प्रिलिम्स फैक्ट्स (23 May, 2024)



पारा युक्त चिकित्सा उपकरणों को समाप्त करने की पहल

स्रोत: यूनेप

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में अल्बानिया, बुर्किना फासो, भारत, मोंटेनेग्रो और युगांडा की सरकारें चिकित्सा उपकरणों में पारे के उपयोग को समाप्त करने के लिये 134 मिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना शुरू करके रासायनिक प्रदूषण से निपटने के लिये एकजुट हुई हैं।

पारे को समाप्त करने वाली पहल की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • इस पहल का नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP), वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global  Environment Facility- GEF) द्वारा वित्तपोषित और विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) द्वारा किया जाता है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर स्वास्थ्य देखभाल के प्रभाव को कम करना है।
    • इसका पहल उद्देश्य पारा अपशिष्ट के प्रबंधन में सुधार और विकल्पों के उपयोग को बढ़ावा देने के वैश्विक प्रयासों का समर्थन करना है।
  • इस पहल का लक्ष्य प्रतिवर्ष 20% की दर से पारा-युक्त थर्मामीटर और स्फिग्मोमैनोमीटर के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना है, जिससे देशभर के 18 लाख से अधिक लोगों के जीवन में सुधार हो सकेगा।
    • मेडिकल थर्मामीटर और स्फिग्मोमैनोमीटर (रक्तचाप को मापने वाले उपकरण) में पारा होता है हालाँकि, जब तक इन उपकरणों को प्रयोग में लाया जाता है, तब तक उनसे कोई खतरा नहीं होता है।
  • चिकित्सा उपकरणों के क्षतिग्रस्त होने एवं अनुचित निपटान के मामलों में पारा वाष्प के रूप में निकलता है, जो वायु और जल दोनों को प्रदूषित करता है।
    • इन पारायुक्त वाष्प के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों के फेफड़े, गुर्दे और तंत्रिका तंत्र को हानि हो सकती है।

पारा/मर्करी क्या है?

  • परिचय: पारा पृथ्वी की भू-पर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक तत्त्व है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले शीर्ष दस रसायनों समूहों में से एक माना है।
  • अनुप्रयोग:
    • पारे के तापीय विस्तार का उच्च गुणांक और मापन में सरलता इसे पारंपरिक थर्मामीटर तथा बैरोमीटर में उपयोग के लिये उपयुक्त बनाती है।
    • पारे का उपयोग क्लोरीन के उत्पादन और सोने के खनन सहित विभिन्न रासायनिक व खनन प्रक्रियाओं में किया जाता है।
    • इसका उपयोग विभिन्न विद्युत अनुप्रयोगों में किया जाता है क्योंकि उच्च चालकता तथा कम प्रतिरोध के कारण पारा बेहतर विद्युत संचालन के लिये उपयुक्त है।

पारा प्रदूषण पर मिनामाता अभिसमय क्या है?

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  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. इस्तेमाल किये गए फ्लोरोसेंट इलेक्ट्रिक लैंप के विवेकहीन निपटान से पर्यावरण में पारा प्रदूषण होता है। इन लैंपों के निर्माण में पारे का उपयोग क्यों किया जाता है? (2010)

(a) लैंप के अंदर की गई पारे की कोटिंग प्रकाश को चमकदार सफेद बनाती है।
(b) जब लैंप को चालू किया जाता है, तो लैंप में पारा अल्ट्रा-वायलेट विकिरणों के उत्सर्जन का कारण बनता है।
(c) जब लैंप चालू होता है, तो यह पारा पराबैंगनी ऊर्जा को दृश्य प्रकाश में परिवर्तित करता है।
(d) फ्लोरोसेंट लैंप के निर्माण में पारा के उपयोग के बारे में ऊपर दिया गया कोई भी कथन सही नहीं है।

उत्तर: (b)


RBI का सरकार को अधिशेष अंतरण

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने लेखा वर्ष 2023-24 के लिये केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपए के महत्त्वपूर्ण अधिशेष अंतरण को मंज़ूरी दे दी है।

  • यह अंतरण विगत वर्ष के लाभांश की तुलना में पर्याप्त वृद्धि को दर्शाता है, जो अधिशेष आय में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।

RBI_Surplus _Transfer

RBI लाभांश का आवंटन कैसे निर्धारित करता है?

