प्रिलिम्स फैक्ट्स (14 Feb, 2024)



लिम्फेटिक फाइलेरियासिस

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (Lymphatic filariasis - LF) उन्मूलन के लिये द्वि-वार्षिक राष्ट्रव्यापी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Mass Drug Administration- MDA) अभियान का पहला चरण शुरू किया।

नोट:

  • अभियान का उद्देश्य बीमारी से प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों को मुफ्त निवारक दवाएँ (providing free preventive medications) प्रदान करके बीमारी के संचरण को रोकना है। यह अभियान 11 राज्यों के 92 ज़िलों को कवर करेगा।

लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (Lymphatic Filariasis) क्या है?

  • परिचय:
    • लिम्फेटिक फाइलेरियासिस, जिसे आमतौर पर हाथीपाँव रोग (एलिफेंटियासिस) के रूप में जाना जाता है, परजीवी संक्रमण के कारण होने वाला एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Disease- NTD) है जो संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है।
  • वैश्विक प्रसार: 
    • 44 देशों में 882 मिलियन से अधिक लोग हाथीपाँव रोग/लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (Lymphatic Filariasis) के खतरे का सामना करते हैं और उन्हें निवारक कीमोथेरेपी (Preventive Chemotherapy) की आवश्यकता होती है।
    • भारत में LF एक गंभीर लोक स्वास्थ्य समस्या है। वर्तमान में, देश के 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 345 लिम्फैटिक फाइलेरिया स्थानिक ज़िले हैं।
      •  MDA  के 75% ज़िले 5 राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना से हैं।
    • लिम्फेटिक फाइलेरियासिस शहरी गरीबों में अधिक प्रचलित है और ग्रामीण आबादी के सभी वर्गों को प्रभावित करता है। 
  • प्रभाव: 
    • संक्रमण बचपन में शुरू होकर वयस्कता तक संचय होता है, जिसके परिणामस्वरूप अपरिवर्तनीय दीर्घकालिक रोग की स्थिति पैदा होती है।
      • यह बीमारी कलंक, मानसिक पीड़ा, सामाजिक अभाव और आर्थिक नुकसान पहुँचाती है तथा प्रभावित समुदायों में गरीबी का एक प्रमुख कारण है।
  • कारण और संचरण:
    • परजीवी संक्रमण (Parasitic Infection): 
      • लिम्फैटिक फाइलेरियासिस फिलारियोडिडिया परिवार के नेमाटोड (roundworms) के रूप में वर्गीकृत परजीवियों (Parasitic) के संक्रमण के कारण होता है। फाइलेरिया जैसे ये कृमि (worms) तीन प्रकार के होते हैं:
        • वुचेरेरिया बैन्क्रॉफ्टी (Wuchereria Bancrofti), जो 90% मामलों के लिये उत्तरदायी होता है।
        • ब्रुगिया मलाई (Brugia Malayi), जो शेष अधिकांश मामलों का कारण बनता है।
        • ब्रुगिया टिमोरी (Brugiya Timori), भी इस रोग का कारण है।
    • संचरण (Transmission ) चक्र: 
      • वयस्क कीड़े लसीका वाहिकाओं( lymphatic vessels) में रहते हैं, जो माइक्रोफिलारिया का उत्पादन करते हैं जो रक्त में फैलते हैं।
      • मच्छर किसी संक्रमित मेज़बान को काटने से संक्रमित हो जाते हैं और लार्वा को मनुष्यों तक पहुँचाते हैं, जिससे संचरण चक्र कायम रहता है।
  • लक्षण और जटिलताएँ:
    • लक्षण रहित और दीर्घकालिक स्थितियाँ:
      • अधिकांश संक्रमण लक्षण रहित होते हैं किंतु इसकी दीर्घकालिक स्थितियों से लिम्फोएडेमा (अंगों की सूजन), हस्तिपाद/एलिफेंटियासिस (त्वचा/ऊतकों का स्थूल होना) तथा हाइड्रोसील (अंडकोश की सूजन) की समस्या हो सकती है जिससे शरीर में विकृति तथा मनोवैज्ञानिक विकार की स्थिति उत्पन्न हो सकती।
    • तीव्र प्रकरण:
      • तीव्र शोथ (Inflammation) की स्थिति अमूमन दीर्घकालिक स्थितियों से संबंधित है जो संक्रमित व्यक्तियों में दुर्बलता तथा उनकी कार्यक्षमता प्रभावित करने का कारण बनती है।
  • उपचार एवं रोकथाम:
    • निवारक कीमोथेरेपी:
      • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने लिम्फेटिक फाइलेरियासिस की रोकथाम के लिये MDA के साथ-साथ प्रभावित लोगों को वार्षिक रूप से निवारक दवाएँ वितरित करने की सिफारिश की।
    • MDA रेजीमेन्स/नियम: 
      • अन्य फाइलेरिया रोगों के साथ सह-स्थानिकता के आधार पर, माइक्रोफाइलेरिया घनत्व को कम करने और संचरण को रोकने के लिये विभिन्न उपचार नियमों के अनुपालन की सलाह दी जाती है।
    • रुग्णता प्रबंधन:
      • दीर्घकालिक स्थितियों के निदान और रोग को बढ़ने से रोकने के लिये सर्जरी, स्वच्छता उपाय तथा नैदानिक ​​देखभाल आवश्यक है।
    • वेक्टर नियंत्रण:
      • मच्छर नियंत्रण जैसी रणनीतियाँ संचरण को कम करने तथा निवारक कीमोथेरेपी प्रयासों को पूरक बनाने में मदद करती हैं।
  • WHO की प्रतिक्रिया और लक्ष्य:
    • लिम्फेटिक फाइलेरियासिस उन्मूलन हेतु वैश्विक कार्यक्रम (GPELF): 
      • इसका शुभारंभ वर्ष 2000 में किया गया था तथा इसका लक्ष्य निवारक कीमोथेरेपी और रुग्णता प्रबंधन के माध्यम से एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में मौजूद लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को खत्म करना है।
      • वर्ष 2020 में GPELF ने नए NTD रोड मैप (2021–2030) के लिये निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किये:
        • मान्यता: 80% स्थानिक देशों (58) ने MDA के बाद कम संक्रमण दर बनाए रखते हुए उन्मूलन के सत्यापन के मानदंडों को पूरा/मान्य किया।
        • अनुवीक्षण: सभी स्थानिक देशों (72) को रोग के पुनः संचरण को रोकने के लिये अनुवीक्षण की आवश्यकता है।
        • MDA में कमी: आबादी के बड़े हिस्से पर औषधियों के प्रयोग की अनिवार्यता को कम करना।
  • भारत की पहल:
    • मिशन मोड इंडिया मल्टी-ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) अभियान वर्ष में दो बार राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (10 फरवरी और 10 अगस्त) के साथ समन्वयित किया जाता है।
    • भारत वैश्विक लक्ष्य (2030) से तीन वर्ष पूर्व, वर्ष 2027 तक लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को समाप्त करने के लिये प्रतिबद्ध है।


