प्रारंभिक परीक्षा
चीन-अफ्रीका सहयोग शिखर सम्मेलन पर फोरम
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन ने बीजिंग में चीन-अफ्रीका सहयोग मंच (FOCAC) शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की, जिसमें 53 अफ्रीकी देशों ने भाग लिया, जिसमें आर्थिक दबावों के बीच चीन के उभरते दृष्टिकोण और अफ्रीका के साथ अपनी साझेदारी को सुदृढ़ करने के उसके प्रयासों को प्रदर्शित किया गया।
चीन-अफ्रीका सहयोग मंच क्या है?
- उत्पत्ति: चीन और अफ्रीकी देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को औपचारिक रूप देने के लिये वर्ष 2000 में इसकी स्थापना की गई थी, जिसमें प्रत्येक तीन वर्ष में एक शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाता है, जिसमें चीन और अफ्रीका बारी-बारी से मेज़बान होता है।
- प्रतिभागी: FOCAC में 53 अफ्रीकी देश इसके सदस्य हैं, केवल एस्वातिनी देश ही इसका अपवाद है, जो चीन की "एक चीन" नीति के विरुद्ध ताइवान के साथ राजनयिक संबंध रखता है।
- अफ्रीकी संघ आयोग, महाद्वीपीय ब्लॉक जिसे अपने सदस्य देशों में सहयोग और आर्थिक एकीकरण सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया है, भी इसका एक सदस्य है।
- वर्ष 2024 शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें: शिखर सम्मेलन की थीम है "Joining Hands to Advance Modernization and Build a High-Level China-Africa Community with a Shared Future.” अर्थात “आधुनिकीकरण को आगे बढ़ाने और साझा भविष्य के साथ एक उच्च स्तरीय चीन-अफ्रीका समुदाय बनाने के लिये हाथ मिलाना।"
- शिखर सम्मेलन का उद्देश्य शासन, औद्योगीकरण, कृषि उन्नयन और चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative- BRI) परियोजनाओं को आगे बढ़ाने जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करना है।
- चीन ने अफ्रीकी देशों को लगभग 51 अरब अमेरिकी डॉलर की धनराशि देने का वादा किया है, जिससे पूरे महाद्वीप में 30 बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को समर्थन मिलेगा।
- शिखर सम्मेलन में बीजिंग घोषणापत्र और FOCAC-बीजिंग कार्य योजना (2025-27) को अपनाया गया, जिसमें चीन-अफ्रीका साझेदारी को गहरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
अफ्रीका के साथ चीन के संबंध
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) के अनुसार 2023 में अफ्रीका और चीन के बीच व्यापार 282 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
- चीन अफ्रीका के निर्यात (मुख्यतः धातु, खनिज उत्पाद और ईंधन जैसी प्राथमिक वस्तुएँ) का 20% और अफ्रीकी आयात (मुख्यतः विनिर्मित वस्तुएँ, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा मशीनरी) का 16% हिस्सा है।
- तंजानिया-जाम्बिया रेलवे, एक अंतर्राष्ट्रीय रेलवे, अफ्रीका में चीन की पहली प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजना थी, जो महाद्वीप के साथ उसके जुड़ाव में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
- अफ्रीका में चीन का निवेश, विशेष रूप से BRI के तहत, महत्त्वपूर्ण रहा है। पश्चिमी ऋणों की तुलना में कम बाधाओं के कारण अफ्रीकी राष्ट्र अक्सर वित्तपोषण के लिये चीन की ओर रुख करते हैं, लेकिन "ऋण जाल कूटनीति" के बारे में चिंताएँ उभरी हैं, आलोचकों का आरोप है कि चीन के बड़े पैमाने पर ऋण भू-राजनीतिक लाभ का कारण बन सकते हैं।
भारत की अफ्रीका के साथ वर्तमान में सहभागिता किस प्रकार है?
- भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (IAFS): संबंधों को मज़बूत करने के उद्देश्य से शुरू किये गए IAFS का वर्ष 2015 के बाद से कोई आयोजन नहीं हुआ है। कोविड-19 महामारी के कारण चौथे शिखर सम्मेलन में विलंब हुआ, जिसे पहले वर्ष 2020 में आयोजित करने के लिये योजनाबद्ध किया गया था।
- हालिया पहल: अफ्रीका के लिये 2018 के मार्गदर्शक सिद्धांत भारतीय विदेश नीति में अफ्रीका को प्राथमिकता देने और व्यापार, डिजिटल नवाचार और जलवायु सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं।
- भारत की 2023 G20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ (AU) को G20 का स्थायी सदस्य बनाया गया।
- G20 अध्यक्षता के बाद से भारत वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट (VOGSS) की मेज़बानी करता रहा है, जिसमें सभी अफ्रीकी देश भाग लेते हैं।
- भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान और उसके बाद अभी तक VOGSS के तीन संस्करण आयोजित किये जा चुके हैं।
- रक्षा एवं सुरक्षा: भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता (IADD) सुरक्षा सहयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
- आर्थिक संबंध: भारत अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार लगभग 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तथा संचयी निवेश 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौता (AfCFTA) गहन आर्थिक एकीकरण की संभावनाओं के मार्ग खोलता है। भारत अपनी शुल्क-मुक्त टैरिफ वरीयता (DFTP) योजना के माध्यम से कम विकसित देशों (LDC) को गैर-पारस्परिक शुल्क-मुक्त बाज़ार पहुँच प्रदान करने वाला पहला विकासशील देश है।
- डिजिटल और तकनीकी सहयोग: भारत अफ्रीका के डिजिटल परिवर्तन का समर्थन करने के लिये डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
और पढ़ें: भारत-अफ्रीका सहयोग में नए रास्ते
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन (इंडिया-अफ्रीका सम्मिट)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
रैपिड फायर
विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हीरा
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में बोत्सवाना में कारोवे डायमंड माइन में 2,492 कैरेट के एक हीरे की खोज की गई है , जो विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हीरा है। ज्ञातव्य है कि अब तक का सबसे बड़ा हीरा कुलिनन हीरा है, जिसका वज़न 3,106 कैरेट है, जिसे वर्ष 1905 में दक्षिण अफ्रीका में खोजा गया था।
- इस हीरे को मेगा डायमंड रिकवरी (MDR) एक्स-रे ट्रांसमिशन (XRT) तकनीक का उपयोग करके पुनर्प्राप्त किया गया था, जो बड़े हीरों की पहचान और संरक्षण को बढ़ावा देता है।
- बोत्सवाना एक प्रमुख हीरा उत्पादक देश है, बोत्सवाना के सकल घरेलू उत्पाद का 30% और इसके निर्यात का 80% हिस्सा हीरे से आता है।
- हीरे का परिचय :
- हीरा कार्बन का एक अपरूप है और पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाला सबसे कठोर पदार्थ है।
- पृथ्वी के मेंटल में निर्मित और ज्वालामुखीय गतिविधि के माध्यम से सतह पर लाया गया यह पदार्थ डाइक एवं सिल्स जैसे ज्वालामुखीय भू-आकृतियों में पाया जाता है।
- उपयोग:
- आभूषण, धातु पॉलिशिंग, जेम कटिंग और ड्रिल के लिये एज कटिंग जैसे औद्योगिक अनुप्रयोगों में।
- भारत में प्रमुख स्थान:
- पन्ना बेल्ट (मध्य प्रदेश), वज्रकरुर किम्बरलाइट पाइप और कृष्णा नदी बेसिन (आंध्र प्रदेश)।
- पॉलिशिंग और कटिंग उद्योग सूरत, नवसारी, अहमदाबाद और पालमपुर में केंद्रित है।
- प्रमुख उत्पादक:
- रूस, बोत्सवाना, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC)।
और पढ़ें: प्रयोगशाला में निर्मित हीरे
रैपिड फायर
टाइफून शानशान
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
हाल ही में टाइफून (चक्रवात) शानशान के कारण जापान में अत्यधिक वर्षा और तेज़ हवाएँ चलीं, जिसके कारण एयरलाइंस तथा रेलवे को कई सेवाएँ रद्द करनी पड़ीं।
- टाइफून:
- टाइफून एक प्रकार का उष्णकटिबंधीय चक्रवात होता है, जिसे उनके स्थान के आधार पर प्रभंजन/हरिकेन या चक्रवात भी कहा जा सकता है।
- चक्रवात निम्न दाब वाले क्षेत्र के चारों ओर वायु का तेज़ी से अंतर्वाह (अंदर की ओर) परिसंचरण होता है।
- हवा उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त दिशा में और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त दिशा में घूमती है।
- ये आमतौर पर प्रबल विध्वंसक तूफान और खराब मौसम के साथ आते हैं।
- चक्रवातों का नामकरण:
