प्रिलिम्स फैक्ट्स (18 Oct, 2024)



लद्दाख में ऑरोरा

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में भारत (लद्दाख में हनले और मेराक), मैक्सिको और जर्मनी जैसे निम्न अक्षांश क्षेत्रों (66.5 डिग्री उत्तर और दक्षिण अक्षांश से नीचे) में ऑरोरा देखे गए।

  • निम्न अक्षांश क्षेत्रों में इनका घटित होना, बढ़ी हुई सौर गतिविधि का संकेत है।

ऑरोरा के दृश्यों के संबंध में मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • ऑरोरा और पीक सोलर साइकिल: ऑरोरा तब होता है जब कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejections- CME) पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के साथ संपर्क करते हैं। 
    • कोरोनल मास इजेक्शन (CME) सौर गतिविधि चक्र का हिस्सा हैं, जो लगभग 11 वर्षों तक चलता है। 
    • वर्तमान सौर चक्र जिसे सौर चक्र 25 कहा जाता है, 2024 में अपने चरम पर होगा। 
  • निम्न अक्षांशीय ऑरोरा: एक गंभीर सौर तूफान, जिसे प्रारंभ में 1 से 5 के पैमाने पर स्तर 4 के रूप में वर्गीकृत किया गया था, निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों में ऑरोरा के दिखने का कारण हो सकता है।
    • यह आमतौर पर कनाडा, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, अलास्का, रूस, आइसलैंड और ग्रीनलैंड जैसे उत्तरी क्षेत्रों में दिखाई देता है।
      • गंभीर सौर तूफानों से ध्रुवीय ज्योति उत्पन्न हो सकती है और उपग्रह क्षय में तेज़ी आ सकती है, जबकि चरम तूफानों से उपग्रह नष्ट हो सकते हैं, विद्युत ग्रिड बाधित हो सकते हैं तथा व्यापक संचार ब्लैकआउट हो सकता है।

ऑरोरा के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • ऑरोरा के बारे में: ऑरोरा नाइट स्काई में दिखाई देने वाला एक मनमोहक प्राकृतिक प्रकाश प्रदर्शन है, जो प्रायः नीले, लाल, पीले, हरे और नारंगी जैसे बदलते रंगों के कारण दिखाई देता है।
    • अधिक सामान्य हरे-पीले ऑरोरा निम्न ऊँचाई पर ऑक्सीजन परमाणुओं से टकराने वाले आयनों के कारण उत्पन्न होते हैं।
    • ऑरोरा के निचले किनारों में दिखाई देने वाली लाल और नीली रोशनी, नाइट्रोजन परमाणुओं के साथ आयनों की परस्पर क्रिया के कारण होती है।
    • हाइड्रोजन और हीलियम परमाणुओं के बीच टकराव से नीले और बैंगनी रंग के ध्रुवीय ज्योति उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन ये रंग नंगी आँखों से शायद ही कभी दिखाई देते हैं।
  • भौगोलिक घटना: ऑरोरा सबसे अधिक आर्कटिक और अंटार्कटिक सर्कल के पास देखे जाते हैं, जो भूमध्य रेखा से लगभग 66.5 डिग्री उत्तर और दक्षिण में हैं।
    • उत्तरी ऑरोरा को ऑरोरा बोरियालिस (उत्तरी रोशनी) कहा जाता है, जबकि दक्षिणी ऑरोरा को ऑरोरा ऑस्ट्रालिस (दक्षिणी रोशनी) के नाम से जाना जाता है।
  • ऑरोरा का कारण: ऑरोरा तब उत्पन्न होता है जब सौर तूफानों से आवेशित कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ संपर्क करते हैं, जो हानिकारक सौर और कॉस्मिक/ब्रह्मांडीय किरणों के विरुद्ध ढाल के रूप में कार्य करता है।
    • सौर तूफान तब आते हैं जब सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र तीव्र और कमज़ोर हो जाता है, जिससे आवेशित कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं।
  • सौर वायु और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की भूमिका: ऑरोरा तब बनते हैं जब सौर वायु से आवेशित आयन पृथ्वी के आयनमंडल में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन परमाणुओं से टकराते हैं, जो आमतौर पर 97 से 1,000 किलोमीटर की ऊँचाई पर होता है।
    • पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र अधिकांश सौर वायु को विक्षेपित कर देता है, लेकिन कुछ आयन भू-चुंबकीय ध्रुवों के पास फँस जाते हैं, जिससे ये आश्चर्यजनक प्रकाश प्रदर्शन निर्मित होते हैं।

