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भारतीय राजनीति

पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में वृद्धि: एडीआर

  • 09 Feb 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (Association for Democratic Reforms- ADR) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 से वर्ष 2019 के बीच भारत में पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई है।

  • ADR नई दिल्ली स्थित एक भारतीय गैर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1999 में की गई थी।

प्रमुख बिंदु:  

पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल: 

  • नव पंजीकृत राजनीतिक दल या या ऐसे राजनीतिक दल जिन्होंने राज्य स्तरीय पार्टी बनने के लिये विधानसभा या आम चुनावों में पर्याप्त प्रतिशत वोट हासिल नहीं किये हैं, या जिसने पंजीकृत होने के बाद कभी चुनाव नहीं लड़ा है, उन्हें गैर-मान्यता प्राप्त दल माना जाता है।
    • ऐसी पार्टियों को मान्यता प्राप्त पार्टियों को दिये जाने वाले सभी लाभ नहीं प्राप्त होते हैं।

मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल:

  • एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल कुछ निर्धारित शर्तों को पूरा करने के पश्चात् राष्ट्रीय या राजकीय दल बन सकता है।
  • राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी बनने के लिये एक राजनीतिक दल को पिछले/आखिरी चुनाव के दौरान मान्य वोटों का एक निश्चित न्यूनतम मतदान प्रतिशत या राज्य विधानसभा अथवा लोकसभा में कुछ सीटों की संख्या को सुरक्षित करना होता है।
  • राजनीतिक दलों को आयोग द्वारा दी गई मान्यता उन्हें प्रतीकों के आवंटन, राज्य के स्वामित्व वाले टेलीविज़न और रेडियो स्टेशनों पर राजनीतिक प्रसारण के लिये समय का प्रावधान तथा मतदाता सूची तक पहुँच जैसे कुछ विशेषाधिकारों को निर्धारित करती है।
  • निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश:
    • भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा 'पार्टी फंड एवं चुनाव व्यय में पारदर्शिता तथा जवाबदेही, गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुतीकरण’ पर दिशा-निर्देश जारी किये गए थे, जो  1 अक्तूबर, 2014 से सभी राजनीतिक दलों पर लागू होते हैं।
    • आवश्यक दिशा-निर्देश:  
      • सभी गैर-मान्यता प्राप्त दलों को संबंधित राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय में अपनी अपेक्षित रिपोर्ट प्रस्तुत करना आवश्यक है।
      • जनता द्वारा देखे जाने के लिये वार्षिक लेखा परीक्षण खातों, योगदान रिपोर्ट और चुनाव खर्च के विवरण की स्कैन की गई प्रतियाँ प्राप्त होने के तीन दिनों के भीतर संबंधित राज्य के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की वेबसाइट पर अपलोड की जाएंगी।

रिपोर्ट में शामिल प्रमुख तथ्य:  

  • राजनीतिक दलों की संख्या में वृद्धि: 
    • भारत के चुनाव आयोग में 2,360 राजनीतिक दल पंजीकृत हैं और उनमें से 97.50% गैर-मान्यता प्राप्त हैं।
    • वर्ष 2010 के 1,112 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों की संख्या बढ़कर वर्ष 2019 में 2,301 हो गई।
  • राजनीतिक दलों को प्राप्त हुआ दान:
    • वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिये कुल 2,301 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों में से केवल 78 या 3.39% की योगदान रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है।

ADR के सुझाव:

  • वर्ष 2016 में 255 दलों को पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों की सूची से हटा दिया गया था क्योंकि या तो उनका कोई अस्तित्व नहीं था या वे सक्रिय नहीं थे।
    • यह प्रक्रिया जारी रहनी चाहिये, ताकि उन सभी राजनीतिक दलों को हटाया जा सके जो 5 वर्ष से अधिक समय तक किसी भी चुनाव न शामिल हों, साथ ही इसका प्रयोग पंजीकरण प्रक्रिया को मज़बूत करने के एक माध्यम के रूप में किया जाना चाहिये।
  • मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्ट चुनावी प्रथाओं और धन शक्ति के दुरुपयोग से बचने के लिये राजनीतिक दलों के पंजीकरण का विनियमन महत्त्वपूर्ण है।
    • अतः भारतीय निर्वाचन आयोग को ऐसे दलों (जो नियमों का पालन करने में विफल होते हैं) को पंजीकृत दलों की सूची से हटाने हेतु कड़े कदम उठाने के अलावा एक राजनीतिक दल के रूप में व्यक्तियों के संघ के पंजीकरण हेतु सख्त मानदंड लागू किया जाना चाहिये।
  • गैर-मान्यता प्राप्त दलों की आयकर की जाँच की जानी चाहिये, विशेषकर उन लोगों की जो चुनाव में हिस्सा नहीं लेते हैं, परंतु स्वैच्छिक योगदान की प्राप्ति की घोषणा करते हैं।

स्रोत:  द हिंदू

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