प्रारंभिक परीक्षा
चुनाव चिन्ह
चुनाव आयोग ने आगामी उपचुनाव के लिये महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्त्व वाले शिवसेना गुट को "दो तलवारों के साथ ढाल"का चुनाव चिन्ह आवंटित किया।
- चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों को मान्यता देने और चुनाव चिन्ह आवंटित करने का अधिकार प्रदान करता है।
चुनाव चिन्हों से संबंधित प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- चुनावी/चुनाव चिन्ह किसी राजनीतिक दल को आवंटित एक मानकीकृत प्रतीक है।
- उनका उपयोग पार्टियों द्वारा अपने प्रचार अभियान के दौरान किया जाता है और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVMs) पर दर्शाया जाता है, जिससे मतदाता संबंधित पार्टी के लिये चिन्ह का चुनाव कर मतदान कर सकता है।
- इन्हें निरक्षर लोगों के लिये मतदान की सुविधा हेतु प्रस्तुत किया गया था, जो मतदान करते समय पार्टी का नाम नहीं पढ़ पाते।
- 1960 के दशक में यह प्रस्तावित किया गया था कि चुनावी प्रतीकों का विनियमन, आरक्षण और आवंटन संसद के एक कानून यानी प्रतीक आदेश के माध्यम से किया जाना चाहिये।
- इस प्रस्ताव के जवाब में निर्वाचन आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों की मान्यता की निगरानी चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के प्रावधानों द्वारा की जाती है और इसी के अनुसार चिह्नों का आवंटन भी होगा।
- निर्वाचन आयोग, चुनाव के उद्देश्य से राजनीतिक दलों को पंजीकृत करता है और उनके चुनावी प्रदर्शन के आधार पर उन्हें राष्ट्रीय या राज्य पार्टियों के रूप में मान्यता देता है। अन्य पार्टियों को केवल पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों के रूप में घोषित किया जाता है।
- राष्ट्रीय या राज्य पार्टियों के रूप में मान्यता कुछ विशेषाधिकारों को पार्टियों के अधिकार के रूप में निर्धारित करती है जैसे- पार्टी प्रतीकों का आवंटन, टेलीविज़न और रेडियो स्टेशनों पर राजनीतिक प्रसारण के लिये समय का प्रावधान तथा मतदाता सूची तक पहुँच।
- प्रत्येक राष्ट्रीय दल और राज्य स्तरीय पार्टी को क्रमशः पूरे देश तथा राज्यों में उपयोग के लिये विशेष रूप से आरक्षित एक प्रतीक चिह्न आवंटित किया जाता है।
- चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968:
- आदेश के पैराग्राफ 15 के तहत चुनाव आयोग प्रतिद्वंद्वी समूहों या किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के वर्गों के बीच विवादों का फैसला कर सकता है और इसके नाम तथा चुनाव चिह्न पर दावा कर सकता है।
- आदेश के तहत विवाद या विलय के मुद्दों का फैसला करने के लिये निर्वाचन आयोग एकमात्र प्राधिकरण है। सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने वर्ष 1971 में सादिक अली और एक अन्य बनाम ECI में इसकी वैधता को बरकरार रखा।
- यह मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य पार्टियों के विवादों पर लागू होता है।
- पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों में विभाजन के मामलों में चुनाव आयोग आमतौर पर विवाद में शामिल गुटों को अपने मतभेदों को आंतरिक रूप से हल करने या अदालत जाने की सलाह देता है।
- चुनाव आयोग द्वारा अब तक लगभग सभी विवादों में पार्टी के प्रतिनिधियों/ पदाधिकारियों, सांसदों और विधायकों के स्पष्ट बहुमत ने एक गुट का समर्थन किया है।
- वर्ष 1968 से पहले चुनाव आयोग ने चुनाव नियम, 1961 के संचालन के तहत अधिसूचना और कार्यकारी आदेश जारी किये।
- जिस दल को पार्टी का चिह्न मिला था, उसके अलावा पार्टी के अलग हुए समूह को खुद को एक अलग पार्टी के रूप में पंजीकृत कराना पड़ा।
- वे पंजीकरण के बाद राज्य या केंद्रीय चुनावों में अपने प्रदर्शन के आधार पर ही राष्ट्रीय या राज्य पार्टी की स्थिति का दावा कर सकते थे।
- आदेश के पैराग्राफ 15 के तहत चुनाव आयोग प्रतिद्वंद्वी समूहों या किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के वर्गों के बीच विवादों का फैसला कर सकता है और इसके नाम तथा चुनाव चिह्न पर दावा कर सकता है।
प्रारंभिक परीक्षा
भारतीय बाइसन (गौर)
