प्रारंभिक परीक्षा
तबला वादक ज़ाकिर हुसैन
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रसिद्ध तबला वादक ज़ाकिर हुसैन का इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) की जटिलताओं के कारण निधन हो गया।
ज़ाकिर हुसैन के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- प्रारंभिक जीवन: 9 मार्च, 1951 को जन्मे ज़ाकिर हुसैन, महान तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र थे।
- उन्होंने सात वर्ष की आयु में तबला प्रशिक्षण शुरू किया।
- योगदान: पश्चिमी संगीतकारों के साथ उनके सहयोग, विशेष रूप से अंग्रेज़ी गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, वायलिन वादक एल. शंकर एवं तालवादक टीएच 'विक्कु' विनायकराम के साथ वर्ष 1973 की परियोजना से भारतीय शास्त्रीय संगीत वैश्विक मंच तक पहुँचा।
- पुरस्कार: उन्होंने चार ग्रैमी अवॉर्ड जीते, जिनमें वर्ष 2024 के 66वें ग्रैमी अवॉर्ड के तीन अवॉर्ड शामिल हैं। उन्हें पद्म श्री (1988), पद्म भूषण (2002) और पद्म विभूषण (2023) से भी सम्मानित किया गया।
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) क्या है?
- IPF एक फेफड़ों की बीमारी है जिसके कारण फेफड़ों में वायु कोष्ठक क्षतिग्रस्त और रेशेदार हो जाने से ऑक्सीजन का कुशलतापूर्वक आदान-प्रदान करने की उनकी क्षमता बाधित हो जाती है।
- इसमें फेफड़ों में एल्वियोली के आस-पास के ऊतक मोटे एवं कठोर हो जाते हैं।
- एल्वियोली, ब्रोन्किओल्स के अंत में स्थित छोटे वायु कोष्ठक हैं जो रक्तप्रवाह के साथ ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान करने में सहायक हैं।
- इसमें फेफड़ों में एल्वियोली के आस-पास के ऊतक मोटे एवं कठोर हो जाते हैं।
- कारण: IPF का स्पष्ट कारण अज्ञात है इसलिये इसे "इडियोपैथिक" कहा जाता है जिसका अर्थ है अस्पष्टीकृत।
- जोखिम कारक: IPF पुरुषों एवं वर्तमान या पूर्व में धूम्रपान करने वालों के बीच अधिक सामान्य है। यह आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों को प्रभावित करता है।
- इसके अन्य जोखिम कारकों में आनुवंशिक कारक, सिगरेट पीने जैसे जोखिम और वायरल संक्रमण शामिल हैं।
तबला
- तबला हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में प्रयुक्त होने वाला एक ताल वाद्य यंत्र है जिसमें ढोल की एक जोड़ी शामिल होती है। इसमें अलग-अलग आकारों और मापों के दो एकल सिरों वाले ढोल होते हैं।
- ऐसा माना जाता है कि अमीर खुसरो ने तबले का आविष्कार किया था।
- तबला निर्माण: तबला लकड़ी का बना होता है जिस पर पशु की खाल चढ़ी होती है।
- तबले की सतह का मध्य भाग स्याही लेप से ढका होता है जो ढोल को सुर देने में सहायक होता है।
- इसमें बाएँ ढोल का आवरण मिट्टी या धातु से बना होता है तथा इसे स्याही लेप के साथ पशु की खाल से ढका जाता है।
- संगीत भूमिका: तबले का प्रयोग मुख्य रूप से गायन एवं वाद्य हिंदुस्तानी संगीत के साथ-साथ उत्तर भारत की विभिन्न नृत्य शैलियों में किया जाता है।
- प्रमुख संगीतकार: प्रसिद्ध तबला वादकों में उस्ताद अल्ला रक्खा खान, उनके बेटे ज़ाकिर हुसैन, शफत अहमद तथा समता प्रसाद शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: मांगणियार नामक लोगों का एक समुदाय किसके लिये प्रसिद्ध है? (2014) (a) पूर्वोत्तर भारत की मार्शल आर्ट उत्तर: (b) |
रैपिड फायर
मालिबू वनाग्नि
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
हाल ही में, कैलिफोर्निया के मालिबू में फ्रैंकलिन फायर नामक विनाशकारी वनाग्नि के चलते निवासियों को तुरंत क्षेत्र खाली करना पड़ा और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी।
- विशेषज्ञों का मानना है कि फ्रैंकलिन फायर की विनाशकारिता के पीछे "सांता एना" पवनों और जलवायु परिवर्तन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
- सांता एना पवनें तब उत्पन्न होती हैं जब ग्रेट बेसिन (रॉकी पर्वत और सिएरा नेवादा के बीच का क्षेत्र) पर उच्च दाब तथा कैलिफोर्निया के तट पर निम्न दाब के कारण अंतर्देशीय मरुस्थलों से पर्वतों के ऊपर प्रशांत महासागर तक तीव्र पवनें चलती हैं।
- ये पवनें आमतौर पर अक्तूबर से जनवरी तक चलती हैं।
