प्रारंभिक परीक्षा
अंतिम सार्वभौमिक सामान्य पूर्वज (LUCA)
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कहा है कि अंतिम सार्वभौमिक सामान्य पूर्वज (Last Universal Common Ancestor - LUCA) की उत्पत्ति पृथ्वी के निर्माण के मात्र 300 मिलियन वर्ष बाद हुई होगी।
शोध के हालिया मुख्य बिंदु क्या हैं?
- परिचय:
- शोधकर्त्ताओं का मानना है कि जीवन की तीनों शाखाएँ अर्थात् बैक्टीरिया, आर्किया और यूकेरिया की उत्पत्ति एक ही कोशिका से हुई है, जिसे अंतिम सार्वभौमिक सामान्य पूर्वज (LUCA) कहा जाता है।
- LUCA का जीनोम छोटा था, जिसमें लगभग 2.5 मिलियन बेस और 2,600 प्रोटीन थे, जो इसके विशिष्ट वातावरण में जीवित रहने के लिये पर्याप्त थे।
- LUCA के मेटाबोलाइट्स ने अन्य सूक्ष्मजीवों के उभरने के लिये द्वितीयक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया होगा और संभवतः इसमें वायरस से लड़ने के लिये प्रतिरक्षा जीन भी मौजूद थे।
- हालाँकि LUCA के अस्तित्व का समर्थन करने के लिये कोई जीवाश्म साक्ष्य नहीं है, लेकिन आधुनिक जीनोम में इतनी सारी विशेषताएँ हैं जो कुछ जानकारी प्रदान करती हैं।
- जैसे आणविक घड़ी के सिद्धांत ने वैज्ञानिकों को ‘जीवन के वृक्ष’ का पुनर्निर्माण करने की अनुमति दी।
- सिद्धांत के अनुसार, किसी जनसंख्या के जीनोम में उत्परिवर्तन जुड़ने या हटने की दर, नए उत्परिवर्तन (mutations) प्राप्त करने की दर के समानुपाती होती है, जो स्थिर होती है।
- विभिन्न प्रजातियों में उत्परिवर्तन दर भिन्न-भिन्न होती है।
- निष्कर्षों के आधार पर, शोधकर्त्ताओं ने ज्ञात उत्परिवर्तन दरों का उपयोग करके और जीनोम को विशिष्ट घटनाओं जैसे कि प्रथम स्तनपायी के विकास या जीवाश्मों की आयु को मानक के रूप में जोड़कर विकासवादी घटनाओं के बीच के समय का अनुमान लगाने की एक विधि बनाई।
- सिद्धांत के अनुसार, किसी जनसंख्या के जीनोम में उत्परिवर्तन जुड़ने या हटने की दर, नए उत्परिवर्तन (mutations) प्राप्त करने की दर के समानुपाती होती है, जो स्थिर होती है।
- ऑस्ट्रेलिया के पिलबारा क्रेटन में जीवाश्मों की प्रारंभिक खोज के आधार पर यह माना गया है कि प्रारंभिक जीवन के साक्ष्य 3.4 अरब वर्ष पूर्व के थे।
- निष्कर्ष का महत्त्व:
- कुल मिलाकर ये निष्कर्ष यह समझने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं कि पृथ्वी पर जीवन कैसे शुरू हुआ और कैसे विकसित हुआ तथा ब्रह्मांड में अन्यत्र समान जीवन रूपों की खोज के लिये भी महत्त्वपूर्ण हैं।
- ये विकासवादी अंतर्दृष्टियाँ पृथ्वी पर विभिन्न प्रक्रियाओं के लिये कृत्रिम जीवों के निर्माण तथा भविष्य में अन्य ग्रहों पर पारिस्थितिकी तंत्रों के निर्माण या प्रबंधन के प्रयासों को बढ़ावा देंगी।
जीवन की उत्पत्ति के विभिन्न प्रतिस्पर्द्धी सिद्धांत क्या हैं?
