु राम दास (1534-1581) |
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गुरु अर्जुन देव (1563-1606) |
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गुरु हरगोबिंद (1594-1644) |
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गुरु हर राय (1630-1661) |
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गुरु हरकिशन (1656-1664) |
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गुरु तेग बहादुर (1621-1675) |
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गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708) |
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और पढ़ें.. गुरु तेग बहादुर