प्रिलिम्स फैक्ट्स (18 May, 2024)



सेलफिन कवचयुक्त कैटफिश

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में CSIR-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि आक्रामक कवच युक्त सेलफिन कैटफिश (Sailfin Armoured Catfish) पूर्वी घाट के 60% जल निकायों में पाई जाती है, जिससे मछली पकड़ने वाले जाल को नुकसान तथा पारिस्थितिकी तंत्र बाधित हो रहा है।

Sailfin Catlfish

सेलफिन कैटफिश के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • सेलफिन कवच युक्त कैटफिश, दक्षिण अमेरिका के लोरिकारिडे (Loricariidae) के जीनस पर्टिगोप्लिचथिस (Pterygoplichthys) से संबंधित कई रूप से समान प्रजातियों का एक समूह है, जिसे दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय मीठे जल क्षेत्रों के वातावरण में व्यापक रूप से देखा गया है और इसने गंभीर पारिस्थितिक प्रभाव पैदा किये हैं।
    • यह सबसे गंभीर आक्रामक प्रजातियों में से एक है।
      • भारत में मछली की प्रजाति को मूल रूप से इसकी विशिष्ट उपस्थिति और टैंकों तथा एक्वैरियम में शैवाल के विकास को हटाने की क्षमता के लिये जाना जाता था, लेकिन तब से इसकी आबादी में वृद्धि हुई है।
  • विशेषताएँ:
    • सेलफिन कैटफिश के सिर पर गहरे-सुनहरे रंग के कृमि जैसे काले निशान, खुरदरी सतह वाले मज़बूत पेक्टोरल पंख, और एक डिस्क जैसा उभरा हुआ मुख होता है जो शैवाल को तोड़ने और खाने के लिये अंदर की ओर खींचती (सक्शन कप) हैं
    • मादा मछलियाँ आमतौर पर छोटी होती हैं, जबकि 18 इंच से बड़ी मछलियाँ नर होती हैं। 
  • प्राकृतिक वास
    • सेलफिन कैटफिश धीमी गति से प्रवाहित होने वाले जल निकायों में रहती है और आमतौर पर तट के पास तथा उथले जल में पाई जाती है। 
    • वे तटरेखाओं के किनारे अंडे देने के लिये बिल का निर्माण करती हैं और कभी-कभी नहरों के किनारों तथा झीलों की तटरेखाओं को नष्ट कर देती हैं।
  • आयु एवं वृद्धि:
    • इनकी लंबाई 20 इंच से अधिक और वजन 3.0 पाउंड तक होता है। 

eDNA आधारित मात्रात्मक PCR परख 

  • यह आक्रामक प्रजातियों की उपस्थिति और प्रसार का अनुमान लगाने के लिये CSIR-सेलुलर और आणविक जीवविज्ञान केंद्र (CCMB) द्वारा विकसित एक अनूठी तकनीक है।
    • एक नए पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवेश करने पर आक्रामक प्रजातियाँ तेज़ी से वृद्धि कर सकती हैं और इन क्षेत्रों में शिकारियों की कमी होती है जो इस पर निर्भर नए पारिस्थितिकी तंत्र और आजीविका के लिये खतरा उत्पन्न करते हैं। 
  • eDNA जल के नमूनों से एकत्र किया गया पर्यावरणीय DNA है।
  • यह तकनीक आक्रामक प्रजातियों का शीघ्र पता लगाने में सहायता करती है, जो आक्रामक प्रजातियों के प्रबंधन के लिये चल रहे प्रयासों में योगदान देती है और प्रत्यक्ष देशी एवं आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण मछलियों के अस्तित्त्व के लिये लाभदायक होती है। 
    • पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करने, मछली पकड़ने के नुकसान को कम करने और पारिस्थितिक संतुलन का समर्थन करने के लिये आक्रामक मछली का शीघ्र पता लगाना आवश्यक है।
  • eDNA दृष्टिकोण विश्वसनीय, सटीक, लागत प्रभावी और पूर्वी घाट जल निकायों जैसे बड़े परिदृश्यों के लिये उपयुक्त है। यह एक प्रयोगशाला परीक्षण में आक्रामक प्रजातियों की उपस्थिति के लिये लगभग 20 जल निकायों का परीक्षण कर सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. हाल ही में हमारे वैज्ञानिकों ने केले के पौधे की एक नई और भिन्न प्रजाति की खोज की है जिसकी ऊँचाई लगभग11 मीटर तक होती है और उसके फल का गूदा नारंगी रंग का होता है। यह भारत के किस भाग में खोजी गई है?

