प्रारंभिक परीक्षा
MPLADS फंड में गिरावट
स्रोत: बिज़नेस लाइन
चर्चा में क्यों?
संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) पर सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के नवीनतम आँकड़ों से पता चलता है कि 16वीं लोकसभा (2014-2019) की तुलना में 17वीं लोकसभा (2019-2024) के लिये केंद्र सरकार द्वारा जारी कुल फंड/निधि में गिरावट आई है।
MPLADS पर MoSPI डेटा की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- फंड में कमी: 17वीं लोकसभा (2019-2024) के लिये MPLADS फंड कुल 4,510 करोड़ रुपए था, जो 16वीं लोकसभा से 65.2% कम है, जिसका मुख्य कारण कोविड-19 महामारी है।
- फंड का उपयोग: 14 वीं लोकसभा में MPLADS फंड का 102% उपयोग हुआ, जबकि 16 वीं और 17 वीं लोकसभाओं में क्रमशः 99% और 98% उपयोग दर्ज किया गया।
- क्षेत्रीय असमानताएँ: उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के सांसदों को सबसे अधिक MPLADS निधि प्राप्त हुई, जबकि दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के सांसदों को सबसे कम प्राप्त हुई।
- सेक्टर-वाइज़ फंड वितरण: 17 वीं लोकसभा अवधि के दौरान, बुनियादी ढाँचे (रेलवे, सड़क, पुल) के लिये 1679 करोड़ रुपए आवंटित किये गए, इसके बाद अन्य सार्वजनिक सुविधाएँ और शिक्षा का स्थान रहा।
MPLADS क्या है?
- परिचय: MPLADS वर्ष 1993 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है जो संसद सदस्यों (MP) को स्थानीय स्तर की आवश्यकताओं के आधार पर संधारणीय सामुदायिक परिसंपत्तियों के निर्माण पर ज़ोर देते हुए अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम बनाती है।
- कार्यान्वयन: राज्य स्तरीय नोडल विभाग MPLADS की देखरेख करता है, जबकि ज़िला प्राधिकरण परियोजनाओं को मंज़ूरी देते हैं, धन आवंटित करते हैं और कार्यान्वयन सुनिश्चित करते हैं।
- निधि आवंटन: वर्ष 2011-12 से प्रत्येक सांसद को प्रति वर्ष 5 करोड़ रुपए आवंटित किये जाते हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा ज़िला अधिकारियों को 2.5 करोड़ रुपए की दो किस्तों में निधि संवितरित की जाती है।
- निधि की प्रकृति: निधियाँ व्यपगत नहीं होती हैं और यदि किसी वर्ष में उनका उपयोग नहीं किया जाता है तो उन्हें अग्रेनीत किया जाता है। सांसदों को अपने कोष का न्यूनतम 15% और 7.5% क्रमशः अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिये परिसंपत्तियाँ निर्मित किये जाने हेतु आवंटित किया जाना होता है।
- विशेष प्रावधान: सांसद राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं के लिये अपने निर्वाचन क्षेत्र या राज्य के बाहर प्रतिवर्ष 25 लाख रुपए तक आवंटित कर सकते हैं।
- गंभीर प्राकृतिक आपदाओं के लिये, सांसद भारत में कहीं भी परियोजनाओं के लिये 1 करोड़ रुपए तक की धनराशि आवंटित कर सकते हैं।
- MPLADS के अंतर्गत पात्र परियोजनाएँ: MPLADS निधि को धारणीय परिसंपत्ति निर्माण हेतु MGNREGS के साथ तथा खेल अवसंरचना विकास हेतु खेलो इंडिया कार्यक्रम के साथ एकीकृत किया जा सकता है।
- सामाजिक कल्याण में संलग्न पंजीकृत सोसाइटियों या ट्रस्टों के स्वामित्व वाली भूमि पर कम से कम तीन वर्षों तक बुनियादी ढाँचे के समर्थन की अनुमति है लेकिन उन सोसाइटियों के लिये यह निषिद्ध है जहाँ सांसद या उनके परिवार के सदस्य पदाधिकारी हैं।
MPLADS के पक्ष और विपक्ष में मुख्य तर्क क्या हैं?
पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: MPLADS के पक्ष और विपक्ष में तर्क
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के अंतर्गत निधियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सही हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
रैपिड फायर
कसावा
स्रोत: डाउन टू अर्थ
स्वदेशी कृषि ने कसावा की आनुवंशिक विविधता को संरक्षित रखा है और लगभग एक अरब लोगों को भोजन उपलब्ध कराकर इसने 'ब्रेड ऑफ द ट्रॉपिक्स' का खिताब अर्जित किया है।
- कसावा: कसावा (युका या मैनिओक) एक स्टार्चयुक्त जड़ वाली सब्जी है और यह टैपिओका (बेकरी उत्पादों, कागज और चिपकने वाले उद्योगों में उपयोग किया जाने वाला स्टार्च) का स्रोत है ।
- यह पौधा दक्षिण अमेरिका का स्थानिक है और सूखे एवं निम्न पोषण वाली मृदा के प्रति इसके अनुकूलन के कारण उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (अफ्रीका, एशिया एवं लैटिन अमेरिका) में व्यापक रूप से इसकी कृषि की जाती है।
- भारत में कसावा की कृषि मुख्यतः केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों तक ही सीमित है।
- इसे स्टेम कटिंग के माध्यम से उगाया जाता है, लेकिन ब्राज़ील की कुकुरो परंपरा के अंतर्गत बीज आधारित उत्पादन को प्रोत्साहित कर आनुवंशिक विविधता को बढ़ावा दिया जाता है।
- यह आंत्र के लिये स्वास्थ्य वर्द्धक है, रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है, भूख को नियंत्रित करता है और टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करता है।
- इसका उपयोग बायोएथेनॉल और बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के उत्पादन में किया जाता है, जबकि इसके छिलके और पत्ते पशुओं के चारे के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं।
और पढ़ें: आनुवंशिक रूप से रूपांतरित जीव (GMO)
रैपिड फायर
हाइड्रोजन परॉक्साइड
स्रोत: पी.आई.बी.
शोधकर्त्ताओं ने हाइड्रोजन परॉक्साइड (H₂O₂) को संश्लेषित करने हेतु एक कुशल, पर्यावरण-अनुकूल एवं ऊर्जा-दक्ष विधि विकसित की है।
हाइड्रोजन परॉक्साइड (H₂O₂) :
- यह कमरे के तापमान पर कड़वा स्वाद वाला एक रंगहीन तरल है, अत्यधिक अस्थिर है, और ऑक्सीजन और जल में विघटित होकर ऊष्मा का उत्सर्जन करता है।
- इसका उपयोग घावों के लिये एंटीसेप्टिक (तरल घोल) और अस्पतालों और क्लीनिकों में कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है।
- औद्योगिक उपयोग: कागज, कपड़ा और कॉस्मेटिक उद्योगों में विरंजन एजेंट के रूप में।
- रॉकेट प्रणोदन: उच्च सांद्रता वाले H₂O₂ का उपयोग प्रणोदक के रूप में किया जाता है।
- रासायनिक अनुप्रयोग: स्टेरिलाइज़ेशन हेतु खाद्य प्रसंस्करण में।
- खतरे: यह एक प्रबल ऑक्सीकारक है जिससे यह दहनशील पदार्थों के साथ स्वतः प्रज्वलन का कारण बन सकता है।
- परॉक्साइड रसायन कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनमें एक परॉक्साइड कार्यात्मक समूह ( दो जुड़े हुए ऑक्सीजन परमाणु ) होता है।
रैपिड फायर
सोलर मैक्सिमम स्पर्स सोलर मिशन
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
NASA का PUNCH मिशन, जिसका उद्देश्य सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना है, वर्ष 2023 के बाद से तीसरा प्रमुख सौर मिशन है, जो सौर चक्र से जुड़े सौर मिशनों में वृद्धि को दर्शाता है, जो अपने सोलर मैक्सिमम के करीब पहुँच रहा है।
सौर चक्र:
- सौर चक्र 11 वर्ष की अवधि है जिसके दौरान सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र परिवर्तित होता है, जिसके कारण उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव अपने स्थान परिवर्तित करते हैं।
- सोलर मैक्सिमम (जब सूर्य सर्वाधिक सक्रिय होता है) के दौरान , सौर गतिविधियाँ - जैसे कि सनस्पॉट, सौर ज्वालाएँ और कोरोनाल मास इजेक्शन - बढ़ जाते हैं, जिससे उपग्रह संचार और विद्युत् ग्रिड प्रभावित होते हैं।