  • ऑरोरा का वैज्ञानिक अध्ययन: नासा का इमेज उपग्रह, जो वर्ष 2005 तक संचालित था, विशेष रूप से ऑरोरा का अध्ययन करने के लिये डिज़ाइन किया गया था।
    • पराबैंगनी और रेडियो तरंगों का उपयोग करते हुए, IMAGE ने ऑरोरा के निर्माण और व्यवहार के बारे में महत्त्वपूर्ण डेटा एकत्र किया।
  • अन्य ग्रहों पर ध्रुवीय ज्योति: वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र वाले ग्रहों पर ध्रुवीय ज्योति होने की संभावना होती है।
    • उदाहरण के लिये बृहस्पति और शनि पर आश्चर्यजनक ध्रुवीय ज्योति देखी गई है।

हनले वेधशाला के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • स्थान: यह लद्दाख के हनले घाटी के नीलमखुल मैदान में सरस्वती पर्वत पर समुद्र तल से लगभग 4,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
  • मान्यता: यह अपने असाधारण अंधेरे और बादल रहित आकाश के लिये जाना जाता है जो तारों को देखने और खगोलीय प्रेक्षणों के लिये आदर्श है।
  • अवलोकन क्षमताएँ: इसमें अंतरिक्ष अवलोकन के लिये 2 मीटर ऑप्टिकल इंफ्रारेड दूरबीन मौजूद है।
  • डार्क स्काई रिज़र्व: प्रकाश प्रदूषण को कम करके नाइट स्काई (Night Skies) की गुणवत्ता की रक्षा के लिये हनले को अंतर्राष्ट्रीय डार्क-स्काई एसोसिएशन (International Dark-Sky Association- IDA) द्वारा डार्क स्काई रिज़र्व (Dark Sky Reserve) के रूप में नामित किया गया है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न: यदि कोई मुख्य सौर तूफान (सौर प्रज्वाल) पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में से कौन-से संभव प्रभाव होंगे? (2022)

  1. GPS और दिक्संचालन (नैविगेशन) प्रणालियाँ विफल हो सकती हैं।
  2. विषुवतीय क्षेत्रों में सुनामियाँ आ सकती हैं।
  3. विद्युत ग्रिड क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
  4. पृथ्वी के अधिकांश हिस्से पर तीव्र ध्रुवीय ज्योतियाँ घटित हो सकती है।
  5.  ग्रह के अधिकांश हिस्से पर दावाग्नियाँ घटित हो सकती हैं।
  6. उपग्रहों की कक्षाएँ विक्षुब्ध हो सकती हैं।
  7. ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर से उड़ते हुए वायुयान का लघुतरंग रेडियो संचार बाधित हो सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 4 और 5
(b) केवल 2, 3, 5, 6 और 7
(c) केवल 1, 3, 4, 6 और 7
(d) 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7

उत्तर: (c)


शिक्षा मंत्रालय की स्टार्स कार्यशाला

स्रोत: पी.आई.बी

हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने मध्य प्रदेश के भोपाल में दो दिवसीय राज्यों के लिये शिक्षण-अधिगम और परिणाम सुदृढ़ीकरण (Strengthening Teaching-Learning and Results for States (STARS/स्टार्स) ज्ञान साझा कार्यशाला का आयोजन किया।

  • परिचय:
    • कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को भविष्य के कार्यबल की चुनौतियों के लिये तैयार करता है, जो स्कूल-टू-वर्क परिवर्तन एवं मूल्यांकन प्रणाली को मज़बूत करने पर केंद्रित था। 
  • स्कूल-टू-वर्क परिवर्तन
  • मूल्यांकन प्रणाली को मज़बूत बनाना
    • इसमें भविष्य की शिक्षा के लिये मूल्यांकन प्रणालियों को मजबूती प्रदान करने और उसके माध्यम से छात्रों के परिणाम को बढ़ाने पर एक आकर्षक प्रस्तुति प्रदान की गई है।
    • इसके अंतर्गत कॅरियर विकल्प, यानी व्यक्तिगत अभिरुचि, माता-पिता का दृष्टिकोण और संभावित अवसरों के लिये ‘3 पी दृष्टिकोण’ पर प्रकाश डाला गया है।
  • शिक्षण-अधिगम और परिणाम सुदृढ़ीकरण (स्टार्स) कार्यक्रम:
    • इसे केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम अक्तूबर, 2020 में कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था।
    • स्टार्स कार्यक्रम फरवरी, 2021 से पाँच वर्ष की अवधि के लिये प्रभावी है जो वित्तीय वर्ष 2024-25 में समाप्त होगा।
    • यह समग्र शिक्षा का एक घटक है, जो विशेष रूप से कार्यक्रम के उन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है जो सीधे तौर पर स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देते हैं।

और पढ़ें: भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार


iDEX योजना का विस्तार

स्रोत: IE

रक्षा मंत्रालय, रक्षा प्रौद्योगिकी नवाचार को बढ़ावा देने के क्रम में अपनी iDEX योजना के विस्तार हेतु प्रयासरत है। यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जो वर्ष 2021 में शुरू हुई थी। 

