वन्यजीव ट्रैंक्विलाइज़ेशन
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में जीनत नामक तीन वर्ष की बाघिन को पश्चिम बंगाल के बांकुरा के जंगलों से बेहोश करके पकड़ लिया गया और उसे ओडिशा के सिमलीपाल बाघ अभयारण्य में स्थानांतरित किया गया।
- ट्रैंक्विलाइज़ेशन न केवल संरक्षण प्रयासों के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है बल्कि जीवों तथा मानव आबादी की सुरक्षा हेतु भी निर्णायक है।
वन्यजीव ट्रैंक्विलाइज़ेशन क्या है?
- परिचय:
- वन्यजीव ट्रैंक्विलाइज़ेशन विभिन्न संरक्षण, अनुसंधान या बचाव उद्देश्यों हेतु सुरक्षित रूप से पकड़ने, नियंत्रित करने या स्थानांतरित करने हेतु जंगली जानवरों को विशिष्ट प्रशामक दवाओं का उपयोग करके बेहोश करने की प्रक्रिया है।
- विनियमन:
- ट्रैंक्विलाइज़र का उपयोग औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत विनियमित किया जाता है।
- भारत में, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत राज्य वन विभागों द्वारा पशुओं के ट्रैंक्विलाइज़ेशन/बेहोशी की निगरानी की जाती है, जिसमें प्रशिक्षित पशु चिकित्सकों और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा प्रावधानित विशेषज्ञता का सहयोग लिया जाता है।
- विधियाँ और उपकरण:
- डार्ट को दूर से ही चलाया जाता है, आमतौर पर डार्ट को आगे बढ़ाने के लिये संपीड़ित CO2 गैस का उपयोग किया जाता है।
- उड़ान के दौरान सटीकता में सुधार करने के लिये डार्ट पर पंखों का एक गुच्छा या अन्य स्थिरीकरण सामग्री लगाई जाती है।
- ट्रैंक्विलाइज़र गन और डार्ट: वन्यजीवों को बेहोश करने के लिये प्राथमिक उपकरण डार्ट गन है, जिसकी सहायता से प्रशामक औषधियों से भरी एक सिरिंज को लक्षित जानवर पर छोड़ा जाता है।
- डार्ट में अक्सर एक हाइपोडर्मिक सुई और एक बार्ब (काँटे या दाँत जैसी संरचना) लगा होता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि औषधि लक्षित जानवर की त्वचा के भीतर प्रभावी रूप से पहुँच जाए।
- औषधियों के प्रकार:
- ओपिओइड (Opioids): M99 (एटॉर्फिन) जैसी दवाएँ, जिनका उपयोग हाथी और बाघ जैसे बड़े स्तनधारियों को स्थिर करने के लिये किया जाता है।
- वन्यजीवों को प्रशान्त/बेहोश करने के लिये, मॉर्फिन का उपयोग कभी-कभी अन्य औषधियों के साथ संयोजन में किया जा सकता है।
- अल्फा-एड्रेनर्जिक ट्रैंक्विलाइज़र: ज़ाइलाज़िन (Xylazine) और केटामाइन (Ketamine) जैसी औषधियों का उपयोग आमतौर पर हिरण तथा बाघ जैसे जानवरों को प्रशान्त करने हेतु किया जाता है।
- ज़ाइलाज़िन एक प्रशामक और मांसपेशी शिथिलक के रूप में कार्य करता है, जबकि केटामाइन असाहचर्य को प्रेरित करने तथा निश्चलता की अवधि को बढ़ाने में मदद करता है।
- ये औषधियाँ अधिक नियंत्रित प्रशामक के रूप में कार्य करती हैं तथा इनमें प्रतिविष/एंटीडोट का उपयोग करके प्रभावों को विपरीत स्थिति में लाने की क्षमता भी होती है।
- प्रतिवर्ती/रिवर्सल एजेंट: नालोक्सोन (Naloxone) जैसे विशिष्ट एंटीडोट का उपयोग ट्रैंक्विलाइज़ेशन (बेहोशी की अवस्था) के प्रभावों को समाप्त करने हेतु किया जाता है।
- अनुप्रयोग:
- संरक्षण एवं पुनर्वास: इसका उपयोग मानव-वन्यजीव संघर्ष क्षेत्रों से जानवरों को सुरक्षित रूप से स्थानांतरित करने या लुप्तप्राय प्रजातियों को संरक्षित अभ्यारण्यों में स्थानांतरित करने हेतु किया जाता है।
- अनुसंधान एवं निगरानी: स्वास्थ्य आकलन, टैगिंग और प्रवासन प्रतिरूप/पैटर्न का अध्ययन करने हेतु जानवरों को पकड़ने के लिये प्रयुक्त किया जाता है।
- बचाव कार्य/अभियान: घायल या फँसे हुए पशुओं को बचाने, पशु चिकित्सा देखभाल या पुनर्वास केंद्रों तक उनके परिवहन हेतु इसका उपयोग आवश्यक हो जाता है।
वन्यजीव संरक्षण के लिये भारत के प्रयास
- वन्यजीवन हेतु संवैधानिक प्रावधान:
- 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा वन तथा वन्य पशु एवं पक्षी संरक्षण को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया गया।
- अनुच्छेद 51 A (g) में कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह जीवित प्राणियों के प्रति दया रखे।