(a) अंडमान द्वीप
(b) अन्नामलई वन
(c) मैकल पहाड़ियाँ
(d) पूर्वोत्तर उष्णकटिबंधीय वर्षावन

उत्तर: (a)


प्रश्न. जीवों के निम्नलिखित प्रकारों पर विचार कीजिये :

  1. कॉपिपोड
  2. साइनोबैक्टीरिया
  3. डायटम
  4. फोरैमिनिफेरा

उपर्युक्त में से कौन-से जीव महासागरों की आहार शृंखलाओं में प्राथमिक उत्पादक हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3 और 4
(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (b)


प्रश्न. सजीवों के विकास के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा क्रम सही है? (2009)

(a) ऑक्टोपस - डॉल्फिन - शार्क
(b) पैंगोलिन - कछुआ - बाज़
(c) सैलामैंडर - पायथन - कंगारू
(d) मेंढक - केकड़ा - झींगा

उत्तर: (c)


स्पर्म व्हेल

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

हाल ही में स्पर्म व्हेल (फिसेटर मैक्रोसेफालस- Physeter macrocephalus) की जाँच करने वाले शोधकर्त्ताओं ने पहली बार उनके संभावित संचार तरीकों के मूलभूत पहलुओं को रेखांकित किया है।

  • स्पर्म व्हेल संचार और इकोलोकेशन उद्देश्यों के लिये शिकार पर नज़र रखने में सहायता के लिये, जल के रैपिड क्लिक का उपयोग करते हैं, जो एक असाधारण तेज़ ज़िपर की आवाज़ जैसा होता है।
    • These clicks are thought to constitute a "phonetic alphabet" enabling the whales to construct words and phrases.
    • ऐसा माना जाता है कि ये क्लिक एक "ध्वन्यात्मक वर्णमाला" का गठन करते हैं जो व्हेल को संचार करने में सक्षम बनाता है।
  • स्पर्म व्हेल गहरे नीले-भूरे या भूरे रंग की होती है, जिसके पेट पर सफेद धब्बे होते हैं।
    • वे टूथेड-व्हेल्स (दाँतेदार व्हेलों) में सबसे बड़ी होती हैं और किसी भी समुद्री स्तनपायी जीवों में इनका व्यापक वैश्विक वितरण सबसे ज़्यादा होता है। 
    • ये विश्व भर में समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
    • उनके पास किसी भी जीव की तुलना में सबसे बड़ा मस्तिष्क होता है और वे लगभग 10 वेहेलों वाले मातृसत्तात्मक समूहों में रहती हैं।
    • उन्हें IUCN रेड लिस्ट में असुरक्षित के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जो CITES के परिशिष्ट I में उल्लिखित है और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 में शामिल है।

और पढ़ें: स्पर्म व्हेल


तिलेश्वरी कोच- असम की एक गुमनाम नायिका

तिलेश्वरी कोच,असम के ढेकियाजुली की एक युवा स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (INC) की सक्रिय सदस्य थीं।

  • 20 सितंबर,1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें 12 साल की उम्र में अंग्रेज़ों द्वारा तब गोली मार दी गई, जब उन्होंने और कुछ अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने असम में एक पुलिस स्टेशन पर तिरंगा फहराने का प्रयास किया था।
  • भारत छोड़ो आंदोलन का प्रारंभ महात्मा गांधी द्वारा 8 अगस्त, 1942 को मुंबई में अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान ब्रिटिश शासन को समाप्त करने की मांग को लेकर किया गया था।
    • उन्होंने गोवालिया टैंक मैदान में दिये अपने भाषण में "करो या मरो" का आह्वान किया।
    • इस आंदोलन ने अंग्रेज़ों के साथ राजनीतिक वार्ता की प्रकृति को बदल दिया, जिससे अंततः भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  • INC की स्थापना दिसंबर 1885 में ए.ओ. ह्यूम द्वारा बॉम्बे में की गई थी, जो एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी थे।
    • इसका गठन भारतीयों और अंग्रेज़ों के बीच नागरिक चर्चा को सुविधाजनक बनाने के लिये किया गया था।
    • कॉन्ग्रेस के प्रारंभिक चरण का नेतृत्व दादाभाई नौरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले जैसे उदारवादी नेताओं ने किया था, जो उदारवादी मांगों एवं संवैधानिक तरीकों पर अधिक निर्भर था।
    • जबकि बाद में वर्ष 1905 से कॉन्ग्रेस का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय जैसे चरमपंथी नेताओं ने किया, जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की तथा चरमपंथी दृष्टिकोण का समर्थन किया।