मनरेगा के तहत बेरोज़गारी लाभ संवितरण

स्रोत: डाउन टू अर्थ   

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005 भारत में ग्रामीण श्रमिकों के लिये एक अत्यावश्यक जीवन रेखा के रूप में भूमिका निभाता है। हालाँकि ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज पर संसदीय स्थायी समिति की एक हालिया रिपोर्ट ने इस योजना के कार्यान्वयन के संबंध में एक चिंताजनक मुद्दे पर प्रकाश डाला है।

रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • लाभ का सीमित वितरण:
    • रिपोर्ट के अनुसार विगत पाँच वर्षों में 7,124 पात्र श्रमिकों में से केवल 258 को इस योजना के तहत लाभ प्राप्त हुआ जो कुल पात्र श्रमिकों का लगभग 3% हिस्सा है।
      • मनरेगा, 2005 की धारा 7(1) के अनुसार, 15 दिनों के भीतर कार्य में नियोजित नहीं होने वाले श्रमिकों को दैनिक बेरोज़गारी भत्ता प्रदान करने की अनिवार्यता है।
  • राज्य-विशेष डेटा:
    • योजना के तहत राज्य सरकारें अपनी आर्थिक क्षमता के आधार पर बेरोज़गारी भत्ता प्रदान करने के लिये उत्तरदायी होती हैं।
    • कर्नाटक में योजना के तहत पात्र श्रमिकों की संख्या सबसे अधिक (2,467) दर्ज की गई किंतु किसी को भी इस योजना के तहत लाभ प्राप्त नहीं हुआ
    • 1,831 पात्र श्रमिकों के साथ राजस्थान दूसरे स्थान पर रहा जिनमें से केवल नौ श्रमिकों को लाभ प्राप्त हुआ।
      • बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी संबद्ध रिकॉर्ड चिंतनीय रहा।
    • इन राज्यों में श्रमिक उक्त योजना हेतु पात्र थे किंतु उन्हें या तो अपर्याप्त लाभ मिला या बिल्कुल नहीं मिला।
  • विलंबित वेतन के लिये लंबित मुआवज़ा:
    • समिति को सूचित किया गया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 से 21 नवंबर, 2024 तक मुआवज़े के लिये कुल 13 करोड़ रुपए से अधिक की मंज़ूरी दी गई थी और केवल लगभग 10 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था, जिससे एक बड़ी राशि लंबित रह गई थी।
      • ग्रामीण विकास विभाग के अनुसार, ब्याज भुगतान की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की है।
    • मनरेगा में कहा गया है कि यदि मस्टर रोल बंद होने के 15 दिनों के भीतर मज़दूरी का भुगतान नहीं किया जाता है, तो श्रमिक देरी के लिये मुआवज़े के हकदार हैं। मुआवज़ा मस्टर रोल बंद होने के सोलहवें दिन से अधिक विलंब के दिन अवैतनिक मज़दूरी का 0.05% है।
  • समिति की सिफारिशें:
    • समिति ने लाभों का उचित वितरण सुनिश्चित करने के लिये केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग और राज्य सरकारों के बीच समन्वित प्रयासों की सिफारिश की।
    • बेरोज़गारी लाभ का भुगतान न होने की समस्या से निपटने के लिये उपाय किये जाने चाहिये।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA):