- अनुच्छेद 48A में यह प्रावधान है कि राज्य पर्यावरण की रक्षा तथा सुधार करने तथा देश के वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा करने का प्रयास करेगा।
- विधिक ढाँचा:
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES)
- वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर कन्वेंशन (CMS)
- जैविक विविधता पर कन्वेंशन (CBD)
- वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क (ट्रैफिक/TRAFFIC)
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN)
- ग्लोबल टाइगर फोरम (GTF)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. यदि किसी पौधे की विशिष्ट जाति को वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 की अनुसूची VI में रखा गया है, तो इसका क्या तात्पर्य है? (2020) (a) उस पौधे की खेती करने के लिये लाइसेंस की आवश्यकता है। उत्तर: (a) |
ऑयल पाम वृक्षारोपण को प्राथमिकता
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कृषि मंत्रालय ने राज्य सरकारों से राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम (NMEO-OP) योजना के तहत ऑयल पाम रोपण लक्ष्यों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
NMEO-OP योजना के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: NMEO-OP कच्चे पाम तेल (CPO) के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिससे देश की आयात पर निर्भरता कम होगी।
- उद्देश्य:
- क्षेत्र विस्तार: वर्ष 2025-26 तक अतिरिक्त 6.5 लाख हेक्टेयर ऑयल पाम क्षेत्र को कवर करना, जिससे इसके तहत शामिल कुल क्षेत्र 10 लाख हेक्टेयर तक बढ़ जाएगा।
- उत्पादन लक्ष्य: CPO उत्पादन को 0.27 लाख टन (2019-20) से बढ़ाकर 11.20 लाख टन (2025-26) तथा वर्ष 2029-30 तक 28 लाख टन तक करना।
- प्रति व्यक्ति उपभोग: वर्ष 2025-26 तक 19 किग्रा/व्यक्ति/वर्ष का उपभोग स्तर बनाए रखना।
- फोकस क्षेत्र: ऑयल पाम की खेती एवं CPO उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये पूर्वोत्तर क्षेत्र और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर विशेष ध्यान देना।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- मूल्य आश्वासन: यह किसानों को अंतर्राष्ट्रीय मूल्य उतार-चढ़ाव से बचाने के लिये व्यवहार्यता मूल्य (VP) तंत्र पर केंद्रित है।
- व्यवहार्यता निधि का भुगतान DBT के रूप में सीधे किसानों के खातों में किया जाएगा।
- सहायता में वृद्धि: रोपण सामग्री के लिये सहायता राशि 12,000 रुपए प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 29,000 रुपए प्रति हेक्टेयर कर दी गई।
- पुराने बगीचों के पुनरुद्धार के लिये प्रति पौधा 250 रुपए की विशेष सहायता प्रदान की गई।
- पूर्वोत्तर और अंडमान के लिये विशेष प्रावधान: सभी क्षेत्रों में किसानों को भुगतान में समानता सुनिश्चित करने के लिये CPO मूल्य का अतिरिक्त 2% सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
- एकीकृत खेती के साथ-साथ अर्द्धचंद्राकार सीढ़ीनुमा खेती और बायो फेंसिंग के लिये विशेष प्रावधान किये गए हैं।
नोट:
- अर्द्ध-चंद्राकार सीढ़ीनुमा खेती एक मृदा पुनर्व्यवस्था तकनीक है जिसमें पौधों की वृद्धि के लिये प्रवाहित जल को एकत्रित करने एवं संकेंद्रित करने हेतु अर्द्धवृत्ताकार तटबंधों का निर्माण किया जाता है।
- बायो फेंसिंग का अर्थ है खेत और मैदान की सीमाओं पर पेड़ों की पंक्तियाँ लगाना, जिससे मवेशियों एवं वन्यजीवों से सुरक्षा मिल सके। यह वायु अवरोधक के रूप में कार्य करने के साथ धूल को नियंत्रित करने पर केंद्रित है।
ऑयल पाम
- उत्पत्ति और उपज: इसकी उत्पत्ति पश्चिमी अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षा वन क्षेत्र में हुई। यह भारत में तुलनात्मक रूप से नई फसल है लेकिन प्रति हेक्टेयर इसकी वनस्पति तेल उपज क्षमता सबसे अधिक है।
- पाम ऑयल की उत्पादकता पारंपरिक तिलहनों की तुलना में पाँच गुना अधिक है।
- प्रकार: इससे दो प्रकार के तेल मिलते हैं।
- पाम ऑयल: फल के मेसोकार्प से प्राप्त (45-55% तेल सामग्री)।