  • अधिशेष गणना बिमल जालान समिति द्वारा अनुशंसित आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क (ECF) पर आधारित थी, जिसने RBI को अपनी बैलेंस शीट के 5.5% और 6.5% के बीच आकस्मिक जोखिम बफर (CRB) बनाए रखने की सलाह दी थी।
    • यह जोखिम प्रावधान मुख्य रूप से अर्जित आय से किया जाता है और उसके बाद ही अधिशेष आय को लाभांश के रूप में सरकार को अंतरित किया जाता है।
    • इस श्रेणी में मौद्रिक तथा वित्तीय स्थिरता जोखिमों के साथ-साथ क्रेडिट और परिचालन जोखिमों के प्रावधान भी शामिल हैं। 
    • भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 47 के अनुसार, RBI अपना अधिशेष, जोकि व्यय से अधिक आय है, सरकार को अंतरित करता है।
  • RBI के अधिशेष में वृद्धि के कारण: मार्च 2024 तक RBI के पास 646 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जिसमें 409 बिलियन अमेरिकी डॉलर टॉप-रेटेड सॉवरेन सिक्योरिटीज़ से संबंधित थे।
    • RBI की सकल डॉलर बिक्री वित्त वर्ष 2023 (USD 213 bn) की तुलना में वित्त वर्ष 2024 (USD 153bn) में काफी कम थी।
      • वित्त वर्ष 2023 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में डॉलर के कम विक्रय के बावजूद, RBI द्वारा किये जाने वाले विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के प्रबंधन से निरंतर उच्च राजस्व सुनिश्चित हुआ।
    • चलनिधि समायोजन सुविधा (LAF) परिचालन से आय ने भी समग्र अधिशेष में योगदान दिया।

भारतीय रिज़र्व बैंक की आय के स्रोत

आय का स्रोत

व्यय

  • परिचालन खर्च
  • जमा और उधार पर दिया गया ब्याज 
  • मुद्रा निर्गम व्यय
  • आकस्मिकताओं और रिज़र्व के लिये प्रावधान

अधिशेष

  • कुल आय (आय के स्रोत) से कुल व्यय (व्यय) घटाकर प्राप्त शुद्ध आय।
  • वित्तीय स्थिरता और आपात स्थिति के लिये आरक्षित निधि एवं आकस्मिक प्रावधान।

बिमल जालान समिति की सिफारिशें:

  • गठन:
    • वित्त मंत्रालय द्वारा केंद्रीय बैंक को वैश्विक प्रथाओं का अनुपालन करने का सुझाव देने के बाद, RBI ने वर्ष 2018 में वर्तमान आर्थिक पूंजी ढाँचे (Economic Capital Framework-  ECF) की समीक्षा करने के लिये पूर्व गवर्नर डॉ बिमल जालान की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया।
  • सिफारिशें:
    • पैनल ने RBI की आर्थिक पूंजी को दो भागों में स्पष्ट रूप से पृथक करने का प्रस्ताव दिया: पहला वास्तविक इक्विटी (Realised equity) और दूसरा पुनर्मूल्यांकन अधिशेष (Revaluation balances)।
      • पुनर्मूल्यांकन भंडार में विदेशी मुद्राओं, सोना, प्रतिभूतियों और एक आकस्मिक निधि में अप्राप्त लाभ/हानि शामिल हैं।
      • वास्तविक इक्विटी (Realised equity) या CRB, जोखिम और नुकसान को कवर करने के लिये संरक्षित की गई आय द्वारा वित्तपोषित की जाती है।
    • समिति ने सुझाव दिया कि RBI को अपनी बैलेंस शीट के 6.5% से 5.5% के दायरे में CRB को बनाए रखना चाहिये।
      • यह सुझाव बाज़ार जोखिमों, ऋण जोखिमों और परिचालन जोखिमों को कम करने के लिये पर्याप्त बफर प्रदान करेगा। 
    • समिति ने सलाह दी कि RBI द्वारा सरकार को अतिरिक्त नकदी केवल तभी हस्तांतरित करनी चाहिये, जब वह CRB को निर्दिष्ट सीमा के अंतर्गत रख सके।
      • ऐसा करने से RBI की वित्तीय स्थिरता से समझौता किये बिना सरकार की राजकोषीय मांगों का समर्थन किया जा सकेगा।
    • पैनल ने यह भी सुझाव दिया कि RBI के ECF की हर पाँच वर्ष में समीक्षा की जानी चाहिये।

नोट: 

