मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) हथियार प्रणाली का कई बार विभिन्न उड़ान विन्यासों में मूल्यांकन किया गया।
- एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल एक मध्यम या लंबी दूरी की मिसाइल है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य टैंक और बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करना है।
- यह कम वज़न वाली, दागो और भूल जाओ मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है। इसमें उन्नत वैमानिकी (Avionics) के साथ-साथ अत्याधुनिक लघु इन्फ्रारेड इमेजिंग सीकर भी शामिल हैं।
- इसे 15 किलोग्राम से कम वज़न के साथ 2.5 किमी. की अधिकतम सीमा के लिये डिज़ाइन किये गए ट्राईपोड के माध्यम से लॉन्च किया गया है। इसे एक सैनिक अपने कंधे पर भी उठा सकता है।
- इस प्रणाली में MPATGM, लॉन्चर, लक्ष्य अधिग्रहण प्रणाली और अग्नि नियंत्रण इकाई भी शामिल है।
- ATGM प्रणाली दिन/रात और शीर्ष हमला (Top Attack) क्षमता से सुसज्जित है।
और पढ़ें: आकाश-NG & MPATGM
केंद्रीय आपदा राहत कोष
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक मुकदमा दायर किया है जिसमें दावा किया गया है कि दिसंबर 2023 में चक्रवात मिचौंग तथा उसके परिणामस्वरूप राज्य में आई बाढ़ के बाद केंद्र ने राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) से जारी होने वाली राशि रोक दी है।
- इससे पहले कर्नाटक सरकार ने भी सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि केंद्र सरकार राज्य में सूखा प्रभावित क्षेत्रों की सहायता के लिये आवश्यक आपदा राहत निधि प्रदान करने से इनकार कर रही है।
प्राकृतिक आपदा के दौरान राज्यों को सहायता कैसे दी जाती है?
- प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राज्यों को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंर्तगत स्थापित विभिन्न तंत्रों के माध्यम से सहायता प्राप्त होती है।
- यह कानून आपदा को गंभीर घटना के रूप में परिभाषित करता है, चाहे वह प्राकृतिक हो अथवा मानव निर्मित, जिससे जीवन की अत्यधिक हानि, मानवीय क्षति, संपत्ति की हानि अथवा समुदाय की मुकाबला करने की क्षमता से परे पर्यावरणीय गिरावट आदि की स्थिति उत्पन्न हो।
- इस अधिनियम के माध्यम से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (SDMA) के साथ-साथ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना की गई।
- ये इकाइयाँ भारत में एक एकीकृत आपदा प्रबंधन प्रणाली के निर्माण के लिये ज़िला-स्तरीय अधिकारियों के साथ मिलकर कार्य करती हैं।
- राज्यों को आपदा राहत के लिये धन दो स्रोतों- राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) तथा राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) से उपलब्ध होता है।
- ये कोष दिसंबर 2004 की विनाशकारी सुनामी के बाद आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (DMA) के अधिनियमन के साथ बनाए गए थे।
NDRF से राज्यों को निधि जारी कैसे की जाती है?