- ओपेरिन-हाल्डेन परिकल्पना: वर्ष 1924 और 1929 में, ओपेरिन और हाल्डेन ने क्रमशः सुझाव दिया कि शुरुआती जीवन रूपों को बनाने वाले पहले अणु एक पृथ्वी की युवावस्था के तूफानी, प्रीबायोटिक वातावरण में एक “प्रिमोर्डियल सूप (Primordial Soup)” से धीरे-धीरे स्वयं संगठित हुए। इस विचार को आज ओपेरिन-हाल्डेन परिकल्पना (Oparin-Haldane hypothesis) कहा जाता है।
- मिलर-यूरे प्रयोग: इसने दिखाया कि सही परिस्थितियों में, अकार्बनिक यौगिक जटिल कार्बनिक यौगिकों को जन्म दे सकते हैं।
- इसके अंतर्गत मीथेन, अमोनिया और पानी को मिलाया गया तथा विद्युत धारा प्रवाहित करके प्रोटीन के निर्माण हेतु आवश्यक अमीनो एसिड का उत्पादन किया गया।
- पैनस्पर्मिया परिकल्पना: यह सुझाव देती है कि उल्कापिंड पृथ्वी पर जीवन की आधारशिला लेकर आए होंगे तथा क्षुद्रग्रहों पर बाह्य कार्बनिक पदार्थों और अमीनो एसिड की खोजों से भी इसका समर्थन मिलता है।
- वर्ष 2019 में फ्राँसीसी और इतालवी वैज्ञानिकों ने 3.3 अरब वर्ष पुराने बाह्य-स्थलीय कार्बनिक पदार्थ की खोज की सूचना दी।
- रयुगु (Ryugu) क्षुद्रग्रह पर जापान के हायाबुसा 2 मिशन ने भी वहाँ 20 से अधिक अमीनो एसिड की उपस्थिति का संकेत दिया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:Q. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त में से कौन-से पृथ्वी के पृष्ठ पर गतिक परिवर्तन लाने के लिये ज़िम्मेदार हैं? (a) केवल 1, 2, 3 और 4 उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित तत्त्व समूहों में से कौन-सा एक पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये मूलतः उत्तरदायी था? (2012) (a) हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, सोडियम उत्तर: (b) |
प्रारंभिक परीक्षा
चंद्रमा पर गुफाएँ
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर एक गुफा के अस्तित्व की पुष्टि की है, जो उस स्थान के पास स्थित है जहाँ 55 वर्ष पहले अपोलो 11 मिशन उतरा था।
- इस खोज का भविष्य में चंद्र अन्वेषण और चंद्रमा पर स्थायी मानव उपस्थिति की स्थापना के लिये महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
चंद्रमा से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- मुख्य निष्कर्ष:
- इटली के नेतृत्व वाली शोधकर्त्ताओं की एक टीम को अपोलो 11 लैंडिंग स्थल से सिर्फ 400 किलोमीटर दूर, ट्रैंक्विलिटी सागर में स्थित एक गुफा के साक्ष्य मिले।
- चंद्रमा की सतह पर खोजे गए 200 से अधिक अन्य गड्ढों की तरह यह गड्ढा भी लावा ट्यूब के ढहने से बना था।
- नासा के लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर द्वारा रडार मापों के विश्लेषण से पता चला कि गुफा कम-से-कम 40 मीटर चौड़ी और दसियों मीटर लंबी है तथा संभवतः इससे भी बड़ी है।
- इटली के नेतृत्व वाली शोधकर्त्ताओं की एक टीम को अपोलो 11 लैंडिंग स्थल से सिर्फ 400 किलोमीटर दूर, ट्रैंक्विलिटी सागर में स्थित एक गुफा के साक्ष्य मिले।
- महत्त्व/निहितार्थ:
- भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिये संभावित आश्रय: चंद्र गुफाएँ ब्रह्मांडीय किरणों, सौर विकिरण तथा सूक्ष्म उल्कापिंडों से प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करती हैं, जिससे आवासों के निर्माण की आवश्यकता कम हो जाती है।
- लुनार भूविज्ञान और ज्वालामुखी गतिविधि को समझना: इन गुफाओं के अंदर की चट्टानें और सामग्री, जो सदियों से सतही परिस्थितियों से अपरिवर्तित रही हैं।
- यह वैज्ञानिकों को चंद्रमा के विकास, विशेष रूप से इसकी ज्वालामुखी गतिविधि को बेहतर ढंग से समझने में सहायक हो सकता है।
- संभावित जल और ईंधन स्रोत: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास स्थायी रूप से छायादार क्रेटरों में फ्रोज़ेन वाटर की उपस्थिति है, जो पीने और रॉकेट ईंधन के लिये एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है।
