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नीति आयोग की अभिनव भारत @75 कार्यनीति

  • 20 Dec 2018
  • 15 min read

चर्चा मे?


नीति आयोग ने ‘अभिनव भारत @75 के लिये कार्यनीति’ (Strategy for New India @ 75) जारी की है जिसमें 2022-23 हेतु उद्देश्‍यों को परिभाषित किया गया है। यह 41 महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का विस्‍तृत विवरण है जिसमें पहले से हो चुकी प्रगति को मान्‍यता दी गई है, प्रगति के मार्ग में बाध्‍यकारी रुकावटों की पहचान की गई है और स्‍पष्‍ट रूप से वर्णित उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने के विषय में सुझाव दिये गए है।

Key Messages

चार खंडों में किया गया है विभाजन

  • इस दस्‍तावेज़ के 41 अध्‍यायों को चार खंडों : वाहक, अवसंरचना, समावेशन और गवर्नेंस में विभाजित किया गया है।

वाहक (Drivers)

  • वाहकों पर आधारित पहला खंड आर्थिक निष्‍पादन के साधनों, विकास और रोज़गार, किसानों की आमदनी दोगुनी करने, विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवोन्‍मेष पारिस्थितिकी को उन्‍नत बनाने और फिनटेक तथा पर्यटन जैसे उभरते क्षेत्रों को बढ़ावा देने संबंधी अध्‍यायों पर ध्‍यान केंद्रित करता है।

Drivers

वाहकों से संबंधित खंड में की गई कुछ प्रमुख सिफारिशों में शामिल हैं:  

  • वर्ष 2018-23 के दौरान लगभग 8 प्रतिशत सकल घरेलू उत्‍पाद (GDP) की विकास दर प्राप्‍त करने के लिये अर्थव्‍यवस्‍था की गति को निरंतर तेज़ी से बढ़ाना। इससे अर्थव्‍यवस्‍था के आकार में वास्‍तविक अर्थ में विस्‍तार होगा और यह 2017-18 के 2.7 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2022-23 तक लगभग चार ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगी।
  • सकल स्‍थायी पूंजी निर्माण (Gross Fixed Capital Formation- GFCF) द्वारा आँकी गई निवेश दरों में GDP के मौजूदा 29 प्रतिशत में वृद्धि लाते हुए 2022 तक 36 प्रतिशत तक बढ़ाना।
  • कृषि क्षेत्र में, ई-राष्‍ट्रीय कृषि मंडियों (e-NAM) का विस्‍तार करते हुए तथा कृषि उपज विपणन समिति अधिनियम के स्थान पर कृषि उपज और मवेशी विपणन अधिनियम लाकर किसानों को ‘कृषि उद्यमियों’ में परिवर्तित करने पर बल दिया जाए।
  • ‘शून्‍य बजट प्राकृतिक खेती’ की तकनीकों पर दृढ़ता से बल देना जिससे लागत में कमी आती है, मृदा की गुणवत्ता में सुधार होता है तथा किसानों की आमदनी बढ़ती है। यह वातावरण के कार्बन को मृदा में ही रखने की एक जाँची परखी पद्धति है।
  • रोज़गार के अधिकतम साधनों का सृजन सुनिश्चित करने के लिये श्रम कानूनों का संहिताकरण (codification) करने और प्रशिक्षुताओं को बढ़ाने के प्रबल प्रयास किये जाने चाहिए।
  • खनन अन्‍वेषण और लाइसेसिंग नीति का पु‍नर्निर्माण करने के लिये ‘एक्‍सप्‍लोर इन इंडिया’ (Explore in India) मिशन का आरंभ करना।

अवसंरचना (Infrastructure)

  • दूसरा खंड अवसंरचना से संबंधित है जो विकास के भौतिक आधारों का उल्‍लेख करता है। यह भारतीय कारोबारों की प्रतिस्पर्द्धात्‍मकता बढ़ाने और नागरिकों के जीवन की सुगमता सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

Infrastructure

अवसंरचना से संबंधित खंड में की गई कुछ प्रमुख सिफारिशों में शामिल हैं:  