और पढ़ें : भारत छोड़ो आंदोलन, भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (INC)


रस्किन बॉन्ड को साहित्य अकादमी फेलोशिप

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

प्रख्यात भारतीय लेखक रस्किन बॉन्ड को साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित किया गया है, जो साहित्य अकादमी द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है।

रस्किन बॉन्ड का साहित्य में क्या योगदान है?

  • 19 मई, 1934 को कसौली, हिमाचल प्रदेश में जन्मे बॉन्ड का 50 वर्षों से अधिक का शानदार लेखन कॅरियर रहा है। उन्होंने लघु कथाएँ, उपन्यास, नॉन-फिक्शन, रोमांस और बच्चों की किताबें सहित विभिन्न शैलियों में लिखा है।
  • उल्लेखनीय कार्य: वैली में वैग्रेंट्स, वंस अपॉन अ मॉनसून टाइम, एंग्री रिवर, स्ट्रेंजर्स इन द नाइट, ऑल रोड्स लीड टू गंगा, टेल्स ऑफ फोस्टरगंज, लेपर्ड ऑन द माउंटेन और टू मच ट्रबल।
  • बॉन्ड को 2021 में अकादमी के सर्वोच्च सम्मान का प्राप्तकर्त्ता नामित किया गया था।

साहित्य अकादमी फेलोशिप

  • साहित्य अकादमी द्वारा भारतीय साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान के सम्मान में तथा अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों को भारतीय साहित्य एवं संस्कृति पर शोध करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये चार प्रकार की फैलोशिप प्रदान की जाती है।

      फेलोशिप 

          विवरण

साहित्य अकादमी फेलोशिप

  • भारत में सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान, "भारतीय साहित्य के अमर व्यक्तित्व" को प्रदान किया जाता है।
  • किसी भी समय केवल 21 अध्येता ही चुने जा सकते हैं।

साहित्य अकादमी मानद फेलोशिप

  • गैर-भारतीय विद्वान जिन्होंने भारतीय साहित्य में महत्त्वपूर्ण  योगदान दिया है।
  • किसी भी समय 10 मानद अध्येताओं तक सीमित।

प्रेमचंद फेलोशिप 

  • भारत के अलावा दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) देशों के रचनात्मक लेखकों को भारतीय साहित्य एवं संस्कृति पर शोध करने हेतु।
  • मुंशी प्रेमचंद की 125वीं जयंती के दौरान वर्ष 2005 में शुरुआत।
  • 1-3 महीने के लिये सहायता राशि, यात्रा और आवास की सुविधा।

आनंद कुमारस्वामी फेलोशिप

  • साहित्यिक परियोजनाओं में लगे एशियाई विद्वानों (भारतीयों को छोड़कर) के लिये।
  • वर्ष 1996 में स्थापित, 2005 में पुनर्जीवित।
  • प्रेमचंद फेलोशिप के समान सहायता।

और पढ़ें:  साहित्य अकादमी पुरस्कार 2023

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2009)

  1. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्थापना वर्ष 1959 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा की गई थी। 
  2. साहित्य अकादमी द्वारा किसी लेखक को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान उसे अपना फेलो चुनकर दिया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


दिल्ली के मुख्यमंत्री को अंतरिम ज़मानत

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

मार्च 2024 में दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को अंतरिम ज़मानत प्रदान की है।

