रैपिड फायर
ग्रेटर टुनब, लेसर टुनब और अबू मूसा द्वीप
स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स
हाल ही में ईरान ने चीन के राजदूत को बुलाकर अबू मूसा, ग्रेटर टुनब और लेसर टुनब द्वीपों की संप्रभुता के संबंध में चीन तथा संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा दिये गए संयुक्त बयान पर विरोध दर्ज़ कराया।
- ये ईरान और संयुक्त अरब अमीरात के बीच छोटे विवादित द्वीप हैं, जो फारस की खाड़ी में होर्मुज़ जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार पर स्थित हैं।
- ईरान दावा करता है कि ये द्वीप ऐतिहासिक रूप से फारसी क्षेत्र का हिस्सा थे, जब तक कि 20वीं सदी के आरंभ में उन पर ब्रिटिशों ने कब्ज़ा नहीं कर लिया।
- वर्ष 1971 में ब्रिटिश सेना के वापस चले जाने के बाद ईरान ने इन तीनों द्वीपों पर नियंत्रण कर लिया और इन्हें अपना अभिन्न अंग मान लिया।
- UAE के अनुसार, ये द्वीप रास अल-खैमाह अमीरात के थे, जब तक कि ईरान ने कथित तौर पर वर्ष 1971 में ब्रिटेन से UAE की आज़ादी से पहले अमीराती संघ के गठन से कुछ दिन पूर्व उन्हें बलपूर्वक ज़ब्त नहीं कर लिया था।
और पढ़ें: विवादित फारस की खाड़ी द्वीप समूह
प्रारंभिक परीक्षा
परमाणु घड़ी
स्रोत: द हिंदू
वैज्ञानिक पत्रिका नेचर में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में जहाज़ो पर उपयोग के लिये एक नए प्रकार की पोर्टेबल ऑप्टिकल परमाणु घड़ी प्रस्तुत की गई।
- यह नई आयोडीन घड़ी प्रयोगशाला में इस्तेमाल की जाने वाली ऑप्टिकल परमाणु घड़ी जितनी सटीक नहीं है, लेकिन यह अधिक पोर्टेबल और टिकाऊ है। यह हर 9.1 मिलियन वर्ष में एक सेकंड प्राप्त या खो देती है।
परमाणु घड़ियाँ क्या हैं?
- परिचय:
- परमाणु घड़ी, एक ऐसी घड़ी है, जो अपनी असाधारण सटीकता के लिये जानी जाती है और साथ ही परमाणुओं की विशिष्ट अनुनाद आवृत्तियों, आमतौर पर सीज़ियम अथवा रुबिडियम के उपयोग से संचालित होती है।
- इसका अविष्कार लुईस एसेन ने वर्ष 1955 में किया था। वर्तमान में, भारत में परमाणु घड़ियाँ अहमदाबाद एवं फरीदाबाद में संचालित हो रही हैं।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- परमाणु घड़ियाँ पारंपरिक घड़ियों की तुलना में कहीं अधिक सटीक होती हैं क्योंकि परमाणु दोलनों की आवृत्ति बहुत अधिक होती है और वे कहीं अधिक स्थिर होती हैं।
- परमाणु घड़ियाँ बहुत सटीक होती हैं, पारंपरिक परमाणु घड़ियाँ 300 मिलियन वर्षों में एक सेकंड कम करती या अधिक प्राप्त करती हैं, जबकि ऑप्टिकल परमाणु घड़ियाँ 300 बिलियन वर्षों तक इस सटीकता को बनाए रख सकती हैं।