- वनाग्नि: वनाग्नि प्राकृतिक क्षेत्रों जैसे कि वनों या घास के मैदानों में लगी अनियंत्रित, अनियोजित आग है, जो वायु और स्थलाकृति जैसे पर्यावरणीय कारकों के कारण तेज़ी से फैलती है।
- वनाग्नि के प्रकार:
- भारतीय परिदृश्य:
- भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा जारी ISFR 2021 के अनुसार, 35.47% वन क्षेत्र को आग प्रवण के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- वनाग्नि की सबसे अधिक घटनाएँ मिज़ोरम (3,738), मणिपुर (1,702), असम (1,652), मेघालय (1,252) और महाराष्ट्र (1,215) में दर्ज की गई हैं।
- सरकारी पहल:
- भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा जारी ISFR 2021 के अनुसार, 35.47% वन क्षेत्र को आग प्रवण के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
और पढ़ें: वनाग्नि
रैपिड फायर
इंडियन लाइट टैंक (ILT) ज़ोरावर
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
इंडियन लाइट टैंक (ILT), जिसे ज़ोरावर के नाम से भी जाना जाता है, ने 4,200 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर फायरिंग परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
- इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) तथा लार्सन एंड टुब्रो (L&T) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है, जिसमें उच्च ऊँचाई वाले युद्ध और तीव्र तैनाती के लिये विभिन्न सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का योगदान भी शामिल है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- उच्च ऊँचाई पर प्रदर्शन: लद्दाख के कठिन भूभाग में, इसने विभिन्न रेंजों पर कई राउंड सटीक फायरिंग करते हुए उल्लेखनीय गतिशीलता और विश्वसनीयता दिखाई है।
- एयरलिफ्ट क्षमता: भारतीय वायु सेना द्वारा टैंक की एयरलिफ्टिंग क्षमता के प्रदर्शन का भी परीक्षण किया गया ताकि दुर्गम स्थानों पर त्वरित तैनाती की जा सके।
- महत्त्व: यह स्वदेशी नवाचार के साथ भारत की पर्वतीय युद्ध क्षमताओं को मज़बूत करता है, हवाई परिवहन क्षमता, उच्च कोण पर फायरिंग और बढ़ी हुई गतिशीलता के लिये सीमित रूप से हथियार प्रक्षेप्य (तोपखाने) की भूमिका प्रदान करता है।
और पढ़ें: रक्षा प्रौद्योगिकी
रैपिड फायर
मिर्ज़ा गालिब की जयंती
स्रोत: प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया
हाल ही में, प्रसिद्ध कवि मिर्ज़ा गालिब की जयंती के अवसर पर साहित्य कला परिषद द्वारा दिल्ली में ‘रिमेम्बरिंग गालिब’ नामक तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- साहित्य कला परिषद दिल्ली सरकार की एक सांस्कृतिक शाखा है, जिसकी स्थापना वर्ष 1968 में दिल्ली में कला और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिये की गई थी।
मिर्ज़ा गालिब:
- मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग खान जिन्हें गालिब के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 27 दिसंबर, 1797 को हुआ था।
- वह एक प्रसिद्ध उर्दू और फारसी कवि थे, उनका वंश ऐबक तुर्कों से जुड़ा हुआ था।
- उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में विवाह कर लिया और दिल्ली में बस गए।
- वर्ष 1850 में मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फर द्वितीय द्वारा उन्हें दबीर-उल-मुल्क और नज्म-उद-दौला की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- उन्हें कविता और इतिहासकार का शाही शिक्षक नियुक्त किया गया।
- वर्ष 1869 में गालिब की मृत्यु के बाद उन्हें हज़रत निज़ामुद्दीन में चिश्ती संप्रदाय के प्रसिद्ध सूफी संत निज़ामुद्दीन औलिया की कब्र के पास दफनाया गया।
- उन्होंने उर्दू पत्र लेखन को और अधिक संवादपूर्ण बना दिया।
और पढ़ें: मध्यकालीन और आधुनिक भारतीय साहित्य
रैपिड फायर
मायोट में चक्रवात चिडो
स्रोत: डाउन टू अर्थ
हाल ही में चक्रवात चिडो से मोजाम्बिक चैनल (हिंद महासागर) में स्थित फ्राँसीसी हिंद महासागर क्षेत्र (मायोट) प्रभावित हुआ।
मायोट:
- इसमें कोमोरोस द्वीपसमूह के दो द्वीप शामिल हैं, जिनमें मुख्य द्वीप मायोट (या ग्रांड टेरे) और छोटा द्वीप पामांडज़ी (पेटाइट टेरे) है।