- राष्ट्रीय आपदा राहत कोष:
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अधिनियमन के साथ राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि (NCCF) का नाम बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (NDRF) कर दिया गया।
- इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम ((DM Act)), 2005 की धारा 46 में परिभाषित किया गया है।
- इसका प्रबंधन किसी भी आपदा की स्थिति अथवा आपदा के कारण आपातकालीन प्रतिक्रिया, राहत एवं पुनर्वास के व्ययों को पूरा करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
- यह गंभीर प्रकृति की आपदा की स्थिति में SDRF को पूरक बनाता है, बशर्ते SDRF में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध न हो।
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अधिनियमन के साथ राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि (NCCF) का नाम बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (NDRF) कर दिया गया।
- राज्यों को जारी की गई निधि:
- NDRF दिशा-निर्देश: NDRF के गठन और प्रशासन के लिये जनवरी 2022 के परिचालन दिशा-निर्देशों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक NDRF के वित्तपोषण के लिये निधि निर्धारित की गई है।
- NDRF से सहायता का अनुरोध: ऐसे मामलों में जहाँ किसी राज्य के पास SDRF में पर्याप्त निधि का अभाव है और उसने अपनी क्षमता से परे राष्ट्रीय आपदा का अनुभव किया है, वह NDRF से सहायता का अनुरोध कर सकता है।
- स्थिति का मूल्यांकन: गृह मंत्रालय (MHA) या कृषि मंत्रालय स्थिति का मूल्यांकन करेगा और दिशा-निर्देशों में उल्लिखित एक निर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए NDRF से अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता पर निर्णय लेगा।
- अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) का गठन: इस प्रक्रिया में प्रभावित क्षेत्रों का आकलन करने और यह सिफारिश करने के लिये कि क्या अतिरिक्त निधि आवश्यक है, MHA द्वारा एक IMCT का तत्काल गठन करना शामिल है।
- इसके बाद संबंधित केंद्रीय मंत्रालय के सचिवों से बनी राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की एक उप-समिति उपलब्ध निधि की मात्रा निर्धारित करेगी।
- उच्च-स्तरीय समिति: अंततः गृह मंत्री की अध्यक्षता में कृषि और वित्त मंत्रियों तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष के साथ एक उच्च-स्तरीय समिति प्रदान की गई सिफारिशों के आधार पर NDRF से निधि जारी करने को अधिकृत होगी।
राज्य आपदा राहत कोष क्या है?
- परिचय:
- SDRF का गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 48 (1) (a) के तहत किया गया है।
- इसका गठन 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था।
- यह अधिसूचित आपदाओं की स्थिति में प्रतिक्रिया के लिये राज्य सरकारों के पास उपलब्ध प्राथमिक निधि है ताकि तत्काल राहत प्रदान करने के लिये इसका उपयोग किया जा सके।
- इसका ऑडिट हर साल भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा किया जाता है।
- SDRF का गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 48 (1) (a) के तहत किया गया है।
- योगदान:
- केंद्र सामान्य श्रेणी के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये SDRF आवंटन का 75% और विशेष श्रेणी के राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों (पूर्वोत्तर राज्य, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर) के लिये 90% का योगदान देता है।
- SDRF के अंतर्गत कवर की जाने वाली आपदाएँ:
- स्थानीय आपदाएँ:
- राज्य सरकार उन प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित लोगों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिये SDRF के तहत उपलब्ध धन का 10% तक उपयोग कर सकती है, जिसे वह राज्य में स्थानीय संदर्भ में 'आपदा' मानती हैं और जो गृह मंत्रालय की आपदाओं की अधिसूचित सूची में शामिल नहीं हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सी एक भारतीय संघ राज्य पद्धति की विशेषता नहीं है? (2017) (a) भारत में स्वतंत्र न्यायपालिका है। उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सुझावों के संदर्भ में उत्तराखंड के अनेकों स्थानों पर हाल ही में बादल फटने की घटनाओं के संघात को कम करने के लिये अपनाए जाने वाले उपायों पर चर्चा कीजिये। (2016) |
महावीर जयंती
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा महावीर जयंती के शुभ अवसर पर 2550वें भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव का उद्घाटन किया।
- जैन महावीर स्वामी सहित प्रत्येक तीर्थंकर के पाँच कल्याणक (प्रमुख कार्यक्रम) होते हैं: च्यवन/गर्भ (गर्भाधान) कल्याणक; जन्म (जन्म) कल्याणक; दीक्षा (त्याग) कल्याणक; कैवल्य ज्ञान (सर्वज्ञता) कल्याणक एवं निर्वाण (मुक्ति/परम मोक्ष) कल्याणक।
- इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक स्मारक डाक टिकट तथा सिक्का भी जारी किया।
महावीर जयंती क्या है?
