प्रारंभिक परीक्षा
पवित्र उपवनों की सुरक्षा
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को संपूर्ण देश में पवित्र उपवनों के संरक्षण के लिये एक व्यापक नीति बनाने का निर्देश दिया।
- यह निर्णय राजस्थान के राजसमंद ज़िले के पिपलांत्री गाँव में बनाए गए पिपलांत्री मॉडल से प्रेरित था।
पवित्र उपवन क्या हैं?
- पवित्र वन: पवित्र वन अक्षत वन भूमि है, जिसे स्थानीय निवासियों द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है तथा स्थानीय लोगों द्वारा उनकी संस्कृति और धार्मिक विश्वासों के कारण संरक्षित किया गया है।
- पवित्र उपवन किसी समय की प्रमुख वनस्पतियों के अवशेष हैं।
- भारत में पवित्र वन: संपूर्ण भारत में 10 लाख से अधिक पवित्र वन और 100,000 से 150,000 पवित्र वन मौज़ूद हैं।
- यह महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और उत्तराखंड में प्रमुख है।
- वैधानिक प्रावधान: वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 राज्य सरकारों को किसी भी निज़ी या सामुदायिक भूमि को सामुदायिक रिज़र्व घोषित करने का अधिकार देता है, जिसके तहत पवित्र उपवनों को सामुदायिक रिज़र्व घोषित किया जा सकता है।
- गोदावर्मन मामला, 1996 द्वारा समर्थित राष्ट्रीय वन नीति, 1988 ने प्रथागत अधिकार वाले समुदायों को इन वन क्षेत्रों की रक्षा और सुधार करने के लिये प्रोत्साहित किया, जिन पर वे अपनी आवश्यकताओं के लिये निर्भर हैं।
- सांस्कृतिक महत्त्व: यह हिंदू मान्यताओं का अभिन्न अंग है, जो सह-अस्तित्व और प्रकृति के प्रति श्रद्धा को बढ़ावा देता है।
- संरक्षण में भूमिका: वृक्ष पूजा और उन्मूलन तथा शिकार पर सख्त प्रतिबंध जैसी प्रथाएँ जैवविविधता सिद्धांतों के अनुरूप हैं।
- विविध वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के लिये शरणस्थल के रूप में कार्य करना तथा स्वच्छ जल पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखना।
- ये अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपायों (OECM) के उदाहरण हैं।
- विभिन्न नाम:
क्षेत्र/राज्य |
पवित्र उपवनों का नाम |
हिमाचल प्रदेश |
देववन |
कर्नाटक |
देवराकाडु |
केरल |
कावु |
मध्यप्रदेश |
सरना |
राजस्थान |
ओरान |
महाराष्ट्र |
देवराई |
मणिपुर |
उमंगलाई |
मेघालय |
लॉ क्यंतांग/लॉ लिंगदोह |
उत्तराखंड |
देवन/देवभूमि |
पश्चिम बंगाल |
ग्रामथान |
आंध्रप्रदेश |
पविथ्रावन |
टिप्पणी:
- उच्चतम न्यायालय (SC) ने भगवद गीता के अध्याय 13 से श्लोक 20 का हवाला दिया: "प्रकृति सभी भौतिक चीजों का स्रोत है: निर्माता, निर्माण साधन और निर्मित चीजें। आत्मा सभी चेतना का स्रोत है जो खुशी और पीड़ा महसूस करती है।"
- गोदावर्मन मामले 1996 में उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर विचार किया, जिसमें वन भूमि पर अतिक्रमण से लेकर वन्यजीव संरक्षण, वन क्षेत्रों के भीतर खनन गतिविधियों का विनियमन शामिल था।
पिपलांट्री मॉडल
- इसने बताया कि किस प्रकार पर्यावरण संरक्षण, लैंगिक समानता और आर्थिक विकास मिलकर समुदायों में बदलाव ला सकते हैं।
- पिपलांत्री गाँव के सरपंच ने प्रत्येक बालिका के जन्म पर 111 वृक्ष लगाने की पहल आरंभ की।
- इसकी शुरुआत अत्यधिक संगमरमर खनन के कारण हुई पर्यावरणीय क्षति, जल की कमी, वनोन्मूलन और आर्थिक गिरावट के कारण उनकी बालिका की दुखद मृत्यु के बाद हुई।
- पर्यावरण की दृष्टि से 40 लाख से अधिक वृक्ष लगाए गए हैं, जिससे जल स्तर 800-900 फीट ऊपर उठने में मदद मिली है तथा जलवायु को 3-4 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करने में सहायता मिली है।