- लुनार अन्वेषण का उन्नयन करना: लुनार गुफाओं की खोज चंद्रमा के भू-विज्ञान और संसाधनों को समझने में एक बड़ा कदम है, जो भविष्य के मिशन हेतु योजना निर्माण तथा चंद्रमा पर मानवीय उपस्थिति एवं उनकी चिरस्थायित्वता में सहायता करता है।
चंद्रमा अन्वेषण
- वर्ष 1959 में सोवियत संघ के लूना-1 और 2 चंद्रमा पर जाने वाले पहले रोबोटिक मिशन थे।
- अपोलो 11 मिशन से पहले वर्ष 1961 और 1968 के बीच अमेरिका ने चंद्रमा पर रोबोटिक मिशनों की 3 श्रेणियाँ भेजी थीं।
- वर्ष 1969 से 1972 तक, 12 अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर पहुँचे।
- वर्ष 1990 के दशक में अमेरिका ने क्लेमेंटाइन और लुनार प्रॉस्पेक्टर जैसे रोबोटिक मिशनों के साथ चंद्र अन्वेषण पुनः प्रारंभ किया।
- वर्ष 2009 में अमेरिका ने चंद्र मिशनों के लिये लुनार रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) और लुनार क्रेटर ऑब्ज़र्वेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट (LCROSS) लॉन्च किया।
- वर्ष 2011 में नासा ने चंद्र अन्वेषण के लिये ARTEMIS मिशन प्रारंभ किया।
- ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी (GRAIL) अंतरिक्ष यान ने वर्ष 2012 में चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का अध्ययन किया था।
- चीन ने चंद्रमा की सतह पर अपने दो रोवर लैंड किये, जिसमें वर्ष 2019 में चंद्रमा के सुदूर भाग पर सर्वप्रथम लैंडिंग भी शामिल है।
भारत (ISRO) का चंद्र मिशन
- चंद्रयान 1: चंद्रयान परियोजना की शुरुआत वर्ष 2007 में ISRO और रूस के रोस्कोसमोस (ROSCOSMOS) के बीच सहयोग से हुई थी। रूस द्वारा लैंडर विकसित करने में देरी के कारण मिशन को शुरू में वर्ष 2016 तक के लिये स्थगित कर दिया गया था।
- निष्कर्ष: चंद्र पर जल की मौजूदगी, गुफाओं के साक्ष्य और सतह पर पूर्व में घटित हुई विवर्तनिक गतिविधि की पुष्टि हुई।
- चंद्रयान-2: यह भारत का दूसरा चंद्र मिशन था, जिसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल थे। रोवर प्रज्ञान, विक्रम लैंडर के अंदर अवस्थित था।
- चंद्रयान-3: इसके माध्यम से भारत चंद्र के दक्षिणी ध्रुव के समीप लैंडिंग करने वाला विश्व का पहला देश बना और इसके साथ ही ISRO रोस्कोसमोस, NASA तथा CNSA के बाद चंद्र पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाली विश्व की चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गई।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की? (2016) |
प्रारंभिक परीक्षा
WHO और UNICEF द्वारा राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज (WUENIC) का अनुमान
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में जारी किये गए WHO और UNICEF के राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज (WUENIC) के अनुमानों से पता चला है कि वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में बच्चों के टीकाकरण में मामूली गिरावट आई है।
- एक अन्य विकास में U-Win पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पंजीकृत करने के लिये सरकार की पायलट परियोजना के हिस्से के रूप में एक क्विट डिजिटल रेवोलुशन सामने आ रही है।
WUENIC की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- परिचय:
- प्रत्येक वर्ष WHO और UNICEF संयुक्त रूप से राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज, अंतिम सर्वेक्षण रिपोर्ट तथा ग्रे साहित्य से प्रकाशित डेटा के संदर्भ में सदस्य देशों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों की समीक्षा करते हैं।
- मुख्य निष्कर्ष:
- वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर टीकाकरण रुक गया, जिससे वर्ष 2019 के महामारी-पूर्व वर्ष (Pre-Pandemic Year) की तुलना में 2.7 मिलियन अतिरिक्त बच्चे या तो बिना टीकाकरण के या कम टीकाकरण वाले रह गए।