  • iDEX योजना स्टार्टअप्स, MSMEs और नवप्रवर्तकों को नई रक्षा एवं एयरोस्पेस तकनीक निर्माण में मदद करने पर केंद्रित है, जिसके परिणामस्वरूप अब तक 37 उत्पादों का विकास हुआ है।
  • iDEX प्राइम: iDEX प्राइम के तहत अधिक उन्नत रक्षा प्रणालियों को समर्थन देने के लिये अनुदान सीमा को 1.5 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए किया गया है।
  • ADITI योजना: वर्ष 2024 में शुरू की गई ADITI योजना के द्वारा iDEX ढाँचे के तहत 30 प्रमुख रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास हेतु 25 करोड़ रुपए तक का अनुदान दिया जाना शामिल है।
  • डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज (DISC): iDEX पहल को बढ़ावा देने के लिये रक्षा नवाचार में स्टार्ट-अप और MSMEs का समर्थन करने के क्रम में अटल इनोवेशन मिशन के साथ DISC को शुरू किया गया था। DISC के 12 वें संस्करण में मानव रहित हवाई वाहन (UAV) और AI जैसे प्रमुख तकनीकी क्षेत्रों में 41 चैलेंज प्रस्तुत किये गए, जिनमें 1.5 करोड़ रुपए तक का अनुदान दिया गया।

अधिक पढ़ें: रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार


अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का PMECRG एवं MAHA-EV मिशन

स्रोत: पी.आई.बी

हाल ही में अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन द्वारा अपनी शुरुआती दो पहलों (प्रधानमंत्री प्रारंभिक कैरियर अनुसंधान अनुदान (PMECRG) और व्यापक प्रभाव वाले क्षेत्रों में उन्नति से संबंधित मिशन–इलेक्ट्रिक वाहन (MAHA-EV) मिशन) का शुभारंभ किया।

  • ANRF की स्थापना अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन अधिनियम, 2023 के तहत पूरे देश में अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिये की गई है।
    • इसका संचालन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सितंबर 2024 की गवर्निंग बोर्ड (GB) की पहली बैठक के साथ शुरू हुआ।
      • इस बैठक में प्रमुख क्षेत्रों में भारत की वैश्विक स्थिति को बेहतर करने, अनुसंधान एवं विकास को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ने, समावेशी विकास को बढ़ावा देने और वैज्ञानिक प्रगति को आगे बढ़ाने के क्रम में रणनीतिक हस्तक्षेप पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • PMECRG:
    • इसके तहत बजट अनुकूलन एवं नवीन पहल शामिल हैं जिनका उद्देश्य अनुसंधान प्रक्रियाओं को सरल बनाना, उच्च गुणवत्ता वाले कार्य को बढ़ावा देना तथा भारत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है।
    • इसमें युवा शोधकर्त्ताओं को प्रोत्साहित करने तथा पूरे भारत में अनुसंधान एवं नवाचार की मज़बूत संस्कृति को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
  • MAHA-EV मिशन:
    • इसका उद्देश्य आयात निर्भरता को कम करने, घरेलू नवाचार को बढ़ावा देने और भारत को EV क्षेत्र में वैश्विक हितधारक के रूप में स्थापित करने के लिये प्रमुख EV प्रौद्योगिकियों का विकास करना है
    • यह वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के सरकार के लक्ष्य के अनुरूप है।

और पढ़ें: अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन


MQ-9B ड्रोन डील

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

हाल ही में भारत ने अपने सशस्त्र बलों के लिये 31 MQ-9B प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन खरीदने के क्रम में अमेरिका के साथ 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किये हैं। ड्रोन के निर्माता (जनरल एटॉमिक्स) द्वारा भारत में मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाॅल (MRO) सुविधा को स्थापित किया जाएगा।

  • यह सौदा विदेशी सैन्य बिक्री (FMS) प्रणाली के तहत किया गया है।
    • FMS अमेरिकी सरकार का अपने अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को रक्षा सामग्री, सेवाएँ और प्रशिक्षण प्रदान करने का कार्यक्रम है।
  • इससे सबसे पहले भारत को "डेटरेंस बाय डिटेक्शन" को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, जिससे भारत को भूमि एवं समुद्र के संदर्भ में (विशेष रूप से चीन की) प्रतिकूल प्रगति का शीघ्र पता लगाने में मदद मिलने से संघर्ष को रोकने में मदद मिलेगी।
    • ये उच्च ऊँचाई वाले दीर्घकालिक (HALE) ड्रोन 35 घंटे से अधिक समय तक वायु में रहने में सक्षम हैं तथा यह चार हेलफायर मिसाइल (कम दूरी की सामरिक मिसाइल) के साथ लगभग 450 किलोग्राम तक बम ले जा सकते हैं। 
  • भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी: 

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और पढ़ें: भारत द्वारा अमेरिका के MQ-9B सशस्त्र ड्रोन के अधिग्रहण को मंज़ूरी