- पाम कर्नेल ऑयल: यह कर्नेल से प्राप्त होता है, जो लॉरिक तेलों का एक स्रोत है।
- ऑयल पाम की खेती:
- प्रमुख राज्य: आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल (कुल उत्पादन का 98%)।
- अन्य प्रमुख राज्य : कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर और नागालैंड।
- विस्तार: भारत में इसका कुल संभावित क्षेत्रफल लगभग 28 लाख हेक्टेयर है लेकिन केवल 3.70 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर ही पाम ऑयल की खेती होती है।
- आयात: भारत वर्ष 2023-24 में 9.2 मिलियन टन पाम ऑयल आयात के साथ विश्व का सबसे बड़ा पाम ऑयल आयातक है।
- कुल खाद्य तेल आयात में 60% हिस्सेदारी पाम ऑयल की है।
- भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से ऑयल खरीदता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. ताड़ तेल (पाम ऑयल) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित कथनाें पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युत्त कथनाें में से कौन-सा/से सही है/हैं?
उत्तर: (a) |
भारतीय मानक ब्यूरो का 78वाँ स्थापना दिवस
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने 6 जनवरी 2025 को अपना 78वाँ स्थापना दिवस मनाया।
- परिचय: BIS भारत का वैधानिक राष्ट्रीय मानक निकाय है, जिसकी स्थापना मानक ब्यूरो अधिनियम 2016 के तहत वस्तुओं के मानकीकरण, अंकन एवं गुणवत्ता प्रमाणन की गतिविधियों के सामंजस्यपूर्ण विकास हेतु की गई।
- इसकी स्थापना आरंभ में भारतीय मानक संस्थान (ISI) के रूप में की गई थी जो 6 जनवरी 1947 को अस्तित्व में आया।
- यह उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्यरत है।
- कार्य: यह उत्पाद प्रमाणन (ISI मार्क), सोने एवं चांदी के आभूषणों की हॉलमार्किंग, ECO मार्क योजना (पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की लेबलिंग के संदर्भ में) जैसे विभिन्न कार्यों हेतु उत्तरदायी है।
- मानक राष्ट्रीय कार्य योजना (SNAP) 2022-27: यह उभरती प्रौद्योगिकियों तथा स्थिरता एवं जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं को दूर करने के क्रम में मानकीकरण हेतु मज़बूत आधार के रूप में कार्य करता है।
- यह राष्ट्र में “गुणवत्ता संस्कृति” को समृद्ध एवं मज़बूत बनाने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
- उपलब्धियाँ: 94% भारतीय मानकों को अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) और अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल आयोग (IEC) मानकों के अनुरूप बनाया गया है।
- अब तक 44.28 करोड़ से अधिक सोने, आभूषणों/कलाकृतियों की हॉलमार्किंग की जा चुकी है।
और पढ़ें: भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) अधिनियम, 2016
गुरु गोबिंद सिंह जी की 358वीं जयंती
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में प्रधानमंत्री ने सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी को उनकी 358वीं जयंती (जिसे प्रकाश उत्सव के रूप में मनाया जाता है) पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- उनकी जयंती नानकशाही कैलेंडर (सौर वर्ष के अनुसार) पर आधारित है, जिसके अनुसार वर्ष 2025 में यह 6 जनवरी को है।
- गुरु गोबिंद सिंह जी:
- प्रारंभिक जीवन: उनका जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना साहिब, बिहार में हुआ था। वे अपने पिता (गुरु तेग बहादुर, 9 वें सिख गुरु) के उत्तराधिकारी बने।
- योगदान: उन्होंने वर्ष 1699 में खालसा पंथ (जो धर्म और न्याय की रक्षा के लिए समर्पित एक योद्धा समुदाय था) की स्थापना की।
- इन्होंने सिख पहचान के प्रतीक के रूप में पाँच 'क' को प्रस्तुत किया अर्थात कंघा (कंघी), केश (बिना कटे बाल), कड़ा (स्टील का कंगन), कृपाण (तलवार), और कच्चेरा (शॉर्ट्स)।
- उनके बेटों ज़ोरावर सिंह (उम्र 7 वर्ष) और फतेह सिंह (उम्र 9 वर्ष) की सरहिंद के गवर्नर वज़ीर खान ने इस्लाम धर्म अपनाने से इनकार करने के करण हत्या कर दी।