  • न्यायालय ने कहा कि अस्थायी रिहाई, जिसे "अंतरिम ज़मानत" के रूप में जाना जाता है, कुछ मामलों में दी जा सकती है जहाँ बाध्यकारी कारण और आधार हों, तथापि नियमित ज़मानत को उचित नहीं माना जाता है।
    • ज़मानत मुकदमे की प्रतीक्षा कर रहे अभियुक्त व्यक्ति की अस्थायी रिहाई होती है, जो आमतौर पर न्यायालय को एक निर्धारित राशि का भुगतान करने पर दी जाती है।
    • ज़मानत का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि अभियुक्त न्यायालय में अपनी पेशी के लिये वापस आएंगे।
    • कथित अपराध की गंभीरता, प्रतिवादी के आपराधिक इतिहास और भागने की संभावना जैसे कारकों के आधार पर ज़मानत आमतौर पर न्यायालय द्वारा उसके विवेकाधिकार से दी जाती है।
    • अंतरिम ज़मानत किसी मामले के लंबित रहने के दौरान अस्थायी रूप से दी जाती है जब नियमित ज़मानत तुरंत प्राप्त नहीं की जा सकती।
    • "अंतरिम ज़मानत" शब्द को दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।

bail and related provisions in india

और पढ़ें: पैरोल और फर्लो के लिये संशोधित दिशानिर्देश: गृह मंत्रालय


तरल नाइट्रोजन

स्रोत: द हिंदू

तमिलनाडु खाद्य सुरक्षा विभाग ने तरल नाइट्रोजन के उपयोग पर एक परिपत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि इस पदार्थ का उपयोग केवल पैकेज्ड भोजन को संरक्षित करने के लिये किया जा सकता है और इसके अलावा इसका उपयोग निषिद्ध है।

  • तरल नाइट्रोजन का उपयोग मुख्य रूप से खाद्य परिरक्षकों के रूप में किया जाता है क्योंकि यह पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की शेल्फ-लाइफ को बढ़ाता है।
    • It expands 700 times when it evaporates, displacing oxygen in the food pack and preventing microbial action, improving shelf life and freshness.
    • वाष्पित होने पर यह 700 गुना तक प्रसारित हो सकता है, फूड पैक में ऑक्सीजन को विस्थापित करता है और माइक्रोबियल एक्शन (microbial action) को रोकता है, जिससे शेल्फ लाइफ तथा पदार्थ की ताज़गी में सुधार होता है।
    • यह एक अक्रिय, रंगहीन, गंधहीन क्रायोजेनिक द्रव होता है।
  • इसका उपयोग कैंसर के इलाज़ के लिये क्रायोथेरेपी में भी किया जाता है। यह त्वचा, हड्डी, स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, आँख, गुर्दे, यकृत, फेफड़े और प्रोस्टेट सहित कई कैंसर का इलाज कर सकता है।

नाकुरू बाँध

स्रोत: डाउन टू अर्थ

केन्या ने हाल ही में रिपोर्ट दी है कि टोंगी नदी की ओर जलधारा को मोड़ने वाली एक अंडरपास सुरंग में अत्यधिक रुकावट के कारण नाकुरू बाँध को विनाशकारी विफलता का सामना करना पड़ा है।

  • यह रुकावट अत्यधिक वर्षा, मलबे, पत्थरों और मिट्टी के जमा होने के कारण हुई।
  • इसके पड़ोसी देशों जैसे तंज़ानिया, युगांडा, इथियोपिया व सोमालिया जैसे देशों में भी अत्यधिक वर्षा और बाढ़ जैसी आपदाओं के विनाशकारी परिणाम हुए हैं।

Kenya_map

  • केन्या पूर्वी अफ्रीका में स्थित है। इसका भूभाग हिंद महासागर के निचले तटीय मैदान से लेकर इसके केंद्र में पहाड़ों और पठारों तक फैला हुआ है।
    • यह मसाई मारा सहित अपने वन्यजीव आवासों के लिये प्रसिद्ध है, जहाँ कई जंगली जानवरों और ज़ेब्रा वार्षिक तौर पर प्रवास करते हैं।
    • मानवों के सर्वप्रथम पूर्वजों में से एक की अस्थियाँ  केन्या के तुर्काना बेसिन में खोजी गई थीं।
      • यह एक होमो इरेक्टस (Homo erectus) था जोकि "तुर्काना बॉय" का नाम से दिया गया।
  • UN-हैबिटेट का मुख्यालय केन्या के नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में स्थित है।

और पढ़ें: भारत-केन्या संबंध


विश्व ल्यूपस दिवस 2024

स्रोत: बिज़नेस स्टेंडर्ड 

विश्व ल्यूपस दिवस हर साल 10 मई को मनाया जाता है, यह एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य ल्यूपस से पीड़ित व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालना है। यह जटिल स्व-प्रतिरक्षित बीमारी दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है।