  • पहले से मंज़ूर किये जा चुके रेल विकास प्राधिकरण (Rail Development Authority-RDA) की स्‍थापना में तेज़ी लाना। RDA रेलवे के लिये एकीकृत, पारदर्शी और गतिशील मूल्‍य व्‍यवस्‍था के संबंध में परामर्श देने या विवेकपूर्ण निर्णय लेने का कार्य करेगा।
  • तटीय जहाजरानी और अंतर्देशीय जलमार्गों द्वारा फ्रेट परिवहन के अंश का दोहरा करना। बुनियादी ढाँचा पूरी तरह तैयार होने तक शुरुआत में, वायबिलिटी गैप फंडिंग उपलब्‍ध कराई जाएगी।
  • परिवहन के विभिन्‍न साधनों को एकीकृत करने तथा मल्‍टी–मॉडल और डिजिटाइज़्ड गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिये IT-सक्षम मंच का विकास।
  • 2019 में भारत नेट कार्यक्रम के पूरा होने के साथ ही 2.5 लाख ग्राम पंचायतें डिजिटल रूप से जुड़ जाएंगी। वर्ष 2022-23 तक सभी सरकारी सेवाएँ राज्‍य, ज़िला और ग्राम पंचायत स्‍तर पर उपलब्‍ध कराने का लक्ष्‍य है।

समावेशन (Inclusion)

  • समावेशन से संबंधित खंड समस्‍त भारतीय नागरिकों की क्षमताओं में निवेश के अत्यावश्यक कार्य से संबंधित है। इस खंड के तीन विषय स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और परंपरागत रूप से हाशिये पर मौज़ूद आबादी के वर्गों को मुख्‍य धारा में लाने के आयामों के इर्द-गिर्द घूमते हैं।

Inclusion

समावेशन से संबंधित खंड में की गई कुछ प्रमुख सिफारिशों में शामिल हैं:

  • देश भर में 150,000 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों की स्‍थापना और प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य अभियान (PM-JAY) प्रारंभ करने सहित आयुष्‍मान भारत कार्यक्रम का सफल कार्यान्‍वयन।
  • केंद्रीय स्‍तर पर राज्‍य के समकक्षों के साथ सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिये फोकल प्‍वाइंट बनाना। समेकित चिकित्‍सा पाठ्यक्रम को प्रोत्‍साहन देना।
  • 2020 तक कम से कम 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्‍स की स्‍थापना के ज़रिये जमीनी स्‍तर पर नई नवोन्‍मेषी व्‍यवस्‍था सृजित करते हुए स्‍कूली शिक्षा प्रणाली और कौशलों की गुणवत्ता में सुधार लाना।
  • प्रत्‍येक बच्‍चे की शिक्षा के निष्‍कर्षों पर नजर रखने के लिये इलेक्‍ट्रॉनिक राष्‍ट्रीय शैक्षिक रजिस्‍ट्ररी की संकल्‍पना करना।
  • आर्थिक विकास पर विशेष बल देते हुए कामगारों के जीवन स्‍तर में सुधार लाने तथा समानता सुनिश्चित करने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों की ही तरह शहरी क्षेत्रों में भी किफायती घरों को प्रोत्‍साहन देना।

गवर्नेंस (Governance)


गवर्नेंस से संबंधित अंतिम खंड में इस बात पर गहन चिंतन किया गया है कि विकास के बेहतर निष्‍कर्ष प्राप्‍त करने के लिये गवर्नेंस के ढाँचों को किस तरह सुव्‍यवस्थित और प्रक्रियाओं को अनुकूल बनाया जा सकता है।

Governance

गवर्नेंस से संबंधित खंड में की गई कुछ प्रमुख सिफारिशों में शामिल हैं:

  • उभरती प्रौद्योगिकियों के बदलते संदर्भ तथा अर्थव्‍यवस्‍था की बढ़ती जटिलताओं के बीच सुधारों का उत्तराधिकारी नियुक्‍त करने से पहले दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों (Second ARC Recommendations) जैसे- तर्कसंगतता और सेवाओं में सामंजस्य के माध्यम से केंद्रीय और राज्य स्तर पर मौजूदा 60 से अधिक अलग सिविल सेवाओं को कम करना, सिविल सेवाओं के लिये अधिकतम आयु सीमा को 2022-23 तक सामान्य श्रेणी के लिये 27 साल तक सिमित किया जाना आदि का कार्यान्‍वयन करना।
  • मध्‍यस्‍थता की प्रक्रिया को किफायती और त्‍वरित बनाने तथा न्‍यायालय के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता का स्‍थान लेने के लिये मध्‍यस्‍थता संस्‍थाओं और प्रत्यायित मध्‍यस्‍थों का आकलन करने के लिये नए स्‍वायत्त निकाय यथा भारतीय मध्‍यस्‍थता परिषद की स्‍थापना।
  • लंबित मामलों को निपटाना- नियमित न्‍याय प्रणाली के कार्य के दबाव को हस्‍तांतरित करना।
  • भराव के क्षेत्रों को कवर करने, प्‍लास्टिक अपशिष्‍ट और नगर निगम के अपशिष्‍ट तथा अपशिष्‍ट से धन सृजित करने की पहलों को शामिल करते हुए स्‍वच्‍छ भारत मिशन के दायरे का विस्‍तार करना।

