राज्य-स्वामित्व वाली मीडिया हेतु चुनाव नियम
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दो विपक्षी नेताओं ने एक राज्य-स्वामित्व वाले मीडिया चैनल पर चल रहे लोकसभा चुनावों के दौरान उनके भाषणों को सीमित करने का आरोप लगाया।
- हालाँकि, प्रसार भारती के अधिकारी के अनुसार, टेलीविज़न और रेडियो नेटवर्क चुनावों के दौरान मान्यता प्राप्त दलों द्वारा राज्य मीडिया के उपयोग के संबंध में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India- ECI) द्वारा निर्धारित नियमों का पालन कर रहे थे।
राज्य-स्वामित्व वाले मीडिया का उपयोग करने वाले राजनीतिक दलों के लिये क्या नियम हैं?
- राज्य मीडिया पर समय का आवंटन:
- वर्ष 1998 के लोकसभा चुनावों के बाद से मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को चुनावों के दौरान राज्य के स्वामित्व वाले टेलीविज़न और रेडियो का स्वतंत्र रूप से उपयोग करने की अनुमति दी गई है।
- चुनाव अभियान शुरू होने से पहले ECI प्रत्येक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दल के लिये समय आवंटन तय करता है।
- राष्ट्रीय दलों को सामूहिक रूप से दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर न्यूनतम 10 घंटे और क्षेत्रीय चैनलों पर 15 घंटे मिलते हैं। उन्हें आकाशवाणी के राष्ट्रीय हुक-अप पर 10 घंटे और क्षेत्रीय आकाशवाणी स्टेशनों पर 15 घंटे भी दिये जाते हैं।
- राज्य दलों को क्षेत्रीय दूरदर्शन चैनलों और आकाशवाणी रेडियो स्टेशनों पर न्यूनतम 30 घंटे मिलते हैं।
- भाषण सामग्री पर दिशानिर्देश:
- राजनीतिक दलों और वक्ताओं को संबंधित ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio- AIR) और दूरदर्शन (Doordarshan- DD) अधिकारियों द्वारा अनुमोदन हेतु 3-4 दिन पूर्व भाषण प्रतिलेख जमा करना होगा।
- ECI के निषेधात्मक दिशानिर्देश:
- अन्य देशों की आलोचना;
- धर्मों या समुदायों पर वाक् हमला;
- अश्लील या अपमानजनक विषय-वस्तु;
- हिंसा भड़काना;
- न्यायालय की अवमानना;
- राष्ट्रपति और न्यायपालिका के विरुद्ध आक्षेप;
- राष्ट्रीय एकता और अखंडता को प्रभावित करने वाले कारक;
- नाम लेकर व्यक्तियों की आलोचना करना
नोट:
- ECI ने वर्ष 2024 के चुनावों के लिये छह राष्ट्रीय दलों और 59 राज्य दलों को प्रसारण का समय आवंटित किया। राष्ट्रीय दलों को दूरदर्शन और आकाशवाणी पर 4.5 घंटे मिले, बाकी 5.5 घंटे वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके वोट शेयर के आधार पर मिले।
प्रसार भारती:
- यह वर्ष 1997 में प्रसार भारती अधिनियम के तहत स्थापित एक वैधानिक स्वायत्त निकाय है। यह देश का सार्वजनिक सेवा प्रसारक भी है।
- इसमें दो मुख्य विंग शामिल हैं:
- ऑल इंडिया रेडियो (AIR): देशभर में स्टेशनों के विशाल नेटवर्क वाला राष्ट्रीय रेडियो प्रसारक।
- दूरदर्शन (DD): राष्ट्रीय टेलीविज़न प्रसारक, जो राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय प्रोग्रामिंग का मिश्रण पेश करता है।
- AIR और DD पूर्व में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की मीडिया इकाइयाँ थीं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA)
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency- IAEA)ने परमाणु सुरक्षा पर अपना चौथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ( International Conference on Nuclear Security- ICONS) शुरू करते हुए पिछले तीन दशकों में 4,200 से अधिक घटनाओं का हवाला देते हुए परमाणु और रेडियोधर्मी सामग्रियों की तस्करी के खिलाफ अधिक सावधानी बरतने का आग्रह किया।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ( International Atomic Energy Agency- IAEA) क्या है?