  • ल्यूपस प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के ऊतकों और अंगों पर हमला करने का कारण बनती है, जिससे जोड़ों में दर्द, चकत्ते, बुखार और थकान जैसे लक्षण सामने आते हैं। इसके परिणामस्वरूप ऑस्टियोपोरोसिस और हृदय संबंधी बीमारी जैसी गंभीर जटिलताएँ भी हो सकती हैं।
    • आनुवंशिकी, धूम्रपान, हार्मोन, पर्यावरणीय प्रभाव और तनाव जैसे कारक ल्यूपस विकसित होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  • विश्व ल्यूपस फेडरेशन द्वारा वर्ष 2004 में स्थापित, विश्व ल्यूपस दिवस का उद्देश्य ल्यूपस रोगियों को  जागरूक करना और वैश्विक समर्थन जुटाना है।
  • विश्व भर में लगभग 5 मिलियन पीड़ितों के साथ यह दिन ल्यूपस के लिये बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, विस्तृत शोध, शीघ्र निदान और बेहतर उपचार की आवश्यकता पर ज़ोर देता है। इसका उद्देश्य इस संभावित घातक बीमारी से होने वाली पीड़ा को कम करने के लिये संगठनों और व्यक्तियों को एकजुट करना भी है।

चीन का उच्च ऊर्जा फोटॉन स्रोत

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

चर्चा में क्यों? 

चीन चौथी पीढ़ी के अत्याधुनिक सिंक्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत, उच्च उर्जा फोटॉन स्रोत (High Energy Photon Source- HEPS) के निर्माण के साथ एक बड़ी वैज्ञानिक सफलता प्राप्त कर सकता है।

  • यह विकास चीन को विश्व के कुछ सबसे स्पष्ट X-rays का सृजन करने में सक्षम देशों के चुनिंदा समूह में शामिल करेगा।

नोट: 

  • सिंक्रोट्रॉन फुटबॉल स्टेडियम के आकार की एक बड़ी गोलाकार कण त्वरक है, जो मज़बूत चुंबकीय क्षेत्र के साथ सुरंगों के अंदर एक गोलाकार कक्ष में यात्रा करने के लिये उच्च-ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों को प्रोत्साहित करता है और इनका उपयोग करके प्रकाश की तीव्र किरणें उत्पन्न करता है।
    • इस प्रकाश का उपयोग सामग्रियों के अंतरतम रहस्यों को उजागर करने के लिये किया जाता है, जिससे चिकित्सा, कृषि और सामग्री विज्ञान में प्रगति होती है।

HEPS सुविधा क्या है?

  • परिचय:
    • चीन का उच्च ऊर्जा फोटॉन स्रोत (High Energy Photon Source- HEPS) लगभग हुआइरौ में स्थित है, इस त्वरक को इसके 1.36 किलोमीटर की परिधि भंडारण रिंग के भीतर 6 गीगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट की ऊर्जा तक इलेक्ट्रॉनों की गति को तेज़ करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • HEPS की मुख्य विशेषताएँ: 
    • HEPS उच्च-ऊर्जा वाली X-rays का सृजन करेगा जो नमूनों में गहराई से प्रवेश कर सकता है और नैनोमीटर पैमाने पर जटिल विवरण प्रकट कर सकता है।
    • तकनीकी विशिष्टताएँ:
      • इलेक्ट्रॉन त्वरण: 6 गीगाइलेक्ट्रॉन वोल्ट तक।
      • टाइम रिज़ॉल्यूशन: तीसरी पीढ़ी के सिंक्रोट्रॉन से 10,000 गुना बेहतर, नैनोसेकंड में माप को सक्षम बनाता है।
      • बीमलाइंस: प्रारंभ में 14 से 90 तक विस्तार करने की क्षमता के साथ।
    • वैज्ञानिक प्रभाव:
      • नैनोमीटर-स्तर पर अध्ययन: वास्तविक समय में आणविक एवं परमाणु संरचनाओं के अध्ययन करने की क्षमता।
        • इससे प्रोटीन के छोटे क्रिस्टल सहित सूक्ष्म नमूनों का विश्लेषण किया जा सकता है, जोकि चुनौतीपूर्ण हैं।
      • व्यापक क्षेत्रों में अनुप्रयोग: इससे बायोमेडिसिन, ऊर्जा, उन्नत सामग्री के साथ संघनित पदार्थ भौतिकी जैसे क्षेत्रों में लाभ होगा।
      • परीक्षण सुविधा में तीव्रता: अधिक समय में होने वाले परीक्षण इसके माध्यम से तीव्रता से हो सकते हैं।
  • चुनौतियाँ:
    • एक्स-रे बीम की स्थिरता: यह सुनिश्चित करना कि एक्स-रे बीम व्यावहारिक उपयोग के लिये पर्याप्त रूप से स्थिर है, इसके लिये सावधानीपूर्वक, चरण-दर-चरण समायोजन की आवश्यकता होती है।
    • तकनीकी परिशुद्धता: बीम की चमक और स्थिरता बनाए रखने के लिये हज़ारों घटकों को संरेखित करने की प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण है।

