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विस्फोटक पदार्थ अधिनियम एवं पेरॉक्साइड रसायन

  • 25 May 2024
  • 3 min read

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

हाल ही में महाराष्ट्र के ठाणे में स्थित एक फैक्ट्री में हुए रासायनिक विस्फोट में 11 लोगों की मृत्यु हो गई। इस घटना का कारण बने प्रतिक्रियाशील पेरॉक्साइड रसायनों के कारण अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने के लिये विस्फोटक अधिनियम, 1884 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 का प्रयोग किया गया है

  • भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा अधिनियमित, 1884 का विस्फोटक अधिनियम, विस्फोटकों के निर्माण, भंडारण, उपयोग, बिक्री, आयात एवं निर्यात को नियंत्रित करता है। यह दुर्घटनाओं को रोकने के लिये विस्फोटकों के रखरखाव, परिवहन तथा भंडारण के लिये सुरक्षा मानकों को निर्धारित करता है।
  • विस्फोटक पदार्थ अधिनियम,1908 में विस्फोटक पदार्थों के साथ-साथ विशेष श्रेणी के विस्फोटक पदार्थों को परिभाषित करने वाले प्रावधान शामिल हैं, जिनमें RDX जैसे यौगिक शामिल हैं। इस अधिनियम में जीवन अथवा संपत्ति को खतरे में डालने वाले विस्फोटकों से संबंधित सज़ा का प्रावधान किया गया है, साथ ही दुर्भावनापूर्ण इरादे से विस्फोट करने के प्रयासों या विस्फोटकों को रखने के लिये सज़ा का प्रावधान भी किया गया है।
  • पेरॉक्साइड रसायन, ऐसे कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनमें एक पेरॉक्साइड कार्यात्मक समूह होता है, जो एक साथ जुड़े दो ऑक्सीजन परमाणुओं की विशेषता प्रदर्शित करता है।
    • पेरॉक्साइड की सामान्य संरचना को R−O−O−R के रूप में दर्शाया जा सकता है, जहाँ 'R' कोई भी तत्त्व हो सकता है। दो ऑक्सीजन परमाणुओं (O−O) के बीच संबंध को पेरॉक्साइड समूह या पेरॉक्सी समूह के रूप में जाना जाता है।
      • उदाहरण: हाइड्रोजन  पेरॉक्साइड, बेंज़ोयल  पेरॉक्साइड।
    • पेरॉक्साइड में कमज़ोर बंधन होता है, जिससे वे अधिक प्रतिक्रियाशील हो जाते हैं और अन्य रसायनों को उनकी संरचना में परिवर्तन करने में सहायता मिलती होती है।
    • पेरॉक्साइड खतरनाक हो सकते हैं तथा गर्मी अथवा घर्षण के संपर्क में आने पर इनमें विस्फोट हो सकता है।

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