- इससे यह पता चलता है कि वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में भारत में बच्चों के टीकाकरण में मामूली गिरावट आई है।
- डिप्थीरिया, कुकुर खाँसी और टेटनस (DPT) वैक्सीन के कवरेज में दो प्रतिशत की गिरावट (वर्ष 2022 में 95% से 2023 में 93% तक) आई, जिसका उपयोग "शून्य-खुराक (Zero-Dose)" बच्चों की संख्या के लिये प्रॉक्सी के रूप में किया जाता है।
- शून्य-खुराक वाले बच्चे वे हैं जिनका नियमित रूप से कोई टीकाकरण नहीं हुआ है।
- यह दर्शाता है कि वर्ष 2023 में भारत में 1.6 मिलियन शून्य खुराक वाले बच्चे होंगे, जो वर्ष 2022 में 1.1 मिलियन से अधिक है, लेकिन वे वर्ष 2021 में अधिसूचित 2.73 मिलियन से बहुत कम है।
- वर्ष 2023 में, 91% ने तीसरी DPT वैक्सीन प्राप्त की, जो वर्ष 2022 से 2% कम है, लेकिन फिर भी वैश्विक औसत 84% से ऊपर है।
- निरपेक्ष रूप से वर्ष 2023 में 2.04 मिलियन बच्चे कम टीकाकरण वाले मिले, जो वर्ष 2019 में 2.11 मिलियन बच्चों की तुलना में थोड़ा कम है।
U-Win क्या है?
- परिचय:
- भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) को डिजिटल बनाने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई U-WIN पहल को पायलट चरण में शुरू किया गया है।
- को-विन प्लेटफॉर्म की सफलता के बाद, सरकार ने नियमित टीकाकरण के लिये एक इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्री स्थापित की है।
- भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) को डिजिटल बनाने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई U-WIN पहल को पायलट चरण में शुरू किया गया है।
- उद्देश्य:
- इस प्लेटफॉर्म का उपयोग प्रत्येक गर्भवती महिला को पंजीकृत करने और उसका टीकाकरण करने, उसके प्रसव के परिणाम को रिकॉर्ड करने, प्रत्येक नवजात शिशु के जन्म को पंजीकृत करने, जन्म के समय खुराक देने तथा उसके बाद सभी टीकाकरण कार्यक्रमों के लिये किया जाएगा।
- U-WIN टीकाकरण सेवाओं, टीकाकरण की स्थिति को अपडेट करने, प्रसव के परिणाम और एंटीजन-वार कवरेज़ जैसी रिपोर्ट आदि के लिये सूचना का एकमात्र स्रोत बनने जा रहा है।
- लाभ:
- स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता, कार्यक्रम प्रबंधक बेहतर योजना, टीका वितरण के लिये नियमित टीकाकरण सत्रों और टीकाकरण कवरेज पर वास्तविक समय डेटा उत्पन्न करने में सक्षम होंगे।
- गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिये, ABHA ID (आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता) से जुड़े वैक्सीन स्वीकृति व टीकाकरण संबंधी कार्ड तैयार किये जाएंगे और सभी राज्य और ज़िले लाभार्थियों को ट्रैक करने तथा टीकाकरण करने के लिये एक सामान्य डेटाबेस तक पहुँच सकते हैं।
- टीकाकरण कार्यक्रम के पूर्ण डिजिटलीकरण के बाद, लाभार्थियों को तत्काल प्रमाण-पत्र प्राप्त होंगे, जिन्हें डाउनलोड करके डिजी-लॉकर में संग्रहीत भी किया जा सकेगा।
- प्रभावी निगरानी प्रणाली प्रभावी हस्तक्षेपों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिये साक्ष्य आधार बनाने में मदद करेगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन (नेशनल न्यूट्रिशन मिशन)' के उद्देश्य हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन विश्व के देशों को 'ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स' रैंकिंग देता है? (2017) (a) विश्व आर्थिक मंच उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. “कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है”। विश्लेषण कीजिये। (2021) |
रैपिड फायर
विश्व के सबसे ऊँचे दर्रे पर ड्रोन परीक्षण
स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेक्स