- सनस्पॉट छोटे, काले और शीतल क्षेत्र होते हैं जहाँ चुंबकीय क्षेत्र विशेष रूप से मज़बूत होता है।
- यह चक्र सोलर मिनिमम (जब सनस्पॉट की सक्रियता सबसे कम होती है) के साथ समाप्त होता है, जिससे अगले चक्र के शुरू होने तक सौर सक्रियता में गिरावट आती है।
- सौर चक्र का पता सनस्पॉट की गणना करके लगाया जाता है।
सौर मिशनों में वृद्धि:
- सौर मिशनों की संख्या में वृद्धि सूर्य के अपने सोलर मैक्सिमम (वर्ष 2022-2024) के निकट पहुँचने के कारण हुई है, जो इसके व्यवहार का अध्ययन करने का सबसे अच्छा अवसर प्रदान करता है।
- सौर गतिविधि का अगला चक्र वर्ष 2035-2036 के बाद होने की उम्मीद है।
प्रारंभिक सौर मिशन: आदित्य L1 (भारत) , प्रोबा-3 (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी)
और पढ़ें: नासा का PUNCH मिशन
रैपिड फायर
पशुओं के तरल अपशिष्ट का उर्वरक में परिवर्तन
स्रोत: TH
वैज्ञानिकों ने मूत्र से यूरिया का निष्कर्षण करने हेतु एक नवीन विद्युत-रासायनिक तकनीक विकसित की है, जो अपशिष्ट जल उपचार चुनौतियों का समाधान करते हुए इसे उर्वरक में परिवर्तित करेगी।
- नई विद्युत रासायनिक प्रक्रिया मूत्र के यूरिया को परकार्बामाइड में परिवर्तित करती है, जो एक क्रिस्टलीय परॉक्साइड व्युत्पन्न है जिसका उपयोग उर्वरक के रूप में किया जा सकता है।
- इसने मानव और पशु दोनों के मूत्र से परकार्बामाइड का निष्कर्षण करने में लगभग पूर्ण शुद्धता हासिल कर ली है।
- निष्कर्षित परकार्बामाइड से क्रमिक रूप में नाइट्रोजन उत्सर्जित होता है, जिससे फसल की वृद्धि बढ़ती है और नाइट्रोजन चक्र पूरा होता है।
- मूत्र में फास्फोरस, पोटेशियम और नाइट्रोजन (यूरिया) जैसे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो इसे एक संभावित प्राकृतिक उर्वरक बनाते हैं।
- एक वयस्क व्यक्ति प्रतिवर्ष 450-680 लीटर मूत्र उत्पादित करता है, जिससे 4 किलोग्राम नाइट्रोजन और 0.3 किलोग्राम फॉस्फोरस उत्पन्न होता है, जो एक वर्ष तक प्रतिदिन एक रोटी के लिये गेहूँ उगाने के लिये पर्याप्त है।
- यह स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के तहत ODF++ स्थिति प्राप्त करने में मदद कर सकता है, जिसमें GHG उत्सर्जन को कम करने के लिये ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन और डेयरी क्षेत्र शामिल हैं।
और पढ़ें: स्वच्छ भारत मिशन-शहरी
रैपिड फायर
चंद्र ध्रुवों से परे वाॅटर आइस
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में चंद्रयान-3 के ChaSTE (चंद्र सरफेस थर्मो फिज़िकल एक्सपेरिमेंट) डेटा से पता चला है कि चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों से परे (विशेष रूप से उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में) वाॅटर आइस मौजूद हो सकती है।
- ChaSTE एक प्रकार का थर्मामीटर है जिसके द्वारा चंद्रमा के ध्रुवों के पास सतह एवं उप-सतह के तापमान को मापा जाता है।
- ChaSTE डेटा के अनुसार छायित चंद्र ढलान ध्रुवीय क्षेत्रों के समान हो सकते हैं, जिससे संभवतः अधस्तल वाॅटर आइस का प्रच्छादन हो सकता है।
- सूर्य से दूर अपेक्षाकृत अधिक अधिक शीतित ढालों में वाॅटर आइस का प्रग्रहण हो सकता है, जिससे भविष्य के मिशनों में आसान पहुँच के लिये इसकी उपस्थिति ध्रुवीय क्रेटरों से आगे विस्तारित हो सकती है।
- चंद्रमा का जल पीने योग्य हो सकता है, ऑक्सीजन उत्पादन में सहायक हो सकता है, तथा इसे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में पृथक करने से गहरे अंतरिक्ष मिशनों के लिये ईंधन उत्पादन में सहायता मिल सकती है।
- चंद्रयान-3 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में पहुँचा, जिसे बाद में 'शिव शक्ति पॉइंट' नाम दिया गया।
और पढ़ें: चंद्रयान-3