- परिचय:
- महावीर जयंती, जैन समुदाय में सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है।
- यह दिन वर्धमान महावीर के जन्म का प्रतीक है, जो 24वें या अंतिम तीर्थंकर तथा 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के उत्तराधिकारी बने।
- जैन ग्रंथों के अनुसार, भगवान महावीर का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के 13वें दिन हुआ था।
- ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, महावीर जयंती आमतौर पर मार्च या अप्रैल महीने में मनाई जाती है।
- भगवान महावीर की मूर्ति के साथ एक जुलूस निकाला जाता है जिसे रथ यात्रा कहा जाता है।
- स्तवन अथवा जैन प्रार्थनाओं का पाठ करते हुए, भगवान की मूर्तियों का औपचारिक स्नान कराया जाता है जिसे अभिषेक कहा जाता है।
- भगवान महावीर:
- भगवान महावीर स्वामी ने अपनी गहन आध्यात्मिक प्रथाओं और शिक्षाओं के माध्यम से मानवता पर एक अमिट छाप छोड़ी।
- बचपन में भगवान महावीर का नाम वर्धमान था यानी 'जो बढ़ता है'।
- अपनी बारह वर्ष की आध्यात्मिक साधना के दौरान भगवान महावीर ने चार असाधारण गुणों का प्रदर्शन किया:
- गहन और अबाधित ध्यान: उनके अटूट ध्यान ने उन्हें गहन अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद की।
- कठोर तपस्या: अपनी आत्मा को शुद्ध करने के लिये उन्होंने अत्यधिक शारीरिक कष्ट सहे।
- दर्द की सहनशक्ति: महावीर स्वामी ने अद्भुत सहनशक्ति का प्रदर्शन किया।
- सर्वश्रेष्ठ संतुलन: उनका आंतरिक संतुलन स्थिर रहा।
- वैशाख के दसवें दिन, महावीर की यात्रा एक निर्णायक क्षण पर पहुँची।
- इन 5 शिक्षाओं में ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य/शुद्धता) को महावीर द्वारा जोड़ा गया था।
जैन धर्म क्या है?
- 'जैन' शब्द जिन या जैन से बना है जिसका अर्थ है 'विजेता'।
- तीर्थंकर एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है 'नदी निर्माता', अर्थात् जो नदी को पार कराने में सक्षम हो, वही सांसारिक जीवन के सतत् प्रवाह से पार कराएगा।
- जैन धर्म अहिंसा को अत्यधिक महत्त्व देता है।
- यह 5 महाव्रतों का उपदेश देता है:
- अहिंसा
- सत्य
- अस्तेय या आचार्य (चोरी न करना)
- अपरिग्रह (गैर-आसक्ति/गैर-आधिपत्य)
- ब्रह्मचर्य (शुद्धता)
- इन 5 शिक्षाओं में महावीर द्वारा ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य/शुद्धता) को जोड़ा गया था।
- जैन धर्म के तीन रत्न या त्रिरत्न में शामिल हैं:
- सम्यक् दर्शन (सही विश्वास)।
- सम्यक् ज्ञान (सही ज्ञान)।
- सम्यक् चरित्र (सही आचरण)।
- बाद के समय में जैन धर्म दो संप्रदायों में विभाजित हो गया:
- स्थलबाहु के अधीन श्वेतांबर (श्वेत वस्त्रधारी)।
- भद्रबाहु के नेतृत्व में दिगंबर (आकाश-आवरणधारी)।
- जैन धर्म में महत्त्वपूर्ण विचार यह है कि पूरी दुनिया सजीव है: यहाँ तक कि पत्थरों, चट्टानों और पानी में भी जीवन है।
- जीवित प्राणियों, विशेषकर मनुष्यों, जानवरों, पौधों और कीड़ों को चोट न पहुँचाना जैन दर्शन का केंद्र है।
- जैन की शिक्षाओं के अनुसार, जन्म और पुनर्जन्म का चक्र कर्म के माध्यम से आकार लेता है।
- स्वयं को कर्म के चक्र से मुक्त करने और आत्मा की मुक्ति के लिये संन्यास एवं तपस्या की आवश्यकता होती है।
- संथारा की प्रथा भी जैन धर्म का हिस्सा है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत की धार्मिक प्रथाओं के संदर्भ में "स्थानकवासी" संप्रदाय का संबंध किससे है? (2018) (a) बौद्ध मत उत्तर: (b) प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. प्राचीन भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से बौद्ध धर्म या जैन धर्म दोनों में समान रूप से विद्यमान था/थे? (2012)
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. अनेकांतवाद निम्नलिखित में से किसका मूल सिद्धांत और दर्शन है? (2009) (a) बौद्ध उत्तर: (b) |
आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट
स्रोत: पी.आई.बी.
आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट्स (ABHA) एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में उभरा है, जिसका लक्ष्य संपूर्ण भारत में स्वास्थ्य देखभाल पहुँच (Healthcare Access) और डेटा प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।
ABHA क्या है?
- परिचय: ABHA एक अद्वितीय 14-अंकीय संख्या है, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य रिकॉर्ड को जोड़ने के लिये किया जाता है। यहाँ ABHA से तात्पर्य एक डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने से है, इसका लक्ष्य स्वास्थ्य देखभाल के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना है।
- कोई भी व्यक्ति निशुल्क स्वास्थ्य ID या ABHA के लिये आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) में नामांकन कर सकता है।
- विशेषताएँ:
- इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड (EHR): ABHA इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड को एकीकृत करता है, जिससे रोगी की जानकारी के संग्रह और पुनर्प्राप्ति की सुविधा मिलती है।
- इससे चिकित्सा इतिहास को बनाए रखने और स्वास्थ्य सेवा वितरण को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलती है।
- पोर्टेबिलिटी: एकाउंट्स को आयुष्मान भारत योजना के तहत सूचीबद्ध विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में परिवर्तित (पोर्टेबल) होने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिससे लाभार्थियों को स्थान की परवाह किये बिना सेवाओं तक निर्बाध पहुँच की अनुमति मिलती है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाए रखने से ABHA स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में पारदर्शिता एवं जवाबदेही में वृद्धि होती है।
- इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड (EHR): ABHA इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड को एकीकृत करता है, जिससे रोगी की जानकारी के संग्रह और पुनर्प्राप्ति की सुविधा मिलती है।
आयुष्मान भारत योजना क्या है?
- आयुष्मान भारत योजना: इसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के रूप में भी जाना जाता है, यह भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है जिसे यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) के दृष्टिकोण को प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 की सिफारिश के अनुसार सितंबर 2018 में लॉन्च किया गया था। ।
- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM): इसका उद्देश्य देश के एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे का समर्थन करने एवं डिजिटल राजमार्गों के माध्यम से हेल्थकेयर पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न हितधारकों के बीच मौजूदा अंतर को पाटने के लिये आवश्यक आधार विकसित करना है।
स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित अन्य हालिया सरकारी पहलें क्या हैं?
- स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र: फरवरी 2018 में भारत सरकार ने मौजूदा उप केंद्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को आयुष्मान भारत के आधार स्तंभ के रूप में परिवर्तित करके स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (HWC) के निर्माण की घोषणा की।
- ये केंद्र व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (CPHC) प्रदान करेंगे, जिससे मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं तथा गैर-संचारी रोगों को कवर करने हेतु स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त होगी, जिसमें मुफ्त आवश्यक दवाएँ एवं नैदानिक सेवाएंँ शामिल हैं।
- जन औषधि केंद्र: यह सभी नागरिकों को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराना सुनिश्चित करता है।