हाल ही में श्रीलंका ने भारत से 6 भारतीय बाइसन को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया ताकि उन्हें उस द्वीप पर फिर से लाया जा सके, जहाँ वे 17 वीं शताब्दी के अंत तक गायब हो गए थे।
- अगर इस परियोजना को मंज़ूरी मिल जाती है तो यह भारत और श्रीलंका के बीच इस तरह का पहला समझौता होगा।
भारतीय बाइसन के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- विषय:
- भारतीय बाइसन या गौर (बोस गौरस) भारत में पाए जाने वाले जंगली मवेशियों की सबसे बड़ी प्रजाति है और यह सबसे बड़ा मौजूदा बोवाइन (गोजातीय) जीव है।
- दुनिया में गौर की संख्या लगभग 13,000 से 30,000 है, जिनमें से लगभग 85% भारत में मौजूद हैं।
- फरवरी 2020 में आयोजित प्रजातियों के लिये पहली बार जनसंख्या आकलन अभ्यास के परिणामों के अनुसार लगभग 2,000 भारतीय गौरों का नीलगिरी वन प्रभाग में होने का आकलन किया गया था।
- अवस्थिति:
- यह मूलतः दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है।
- भारत में वे पश्चिमी घाट में बहुत अधिक पाए जाते हैं।
- वे मुख्य रूप से नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, मासीनागुड़ी राष्ट्रीय उद्यान और बिलिगिरिरंगना हिल्स (बीआर हिल्स) में पाए जाते हैं।
- ये बर्मा और थाईलैंड में भी पाए जाते हैं।
- आवास:
- वे सदाबहार वन और आर्द्र पर्णपाती वन में रहते हैं।
- हालाँकि वे शुष्क पर्णपाती जंगलों में भी जीवित रह सकते हैं।
- वे 6,000 फीट से अधिक ऊँचाई वाले हिमालय में नहीं पाए जाते हैं।
- वे आम तौर पर केवल तलहटी में रहते हैं।
- वे सदाबहार वन और आर्द्र पर्णपाती वन में रहते हैं।
- खान-पान की आदतें:
- भारतीय बाइसन एक चरने वाला जानवर है और आम तौर पर सुबह जल्दी एवं देर शाम को भोजन करता है।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN की रेड लिस्ट में संवेदनशील।
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में शामिल है।
- खतरे:
- भोजन की कमी: घास के मैदानों के विनाश, व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण पौधों का वृक्षारोपण, आक्रामक पौधों की प्रजातियों और घरेलू पशुओं के अंधाधुंध चरने के कारण खाद्य संकट की स्थित उत्पन्न हो गई है।।
- अवैध शिकार: उनके व्यावसायिक मूल्य के साथ-साथ गौर मांस की उच्च मांग के कारण।
- पर्यावास हानि: वनों की कटाई और व्यावसायिक वृक्षारोपण के कारण।
- मानव-पशु संघर्ष: मानव बस्तियों के निकट रहने के कारण।
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
विश्व खाद्य दिवस
विश्व खाद्य दिवस, 16 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- FAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भुखमरी की समाप्ति के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्त्व करती है।
विश्व खाद्य दिवस 2022 की मुख्य विशेषताएँ:
- परिचय:
- यह वैश्विक स्तर पर भूख की समस्या का समाधान करने के लिये प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
- यह सतत् विकास लक्ष्य 2 (SDG 2) यानी ज़ीरो हंगर पर ज़ोर देता है।
- विषय: किसी को भी पीछे न छोड़ें (Leave No One Behind)।
- महत्त्व:
- एक वैश्विक समुदाय के रूप में, हम सभी को अपनी कृषि खाद्य प्रणालियों को अधिक समावेशी और टिकाऊ बनाकर पीछे छूटे लोगों को आगे लाने में भूमिका निभानी है।
- भूख से पीड़ित लोगों के लिये और सभी के लिये स्वस्थ आहार सुनिश्चित करने हेतु विश्वव्यापी जागरूकता और कार्रवाई को बढ़ावा देना।
- लोगों को कुपोषण और मोटापे के बारे में शिक्षित करने के लिये कई जागरूकता पहलें भी आयोजित की जाती हैं, जो दोनों प्रमुख स्वास्थ्य परिणामों का कारण बनती हैं।
विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार वैश्विक भूख की स्थिति:
- द हंगर हॉटस्पॉट्स आउटलुक (2022-23), एफएओ और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बढ़ती भूखमरी की भविष्यवाणी की गई है, क्योंकि 45 देशों में 205 मिलियन से अधिक लोगों को जीवित रहने के लिये आपातकालीन खाद्य सहायता की आवश्यकता है।
- ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फूड क्राइसिस द्वारा मई में जारी फूड क्राइसिस 2022 पर ग्लोबल रिपोर्ट ने रेखांकित किया कि 40 देशों में लगभग 180 मिलियन लोग अपरिहार्य खाद्य असुरक्षा का सामना करेंगे।