- इससे कन्या भ्रूण हत्या में भारी कमी आई, स्थानीय आय में वृद्धि हुई, शिक्षा के अवसर बढ़े तथा महिला स्वयं सहायता समूह फलने-फूलने लगे।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स प्रश्न.जैवविविधता के साथ-साथ मनुष्य के परंपरागत जीवन के संरक्षण के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण रणनीति निम्नलिखित में से किस एक की स्थापना करने में निहित है (2014) (a) जीवमंडल निचय उत्तर: (a) |
रैपिड फायर
RBI ने किसानों के लिये जमानत-मुक्त ऋण बढ़ाया
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बढ़ती लागत के बीच लघु एवं सीमांत किसानों को सहायता देने हेतु किसानों के लिये जमानत-मुक्त ऋण सीमा 1.6 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दी है।
मुख्य बातें:
- लाभार्थी: 86% से अधिक किसानों, मुख्यतः लघु एवं सीमांत भूमिधारकों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
- विस्तारित कवरेज़: इसमें कृषि से संबंधित गतिविधियों के लिये ऋण शामिल हैं, जिससे आय में विविधता आती है।
- बैंकों को निर्देश दिया गया है कि ये शीघ्र कार्यान्वयन सुनिश्चित करें तथा प्रावधान के बारे में जागरूकता बढ़ाएँ।
- पूरक योजनाएँ: इस उपाय से किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) ऋण तक पहुँच आसान हो जाएगी और संशोधित ब्याज अनुदान योजना के साथ संरेखित किया जाएगा, जिसमें 4% की प्रभावी ब्याज दर पर 3 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
- यह पहल कृषि में वित्तीय समावेशन को बढ़ाती है, किसानों को आगत लागतों का प्रभावी प्रबंधन करने, परिचालन में निवेश करने और आजीविका में सुधार करने में सक्षम बनाती है।
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रैपिड फायर
डायरिया रोग से होने वाली मौतों में वैश्विक गिरावट
स्रोत: हिंदुस्तान टाईम्स
द लांसेट इन्फेक्शियस डिज़ीज़ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में डायरिया रोग के कारण होने वाली वैश्विक मौतों में कमी पर प्रकाश डाला गया है।
- डायरिया रोग के कारण वैश्विक मृत्यु में लगभग 60% की गिरावट आई है, वर्ष 2021 में 1.2 मिलियन मौतें दर्ज की गईं, जो वर्ष 1990 में 2.9 मिलियन थी।
- पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे और बुज़ुर्ग (70 वर्ष से अधिक) अत्यधिक संवेदनशील बने हुए हैं, विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में, जहाँ मृत्यु दर सबसे अधिक है।
- उल्लेखनीय बात यह है कि पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर में 79% की कमी आई है, फिर भी इस आयु वर्ग में मृत्यु दर सबसे अधिक है।
- विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (DALY), जिसका आशय दिव्यांगता की स्थिति वाली जीवन अवधि से है, वर्ष 1990 में 186 मिलियन से घटकर वर्ष 2021 में 59 मिलियन हो गया, जिसमें पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या 31 मिलियन थी।
- उच्च आय वाले देशों में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में प्रति 100,000 जनसंख्या पर एक से भी कम मृत्यु होती है, जबकि उप-सहारा अफ्रीका में समान जनसांख्यिकी में प्रति 100,000 जनसंख्या पर कम-से-कम 150 मृत्यु होती हैं।
- दस्त: दस्त को प्रतिदिन तीन या अधिक बार पतला या तरल मल त्यागने (या किसी व्यक्ति के लिये सामान्य से अधिक बार मल त्यागने) के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- दस्त से उत्पन्न सबसे गंभीर खतरा निर्जलीकरण है।
और पढ़ें: डायरिया रोको अभियान, डायरिया रोग और पोषण पर एशियाई सम्मेलन
रैपिड फायर
INS निर्देशक
स्रोत: द हिंदू