- IAEA एक अंतरसरकारी संगठन है जो परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना और परमाणु हथियारों सहित किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिये इसके उपयोग को रोकना चाहता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1957 में संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत विश्व की "शांति के लिये परमाणु" संगठन के रूप में की गई थी और यह अपनी स्वयं की संस्थापक संधि - IAEA के कानून द्वारा शासित है।
- यह UNGAव UNSC दोनों को रिपोर्ट करता है और इसका मुख्यालय ऑस्ट्रिया के विएना में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में है।
- वर्ष 2005 में, इसे एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण विश्व के लिये किये गए काम के लिये नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- IAEA में 178 सदस्य देश हैं, भारत इसके संस्थापक सदस्यों में से एक है।
- परमाणु सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference on Nuclear Security- ICONS):
- वैश्विक परमाणु सुरक्षा समुदाय के लिये, IAEA का परमाणु सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference on Nuclear Security- ICONS) एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है।
- ICONS 2024 ऑस्ट्रिया के विएना में IAEA मुख्यालय में आयोजित किया गया था, जहाँ परमाणु अपशिष्ट के संबंध में निम्नलिखित चिंताओं पर प्रकाश डाला गया था:
- वर्तमान में 145 राज्य IAEA को परमाणु या रेडियोधर्मी सामग्रियों के खो जाने, चोरी हो जाने, अनुचित तरीके से निपटान या उपेक्षित होने की घटनाओं की रिपोर्ट करते हैं।
- विश्व भर में चिकित्सा सुविधाओं, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों में विभिन्न रेडियोधर्मी पदार्थों का उपयोग किया जाता है।
- मुख्य चिंता चरमपंथियों द्वारा "डर्टी बम (Dirty Bomb)" में रेडियोधर्मी सामग्री का उपयोग करना है, जो परमाणु बम से कम घातक होने के बावजूद शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भय उत्पन्न कर सकता है।
सुरक्षित रेडियोधर्मी निर्वहन से संबंधित पहल:
- अंतर्राष्ट्रीय पहल:
- परमाणु दुर्घटना की पूर्व सूचना पर कन्वेंशन: यह वर्ष 1986 में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency- IAEA) द्वारा अपनाई गई एक संधि है। इसके अनुसार, सरकारों को ऐसी किसी भी परमाणु दुर्घटना की तत्काल सूचना देनी होगी जो अन्य देशों को प्रभावित कर सकती है।
- परमाणु सुरक्षा पर सम्मलेन (CNS) 1994: इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। CNS एक प्रोत्साहन-आधारित संधि है जिसके लिये राज्यों को परमाणु सुरक्षा के लिये एक नियामक ढाँचा स्थापित करने और इसे बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
- प्रयुक्त ईंधन प्रबंधन की सुरक्षा और रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन की सुरक्षा पर संयुक्त सम्मेलन, 2001: यह वैश्विक स्तर पर रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन को निर्धारित करने वाली पहली संधि थी। इसका उद्देश्य दुर्घटनाओं की रोकथाम और संभावित रेडियोलॉज़िकल खतरों को कम करने के साथ-साथ प्रयुक्त ईंधन तथा रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन की सुरक्षा निर्धारित करना है।
- भारत की पहल:
- परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB): AERB भारत में परमाणु और विकिरण सुरक्षा के लिये नियामक निकाय के रूप में कार्य करती है। यह रेडियोधर्मी निर्वहन के उपायों सहित परमाणु सुविधाओं के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिये नियमों, दिशा-निर्देशों एवं मानकों को स्थापित कर उन्हें लागू करता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA): ऊर्जा संयंत्रों सहित परमाणु परियोजनाएँ पर्यावरणीय प्रभाव के सख्त आकलन के अधीन हैं। ये आकलन किसी परियोजना को मंज़ूरी देने से पूर्व रेडियोधर्मी अपशिष्ट के निर्वहन सहित संभावित पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभावों का भी मूल्यांकन करते हैं।
- प्रवाह उपचार और तनुकरण (मंदन): परमाणु सुविधाएँ निर्वहन से पूर्व तरल रेडियोधर्मी अपशिष्ट का प्रबंधन करने के लिये प्रवाह उपचार प्रणाली का उपयोग करती हैं। निर्वहन प्रक्रिया में रेडियोधर्मी पदार्थों की सांद्रता को कम करने के लिये प्रायः तनुकरण और प्रकीर्णन तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में, क्यों कुछ परमाणु रिएक्टर "आई. ए. ई. ए. सुरक्षा उपायों" के अधीन रखे जाते हैं जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते? (2020) (a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का उत्तर: (b) प्रश्न. भारत के संदर्भ में 'अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आई. ए. ई. ए.)' के 'अतिरिक्त नयाचार (एडीशनल प्रोटोकॉल)' का अनुसमर्थन करने का निहितार्थ क्या है? (2018) (a) असैनिक परमाणु रिएक्टर आई. ए. ई. ए. के रक्षोपायों के अधीन आ जाते हैं। उत्तर: (a) |
इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग एयरक्राफ्ट
स्रोत: डाउन टू अर्थ
इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक ऑफ और लैंडिंग (eVTOL) एयरक्राफ्ट के उद्भव ने नवप्रवर्तकों, शहरी योजनाकारों और यात्रियों का ध्यान आकर्षित किया है।
- eVTOL विमान VTOL एयरक्राफटों का एक उपसमूह है जो ऊर्ध्वाधर रूप से मंडराने, उड़ान भरने और उतरने के लिये विद्युत शक्ति का उपयोग करता है। पारंपरिक एयरक्राफटों के विपरीत, eVTOL एयरक्राफटों को रनवे की आवश्यकता नहीं होती है, जो उन्हें शहरी वातावरण के लिये आदर्श बनाता है जहाँ स्थान सीमित होते हैं।
- eVTOL तकनीक न्यूनतम रखरखाव और परिचालन खर्च के साथ दैनिक आवागमन, कार्गो डिलीवरी एवं आपातकालीन समय के लिये यातायात समाधान प्रदान करती है। इसका उपयोग भीड़-भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों में प्रीमियम और आपातकालीन सेवाओं के लिये किया जा सकता है।
- यह हेलीपैड जैसे विस्तृत बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता को समाप्त कर सकता है और 200 किमी/घंटा की गति से उड़ान भर सकता है।
- भारतीय नवाचार: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास-इनक्यूबेटेड ई-प्लेन कंपनी बंगलूरू में ई-फ्लाइंग टैक्सियांँ लॉन्च करने की योजना बना रही है, जिसे नागर विमानन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation- DGCA) की स्वीकृति का इंतज़ार है।
- वैश्विक स्तर पर हुए eVTOL सुधार अत्यंत उत्साहजनक हैं, लेकिन भारत में इससे संबंधित परिभाषित नीति का अभाव है। प्रभावी एकीकरण के लिये सहयोग, मार्ग योजना और हवाई यातायात नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
और पढ़े: इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक ऑफ और लैंडिंग (eVTOL) एयरक्राफ्ट
राष्ट्रीय सीमेंट एवं भवन सामग्री के लिये मटेरियल इनक्यूबेशन सेंटर