  • MGNREGA ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किये गए विश्व के सबसे बड़े रोज़गार गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
  • यह योजना न्यूनतम वेतन पर सार्वजनिक कार्यों से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम एक सौ दिनों के रोज़गार की कानूनी गारंटी प्रदान करता है।
    • यह आजीविका सुरक्षा प्रदान करता है जिसका अर्थ है कि जब बेहतर रोज़गार के अवसर उपलब्ध नहीं होते हैं तो ग्रामीण परिवारों के पास आय के वैकल्पिक स्रोत होते हैं। 
    • 14.32 करोड़ पंजीकृत जॉब कार्ड हैं जिनमें से 68.22% सक्रिय जॉब कार्ड हैं और कुल 25.25 करोड़ श्रमिक, जिनमें से 56.83% सक्रिय श्रमिक हैं।
  • वर्ष 2022-23 में मनरेगा की उपलब्धियाँ:
    • इससे देशभर में लगभग 11.37 करोड़ परिवारों को रोज़गार मिला है।
    • इसमें से 289.24 करोड़ व्यक्ति-दिवस रोज़गार उत्पन्न हुआ है, जिसमें:
      • 56.19% महिलाएँ
      • 19.75% अनुसूचित जाति (SC)
      • 17.47% अनुसूचित जनजाति (ST)

और पढ़े: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम" से लाभ पाने के पात्र हैं? (2011)

(A) केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवारों के वयस्क सदस्य।
(B) गरीबी रेखा से नीचे (BPL) के परिवारों के वयस्क सदस्य।
(C) सभी पिछड़े समुदायों के परिवारों के वयस्क सदस्य।
(D) किसी भी घर के वयस्क सदस्य।

उत्तर: (D)


अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

हाल के शोध से पता चला है कि मानव उत्सर्जन (anthropogenic emissions) 2025 और 2095 के बीच अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) के आसन्न पतन को तेज़ कर सकता है।

अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) क्या है? 

  • परिचय: 
    • AMOC पृथ्वी की सबसे बड़ी जल संचलन प्रणालियों में से एक है इसके तहत महासागरों की धाराएंँ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से गर्म और लवणीय जल को उत्तर दिशा जैसे कि पश्चिमी यूरोप की ओर ले जाती हैं तथा दक्षिण की ओर ठंडा जल भेजती हैं।
      • यह विश्व स्तर पर गर्मी के पुनर्वितरण, क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु को प्रभावित करने, विशेष रूप से यूरोप, उत्तरी अमेरिका तथा भूमध्य रेखा के पास तापमान को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • AMOC के कार्य: 
    • गर्म जल का परिवहन: AMOC उष्णकटिबंध से उत्तरी गोलार्द्ध की ओर गर्म सतही जल ले जाता है, जो यूरोप जैसे क्षेत्रों को गर्म करने में योगदान करते हैं।
    • शीतलता एवं घनत्व में वृद्धि: जैसे-जैसे गर्म सतह का जल ध्रुवों की ओर बढ़ता है, वायुमंडल में गर्मी के कारण वह धीरे-धीरे ठंडा हो जाता है। इसके अलावा आर्कटिक की पिघलती बर्फ से ठंडा, ताज़ा पानी ठंडे महासागर में समाहित हो जाता है।
    • डाउनवेलिंग: एक बार ठंडा होने पर, सघन, शीत जल डाउनवेलिंग नामक प्रक्रिया में समुद्र की गहरी परतों में चला जाता है।
      • यह बहाव मुख्य रूप से उत्तरी अटलांटिक महासागर में होता है, जहाँ सघन जलराशि बनती है और दक्षिण की ओर बहती हैं।
    • दक्षिण की ओर प्रवाह: ठंडा, शीत जल समुद्र तल के साथ दक्षिण की ओर बहता है, अटलांटिक बेसिन में विशाल दूरी तय करता है।
      • यह दक्षिण की ओर प्रवाह AMOC का प्रतिनिधित्व करता है, जहाँ ठंडा, सघन जल पूरे समुद्र में गर्मी और पोषक तत्त्वों का पुनर्वितरण करता है।
      • जैसे ही जल दुबारा सतह पर आता है, यह फिर से गर्म होना शुरू हो जाता है, जिससे AMOC का परिसंचरण चक्र पूरा हो जाता है।