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम निर्धारित करने के लिये प्रक्रियाएँ विकसित की हैं, जो क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग हैं।
- ये नाम पुरुषों और महिलाओं के नामों के बीच बारी-बारी से या देशों के वर्णमाला क्रम का पालन करते हुए वर्णानुक्रम में चुने जाते हैं ।
- नामकरण प्रक्रिया स्थानीय उष्णकटिबंधीय चक्रवात निकायों द्वारा संचालित की जाती है, जो WMO सदस्यों की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान और जल विज्ञान सेवाओं द्वारा प्रस्तावित नामों की पूर्व-निर्धारित सूचियाँ स्थापित करते हैं।
चक्रवात के प्रकार |
स्थान |
टाइफून |
चीन सागर और प्रशांत महासागर |
प्रभंजन/हरिकेन |
पश्चिमी भारतीय द्वीप, कैरेबियन सागर, अटलांटिक महासागर |
टॉरनेडो |
पश्चिमी अफ्रीका का गिनी लैंड, दक्षिणी अमेरिका |
विली-विलीज़ |
उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया |
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात |
हिंद महासागर क्षेत्र |
और पढ़ें: चक्रवात, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नामों की नई सूची


रैपिड फायर
मेगा ऑयल-पाम प्लांटेशन ड्राइव 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम (National Mission on Edible Oil-Oil Palm- NMEO- OP) के तहत मेगा ऑयल पाम प्लांटेशन ड्राइव 2024 का आयोजन किया गया। इसके तहत भारत के 15 राज्यों में 17 लाख से ज़्यादा ऑयल पाम पौधे लगाए गए, जिससे 10,000 से ज़्यादा किसान लाभान्वित हुए।
- इसका आयोजन राज्य सरकारों द्वारा अग्रणी तेल पाम प्रसंस्करण कंपनियों के सहयोग से किया जाता है।
- इस पहल के तहत अनेक जागरूकता कार्यशालाएँ, वृक्षारोपण अभियान और प्रचार कार्यक्रम आयोजित किये गए, जिनसे जागरूकता बढ़ाने तथा कृषक समुदाय को शामिल करने में सफलता मिली।
- राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – ऑयल पाम (NMEO-OP)
- इसे भारत सरकार द्वारा अगस्त 2021 में लॉन्च किया गया था।
- इसका उद्देश्य व्यवहार्यता मूल्य समर्थन सहित ऑयल पाम क्षेत्र के विकास के लिये मूल्य शृंखला पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना करके ऑयल पाम की खेती का विस्तार करना और कच्चे पाम ऑयल (Crude Palm Oil- CPO) के उत्पादन को बढ़ावा देना है।
- भारत विश्व स्तर पर खाद्य तेल का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और इसका सबसे बड़ा आयातक है।
- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, मिज़ोरम भारत में सबसे बड़े तेल पाम उत्पादक राज्य हैं।
- भारत ने वर्ष 2022-23 में 16.5 मिलियन मीट्रिक टन (MT) खाद्य तेल का आयात किया।
- इंडोनेशिया और मलेशिया प्रमुख वैश्विक पाम तेल उत्पादक हैं इसके बाद थाईलैंड, कोलंबिया तथा नाइजीरिया का स्थान आता है।
अधिक पढ़ें: पाम-ऑयल उत्पादन
रैपिड फायर
वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC)
स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर की अध्यक्षता में वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति की बैठक संपन्न हुई, जिसमें महत्वपूर्ण वैश्विक तथा घरेलू समष्टि आर्थिक एवं वित्तीय विकास की समीक्षा की गई।
- इसमें अंतर-नियामक समन्वय पर ध्यान केंद्रित किया गया तथा वैश्विक स्पिलओवर, साइबर खतरों और जलवायु परिवर्तन जैसी उभरती चुनौतियों के मद्देनज़र वित्तीय स्थिरता के लिये संभावित जोखिमों का आकलन किया गया।
- FSDC:
- यह वित्त मंत्रालय के अंतर्गत एक असांविधिक सर्वोच्च परिषद है, जिसका गठन वर्ष 2010 में कार्यपालक आदेश द्वारा किया गया था।
- वित्तीय क्षेत्र सुधारों पर रघुराम राजन समिति (2008) ने सबसे पहले FSDC के गठन का प्रस्ताव रखा था।
- FSDC का उद्देश्य व्यापक आर्थिक और वित्तीय विकास की निगरानी करना, वित्तीय स्थिरता के जोखिमों का आकलन करना, वित्तीय नियामकों के बीच समन्वय बढ़ाना तथा वित्तीय समावेशन एवं विकास को बढ़ावा देना है।
- इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करते हैं ।इसमें RBI, SEBI, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) तथा पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) जैसे वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के प्रमुख एवं मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) शामिल होते हैं।
- FSDC उप-समिति:
- FSDC को RBI के गवर्नर की अध्यक्षता में गठित एक उप-समिति (FSDC-SC) द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। इसकी बैठकें पूर्ण FSDC की तुलना में अधिक बार होती हैं।
- इसमें FSDC के सभी सदस्य, चार RBI डिप्टी गवर्नर और आर्थिक कार्य विभाग (DEA) के अतिरिक्त सचिव शामिल हैं।
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