लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 14 Aug, 2023
  • 14 min read
प्रारंभिक परीक्षा

लसीका फाइलेरिया

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने लसीका फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis) के लिये वार्षिक राष्ट्रव्यापी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) पहल के दूसरे चरण का उद्घाटन किया।

  • भारत का लक्ष्य एक मिशन-संचालित रणनीति के माध्यम से वैश्विक लक्ष्य से तीन वर्ष पहले वर्ष 2027 तक लसीका फाइलेरिया का उन्मूलन करना है।

लसीका फाइलेरिया:

  • परिचय:
    • लसीका फाइलेरिया, जिसे आमतौर पर हाथीपाँव रोग (एलिफेंटियासिस) के रूप में जाना जाता है, परजीवी संक्रमण के कारण होने वाला एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Disease- NTD) है जो संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है।
    • यह रोग विश्व के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में लाखों व्यक्तियों को प्रभावित करता है।
  • कारण एवं संचरण:
    • लसीका फाइलेरिया, फिलारियोडिडिया परिवार के नेमाटोड (राउंडवॉर्म) के रूप में वर्गीकृत परजीवियों के संक्रमण के कारण होता है।
    • ये धागे जैसे फाइलेरिया कृमि 3 प्रकार के होते हैं:
      • वुचेरेरिया बैन्क्रॉफ्टी (Wuchereria Bancrofti), जो 90% मामलों के लिये उत्तरदायी होता है।
      • ब्रुगिया मलाई (Brugia Malayi), जो शेष अधिकांश मामलों का कारण बनता है।
      • ब्रुगिया टिमोरी (Brugiya Timori), भी इस रोग का कारण है।
  • लक्षण:
    • लसीका फाइलेरिया संक्रमण में स्पर्शोन्मुख, तीव्र तथा गंभीर स्थितियाँ शामिल होती हैं।
      • गंभीर स्थितियों में इसमें लिम्फोएडेमा (ऊतक सूजन) या एलिफेंटियासिस (त्वचा/ऊतक का मोटा होना) एवं हाइड्रोसील (अंडकोश की सूजन) जैसे लक्षण देखे जाते हैं।
  • उपचार:
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) लसीका फाइलेरिया के वैश्विक उन्मूलन में तीव्रता लाने के लिये उपचार कर लिये तीन दवाओं की सिफारिश करता है। उपचार, जिसे IDA के रूप में जाना जाता है, में आइवरमेक्टिन, डायथाइलकार्बामाज़िन साइट्रेट तथा एल्बेंडाज़ोल का संयोजन शामिल है।
      • इसके तहत लगातार दो वर्षों तक इन दवाओं को देना शामिल है। वयस्क कृमि का जीवन मुश्किल से चार वर्ष का होता है, इसलिये यह व्यक्ति को कोई हानि पहुँचाए बिना स्वाभाविक रूप से समाप्त जाएगा।
  • वैश्विक खतरा और निवारक उपाय:
    • 44 देशों में 882 मिलियन से अधिक लोग हाथीपाँव रोग/लसीका फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis) के खतरे का सामना करते हैं और उन्हें निवारक कीमोथेरेपी (Preventive Chemotherapy) की आवश्यकता होती है।
    • जोखिम वाली आबादी के लिये सुरक्षित दवा संयोजनों का उपयोग करके मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Mass Drug Administration- MDA) एक निवारक दृष्टिकोण है।
    • संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये वर्ष 2000 से अब तक 9 अरब से अधिक लोगों का उपचार किया जा चुका है।
  • प्रगति एवं उपलब्धियाँ:

    • MDA के सफल प्रयासों से संचरण और संक्रमण के प्रसार में कमी आई है।
    • 740 मिलियन लोगों को अब निवारक कीमोथेरेपी की आवश्यकता नहीं है।
    • वर्ष 2018 में 51 मिलियन लोग संक्रमित हुए जो वैश्विक उन्मूलन प्रयासों की शुरुआत के बाद से 74% की कमी दर्शाता है।
  • वेक्टर (रोगाणु) नियंत्रण और WHO का दृष्टिकोण:
    • मच्छर नियंत्रण, जैसे- कीटनाशक-उपचारित जाल (Insecticide-Treated Nets) और इनडोर अवशिष्ट छिड़काव (Indoor Residual Spraying), निवारक कीमोथेरेपी के पूरक हैं।
    • हाथीपाँव रोग के उन्मूलन हेतु WHO का वैश्विक कार्यक्रम (WHO's Global Programme to Eliminate Lymphatic Filariasis- GPELF) इस बीमारी को खत्म करने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2000 में शुरू किया गया था।
      • GPELF का लक्ष्य निरंतर कम संक्रमण दर हासिल करना और देखभाल प्रदान करके 80% स्थानिक देशों में लसीका फाइलेरिया के उन्मूलन के सत्यापन के मानदंडों को पूरा करना है।
      • यह कार्यक्रम सभी स्थानिक देशों में पोस्ट-MDA निगरानी के लिये प्रयास करता है और अंततः MDA की आवश्यकता वाली आबादी को शून्य तक कम कर देता है।
    • यह रणनीति संक्रमण को फैलने से रोकने और प्रभावित व्यक्तियों को आवश्यक देखभाल प्रदान करने पर केंद्रित है।

लसीका फाइलेरिया के उन्मूलन हेतु भारत की पहल:

  • राष्ट्रव्यापी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान स्थानिक क्षेत्रों में निवारक दवाओं की आपूर्ति करता है।
  • विभिन्न हितधारकों, क्षेत्रों और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से पहल के प्रभाव को बढ़ाना।
  • "जनभागीदारी (Jan Bhagidaari) और 'संपूर्ण सरकार (Whole of Government)' तथा 'संपूर्ण समाज (Whole of Society)' दृष्टिकोण के माध्यम से भारत इस बीमारी को देश से खत्म करने में सक्षम होगा।"
  • MDA पहल के दूसरे चरण में लक्षित हस्तक्षेप के लिये 9 स्थानिक राज्यों के 81 ज़िलों पर ध्यान केंद्रित किया गया है (ये राज्य हैं असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश)।   
  • राज्य-केंद्र के सहयोग से स्वास्थ्य देखभाल, निगरानी, रोकथाम और उपचार को बढ़ावा देना।
  • स्वास्थ्य कर्मियों की उपस्थिति में दवा सेवन हेतु प्रोत्साहित कर अनुपालन को बढ़ावा देना।

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 अगस्त, 2023

राष्ट्रीय पांडुलिपि विधेयक, 2023

भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत इसकी प्राचीन पांडुलिपियों में समाहित है, जो अमूल्य ज्ञान का भण्डार हैं  और अपना एक ऐतिहासिक महत्त्व रखती हैं। हालाँकि, इनमें से कई पांडुलिपियों का देश के भीतर और बाहर खो जाना अथवा नष्ट हो जाना चिंता का विषय बन गया है। भारत सरकार राष्ट्रीय पांडुलिपि विधेयक, 2023 के माध्यम से इस समस्या का हल करने की तैयारी में जुटी हुई है।

  • इस विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य विश्व भर में भारतीय विरासत ग्रंथों का दस्तावेज़ीकरण और सूचीबद्ध करना, सटीक जानकारी बनाए रखना और परामर्श शर्तें निर्दिष्ट करना है।
  • यह विधेयक 10 सदस्यों वाले राष्ट्रीय पांडुलिपि प्राधिकरण (National Manuscripts Authority- NMA) की स्थापना का प्रस्ताव रखता है, जिसकी अध्यक्षता संस्कृति मंत्री द्वारा की जायेगी, साथ ही इसमें संस्कृति, वित्त, शिक्षा और निजी एजेंसियों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
    • यह प्राधिकरण पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, संरक्षण, संपादन और प्रकाशन की देखरेख का कार्य करेगा।
    • इस प्राधिकरण के पास पांडुलिपि तक पहुँच को विनियमित करने, चोरी की जाँच करने और क्षति अथवा चोरी के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सिविल कोर्ट की शक्तियाँ होंगी।
    • यह एक विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित मुआवजे के साथ, किसी सामग्री के महत्त्व के आधार पर निजी मालिकों से पांडुलिपियाँ हासिल कर सकता है।
  • पांडुलिपियाँ ताड़ के पत्ते, काग, कपड़े और छाल जैसी सामग्रियों पर संस्कृत तथा क्षेत्रीय भाषाओं में लिखी गई हस्तलिखित रचनाएँ होती हैं, जो कम से कम 75 वर्ष पुरानी होती हैं।
  • भारत में 80 प्राचीन लिपियों में लिखित लगभग 10 मिलियन पांडुलिपियाँ मिली हैं, जिनके संरक्षण की ज़िम्मेदारी राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की है।
    • बख्शाली पांडुलिपि, तीसरी अथवा चौथी शताब्दी ईस्वी पूर्व का एक प्राचीन गणितीय पाठ है जिससे शून्य के प्रारंभिक उपयोग का पता चलता है।