गहन विचार-विमर्श के बाद बनी कार्यनीति

  • इस कार्यनीति को तैयार करने में नीति आयोग ने अत्‍यंत सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण का अनुसरण किया है। नीति आयोग के प्रत्‍येक क्षेत्र में हितधारकों के तीनों समूहों यथा कारोबारी व्‍यक्ति, वैज्ञानिकों सहित शिक्षाविद् और सरकारी अधिकारियों- के साथ गहन विचार-विमर्श किया गया।
  • इसके बाद, उपाध्‍यक्ष के स्‍तर पर हितधारकों के 7 सेटों में से प्रमुख व्‍यक्तियों के विविधतापूर्ण समूह के साथ विचार-विमर्श किया गया। इन प्रमुख व्‍यक्तियों में वैज्ञानिक और नवोन्‍मेषी, किसान, सामाजिक संगठन, थिंक टैंक, श्रमिकों के प्रतिनिधि और श्रम संगठन तथा उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल थे।

Constituents Consulted

  • प्रत्‍येक अध्‍याय के मसौदे को विचार-विमर्श के लिये वितरित किया गया और जानकारियां, सुझाव तथा टिप्‍पणियां प्राप्‍त करने के लिये केंद्रीय मंत्रियों को भी साथ जोड़ा गया। इसके दस्‍तावेज का मसौदा सभी राज्‍यों और संघ शासित प्रदेशों में भी वितरित किया गया जहां से प्राप्‍त बहुमूल्‍य सुझावों को इसमें शामिल किया गया।
  • इस दस्‍तावेज को तैयार करते समय सरकार के भीतर– केंद्रीय राज्‍य और जिला स्‍तर पर 800 के ज्‍यादा हितधारकों और लगभग 550 बाहरी विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया गया।
  • इस कार्यनीति दस्‍तावेज में नीतिगत वातावरण में और सुधार लाने पर महत्त्वपूर्ण रूप से ध्‍यान केंद्रित किया गया है, ताकि निजी निवेशक और अन्‍य हितधारक अभिनव भारत 2022 के लिये निर्धारित लक्ष्‍यों की प्राप्ति की दिशा में अपनी पूरी क्षमता के साथ योगदान दे सके और 2030 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्‍यवस्‍था बनाने की दिशा में आगे बढ़ा सके।

इस दस्तावेज़ को शासन की पुन:कल्पना के संदर्भ में तैयार किया जा रहा है। इसका कारण यह है कि भारत को ऐसी 'Development State’ में पहुँचने की ज़रूरत है जो प्रमुख वस्तुओं और सेवाओं के मुश्किल और उत्तरदायी वितरण पर केंद्रित हो। इसके लिये सार्वजनिक-निजी साझेदारी के इष्टतम स्तर को हासिल करने का सतत् प्रयास किया जा रहा है। वस्तुओं और सेवाओं के अधिक कुशल वित्रन के लिये नीतियाँ लागू की गई हैं जैसे-स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, शहरी जल आपूर्ति एवं संयोजकता (connectivity)। इस संदर्भ में उद्यमिता और निजी निवेश को बढ़ावा देकर लालफीताशाही और बोझिल विनियमन को खत्म करने के लिये एक सुचिन्तित प्रयास किया जा रहा है। साथ ही, 'अभिनव भारत @75 कार्यनीति’ को संयुक्त राष्ट्र के SDG (Sustainable Development Goals) के साथ संरेखित करने का भी प्रयास किया जा रहा है, यही कारण है कि कार्यनीति के सभी अध्यायों को उक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के संदर्भ में तैयार किया गया है। वर्तमान में भारत ‘सबका साथ, सबका विकास’ के दर्शन के साथ 'Development State’  के रूप में परिणत हो रहा है। 2022-23 में अभिनव इंडिया के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और यहाँ तक कि सभी व्यक्तियों को सरकार के लक्ष्यों को पूरा करने और उनमें वृद्धि करने हेतु अपनी रणनीति तैयार करनी चाहिये। इसमें कोई संदेह नहीं है कि 21वीं शताब्दी में मौज़ूद प्रौद्योगिकी के साथ विकास की गति को व्यापक रूप दिया जा सकता है। सभी भारतीयों के संकल्प के साथ भारत को सिद्धि प्राप्त होगी।


स्रोत : नीति आयोग, द हिंदू

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