- सीज़ियम परमाणु घड़ी हर 1.4 मिलियन वर्षों में एक सेकंड कम करती या प्राप्त करती है।
- परमाणु घड़ियों का कार्य:
- सीज़ियम (Cs) परमाणु घड़ियाँ, Cs परमाणुओं को उच्च ऊर्जा स्तर पर स्थानांतरित करके कार्य करती हैं, जो माइक्रोवेव विकिरण की आवृत्ति और सेकंड में समय के मापन से जुड़ा हुआ है।
- इस प्रक्रिया में Cs परमाणुओं को एक गुहा में रखा जाता है और एक विशिष्ट आवृत्ति के साथ माइक्रोवेव विकिरण को उनकी ओर निर्देशित किया जाता है।
- जब विकिरण की आवृत्ति Cs परमाणुओं के ऊर्जा संक्रमण से समानता रखती है, तो यह एक अनुनाद की स्थिति बनाता है।
- Cs परमाणु इस विकिरण को अवशोषित करते हैं और उच्च ऊर्जा अवस्था में चले जाते हैं। यह संक्रमण ठीक उसी समय होता है जब विकिरण की आवृत्ति 9,192,631,770 हर्ट्ज़ होती है।
- इसका अर्थ यह है कि जब Cs-133 परमाणु अपने ऊर्जा स्तरों के बीच 9,192,631,770 दोलनों से गुज़रता है तो एक सेकंड बीत जाता है।
- परमाणु घड़ियों की परिशुद्धता एक ऐसी प्रणाली के माध्यम से प्राप्त की जाती है जो अनुनाद आवृत्ति में किसी भी विचलन को ज्ञात कर सकती है तथा अनुनाद को बनाए रखने के लिये इसे माइक्रोवेव विकिरण में समायोजन कर लेती है।
- ऑप्टिकल परमाणु घड़ियाँ:
- इनकी सटीकता परमाणु घड़ियों से बेहतर होती है।
- इन घड़ियों में परमाणु संक्रमणों को उत्तेजित करने के लिये लेज़र का उपयोग किया जाता है, जिससे अत्यधिक सुसंगत प्रकाश उत्पन्न होने के साथ उत्सर्जित सभी प्रकाश तरंगों की आवृत्ति समान तथा तरंगदैर्घ्य स्थिर होती है।
- यह परमाणु घड़ी से निम्न कारणों से भिन्न है:
- उच्च परिचालन आवृत्ति: ऑप्टिकल परमाणु घड़ियाँ उच्च आवृत्तियों पर संचालित होती हैं, जिससे ये पारंपरिक परमाणु घड़ियों की तुलना में किसी निश्चित समय सीमा में अधिक दोलन पूरा कर सकती हैं।
- निश्चित समय अवधि में अधिक दोलन के कारण इसके द्वारा समय की निम्न वृद्धि को अधिक सटीकता से मापा जा सकता है।
- संकीर्ण लाइनविड्थ: इनमें बहुत संकीर्ण लाइनविड्थ होती है जिस पर परमाणु संक्रमण होता है। संकीर्ण लाइनविड्थ से ऑप्टिकल प्रकाश की आवृत्ति को सटीक रूप से ट्यून करना सरल होता है, साथ ही इससे अधिक सटीकता के साथ समय का मापन भी होता है।
- उच्च परिचालन आवृत्ति: ऑप्टिकल परमाणु घड़ियाँ उच्च आवृत्तियों पर संचालित होती हैं, जिससे ये पारंपरिक परमाणु घड़ियों की तुलना में किसी निश्चित समय सीमा में अधिक दोलन पूरा कर सकती हैं।
- संकीर्ण लाइनविड्थ तथा स्थिर ऑप्टिकल संक्रमण जैसे गुणों के कारण स्ट्रोंटियम (Sr) नामक तत्त्व का उपयोग आमतौर पर ऑप्टिकल परमाणु घड़ियों में किया जाता है।
ऑप्टिकल परमाणु घड़ियों के अनुप्रयोग क्या हैं?
- आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा: भारत की विदेशी, विशेष तौर पर अमेरिका की परमाणु घड़ियों पर निर्भरता, संघर्ष के समय में NavIC (भारतीय GPS) जैसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के लिये जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
- परमाणु घड़ियों के को देशज रूप से निर्मित करने से स्वतंत्र समय-निर्धारण होगा, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा सुदृढ़ होगी।
- अधिक सटीकता और विश्वसनीयता: परमाणु घड़ियाँ संबद्ध विषय में अन्य परंपरागत विधियों की अपेक्षा कहीं अधिक सटीकता प्रदान करती हैं। इनका नियोजन संपूर्ण देश में करके, भारत सभी डिजिटल उपकरणों को भारतीय मानक समय (IST) के साथ समक्रमिक (एक ही समय में होना- Synchronise) कर सकता है, जिससे एक एकीकृत और अत्यधिक सटीक समय संदर्भ सुनिश्चित होता है।
- प्रकाशिक/ऑप्टिकल परमाणु घड़ियों के माध्यम से समय को समक्रमिक करने से विभिन्न क्षेत्रों को लाभ होगा:
- दूरसंचार: सटीक समय-निर्धारण से त्रुटियाँ कम होती हैं और संचार नेटवर्क में निर्बाध डेटा अंतरण की सुविधा मिलती है।
- वित्तीय प्रणाली: वित्तीय लेनदेन, विशेष रूप से बार-बार होने वाले व्यापार, के लिये सटीक टाइम स्टैम्प धोखाधड़ी से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- साइबर सुरक्षा: परमाणु घड़ियाँ लेनदेन के लिये टाइमस्टैम्प की सटीकता सुनिश्चित करके भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो धोखाधड़ी की रोकथाम करने, डेटा की अखंडता को बनाए रखने और साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ाने में सहायता करती हैं।
- महत्त्वपूर्ण अवसंरचना और पावर ग्रिड: परमाणु घड़ियाँ पावर ग्रिड, परिवहन प्रणालियों और आपातकालीन सेवाओं सहित महत्त्वपूर्ण अवसंरचना को समक्रमिक करने में अहम भूमिका निभाती हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित देशों में से किस एक के पास अपनी उपग्रह मार्गनिर्देशन (नैविगेशन) प्रणाली है? (2023) (a) ऑस्ट्रेलिया उत्तर: (d) |
प्रारंभिक परीक्षा
UNSC के नए गैर-स्थायी सदस्य
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
हाल ही में पाकिस्तान, सोमालिया, डेनमार्क, ग्रीस और पनामा को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना गया है, जिनका 2 वर्ष का कार्यकाल 1 जनवरी 2025 से 31 दिसंबर 2026 तक होगा।
UNSC में नए सदस्यों का चुनाव कैसे किया जाता है?
- चुनाव प्रक्रिया और क्षेत्रीय समूह
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सीटों के लिये चुनाव प्रक्रिया में क्षेत्रीय समूह उम्मीदवारों को नामित करते हैं। चार क्षेत्रीय समूह हैं।
- नव निर्वाचित सदस्यअफ्रीकी समूह के लिये सोमालिया, एशिया-प्रशांत समूह के लिये पाकिस्तान, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन समूह के लिये पनामा, पश्चिमी यूरोपीय एवं अन्य समूह के लिये डेनमार्क व ग्रीस हैं।
- प्रत्येक क्षेत्रीय समूह आम तौर पर दो साल के कार्यकाल के लिये महासभा में प्रस्तुत करने के लिये उम्मीदवारों पर सहमत होता है।
- इस प्रक्रिया का उद्देश्य सुरक्षा परिषद के भीतर क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है, जो वैश्विक भू-राजनीतिक विविधता और हितों को दर्शाता है।
- वर्तमान और नए सदस्य: नए सदस्य मोजाम्बिक, जापान, इक्वाडोर, माल्टा और स्विटज़रलैंड जैसे निवर्तमान देशों की जगह लेंगे।
- सुरक्षा परिषद की भूमिका और चुनौतियाँ: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- हालाँकि, इसके स्थायी सदस्यों की वीटो शक्ति के कारण इसकी प्रभावशीलता में बाधा आ सकती है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या है?