- यह फ्राँस और यूरोपीय संघ दोनों का सबसे निर्धन क्षेत्र है।
- फ्राँस ने वर्ष 1843 में मायोट को उपनिवेश बनाया तथा वर्ष 1904 में कोमोरोस सहित पूरे द्वीपसमूह पर कब्ज़ा कर लिया।
- वर्ष 1974 के जनमत संग्रह में 95% लोगों ने अलग होने का समर्थन किया, लेकिन मायोट के 63% लोगों ने फ्राँसीसी बने रहने के पक्ष में मतदान किया।
- ग्रांड कोमोर, अंजुआन और मोहेली द्वारा वर्ष 1975 में स्वतंत्रता की घोषणा की गई। मायोट पर अभी भी पेरिस से शासन किया जाता है।
और पढ़ें: चक्रवात, चागोस द्वीपसमूह और डिएगो गार्सिया द्वीप
रैपिड फायर
सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जो 15 दिसंबर, 1950 को हुई थी।
- उनके अडिग संकल्प और दृढ़ दृष्टिकोण के कारण उन्हें व्यापक रूप से "भारत के लौह पुरुष" के रूप में मान्यता प्राप्त है, और उन्हें राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
राजनीतिक उपलब्धियाँ:
- खेड़ा सत्याग्रह (1918): उन्होंने सूखे के कारण खराब फसल से प्रभावित किसानों के लिये कर छूट की मांग करते हुए खेड़ा सत्याग्रह में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- बारदोली सत्याग्रह (1928): बारदोली सत्याग्रह के दौरान अनुचित कर वृद्धि के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन किया, जिसके कारण उन्हें इस नेतृत्व के लिये "सरदार" की उपाधि प्रदान की गई।
- गांधीजी के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया और इसमें शामिल होने के कारण उन्हें कई बार कारावास के दंड का भी सामना करना पड़ा।
- उन्होंने कराची में वर्ष 1931 के कॉन्ग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की तथा गांधी-इरविन समझौते, मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम पर प्रस्ताव के संबंध में चर्चाओं का नेतृत्व किया।
- उन्होंने लगभग 562 रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने का नेतृत्व किया, जिससे लाखों लोगों के लिये स्थिरता और लोकतंत्र सुनिश्चित हुआ।
- राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस (21 अप्रैल) सरदार पटेल के 1947 के भाषण का सम्मान करता है, जिसमें उन्होंने सिविल सेवकों को "भारत का इस्पाती ढाँचा" कहा था तथा लोकसेवा के प्रति उनके समर्पण को सुदृढ़ किया था।
- उन्होंने संविधान सभा में मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यक तथा जनजातीय एवं अपवर्जित क्षेत्रों पर सलाहकार समिति की अध्यक्षता की।
- 31 अक्तूबर, 2018 को सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देने के लिये विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन गुजरात के केवडिया में किया गया, जिसकी ऊँचाई 182 मीटर (600 फीट) है।
और पढ़ें: सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती
रैपिड फायर
श्री पोट्टी श्रीरामुलु
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तेलुगू लोगों के लिये शहीद श्री पोट्टी श्रीरामुलु के बलिदान को याद करने के लिये उनके सम्मान में एक तेलुगू विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की।
- श्री पोट्टी श्रीरामुलु को मद्रास से तेलुगू भाषी राज्य की वकालत करने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिये सम्मानित किया जाता है। 15 दिसंबर को उनके बलिदान के कारण भारत में भाषायी राज्यों का निर्माण हुआ।
- 56 दिनों के उपवास के बाद उनकी मृत्यु से व्यापक हिंसा हुई, जिसके कारण सरकार को राज्य पुनर्गठन आयोग (दिसंबर 1953) का गठन करना पड़ा, जिसके फलस्वरूप अक्तूबर 1953 में आंध्र प्रदेश का निर्माण हुआ।
- श्रीरामुलु ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण जेल गए तथा भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया।
- वह महात्मा गांधी के समर्पित अनुयायी और प्रबल समर्थक थे। वह येरनेनी सुब्रह्मण्यम द्वारा स्थापित कोमारवोलू में गांधी आश्रम में भी शामिल हुए।
- उन्होंने नेल्लोर के मूलपेटा स्थित वेणु गोपाल स्वामी मंदिर में दलितों के प्रवेश के अधिकार के समर्थन में अनशन किया, जिसे अंततः स्वीकार कर लिया गया।
और पढ़ें: राज्य का दर्जा की मांग