- वैश्विक भूख रिपोर्ट, 2022: वैश्विक स्तर पर, हाल के वर्षों में भुखमरी के खिलाफ प्रगति काफी हद तक स्थिर हो गई है, वर्ष 2022 में 18.2 का वैश्विक स्कोर था जो वर्ष 2014 के 19.1 की तुलना में केवल थोड़ा सुधार दर्शाता है,
- वैश्विक भुखमरी सूचकांक, 2022 में युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को छोड़कर भारत ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सभी देशों में सबसे खराब प्रदर्शन किया है।
- यह 121 देशों में 107 वें स्थान पर है।
- वैश्विक भुखमरी सूचकांक, 2022 में युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को छोड़कर भारत ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सभी देशों में सबसे खराब प्रदर्शन किया है।
सम्बद्ध भारतीय पहलें:
- स्वच्छ भारत अभियान, जल जीवन मिशन तथा अन्य प्रयासों के साथ ईट राइट इंडिया और फिट इंडिया जैसे अभियान भारतीयों के स्वास्थ्य में सुधार करेंगे एवं पर्यावरण को संतुलित कराने में मदद करेंगे।
- महत्त्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी वाली सामान्य किस्म की फसलों की कमियों को दूर करने के लिये फसलों की 17 नई बायोफोर्टिफाइड किस्मों की शुरुआत।
- उदाहरण: एमएसीएस 4028 गेहूंँ, मधुबन गाजर आदि।
- खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के दायरे का विस्तार और प्रभावी कार्यान्वयन।
- उन्हें और अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिये एपीएमसी (कृषि उपज बाज़ार समिति) अधिनियमों में संशोधन।
- यह सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाए जाएँ कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के रूप में लागत की डेढ़ गुना राशि मिले, यह सरकारी खरीद के साथ-साथ देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु महत्त्वपूर्ण है।
- किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के एक बड़े नेटवर्क का विकास।
- भारत में अनाज की बर्बादी के मुद्दे से निपटने के लिये आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन।
- सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के लक्ष्य से एक साल पहले 2022 तक भारत को ट्रांस फैट मुक्त बनाने का प्रयास कर रही है, साथ ही न्यू इंडिया @75 (भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष) के दृष्टिकोण के अनुरूप इसके साथ सामंजस्य बैठा रही है।
- ट्रांस फैट आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेलों (PHVO) (जैसे- वनस्पति, शॉर्टिंग, मार्जरीन आदि), पके हुए और तले हुए खाद्य पदार्थों में मौजूद एक खाद्य अवयव है।
- यह भारत में गैर-संचारी रोगों की वृद्धि में एक प्रमुख योगदानकर्त्ता है और कार्डियो-वैस्कुलर रोगों (सीवीडी) के लिये एक परिवर्तनीय जोखिम कारक भी है। सीवीडी जोखिम कारक को खत्म करना कोविड-19 के दौरान विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि सीवीडी पीड़ित लोगों के कारण मृत्यु दर पर प्रभाव डालने वाली गंभीर स्थिति उत्पन्न होने की संभावना होती है।
- FAO ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया।
- भोजन तक पहुँच में सुधार के लिये, विशेष रूप से कमज़ोर वर्ग के लिये, भारत सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) जैसे कार्यक्रम चलाती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन' के उद्देश्य हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) व्याख्या:
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स्रोत:द हिंदू
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 अक्तूबर, 2022
विश्व खाद्य दिवस
वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के स्थापना दिवस की याद में प्रत्येक वर्ष 16 अक्तूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। FAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भुखमरी की समाप्ति के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्त्व करती है। वर्ष 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने खाद्य उत्पादन और खपत में बदलाव के तरीकों पर चर्चा करने के लिये पहले खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। यह दिवस वैश्विक स्तर पर भूख की समस्या का समाधान करने के लिये प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह दिवस विश्व खाद्य कार्यक्रम (जिसे नोबेल शांति पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया गया था) और कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष जैसे संगठनों द्वारा भी मनाया जाता है। यह सतत् विकास लक्ष्य 2 (SDG 2) यानी ज़ीरो हंगर पर ज़ोर देता है। इसने पिछले दशकों में कुपोषण के खिलाफ भारत के प्रयासों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है जिसके मार्ग में कई बाधाएँ थीं। कम उम्र में गर्भावस्था, शिक्षा और जानकारी की कमी, पीने के पानी तक अपर्याप्त पहुँच, स्वच्छता की कमी आदि कारणों से भारत वर्ष 2022 तक "कुपोषण मुक्त भारत" के अपेक्षित परिणामों को प्राप्त करने में पिछड़ रहा है, जिसकी परिकल्पना राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत की गई है। विश्व खाद्य दिवस, 2022 की थीम: किसी को भी पीछे न छोड़ें (Leave No One Behind) है।
गुजरात में आयुष्मान कार्ड का वितरण
प्रधानमंत्री ने 17 अक्तूबर, 2022 को गुजरात में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री अमृतम आयुष्मान कार्ड के वितरण का शुभारम्भ किया। प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना के तहत गुजरात में सभी लाभार्थियों को उनके घर पर पचास लाख रंगीन मुद्रित आयुष्मान कार्ड वितरित किये गए। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में श्री मोदी ने वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री अमृतम योजना शुरू की थी। यह योजना गरीब नागरिकों को बीमारी के इलाज़ में होने वाले भयावह खर्च से बचाने के लिये लाई गई थी। वर्ष 2014 में इस योजना में उन परिवारों को भी शामिल किया गया जिनकी वार्षिक आय चार लाख रुपए तक है। बाद में इस योजना में कई अन्य समूहों को भी शामिल किया गया और इसका नाम मुख्यमंत्री अमृतम वात्सल्य योजना हो गया। योजना की सफलता को देखते हुए वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना शुरू की। इस योजना के तहत प्रति परिवार प्रति वर्ष पाँच लाख रुपए तक की कवरेज दी गई थी। वर्ष 2019 में गुजरात सरकार ने मुख्यमंत्री अमृतम वात्सल्य को आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना योजना के साथ जोड़ दिया।
विश्व आघात दिवस
यह प्रतिवर्ष 17 अक्तूबर को मनाया जाता है। सबसे नाज़ुक क्षणों के दौरान जीवन को बचाने और सुरक्षा के महत्त्व पर ध्यान केंद्रित करने की तैयारी एवं महत्त्वपूर्ण उपायों को अपनाने के लिये मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार विश्वभर में मृत्यु एवं विकलांगता का प्रमुख कारण आघात है। आघात का अर्थ"किसी भी तरह की शारीरिक एवं मानसिक चोट हो सकती है"। इस तरह की चोटों के कारणों की कई वज़ह जैसे कि सड़क दुर्घटना, आग, जलना, गिरना, प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाएँ और हिंसक कृत्य आदि हो सकते हैं इन सभी कारणों के मध्य विश्वभर में आघात का प्रमुख कारण सड़क यातायात दुर्घटना है।भारत में हर छह मिनट पर एक व्यक्ति सड़क दुर्घटना के कारण मौत का शिकार हो जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन हादसों से बचने के लिये यदि वाहन चालक सिर्फ ट्रैफिक नियम का पालन करें तो इसमें 60 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। देश में प्रतिवर्ष दस लाख लोग हेड इंजरी के शिकार होते हैं, जिनमें से 75 से 80 फ़ीसदी लोगों में सड़क दुर्घटना के कारण होती है। हेड इंजरी के शिकार 50 फीसदी लोग मर जाते हैं जिसमे से 25 फीसदी लोग विकलांग हो जाते हैं। इस विषय में कुछ सुरक्षात्मक एवं सावधानी तथा जागरूकता संबंधी उपाय किये जा सकते हैं साथ ही व्यक्ति द्वारा स्वयं से किसी भी प्रकार की लापरवाही न करने की अपेक्षा की जाती है। वैसे, इस प्रकार की स्थिति में आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर पर तुरंत कॉल कर तथा जल्द से जल्द पर्याप्त सहायता प्राप्त करना इसकी पहली शर्त है। यह बेहद महत्त्वपूर्ण है कि घायल व्यक्ति को एक घंटे के भीतर उचित चिकित्सा देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।