भारत की 'ओडीओपी वॉल'

हाल ही में एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) और दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास के माध्यम से 'ओडीओपी वॉल' पेश की गई है। यह पहल विश्व स्तर पर भारत की असाधारण शिल्प विरासत के अनुरूप है।

  • 'ओडीओपी वॉल' का उद्देश्य दुनिया भर में भारत की शिल्प विशिष्टता को प्रदर्शित करना है।
  • ओडीओपी पहल संतुलित क्षेत्रीय विकास में वृद्धि, प्रत्येक ज़िले से एक अद्वितीय उत्पाद को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
  • इसमें हथकरघा, हस्तशिल्प और कृषि उत्पादों सहित विविध प्रकार के उत्पाद शामिल हैं।
  • यह सहयोग सांस्कृतिक महत्त्व और अद्वितीय गुणों वाले उत्पादों की पहचान करता है और उन्हें बढ़ावा देता है।
  • यह बिक्री को बढ़ावा देता है और ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों (SHGs) तथा स्वदेशी शिल्प का समर्थन करता है।

और पढ़ें… एक ज़िला एक उत्पाद

अपकेंद्रीय बल

अपकेंद्रीय बल, एक बाहरी बल जो किसी घुमावदार या वृत्ताकार पथ पर गति कर रही किसी वस्तु द्वारा अनुभव किया जाता है, यह वास्तविक बल नहीं है बल्कि जड़ता का परिणाम है, जो किसी वस्तु की गति की स्थिति को बनाए रखने की प्रवृत्ति है।

  • यह कथित बल तब उत्पन्न होता है जब कोई वस्तु घुमावदार पथ पर चलती है, जो हमेशा घूर्णन के केंद्र से दूर होती है।
  • हालाँकि यह गुरुत्वाकर्षण या चुंबकत्व जैसा कोई वास्तविक बल नहीं है, यह किसी वस्तु की दिशा बदलने के प्रतिरोध से उत्पन्न होता है।
  • यह सिद्धांत विभिन्न क्षेत्रों में सरल अनुप्रयोग में पाया जाता है। फार्मास्यूटिकल्स, डेयरी और परमाणु ऊर्जा जैसे उद्योग इस प्रतिरोध का फायदा उठाने के लिये अपकेंद्रण यंत्र का उपयोग करते हैं।
    • वॉशिंग मशीन, अपकेंद्र बल का उपयोग करके कपड़ों से पानी निकालकर स्पिन चक्र में सुखाती है।

विंध्यगिरि

17 अगस्त, 2023 को भारत के राष्ट्रपति कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड में प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट, विंध्यगिरि का शुभारंभ करेंगे।

  • यह जहाज़, प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट शृंखला का छठा जहाज़ है, जिसका नाम कर्नाटक पर्वत शृंखला से लिया गया है।
  • यह फ्रिगेट प्रोजेक्ट 17 क्लास फ्रिगेट्स (शिवालिक क्लास) का एक विकसित रूप है, जिसमें उन्नत स्टील्थ क्षमताएँ, उन्नत हथियार, सेंसर और प्लेटफाॅर्म प्रबंधन प्रणालियाँ शामिल हैं।
    • तकनीकी रूप से परिष्कृत विंध्यगिरि अपने पूर्ववर्ती, पूर्व INS विंध्यगिरि, लिएंडर क्लास ASW फ्रिगेट को उत्कृष्टता प्रदान करता है।
  • आत्मनिर्भरता के प्रति देश की प्रतिबद्धता के अनुरूप प्रोजेक्ट 17A जहाज़ों के लिये महत्त्वपूर्ण 75% उपकरण तथा सिस्टम ऑर्डर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) सहित स्वदेशी फर्मों से संबद्ध है।

और पढ़ें… प्रोजेक्ट 17A


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2