  • वर्ष 2013 में Y H मालेगाम (Y H Malegam) के नेतृत्व में RBI बोर्ड की तकनीकी समिति ने सरकार को भंडार और अधिशेष के उच्च हस्तांतरण की सिफारिश की, जो आमतौर पर कुछ अपवादों के साथ सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic ProductsGDP) का औसत लगभग 0.5% है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. मौद्रिक नीति समिति (मोनेटरी पॉलिसी कमिटी/MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. यह RBI की मानक (बेंचमार्क) ब्याज दरों का निर्धारण करती है।
  2. यह एक 12-सदस्यीय निकाय है जिसमें RBI का गवर्नर शामिल है तथा प्रत्येक वर्ष इसका पुनर्गठन किया जाता है।
  3. यह केंद्रीय वित्तमंत्री की अध्यक्षता में कार्य करती है।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

केवल 1
केवल 1 और 2
केवल 3
केवल 2 और 3

उत्तर: A


प्रश्न. यदि आर.बी.आई. प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)

  1. वैधानिक तरलता अनुपात को घटाकर उसे अनुकूलित करना
  2. सीमांत स्थायी सुविधा दर को बढ़ाना 
  3. बैंक दर को घटना तथा रेपो दर को भी घटाना

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: B


अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार, 2024

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार, 2024 जेनी एर्पेनबेक द्वारा लिखित और माइकल हॉफमैन द्वारा अनुवादित "कैरोस" को प्रदान किया गया।

  • अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार, जिसे पहले मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के नाम से जाना जाता था, वर्ष 2005 में प्रारंभ किया गया था, यह अंग्रेज़ी में अनुवादित और यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित एक पुस्तक के लिये प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।
    • इस पुरस्कार का उद्देश्य वैश्विक कथा साहित्य को बढ़ावा देना और अनुवादकों के कार्य की सराहना करना है।
  • पुरस्कार राशि: इस पुरस्कार में 50,000 पाउंड (64,000 अमेरिकी डॉलर) की धनराशि दी जाती है, जिसे लेखक और अनुवादक के बीच समान रूप से साझा किया जाता है।
    • शॉर्टलिस्ट किये गए लेखकों और अनुवादकों में से प्रत्येक को सांत्वना स्वरुप 2,500 पाउंड दिये जाते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाले भारतीय:     

वर्ष 

लेखक 

कार्य 

1971

वी. एस. नायपॉल

इन अ फ्री स्टेट 

1981

सलमान रुश्दी

नाइट्स चिल्ड्रेन 

1997

अरुंधती  रॉय 

द गॉड ऑफ स्माॅल थिंग्स 

2006

किरण देसाई 

द इनहेरिटेंस लाॅस 

2008

अरविंद अडिग

द वाइट टाइगर 

2022

गीतांजलि श्री

टॉम्ब ऑफ सैंड

और पढ़ें: टॉम्ब ऑफ सैंड ने जीता अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार


शुक्र ग्रह के अत्यधिक शुष्क होने का रहस्य

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि एक अभिक्रिया, जिसे HCO+ डिसोसिएटिव रीकॉम्बिनेशन रियेक्शन (Dissociative recombination Reaction- DR) कहा जाता है, जो शुक्र की सतह के ऊपर होती है, ग्रह में जल के समाप्त होने के लिये उत्तरदायी है।

    • DR तब होता है जब HCO+ एक इलेक्ट्रॉन को अवशोषित करता है तथा यह HCO+, CO और एक हाइड्रोजन परमाणु में विघटित हो जाता है तथा जल बिना वाष्पीकरण के नष्ट होने के बाद अंतरिक्ष में चला जाता है।
      • वैज्ञानिकों द्वारा उद्धृत अन्य कारण:
        • शुक्र का प्रतिकूल वातावरण CO2 के ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण होता है।
        • शुक्र की सूर्य से निकटता (उष्ण और UV किरणें जल के अणुओं को H व O2 परमाणुओं में तोड़ देती हैं)।
    • शुक्र (पृथ्वी का जुड़वाँ) सूर्य के बाद दूसरा ग्रह और छठा सबसे बड़ा ग्रह है।
      • यह चंद्रमा के बाद रात्रि के समय आकाश में दिखाई देने वाला दूसरा सबसे चमकदार प्राकृतिक पिंड है।
        • शुक्र ग्रह का अपना कोई चंद्रमा या उपग्रह नहीं है।
      • केवल शुक्र (वीनस) और अरुण (यूरेनस) अपनी धुरी पर दक्षिणावर्त दिशा में घूर्णन करते हैं, जबकि अन्य सभी ग्रह  वामावर्त दिशा में घूर्णन करते हैं।
      • चूँकि शुक्र को अपनी धुरी पर एक घूर्णन पूरा करने में सूर्य की परिक्रमा करने में अधिक समय लगता है, इसलिये शुक्र पर एक दिन वास्तव में एक वर्ष से अधिक लंबा होता है।