  • हिंद महासागर की भूमिका: जैसे-जैसे हिंद महासागर तेज़ी से गर्म होता है, वैसे-वैसे अधिक होती है। यह अटलांटिक सहित विश्व के अन्य हिस्सों से हिंद महासागर की ओर अधिक हवा खींचता है। हिंद महासागर में इतनी अधिक वर्षा होने से अटलांटिक महासागर में कम वर्षा होगी।
    • कम वर्षा से अटलांटिक के उष्णकटिबंधीय हिस्से के जल में अधिक लवणता हो जाएगी क्योंकि इसे कम करने के लिये उतना वर्षा जल नहीं होगा।
    • अटलांटिक में यह खारा जाल, जैसे ही यह AMOC के माध्यम से उत्तर की ओर आएगा, सामान्य से कहीं अधिक तेज़ी से ठंडा हो जाएगा और कम हो जाएगा।
    • यह AMOC के लिये एक शुरुआत के तौर पर काम करेगा, जिससे सर्कुलेशन तेज़ होगा।
  • वैश्विक जलवायु में योगदान: यह चक्र ऊष्मा वाहक बेल्ट के रूप में कार्य करता है जिसके अंतर्गत यह उत्तरी अक्षांशों को ऊष्मित करता है तथा दक्षिणी अक्षांशों को शीतलित करता है जिससे समग्र पृथ्वी की जलवायु को स्थिर करने में सहायता प्राप्त होती है।
  • खतरा: वर्षण के बढ़े हुए स्तर तथा ग्रीनलैंड की हिम परत में तेज़ी से हुए विरलन के परिणामस्वरूप उत्तरी अटलांटिक में शीतल ताज़े जल की मात्रा में वृद्धि हुई है।
    • अतिरिक्त शीतल जल के इस प्रवाह से जल की लवणता और घनत्व हुई है जिससे गर्म महासागर की परत संकुचित हो रही है तथा ठंडी महासागर की परत का विस्तार हो रहा है।
    • नतीजतन AMOC धीमा हो रहा है जिससे जोखिम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
    • इसके अतिरिक्त मानवजनित गतिविधियाँ, जैसे कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, समुद्र के तापमान और परिसंचरण पैटर्न को प्रभावित कर सकती हैं जिससे AMOC प्रभावित हो सकता है।
  • संभावित व्यापक प्रभाव:
    • AMOC के अव्यवस्थित होने से वर्षण के पैटर्न में बदलाव आ सकता है जो संभावित रूप से दक्षिणी अमेज़ॅन वर्षावन को अस्थिर कर सकता है तथा इसे सवाना जैसे पारिस्थितिकी तंत्र में पारिवर्तित कर सकता है।
    • दक्षिणी गोलार्द्ध में समुद्री जल में ऊष्मा बढ़ने से पश्चिमी अंटार्कटिक की हिम परत की विरलन में तीव्रता आ सकती है जिससे समुद्र का स्तर बढ़ सकता है।
    • दक्षिण एशिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में मानसून परिसंचरण के कमज़ोर होने से कृषि, जल संसाधनों तथा क्षेत्रीय जलवायु पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।


वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क कोष

वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क कोष  (Global Biodiversity Framework Fund - GBFF) की पहली परिषद बैठक हाल ही में वाशिंगटन डीसी (सयुंक्त राज्य अमेरिका) में हुई।