भारतीय नौसेना ने विशाखापत्तनम नौसेना डॉकयार्ड में अत्याधुनिक सर्वेक्षण पोत, आईएनएस निर्देशक को शामिल किया है।
- सर्वेक्षण पोत (लार्ज) (SVL) परियोजना के दूसरे पोत INS निर्देशक को मल्टी-बीम इको साउंडर्स एवं ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल्स (AUV) जैसी उन्नत प्रणालियों का उपयोग करके हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण, नेविगेशन तथा समुद्री सुरक्षा को उन्नत बनाने हेतु कमीशन किया गया है।
- SVL परियोजना का उद्देश्य भारतीय नौसेना के हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण बेड़े को पुराने संधायक श्रेणी के पोत के स्थान पर आधुनिक बनाना है। इस परियोजना में चार पोत शामिल हैं; वे संधायक, निर्देशक, इक्षक और संशोधक हैं।
- स्वदेशी विनिर्माण: 80% से अधिक स्वदेशी उपकरणों से निर्मित होने के साथ यह मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप है।
- समुद्री कूटनीति और सुरक्षा: यह पोत समुद्री कूटनीति के लिये एक विश्वसनीय उपकरण के रूप में कार्य करने के साथ समुद्री सर्वेक्षणों में मित्र देशों की सहायता करेगा, जो भारत की SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास) पहल के अनुरूप है।
- इससे समुद्री सुरक्षा में सुधार होने के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की नेतृत्व क्षमता को बल मिलेगा।
और पढ़ें: संधायक
रैपिड फायर
NIA को गैर-अनुसूचित अपराधों की जाँच का अधिकार: सर्वोच्च न्यायालय
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने माना है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की जाँच करने की शक्ति केवल अनुसूचित अपराधों की जाँच तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अनुसूचित अपराधों से संबंधित होने पर गैर-अनुसूचित अपराधों की भी जाँच कर सकती है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि NDPS अधिनियम, 1985 (जो NIA अधिनियम के तहत अनुसूचित नहीं है) के तहत अपराध UAPA के अपराधों से जुड़े हैं और अधिनियम के तहत अनुसूचित हैं, तो NIA उन अपराधों की जाँच कर सकती है।
NIA अधिनियम, 2008 के अंतर्गत अनुसूचित अपराध:
- NDPS अधिनियम, 1985 मादक पदार्थों से संबंधित गतिविधियों को नियंत्रित करता है, तथा नशीली दवाओं की तस्करी जैसे अपराधों के लिये कारावास (10-20 वर्ष), जुर्माना (न्यूनतम 1 लाख रुपए) और गंभीर अपराधों को दोहराने पर मृत्युदंड का प्रावधान करता है।
- इसमें मादक पदार्थ संबंधी अपराधों से जुड़ी संपत्ति जब्त करने का भी प्रावधान किया गया है तथा इसके प्रवर्तन के लिये वर्ष 1986 में भारतीय मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो की स्थापना की गई।
- NIA भारत की केंद्रीय आतंकवाद-रोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है, जिसे NIA अधिनियम, 2008 के तहत स्थापित किया गया है।
- यह भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले अपराधों की जाँच करता है, जिसमें हथियारों, मादक पदार्थों की तस्करी और जाली मुद्रा प्रचलन जैसे सीमा पार अपराध शामिल हैं।
- यह गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
और पढ़ें: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण
रैपिड फायर
सेबी का विशेष निवेश कोष (SIF)
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
SEBI ने स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड (SIF) नामक एक नया परिसंपत्ति वर्ग शुरू किया है। यह उन जानकार निवेशकों के लिये बनाया गया है जो जोखिम वाले निवेश करने में रूचि दिखाते हैं।
विशिष्ट निवेश निधि (SIF):