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    और पढ़ें: शुक्र का विवर्तनिक इतिहास


    मतुआ समुदाय

    स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

    पश्चिम बंगाल का मतुआ समुदाय नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act- CAA), 2019 के कार्यान्वयन की मांग कर रहा है।

    • मतुआ, बंगाली हिंदुओं का एक वंचित/दलित वर्ग है। यह वर्ग बंगाल के अनुसूचित जाति समूह का हिस्सा है। वर्ष 1971 के युद्ध (जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश अस्तित्त्व में आया) से पूर्व तथा उसके पश्चात् मतुआ समुदाय के लाखों लोगों ने धार्मिक उत्पीड़न से परेशान होकर भारत में प्रवास किया।
    • पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति की कुल आबादी में नामशूद्र (मतुआ) समुदाय की हिस्सेदारी 17.4% है और उत्तर बंगाल में राजबांशियों के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा समूह है।
    • हरिचंद ठाकुर नाम के एक समाज सुधारक को मतुआ महासंघ (Matua Mahasangha) का संस्थापक माना जाता है, जो मतुआ समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है।
      • इन्होंने जाति आधारित उत्पीड़न का विरोध किया तथा दलितों के शिक्षा और सामाजिक उत्थान की दिशा में कार्य किया।

    और पढ़ें: नागरिकता संशोधन अधिनियम


    बुद्ध पूर्णिमा

    स्रोत: पी.आई.बी.

    भारत के राष्ट्रपति ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर शुभकामनाएँ दीं।

    • बुद्ध पूर्णिमा को ‘वेसाक’ के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि राजकुमार सिद्धार्थ के जन्म का स्मरण कराती है, जो बाद में गौतम बुद्ध के नाम से जाने गए और बाद में उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की।
    • बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार सामान्यतः अप्रैल या मई माह में मनाया जाता है, यह हिंदू माह वैशाख की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है एवं विशेष रूप से इसका आयोजन दक्षिण, दक्षिण पूर्व एवं पूर्वी एशिया में किया जाता है।
    • बुद्ध पूर्णिमा को 'तिहरा-धन्य दिवस' माना जाता है क्योंकि यह बुद्ध के जन्म, ज्ञानोदय और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है। वर्ष 1999 से संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे 'UN वेसाक दिवस' के रूप में मान्यता दी गई।

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    और पढ़ें: बुद्ध पूर्णिमा


    R21/Matrix-M मलेरिया वैक्सीन

    स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

    विश्व की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता (विश्व स्तर पर उत्पादित और विक्रय की गई डोज़ की संख्या के संदर्भ में) कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), ने R21/Matrix-M मलेरिया वैक्सीन की पहली खेप अफ्रीकी देशों को भेज दी है।

    • इस वैक्सीन को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित किया गया है।
      • सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रभावशीलता संबंधी मानकों को पूरा करने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने इसे उपयोग हेतु अनुशंसित किया है।
      • अक्तूबर 2021 में बच्चों में मलेरिया को रोकने हेतु WHO ने पहली मलेरिया वैक्सीन RTS,S/AS01 को अनुशंसित किया था।
    • मलेरिया प्लाज़्मोडियम परजीवी (plasmodium parasite) के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है। यह बीमारी संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छर के काटने से मनुष्यों में संचरित होती है।
      • विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, वर्ष 2022 में मलेरिया से संबंधित मामलों की संख्या 249 मिलियन दर्ज की गई जबकि वर्ष 2021 में यह संख्या 247 मिलियन थी।
      • वर्ष 2022 में, विश्व स्तर पर मलेरिया के सर्वाधिक मामले (94%) तथा इसके कारण होने वाली मौतें  (95%) अफ्रीकी क्षेत्रों में दर्ज की गईं।
    • मलेरिया के कुल वैश्विक मामलों में भारत की हिस्सेदारी 1.4% रही और वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में मलेरिया के मामलों में 30% तथा इसके कारण होने वाली मौतों में 34% की गिरावट देखी गई।

    और पढ़ें: R21/मैट्रिक्स-M मलेरिया वैक्सीन