हाल ही में बंगलुरु की एक फर्म, न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज़ ने लद्दाख के उमलिंग ला दर्रे पर 19,024 फीट की ऊँचाई पर 100 किलोग्राम अधिकतम टेकऑफ वज़न (Max Takeoff Weight- MTOW) मानव रहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicle- UAV) का परीक्षण किया, जो दुनिया का सबसे ऊँचा मोटरेबल दर्रा है।
- कंपनी के अनुसार, यह 100 किलोग्राम के MTOW श्रेणी के ड्रोन द्वारा उच्च ऊँचाई पर संचालन के लिये हासिल किया गया एक नया विश्व रिकॉर्ड है।
- इससे जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों के पर्वतीय क्षेत्रों में रसद, आपदा तथा बचाव कार्यों एवं चिकित्सा राहत में काफी सुधार होगा।
- उमलिंग ला दर्रे:
- लद्दाख में उमलिंग ला 19,024 फीट की ऊँचाई पर दुनिया की सबसे ऊँची मोटर योग्य सड़क है, जिसका निर्माण सीमा सड़क संगठन द्वारा "प्रोजेक्ट हिमांक" के भाग के रूप में किया गया है।
- 52 किलोमीटर लंबी यह सड़क चिशुमले को डेमचोक गाँवों से जोड़ती है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) के पास हैं और भारत तथा चीन के बीच टकराव का बिंदु है।
और पढ़ें: एयर-लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल
रैपिड फायर
ICCPR की चौथी आवधिक समीक्षा
स्रोत:विदेश मंत्रालय
भारत ने जिनेवा में नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध ( International Covenant on Civil and Political Rights - ICCPR) के अंतर्गत मानवाधिकार समिति द्वारा अपनी चौथी आवधिक समीक्षा सफलतापूर्वक संपन्न की।
- ICCPR एक महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संधि है जो अन्य प्रमुख दस्तावेज़ों के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधेयक का निर्माण करती है। यह देशों को जीवन के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लैंगिक समानता जैसे बुनियादी मानवाधिकारों की रक्षा तथा संरक्षण करने के लिये बाध्य करता है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1966 में अपनाया गया। ICCPR वर्ष 1976 में लागू हुआ और वर्ष 1979 में भारत सहित 173 देशों द्वारा इसका अनुसमर्थन किया गया एवं इसकी तीन पूर्व समीक्षाएँ हो चुकी हैं व नवीनतम समीक्षा वर्ष 2024 में होगी।
- चौथी आवधिक समीक्षा में भ्रष्टाचार विरोधी उपाय, गैर-भेदभाव, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकार, आतंकवाद-निरोध, न्यायिक ढाँचे तथा गोपनीयता कानून सहित विविध मुद्दों को शामिल किया गया।
- अन्य मुख्य संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मेलन और प्रोटोकॉल जिनका भारत हिस्सा है, उनमें शामिल हैं:
रैपिड फायर
फिलिस्तीनी शरणार्थियों हेतु भारत की सहायता
स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड
हाल ही में भारत ने वर्ष 2024-25 के लिये 5 मिलियन अमेरीकी डॉलर के अपने वार्षिक योगदान के हिस्से के रूप में नियर ईस्ट (पूर्वी भूमध्य सागर के चरों ओर का पारमहाद्वीपीय क्षेत्र) में स्थित फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (United Nations Relief and Works Agency- UNRWA) को 2.5 मिलियन अमेरीकी डॉलर की पहली किस्त जारी की।
- UNRWA वर्ष 1950 से पंजीकृत फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिये प्रत्यक्ष राहत और कार्य कार्यक्रम का संचालन कर रहा है तथा साथ ही गाज़ा में इज़रायल-हमास युद्ध के बीच भी क्रियाशील रहने हेतु प्रयासरत है।
- भारत ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, राहत एवं सामाजिक सेवाओं सहित UNRWA के मुख्य कार्यक्रमों व सेवाओं हेतु अभी तक (2023-24) तक कुल 35 मिलियन अमेरीकी डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान की है।
संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA):
- इसकी स्थापना वर्ष 1948 में हुए अरब-इज़रायल युद्ध के उपरांत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1949 में की गई थी।