HEPS की तुलना अन्य सिंक्रोट्रॉन से कैसे की जाती है?

  • चीन में वर्तमान स्थिति: HEPS चीन के वर्तमान में सबसे उन्नत सिंक्रोट्रॉन, शंघाई सिंक्रोट्रॉन विकिरण सुविधा को पीछे छोड़ देगा।
  • वैश्विक संदर्भ: विश्व भर में चौथी पीढ़ी वाली केवल कुछ ही सिंक्रोट्रॉन सुविधाएँ हैं, जिनमें निम्नलिखित सिंक्रोट्रॉन सम्मिलत हैं:
    • मैक्स IV प्रयोगशाला (लुंड, स्वीडन), सीरियस (कैंपिनास, ब्राज़ील), एक्सट्रीमली ब्रिलियंट सोर्स (ग्रेनोबल, फ्राँस) और एडवांस्ड फोटॉन सोर्स (लेमोंट, इलिनोइस)।
  • भारत में सिंक्रोट्रॉन:
    • भारत के पास इंदौर में स्थित राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (RRCAT) में दो सिंक्रोट्रॉन विकिरण स्रोत हैं।
      • इंडस-1:
        • यह एक 450 MeV स्रोत है जो 1999 से कार्यरत है तथा एक्स-रे एवं वैक्यूम पराबैंगनी (VUV) क्षेत्रों में उत्सर्जित करता है।
      • इंडस-2:
        • इंडस-2, 2.5 GeV ऊर्जा और 200 mA बीम करंट के साथ स्वदेशी रूप से निर्मित तीसरी पीढ़ी का सिंक्रोट्रॉन विकिरण स्रोत (SRS) है, जो राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (RRCAT), इंदौर में संचालित किया जाता है।
        • इसमें चुंबकों पर आधारित 21 बीमलाइनों तथा सम्मिलन उपकरणों पर आधारित 5 अतिरिक्त बीमलाइनों को लगाया गया है।

संयुक्त सैन्य अभ्यास शक्ति का 7वाँ संस्करण

स्रोत: पी.आई.बी.

भारत और फ्राँस के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास शक्ति के 7वें संस्करण की शुरुआत मेघालय के उमरोई में हुई, जो सामरिक क्षमताओं को बढ़ाने में एक महत्त्वपूर्ण सहयोग का प्रतीक है।। 

  • युद्धाभ्‍यास ‘शक्ति’ एक द्विवार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है जो क्रमिक रूप से भारत तथा फ्राँस में आयोजित किया जाता है। इसका पिछला संस्करण नवंबर 2021 में फ्राँस में आयोजित किया गया था।
  • फोकस क्षेत्र: शक्ति अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र अधिदेश के अध्याय VII के तहत उप-पारंपरिक परिदृश्य में बहु-क्षेत्रीय ऑपरेशन हेतु दोनों पक्षों की संयुक्त सैन्य क्षमता में वृद्धि करना है।
    • इस दौरान संयुक्त अभ्यास में अर्द्ध-शहरी और पहाड़ी इलाकों में संचालनों पर ध्‍यान केंद्रित किया जाएगा।
  • सामरिक उद्देश्य: सामरिक अभ्यास में आतंकवादी कार्रवाइयों पर प्रतिक्रिया, संयुक्त कमांड पोस्ट और खुफिया एवं निगरानी केंद्रों की स्थापना, तत्परता तथा समन्वय पर ज़ोर देना शामिल शामिल है।
  • फ्राँस और भारत के बीच अन्य संयुक्त अभ्यास: अभ्यास वरुण, अभ्यास गरुड़ और अभ्यास डेज़र्ट नाइट

FRANCE

और पढ़ें: भारत-फ्राँस संबंध