प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट: 04 अक्तूबर, 2021
- 04 Oct 2021
- 4 min read
भारत की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण खगोलीय साइट: ‘हनले’
Most Promising Astronomical Site: Hanle
एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, लद्दाख में लेह के पास ‘हनले’ में स्थित ‘भारतीय खगोलीय वेधशाला’ (IAO) विश्व स्तर पर सबसे महत्त्वपूर्ण वेधशालाओं में से एक के रूप में ख्याति हासिल कर रही है।
- ‘भारतीय खगोलीय वेधशाला’ ऑप्टिकल, इंफ्रारेड और गामा-रे टेलीस्कोप से युक्त दुनिया के सबसे ऊँचे स्थलों में स्थित वेधशालाओं में से एक है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय
- लेह में स्थित ‘हनले’ चिली में ‘अटाकामा’ रेगिस्तान की तरह शुष्क है और एक वर्ष में लगभग 270 रातें ऐसी होती हैं, जब आसमान काफी साफ और स्पष्ट होता है, इसलिये यह इन्फ्रारेड तथा सब-एमएम ऑप्टिकल खगोल विज्ञान हेतु महत्त्वपूर्ण स्थानों में से एक है।
- ऐसा इसलिये है, क्योंकि जलवाष्प विद्युत चुंबकीय संकेतों को अवशोषित करता है और उनकी क्षमता को कमज़ोर कर देता है।
- इस स्थान पर स्पष्ट रातों, न्यूनतम प्रकाश प्रदूषण, बैकग्राउंड एयरोसोल कंसंट्रेशन, अत्यंत शुष्क वायुमंडलीय परिस्थितियों और निर्बाध मानसून जैसे कई फायदे मौजूद हैं।
- खगोलविदों के लिये विशाल दूरबीनों के निर्माण तथा भविष्य की वेधशालाओं की योजना बनाने हेतु ऐसी स्थितियों को महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
- लेह में स्थित ‘हनले’ चिली में ‘अटाकामा’ रेगिस्तान की तरह शुष्क है और एक वर्ष में लगभग 270 रातें ऐसी होती हैं, जब आसमान काफी साफ और स्पष्ट होता है, इसलिये यह इन्फ्रारेड तथा सब-एमएम ऑप्टिकल खगोल विज्ञान हेतु महत्त्वपूर्ण स्थानों में से एक है।
- अन्य महत्त्वपूर्ण स्थान:
- लद्दाख में मराक वेधशालाएँ।
- नैनीताल में ‘देवस्थल’ और चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में ‘अली वेधशाला’।
- दक्षिण अफ्रीका में ‘साउथ अफ्रीकन लार्ज टेलीस्कोप’।
- टोक्यो विश्वविद्यालय की अटाकामा वेधशाला और चिली में ‘परनल वेधशाला’।
- मेक्सिको की ‘राष्ट्रीय खगोलीय वेधशाला’।
- ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र:
- ट्रांस-हिमालय पर्वत क्षेत्र या तिब्बत हिमालय क्षेत्र ‘ग्रेट हिमालय’ के उत्तर में स्थित है जिसमें काराकोरम, लद्दाख, जास्कर और कैलाश पर्वत शृंखलाएँ शामिल हैं।
- इसे तिब्बत हिमालयी क्षेत्र भी कहा जाता है, क्योंकि इन पर्वतमालाओं का अधिकांश भाग तिब्बत में स्थित है।
- वे हिमालय की सबसे उत्तरी पर्वतमाला की पूर्व की ओर बढ़ती हैं।
- इसके केंद्र में लगभग 600 मील लंबा और 140 मील चौड़ा एक पर्वत क्षेत्र भी शामिल है, जो पूर्वी एवं पश्चिमी छोर पर 20 मील की चौड़ाई तक सिकुड़ा हुआ है।
- यह मुख्य रूप से ‘नियोजीन’ (Neogene) और ‘पेलियोजीन’ (Paleogene) युग के ‘ग्रेनाइट’ और ज्वालामुखीय चट्टानों से बना है।
- ट्रांस-हिमालय पर्वत क्षेत्र या तिब्बत हिमालय क्षेत्र ‘ग्रेट हिमालय’ के उत्तर में स्थित है जिसमें काराकोरम, लद्दाख, जास्कर और कैलाश पर्वत शृंखलाएँ शामिल हैं।