- इसका उद्देश्य 1948 के अरब-इज़रायल संघर्ष के कारण विस्थापित हुए फिलिस्तीनी शरणार्थियों और उनके परिवारों को सहायता तथा सुरक्षा प्रदान करना है।
- इसका संचालन गाज़ा, वेस्ट बैंक, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन जैसे क्षेत्रों में है।
- यह लगभग पूर्ण रूप से संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के स्वैच्छिक योगदान दवरा वित्तपोषित है।
- UNRWA को प्रदत्त भारत की वित्तीय सहायता के अतिरिक्त वह एजेंसी के विशिष्ट अनुरोध के आधार पर फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिये औषधियाँ भी उपलब्ध कराएगा।
रैपिड फायर
सरकारी निकायों में ई-ऑफिस क्रियान्वन
स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स
भारत सरकार ने प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (Department of Administrative Reforms and Public Grievances- DARPG) की 100-दिवसीय कार्य-सूची के हिस्से के रूप में ई-ऑफिस प्लेटफॉर्म का सभी संबद्ध, अधीनस्थ कार्यालयों और स्वायत्त निकायों में क्रियान्वन किये जाने की घोषणा की।
- ई-ऑफिस पहल का उद्देश्य विभिन्न सरकारी निकायों में फाइल हैंडलिंग और रसीदों को डिजिटल बनाना है। यह पहल वर्ष 2019 से 2024 की अवधि में केंद्रीय सचिवालय में ई-ऑफिस को अपनाने में आई उल्लेखनीय गति को दृष्टिगत रखते हुए की गई है, जहाँ 94 प्रतिशत फाइलों को ई-फाइल के रूप में और 95 प्रतिशत रसीदों को ई-रसीद के रूप में संभाला गया।
- इस सफलता के आधार पर, सरकार ने अंतर-मंत्रालयी परामर्श के बाद ई-ऑफिस पहल के क्रियान्वन के लिये 133 संस्थाओं की पहचान की है। इसे अपनाने हेतु दिशा-निर्देश DARPG और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा जारी किये गए थे।
- डिजिटल परिवर्तन और प्रशासनिक दक्षता के लिये सरकार की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करते हुए सभी मंत्रालय/विभाग नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे, डेटा सेंटर स्थापित करेंगे तथा ई-ऑफिस प्लेटफॉर्म के निर्बाध, समयबद्ध क्रियान्वन के लिये NIC के साथ समन्वय करेंगे।
और पढ़ें: भारत में ई-गवर्नेंस
रैपिड फायर
ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते
स्रोत: पी.आई.बी.
विगत सात वर्षों (2018- मई 2024) में रेलवे सुरक्षा बल (RPF) 'नन्हे फरिश्ते' नामक एक अभियान में अग्रणी रहा है, जो विभिन्न भारतीय रेलवे क्षेत्रों में देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों को बचाने के लिये समर्पित एक मिशन है।
- इस अवधि के दौरान, RPF ने स्टेशनों और ट्रेनों में जोखिम में पड़े 84,000 से अधिक बच्चों को बचाया है, ताकि उन्हें संकट में पड़ने से बचाया जा सके।
- ट्रैक चाइल्ड पोर्टल में पीड़ित बच्चों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी है। भारतीय रेलवे ने 135 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क स्थापित किये हैं।
- जब कोई बच्चा RPF द्वारा बचाया जाता है, तो उसे ज़िला बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाता है, जो बच्चे को उसके माता-पिता को सौंप देती है।
- RPF केंद्रीय रेल मंत्रालय के नियंत्रण में एक सशस्त्र बल है, जिसका काम रेलवे संपत्ति, यात्री क्षेत्रों और यात्रियों की सुरक्षा करना है।
- RPF मूलतः वर्ष 1881 से निजी रेलवे कंपनियों के वॉच एंड वार्ड सेट-अप का हिस्सा, इसे RPF अधिनियम, 1957 के तहत एक वैधानिक निकाय में पुनर्गठित किया गया था।
- स्वतंत्रता के पश्चात् के समय में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए; सुरक्षा में सुधार के लिये वर्ष 1966 में रेलवे संपत्ति (अवैध कब्ज़ा) अधिनियम पारित किया गया और वर्ष 1985 में RPF अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप RPF एक सशस्त्र बल के साथ-साथ एक केंद्रीय पुलिस संगठन के रूप में उभरा।
और पढ़ें: रेलवे सुरक्षा बल का संचालन