ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 809वें उर्स के अवसर पर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की अजमेर शरीफ दरगाह पर प्रधानमंत्री की ओर से एक 'चादर' भेंट की गई।
- उर्स त्योहार राजस्थान के अजमेर में आयोजित किया जाने वाला एक वार्षिक उत्सव है जो सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि पर में मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
सूफीवाद का संक्षिप्त परिचय:
- यह इस्लामी रहस्यवाद का एक रूप है जो वैराग्य पर ज़ोर देता है।
- इसमें ईश्वर के प्रति समर्पण और भौतिकता से दूर रहने पर बल दिया गया है।
- सूफीवाद में बोध की भावना द्वारा ईश्वर की प्राप्ति के लिये आत्म अनुशासन को एक आवश्यक शर्त माना जाता है।
- रूढ़िवादी मुसलमानों के विपरीत जो कि बाहरी आचरण पर ज़ोर देते हैं, सूफियों ने आंतरिक शुद्धता पर ज़ोर दिया।
- सूफी मानते हैं कि मानवता की सेवा करना ईश्वर की सेवा के समान है।
शब्द व्युत्पत्ति:
- 'सूफी' शब्द संभवतः अरबी के 'सूफ' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है 'वह जो ऊन से बने कपड़े पहनता है'। इसका एक कारण यह है कि ऊनी कपड़ों को आमतौर पर फकीरों से जोड़कर देखा जाता था। इस शब्द का एक अन्य संभावित मूल 'सफा' है जिसका अरबी में अर्थ 'शुद्धता' है।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती:
- मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का जन्म वर्ष 1141-42 ई. में ईरान के सिज़िस्तान (वर्तमान सिस्तान) में हुआ था।
- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने वर्ष 1192 ई. में अजमेर में रहने के साथ ही उस समय उपदेश देना शुरू किया, जब मुहम्मद गोरी (मुईज़ुद्दीन मुहम्मद बिन साम) ने तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हराकर दिल्ली में अपना शासन स्थापित कर लिया था।
- आध्यात्मिक ज्ञान से भरपूर उनके शिक्षाप्रद प्रवचनों ने शीघ्र ही स्थानीय आबादी के साथ-साथ सुदूर इलाकों में राजाओं, रईसों, किसानों और गरीबों को आकर्षित किया।
- अजमेर में उनकी दरगाह पर मुहम्मद बिन तुगलक, शेरशाह सूरी, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ, दारा शिकोह और औरंगज़ेब जैसे शासकों ने जियारत की।
चिश्ती सिलसिला (चिश्तिया):
- भारत में चिश्ती सिलसिले की स्थापना ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती द्वारा की गई थी।
- इसने ईश्वर के साथ एकात्मकता (वहदत अल-वुजुद) के सिद्धांत पर ज़ोर दिया और इस सिलसिले के सदस्य शांतिप्रिय थे।
- उन्होंने सभी भौतिक वस्तुओं को ईश्वर के चिंतन से भटकाव/विकर्षण के साधन के रूप में खारिज कर दिया।
- उन्होंने धर्मनिरपेक्ष राज्य के साथ संबंधों से दूरी बनाए रखने पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने ईश्वर के नाम को ज़ोर से बोलकर और मौन रहकर (dhikr jahrī, dhikr khafī) जपने, दोनों द्वारा चिश्ती सिलसिले की आधारशिला स्थापित की।
- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के शिष्यों जैसे- ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी, फरीदउद्दीन गंज-ए-शकर, निज़ामुद्दीन औलिया और नसीरुद्दीन चराग आदि ने चिश्ती की शिक्षाओं को लोकप्रिय बनाने तथा इसे आगे बढ़ाने का कार्य किया।
अन्य प्रमुख सूफी सिलसिले:
- सुहरावर्दी सिलसिला (Suhrawardi Order):
- इसकी स्थापना शेख शहाबुद्दीन सुहरावार्दी मकतूल द्वारा की गई थी।
- चिश्ती सिलसिले के विपरीत सुहरावर्दी सिलसिले को मानने वालों ने सुल्तानों/राज्य के संरक्षण/अनुदान को स्वीकार किया।
- नक्शबंदी सिलसिला:
- इसकी स्थापना ख्वाजा बहा-उल-दीन नक्सबंद द्वारा की गई थी।
- भारत में इस सिलसिले की स्थापना ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंदी ने की थी।
- शुरुआत से ही इस सिलसिले के फकीरों ने शरियत के पालन पर ज़ोर दिया।
- क़दिरिया सिलसिला:
- यह पंजाब में लोकप्रिय था।
- इसकी स्थापना शेख अब्दुल कादिर गिलानी द्वारा 14वीं शताब्दी में की गई थी ।
- वे अकबर के अधीन मुगलों के समर्थक थे।