- ई-संजीवनी: ई-संजीवनी- भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में दुनिया की सबसे बड़ी प्रलेखित टेलीमेडिसिन कार्यान्वयन के रूप में विकसित हुई है।
- इसने ग्रामीण क्षेत्रों की जनता और दूरदराज़ के समुदायों तक स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल रूप में पहुँचाया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) 1 और 2 केवल उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. भारत में 'सभी के लिये स्वास्थ्य' को प्राप्त करने के लिये समुचित स्थानीय सामुदायिक-स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल का मध्यक्षेप एक पूर्वपेक्षा है। व्याख्या कीजिये। (2018) |
निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स
स्रोत: द हिंदू
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) द्वारा 24 अप्रैल, 2024 से प्रारंभ होने वाले निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स पर डेरिवेटिव अनुबंध शुरू करने की घोषणा की गई है।
- निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स, निफ्टी में सूचीबद्ध 50 कंपनियों को छोड़कर, निफ्टी 100 की 50 कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है।
- NSE को इन डेरिवेटिव अनुबंधों के लिये भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से मंज़ूरी मिल गई है।
- एक्सचेंज तीन क्रमिक मासिक सूचकांक फ्यूचर्स एवं सूचकांक ऑप्शन अनुबंध चक्र प्रदान करेगा।
- नकद निपटान के साथ अनुबंध समाप्ति माह के अंतिम शुक्रवार को समाप्त हो जाएंगे।
- बाज़ार में डेरिवेटिव दो अथवा दो से अधिक पक्षों के बीच वित्तीय अनुबंधों को संदर्भित करते हैं और उनका मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति या बेंचमार्क से प्राप्त होता है।
- डेरिवेटिव के दो मुख्य प्रकार हैं:
- फ्यूचर्स, जिसमें भविष्य की तारीख पर अंतर्निहित प्रतिभूतियों को खरीदने अथवा बेचने के लिये एक बाध्यकारी समझौता शामिल होता है।
- ऑप्शन, जो धारक को एक निर्दिष्ट अवधि के भीतर पूर्व निर्धारित मूल्य पर अंतर्निहित प्रतिभूतियों को खरीदने अथवा बेचने का अधिकार (लेकिन दायित्व नहीं) प्रदान करते हैं।
- डेरिवेटिव के दो मुख्य प्रकार हैं:
- NSE भारत के दो मुख्य स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है, दूसरा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) है। यह भारत में आधुनिक, पूर्णतः स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग वाला पहला एक्सचेंज था।
- फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन (FIA) के अनुसार, कारोबार किये गए अनुबंधों की संख्या के मामले में NSE वर्ष 2023 में विश्व के सबसे बड़े डेरिवेटिव एक्सचेंज के रूप में उभरा।
और पढ़ें… शेयर बाज़ार विनियमन
संक्रामक श्वसन कण
स्रोत: द हिंदू
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वायु के माध्यम से प्रसारित रोगजनकों का वर्णन करने के लिये एक मानकीकृत शब्द 'संक्रामक श्वसन कण' (IRP) पेश किया है।
- इस कदम का उद्देश्य सभी क्षेत्रों में शब्दावली को एकीकृत करना, वैज्ञानिक एवं नीति मार्गदर्शन को बढ़ावा देना और साथ ही कोविड-19, इन्फ्लूएंज़ा, खसरा, मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS), सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) तथा तपेदिक (TB) जैसे श्वसन संक्रमणों को लेकर लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ाना है।
- WHO का स्पष्टीकरण IRP को 'एरोसोल' तथा 'ड्रॉपलेट' जैसे पहले उपयोग किये गए शब्दों से अलग करता है, जो कण आकार की निरंतरता पर ज़ोर देता है।
गोल्डीन
स्रोत: लाइव मिंट