- SIF, म्यूचुअल फंड (MF) और पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (PMS) के बीच अंतराल को कम करने पर केंद्रित है।
- इसमें न्यूनतम 10 लाख रुपए का निवेश आवश्यक है जबकि मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिये इस सीमा में छूट दी गई है। SIF से ओपन-एंडेड, क्लोज़-एंडेड और सावधिक निवेश रणनीतियाँ उपलब्ध होंगी।
- परिसंपत्ति वर्ग:
- यह निवेशों का एक ऐसा समूह है जिसकी विशेषताएँ समान होने के साथ यह समान नियमों द्वारा शासित होते हैं।
- उदाहरण: इक्विटी (स्टॉक), निश्चित आय (बॉण्ड), नकदी एवं नकदी समकक्ष, रियल एस्टेट, वस्तुएँ और मुद्राएँ।
- MF: ये ऐसे निवेश साधन हैं जिनमें बॉण्ड, स्टॉक या दोनों के संयोजन जैसी प्रतिभूतियों को खरीदने के लिये कई निवेशकों से धन एकत्र किया जाता है।
- PMS: यह व्यक्तिगत निवेश प्रबंधन पहलू है, जहाँ एक समर्पित पोर्टफोलियो प्रबंधक निवेशक की विशिष्ट आवश्यकताओं, जोखिम सहनशीलता एवं वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप रणनीति तैयार करता है।
- MF के विपरीत, PMS गहन शोध के आधार पर पेशेवर प्रबंधन के साथ अनुकूलित पोर्टफोलियो प्रदान करता है।
- इससे आमतौर पर उच्च-निवल-मूल्य वाले व्यक्तियों को लक्षित किया जाता है और इसमें उच्च शुल्क शामिल होता है।
- SEBI द्वारा अनुपालन बोझ को कम करने के साथ इसमें प्रवेश बाधाओं को कम करने के क्रम में अधिक हितधारकों को म्यूचुअल फंड बाज़ार में प्रोत्साहित करके एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) एवं इंडेक्स फंड जैसी निष्क्रिय रूप से प्रबंधित फंड योजनाओं को सुविधाजनक बनाने हेतु म्यूचुअल फंड लाइट विनियम (एक सरलीकृत नियामक प्रणाली) को भी प्रस्तुत किया गया है।
और पढ़ें: म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधन
रैपिड फायर
मरीन हीट वेव से 4 मिलियन मुररे समुद्री पक्षियों की मृत्यु
स्रोत: बी.बी.सी
"द ब्लॉब" नामक मरीन हीट वेव (MHW) से वर्ष 2014 और 2016 के बीच अलास्का के 4 मिलियन कॉमन मुररे समुद्री पक्षियों की मृत्यु हुई है।
- यह जंगली पक्षी या स्तनपायी की किसी एक प्रजाति की सबसे बड़ी प्रलेखित मृत्यु है।
- कॉमन मुररेेस: ये काले और सफेद रंग के समुद्री पक्षी हैं (जिन्हें अक्सर "उड़ने वाले पेंगुइन" के रूप में वर्णित किया जाता है) जो दिखने में कुछ हद तक पेंगुइन जैसे होते हैं, जो अलास्का में सबसे अधिक संख्या में पाए जाने वाले समुद्री पक्षियों में से हैं।
- वे उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे अधिक गहराई तक गोता लगाने वाले पक्षी हैं जो 600 फीट गहराई तक गोता लगा सकते हैं।
- IUCN स्थिति: कम चिंताजनक .
- मरीन हीट वेव (MHW): यह स्थिति तब विकसित होती है जब समुद्र के किसी विशेष क्षेत्र का सतही तापमान कम-से-कम पाँच दिनों तक औसत तापमान से 3 या 4 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है।
- MHW कई सप्ताह, महीनों या वर्षों तक चल सकता है।
- MHW समुद्री घास के जंगलों को नष्ट कर देते हैं, क्योंकि क्लेप्स (उथले पानी में पानी के नीचे के पारिस्थितिकी तंत्र) आमतौर पर ठंडे पानी में उगते हैं।
- आमतौर पर ठंडे पानी में उगते हैं।
अलास्का:
- क्षेत्रफल की दृष्टि से अलास्का अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य है।
- इसकी सीमा उत्तर में आर्कटिक महासागर, पूर्व में कनाडा, दक्षिण में प्रशांत महासागर तथा पश्चिम में बेरिंग जलडमरूमध्य के माध्यम से रूस से लगती है।
- मूलतः रूस का हिस्सा रहे अलास्का को वर्ष 1867 में अमेरिका ने खरीद लिया था।
- यह क्षेत्र तेल, प्राकृतिक गैस और खनिजों से समृद्ध है।
और पढ़ें: आर्कटिक महासागर में समुद्री हीटवेव