भारतीय अर्थव्यवस्था
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक,2020
- 23 Sep 2020
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प्रिलिम्स के लियेआवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020, आवश्यकता वस्तु अधिनियम 1955 मेन्स के लियेकृषि क्षेत्र के विकास हेतु सरकार द्वारा लिये गए महत्त्वपूर्ण निर्णय और उनके प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकसभा ने अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने के लिये आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- लोकसभा द्वारा पारित यह विधेयक 5 जून 2020 को जारी किये गए अध्यादेशों का स्थान लेगा और लोकसभा द्वारा इसे 15 सितंबर, 2020 को पारित किया गया था।
उद्देश्य
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 का उद्देश्य निजी निवेशकों के व्यावसायिक कार्यों में अत्यधिक विनियामक हस्तक्षेप की आशंकाओं को समाप्त करना है।
आवश्यकता
- यद्यपि भारत में अधिकतर कृषि वस्तुओं के उत्पादनव्यापक पैमाने पर इस प्रकार की बर्बादी को रोका जा सकता है।
लाभ
- इस विधेयक के माध्यम से सरकार ने विनियामक वातावरण को उदार बनाने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जाए। संशोधन विधेयक में यह व्यवस्था की गई है कि युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में इन कृषि उपजों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है।
- इस संशोधन के माध्यम से न केवल किसानों के लिये बल्कि उपभोक्ताओं और निवेशकों के लिये भी सकारात्मक माहौल का निर्माण होगा और यह निश्चित रूप से हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाएगा।
- इस संशोधन से कृषि क्षेत्र की समग्र आपूर्ति श्रृंखला तंत्र को मज़बूती मिलेगी। इस संशोधन के माध्यम से इस कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देकर किसान की आय दोगुनी करने और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955
- आवश्यक वस्तुओं या उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये तथा उन्हें जमाखोरी और कालाबाज़ारी से बचाने के लिये सरकार ने वर्ष 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया था।
- आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में आवश्यक वस्तुओं की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं दी गई है। अधिनियम की धारा 2 (A) में कहा गया है कि ‘आवश्यक वस्तु का अर्थ इसी अधिनियम की अनुसूची (Schedule) में निर्दिष्ट वस्तुओं से है।
- यह अधिनियम केंद्र सरकार को अधिनियम की अनुसूची में आवश्यक वस्तु के रूप में किसी एक विशिष्ट वस्तु को जोड़ने अथवा उसे हटाने का अधिकार देता है।
- यदि केंद्र सरकार सहमत है कि सार्वजनिक हित में किसी वस्तु को आवश्यक वस्तु घोषित करना आवश्यक है तो वह राज्य सरकारों की सहमति से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर सकती है।
- किसी वस्तु को ‘आवश्यक वस्तु’ घोषित करने से सरकार उस वस्तु के उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित कर सकती है, साथ ही सरकार उस वस्तु के संबंध में एक स्टॉक सीमा भी लागू कर सकती है।
अधिनियम की आलोचना
- ध्यातव्य है कि सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 को ऐसे समय में बनाया था जब पूरा देश खाद्यान्न उत्पादन के असामान्य स्तर के कारण खाद्य पदार्थों की कमी का सामना कर रहा था। उस समय भारत अधिकांशतः अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये आयात और अन्य देशों से मिलने वाली सहायता पर निर्भर था।
- ऐसे में खाद्य पदार्थों की जमाखोरी और कालाबाज़ारी को रोकने के लिये वर्ष 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम लाया गया, किंतु अब परिस्थितियाँ बदल गई हैं, अब भारत खाद्यान्न उत्पादन की दिशा में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चुका है, इसलिये इन बदली हुई परिस्थितियों में अधिनियम को बदलना भी आवश्यक है।