ओडिशा सरकार की स्वयं (SWAYAM) और खुशी (KHUSI) योजना

स्रोत: द हिंदू

राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के अंतर्गत आने वाले परिवारों के लिये ओडिशा सरकार ने हाल ही में आजीविका हेतु 1,000 रुपए की एकमुश्त नकद सहायता की घोषणा की है।

  • राज्य सरकार ने 18-35 वर्ष (विशेष श्रेणी के लिये 18-40) आयु वर्ग के ग्रामीण बेरोज़गार युवाओं को नए व्यावसायिक उद्यम शुरू करने के लिये 1 लाख रुपए का ब्याज मुक्त बैंक ऋण प्रदान करने के लिये 'स्वयं' नामक एक नई योजना शुरू की है।
    • राष्ट्रीय स्तर पर गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान करने के लिये अप्रैल, 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) शुरू की गई थी।
  • राज्य सरकार ने सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में संस्थागत प्रसव और गर्भ के चिकित्‍सकीय समापन के लिये बेल्टेड सैनिटरी नैपकिन वितरित करने हेतु मौजूदा खुशी योजना का विस्तार करते हुए इसे अब खुशी + का नाम दिया है। इसका उद्देश्य राज्य में मासिक धर्म स्वच्छता जागरूकता में सुधार लाना तथा मातृ मृत्यु दर एवं रुग्णता दर को कम करना है।
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार ओडिशा में स्वच्छ मासिक धर्म सुरक्षा का प्रयोग करने वाली महिलाओं की दर उच्च, राष्ट्रीय औसत से अधिक 81.5% है।

और पढ़ें…राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5, सार्वजनिक वितरण प्रणाली


राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

स्रोत: द हिंदू 

भारतीय सिनेमा में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों (National Film Awards) में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति की सिफारिशों के अनुसार महत्त्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। श्रेणियों को तर्कसंगत बनाने और नकद पुरस्कारों को बढ़ाने के उद्देश्य से किये गए ये परिवर्तन, पारंपरिक नामकरण तथा वर्ग-विभेद से हटकर हैं। नए नाम पुरस्कार मानदंडों के बारे में अधिक वर्णनात्मक हैं।

  • पुरस्कारों का नामकरण:
    • 'किसी निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म के लिये इंदिरा गांधी पुरस्कार' का नाम अब 'निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म' है।
    • 'राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिये नरगिस दत्त पुरस्कार' का नाम बदलकर 'राष्ट्रीय, सामाजिक और पर्यावरणीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाली सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म' कर दिया गया है।
  • मौद्रिक पुरस्कार:
    • दादा साहब फाल्के पुरस्कार की पुरस्कार राशि 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 15 लाख रुपए  कर दी गई है।
    • स्वर्ण कमल (गोल्डन लोटस) पुरस्कार विजेताओं को अब सभी श्रेणियों में 3 लाख रुपए और रजत कमल (सिल्वर लोटस) विजेताओं को 2 लाख रुपए मिलेंगे।
      • स्वर्ण कमल इन श्रेणियों में दिया जाता है: सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, पहली फ़िल्म, संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करने वाली फ़िल्म, निर्देशन और बच्चों की फ़िल्म।
      • रजत कमल राष्ट्रीय, सामाजिक और पर्यावरणीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाली सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म, सभी अभिनय श्रेणियों, सर्वश्रेष्ठ पटकथा, संगीत तथा ऐसी अन्य श्रेणियों के विजेताओं को दिया जाता है।
  • वर्ग संशोधन:
    • 'सर्वश्रेष्ठ एनीमेशन फिल्म' और 'सर्वश्रेष्ठ स्पेशल इफेक्ट' के पुरस्कारों को "सर्वश्रेष्ठ AVGC फिल्म" नामक एक नई श्रेणी में जोड़ दिया गया है।
    • 'सर्वश्रेष्ठ ऑडियोग्राफी' अब 'सर्वश्रेष्ठ ध्वनि डिज़ाइन' है, पुरस्कार राशि बढ़ाकर 2 लाख रुपए  कर दी गई है।
  • जूरी विवेक की निरंतरता:
    • फीचर और गैर-फीचर फिल्म श्रेणियों में विशेष उल्लेख जूरी के विवेक पर निर्भर है।
    • विशेष जूरी पुरस्कार बंद कर दिया गया और उसके स्थान पर विवेकाधीन विशेष उल्लेख दिये गए।

और पढ़ें: दादा साहब फाल्के पुरस्कार