हाल ही में स्वीडन के शोधकर्त्ताओं ने 'गोल्डीन' नामक पदार्थ विकसित किया है, यह सोने की एकल-परमाणु परत है, जिसका उपयोग हाइड्रोजन उत्पादन, जल शुद्धिकरण, मूल्यवर्द्धित रसायनों के उत्पादन, संचार आदि जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जा सकता है।
- उन्होंने अंधेरे में कार्बन को चुनिंदा रूप से हटाने और सोने को घोलने वाले साइनाइड के गठन को रोकने के लिये प्राचीन जापानी स्मिथिंग (फोर्जिंग आर्ट) तकनीक से प्रेरित होकर मुराकामी के अभिकर्मक के एक संशोधित संस्करण का उपयोग किया।
- शोधकर्त्ताओं ने गोल्डीन बनाने के लिये एक त्रि-आयामी आधार सामग्री का उपयोग किया, जहाँ सोना टाइटेनियम और कार्बन की परतों के बीच अंतर्निहित है।
- परमाणु, आणविक और सुपरमॉलीक्यूलर पैमाने (लगभग 1 से 100 नैनोमीटर) पर पदार्थ के हेरफेर को नैनोटेक्नोलॉजी कहा जाता है। एक नैनोमीटर (nm) एक मीटर का अरबवाँ हिस्सा (10-9) होता है।
- सोने के इस नए रूप में ग्राफीन के समान नियमित सोने की तुलना में अलग गुण हैं।
- उदाहरण के लिये सोना आमतौर पर एक धातु है, लेकिन अगर एक परमाणु परत मोटी हो तो सोना अर्द्धचालक बन सकता है।
और पढ़ें: नैनोटेक्नोलॉजी
होक्काइडो, जापान का गार्डन ऑफ गॉड्स
स्रोत: डाउन टू अर्थ
हाल ही में जापानी मौसम विज्ञान अभिकरण (Meteorological Agency) द्वारा साप्पोरो, होक्काइडो में 26 डिग्री सेल्सियस का रिकॉर्ड-उच्च तापमान दर्ज किया गया।
- होक्काइडो की जलवायु उप-आर्कटिक है, जहाँ वार्षिक औसत तापमान 8°C और 1,150 मिमी. औसत वार्षिक वर्षा होती है।
- होक्काइडो जापान के चार मुख्य द्वीपों (होक्काइडो, होंशू, शिकोकू और क्यूशू) में सबसे उत्तरी द्वीप है।
- इसकी सीमा पश्चिम में जापान सागर (पूर्वी सागर), उत्तर में ओखोटस्क सागर और पूर्व तथा दक्षिण में प्रशांत महासागर से लगती है।
- साप्पोरो दक्षिण-पश्चिम में इशिकारी नदी पर स्थित है, जहाँ प्रशासनिक मुख्यालय है।
- तापमान परिवर्तन का जापान की अंतिम वनीय सीमा के रूप में होक्काइडो की स्थिति और ऐनू लोगों (स्वदेशी लोगों) के लिये 'गार्डन ऑफ गॉड्स' के रूप में इसकी पारंपरिक पहचान पर प्रभाव पड़ता है।
चेन्नई की वीरानम झील
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चेन्नई मेट्रोपॉलिटन वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड (CMWSSB) के आँकड़ों के अनुसार, चेन्नई के लिये प्राथमिक जल स्रोत वीरानम झील (Veeranam Lake) सूख गई है।
- वीरानम झील, चेन्नई के लिये एक महत्त्वपूर्ण जल स्रोत, तमिलनाडु के कुड्डालोर ज़िले में स्थित है।
- 14 किमी. लंबाई के साथ यह विश्व की सबसे लंबी मानव निर्मित झीलों में से एक माना जाती थी।
- वीरानम के जल का स्रोत कोल्लीदम नदी है, जो कावेरी नदी की उत्तरी सहायक नदी है, जहाँ वदावरु नदी वीरानम और कोल्लीदम दोनों को जोड़ती है।
- इसका निर्माण 907-955 ईस्वी के बीच चोल राजकुमार राजादित्य चोल द्वारा किया गया था।
- उन्होंने अपने पिता की उपाधि-वीरनारायणन के नाम पर इस जलाशय का नाम रखा।
- यह कल्कि के ऐतिहासिक उपन्यास "पोन्नियिन सेलवन" में शामिल है।
और पढ़ें: वेम्बनाड, पूर्व की ओर प्रवाहित नदियाँ सूखाग्रस्त
अफ्रीका की करिबा झील
स्रोत: डाउन टू अर्थ
हाल ही में अल नीनो वेदर पैटर्न ने ज़ाम्बेज़ी क्षेत्र में सूखे और ग्रीष्म लहरों को प्रेरित किया है, जिससे करिबा झील में जल स्तर में गिरावट आई है।
- करिबा बाँध ज़ाम्बिया और ज़िम्बाब्वे के बीच ज़ाम्बेज़ी नदी बेसिन में स्थित है।
- आयतन के हिसाब से यह विश्व की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील और जलाशय है।
- यह हिंद महासागर से लगभग 1300 किलोमीटर ऊपर की ओर स्थित है। यह ज़ाम्बेज़ी नदी पर विक्टोरिया फॉल्स से 200 किलोमीटर नीचे है।
- यह ज़ाम्बिया और ज़िम्बाब्वे दोनों को पर्याप्त विद्युत शक्ति प्रदान करती है और अफ्रीका में एक संपन्न वाणिज्यिक मछली पकड़ने के उद्योग का समर्थन करती है।
और पढ़ें: विक्टोरिया झील, भारत की महत्त्वपूर्ण झीलें