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में नेशनल काउंसिल फॉर सीमेंट एंड बिल्डिंग मैटेरियल्स-इन्क्यूबेशन सेंटर (NCB-IC) का उद्घाटन संयुक्त सचिव, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग' (Department for Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा किया गया।
- NCB-IC में व्यावसायीकरण हेतु बाज़ार के लिये तैयार उत्पादों के विकास और सुधार के लिये इनक्यूबेटी स्टार्टअप/उद्यमियों को NCB के वैज्ञानिकों और सीमेंट एवं निर्माण सामग्री उद्योग के विशेषज्ञों द्वारा सलाह दी जाएगी।
- DPIIT से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या बढ़कर 1,36,584 हो गई है।
राष्ट्रीय सीमेंट और भवन निर्माण सामग्री परिषद:
- यह DPIIT के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक शीर्ष अनुसंधान और विकास संगठन है।
- NCB सीमेंट, संबद्ध निर्माण सामग्री और निर्माण उद्योगों हेतु अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास तथा हस्तांतरण, शिक्षा एवं औद्योगिक सेवाओं के लिये समर्पित है।
और पढ़ें: राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग 2022
कैंसर की दवाएँ टिस्लेलिज़ुमैब और ज़ानुब्रुटिनिब
स्रोत: द हिंदू
भारत को टिस्लेलिज़ुमैब (Tislelizumab) और ज़ानुब्रुटिनिब (Zanubrutinib) नाम की दो नई कैंसर दवाएँ प्राप्त होने वाली हैं।
- टिस्लेलिज़ुमैब, एक नई इम्यूनोथेरेपी दवा, उन्नत एसोफेजियल स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (कैंसर जो अन्नप्रणाली के अंदर की पतली, सपाट कोशिकाओं में बनता है) के इलाज में प्रभावशीलता दिखा रही है।
- ज़ानुब्रुटिनिब नामक दवा ब्रूटन टायरोसिन कीनेज़ (Bruton's Tyrosine Kinase- BTK) नामक प्रोटीन को नियंत्रित करती है, जो कुछ कैंसरग्रस्त रक्त कोशिकाओं के विकास और अस्तित्व के लिये आवश्यक है।
- इसे विशिष्ट प्रकार के रक्त कैंसर के उपचार के लिये अनुमोदित किया गया है।
- यह कैंसर रोगों के एक समूह को संदर्भित करता है जो शरीर में असामान्य कोशिकाओं के अनियंत्रित प्रसार से होता है, जो स्वस्थ ऊतकों और अंगों में नुकसान पहुँचा सकते हैं।
- वर्ष 2019 में भारत में 1.2 मिलियन कैंसर के नए मामले और लगभग 930,000 मौतें हुईं, जिससे यह उस वर्ष एशिया में इस बीमारी में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता बन गया।
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार, देश में कैंसर के मामले वर्ष 2022 में 14.6 लाख से बढ़कर 2025 में 15.7 लाख होने का अनुमान है।
और पढ़ें: कैंसर का वैश्विक प्रभाव: WHO।
IMD की कलर कोडेड चेतावनियाँ
स्रोत: द हिंदू
केरल में भारी बारिश की संभावना को देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) द्वारा कई ज़िलों के लिये कलर कोडेड चेतावनियाँ जारी की हैं।
- IMD ऐसे गंभीर या खतरनाक मौसम के बारे में लोगों को सचेत करने के लिये कलर कोडेड चेतावनियाँ जारी करता है जो क्षति, व्यवधान या जीवन के लिये खतरा उत्पन्न कर सकता है।
- यह मौसम की गंभीरता के आधार पर 4 कलर कोडेड चेतावनियों का उपयोग करता है, जो इस प्रकार हैं: ग्रीन (हरा), येलो (पीला), ऑरेंज (नारंगी)/एम्बर और रेड (लाल)।
- IMD की स्थापना वर्ष 1875 में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) की एक एजेंसी के रूप में की गई थी।
- यह मौसम संबंधी अवलोकनों, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान संबंधी अध्ययन हेतु उत्तरदायी है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।
और पढ़ें: IMD द्वारा मौसम का अनुवीक्षण