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत 1945 में स्थापित, संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है।
- UNSC में सदस्यों की संख्या 15 हैं: 5 स्थायी सदस्य (P5) और 10 गैर-स्थायी सदस्य 2 वर्ष की अवधि के लिये चुने जाते हैं।
- 5 स्थायी सदस्य हैं: संयुक्त राज्य अमेरिका, रूसी संघ, फ्राँस, चीन और यूनाइटेड किंगडम।
- ओपेनहेम के अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार: संयुक्त राष्ट्र, "द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उनके महत्त्व के आधार पर पाँच राज्यों को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्रदान की गई।"
- सुरक्षा परिषद में भारत की भागीदारी 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92, 2011-12 और 2021-22 की अवधि के दौरान एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में रही है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. UN की सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य होते हैं और शेष 10 सदस्यों का चुनाव कितनी अवधि के लिये महासभा द्वारा किया जाता है? (2009) (a) 1 वर्ष उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट प्राप्त करने में भारत के सामने आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिये। (2015) |
रैपिड फायर
ग्रेटर स्पॉटेड ईगल
स्रोत: डाउन टू अर्थ
एक हालिया रिपोर्ट से जानकारी प्राप्त होती है, कि रूस तथा यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने बड़े शिकारी पक्षियों की प्रजाति, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल्स को अपने प्रवासी मार्ग बदलने के लिये मजबूर किया है।
- IUCN स्थिति: सुभेद्य
- भौगोलिक वितरण: अधिकांशतया ये पश्चिमी एवं मध्य यूरोप से विलुप्त हो चुके हैं, तथा पोलेशिया, बेलारूस में इनकी प्रजनन जनसंख्या सीमित है।
- भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I (अन्य ईगल प्रजातियाँ)
और पढ़ें: दुर्लभ स्टेपी ईगल
रैपिड फायर
PM किसान निधि
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में केंद्र सरकार ने नवगठित सरकार के पहले निर्णय में PM किसान निधि की सत्रहवीं किस्त जारी की।
- PM किसान निधि योजना के अंर्तगत केंद्र प्रति वर्ष 6,000 रुपए की राशि तीन समान किस्तों में सीधे सभी भूमिधारक किसानों के बैंक खातों में स्थानांतरित करता है, चाहे उनकी भूमि जोत का आकार कुछ भी हो।
- फरवरी 2019 में शुरू की गई यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है, जिसका 100% वित्तपोषण भारत सरकार द्वारा किया जाता है।
- इसका क्रियान्वयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है, तथापि लाभार्थी किसान परिवारों की पहचान करने की पूरी ज़िम्मेदारी राज्य/संघ राज्य सरकारों की है।
और पढ़ें: PM किसान योजना
रैपिड फायर
वोल्खोव नदी
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में रूस के एक विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे महाराष्ट्र के चार मेडिकल छात्र, सेंट पीटर्सबर्ग के निकट वोल्खोव नदी में डूब गए।
- वोल्खोव नदी उत्तर-पश्चिमी रूस में प्रवाहित होती है।
- यह इल्मेन झील से निकलती है, नोवगोरोड से होकर गुजरती है, तथा समतल, दलदली क्षेत्र से होकर उत्तर-पूर्व में लाडोगा झील में समाहित हो जाती है।
- सोवियत संघ का पहला जलविद्युत स्टेशन, वर्ष 1926 में वोल्खोव शहर में निर्मित किया गया था।
- वोल्खोव, प्रारंभ में महत्त्वपूर्ण बाल्टिक सागर-काला सागर व्यापार मार्ग का हिस्सा था, और साथ ही केवल छोटे जहाज़ों द्वारा ही नौगम्य था।
- विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा वर्ष 2022 में जारी आँकड़ों के अनुसार, रूस में लगभग 16,500 भारतीय छात्र थे।
और पढ़ें: भारत-रूस
रैपिड फायर
क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष
स्रोत:द हिंदू
संयुक्त राष्ट्र (United Nations - UN) ने क्वांटम विज्ञान और इसके अनुप्रयोगों के महत्त्व के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिये वर्ष 2025 को ‘क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष’ (International Year of Quantum Science and Technology) घोषित किया है।
- इस प्रस्ताव का नेतृत्व मेक्सिको ने मई 2023 में यूनेस्को के महासम्मेलन में किया था, जिसे लगभग 60 देशों ने अपनाया था।
- साथ ही वर्ष 2025 में जर्मन भौतिक विज्ञानी वर्नर हाइज़ेनबर्ग द्वारा आधुनिक क्वांटम यांत्रिकी (modern quantum mechanics) की नींव रखने वाले एक पेपर (शोध-पत्र) को प्रकाशित करने की एक शताब्दी भी पूरी हो जाएगी।
- उन्हें क्वांटम यांत्रिकी के निर्माण के लिये वर्ष 1932 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
- भारत ने अप्रैल 2023 में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन लॉन्च किया जिसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology) द्वारा 2023 से 2031 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
- इसके चार वर्टिकल हैं: क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम सेंसिंग एंड मेट्रोलॉजी तथा क्वांटम मटेरियल एंड डिवाइस।
और पढ़ें: क्वांटम प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय क्वांटम मिशन