- उनके दो बड़े बेटों अजीत सिंह और जुझार सिंह ने चमकौर के युद्ध (1705) में अपने प्राणों की आहुति दे दी, जिसमें एक छोटी सिख सेना ने मुगलों तथा पहाड़ी राजाओं से युद्ध किया था।
- उनकी शहादत को याद करने के लिए 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
- पंज प्यारे: गुरु गोबिंद सिंह ने पंज प्यारे नामक संस्था की स्थापना की, जिसके तहत उन्होंने बलिदान के लिए पाँच सिर मांगे और पाँच लोगों ने स्वेच्छा से उनकी मांग पर प्रतिक्रया दी।
और पढ़ें: गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व
भारतपोल (BHARATPOL) पोर्टल
स्रोत: TH
भारत के केंद्रीय गृह मंत्री ने भगोड़ों का पता लगाने तथा तेजी से अंतर्राष्ट्रीय सहायता उपलब्ध कराने में भारतीय अन्वेषण एजेंसियों की दक्षता बढ़ाने हेतु 'भारतपोल' (BHARATPOL) पोर्टल लॉन्च किया है।
- भारतपोल (BHARATPOL) पोर्टल: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा विकसित यह पोर्टल केंद्रीय और राज्य एजेंसियों को रियल टाइम जानकारी साझा करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) से जुड़ने की सुविधा प्रदान करता है तथा यह पिछली प्रणाली को प्रतिस्थापित करता है, जिसमें केवल CBI को यह पहुँच प्राप्त थी।
- भारतपोल साइबर अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी और मानव तस्करी जैसे बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रभावी रूप से समन्वित करता है।
- यह पोर्टल रेड नोटिस तथा अन्य इंटरपोल नोटिसों से संबंधित कार्रवाई को तेज़ करेगा, जिससे क्षेत्रीय स्तर के पुलिस अधिकारियों के लिये अपराधों से निपटना सरल हो जाएगा।
- क्षमता निर्माण: CBI को भारतपोल के प्रयोग पर राज्यों को प्रशिक्षण देने तथा प्रभावी सुनवाई हेतु तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने का कार्य सौंपा गया है।
और पढ़ें: इंटरपोल के नोटिस
सिक्किम में भारत का प्रथम जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर
स्रोत: TH
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत सिक्किम के सोरेंग ज़िले में भारत के प्रथम जैविक मत्स्यपालन क्लस्टर की शुरुआत की है।
- जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर: इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के प्रति जागरूक बाज़ारों के लिये एंटीबायोटिक, रसायन और कीटनाशक मुक्त जैविक मछली का उत्पादन करना है।
- यह पहल संधारणीय जलीय कृषि और पारिस्थितिक रूप से स्वस्थ मछली पालन प्रणाली को प्रोत्साहित करती है तथा जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में होने वाले प्रदूषण तथा नुक्सान से बचाती है।
- राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) आवश्यक मत्स्य पालन इंफ्रास्ट्रक्चर और क्षमता निर्माण के लिये वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के अलावा, राज्य में मछुआरों की सहकारी समितियों को शामिल करके तथा मत्स्य पालन आधारित किसान उत्पादक संगठनों (FFPO) के गठन के माध्यम से जैविक क्लस्टर के विकास में सहायता करेगा।
- सिक्किम एक जैविक राज्य: सिक्किम भारत का पहला पूर्णतः जैविक राज्य बन गया है, जहाँ 75,000 हेक्टेयर भूमि को राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रमाणित जैविक पद्धतियों में परिवर्तित कर दिया गया है।
- PMMSY: इसका उद्देश्य 20,050 करोड़ रुपए के निवेश के साथ संधारणीय प्रथाओं के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र का विकास करना है।
- यह योजना मछुआरों तथा मछली किसानों के कल्याण को सुनिश्चित करते हुए मछली उत्पादन, इंफ्रास्ट्रक्चर और विपणन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती है।
- यह योजना मत्स्य विभाग द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक पूरे भारत में कार्यान्वित की जा रही है।
और पढ़ें: प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना
जम्मू और रायगढ़ रेलवे डिवीज़न
स्रोत: IE
हाल ही में प्रधानमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से नए जम्मू रेलवे डिवीज़न का उद्घाटन किया, जो भारत का 70वाँ डिवीज़न है तथा इसकी लंबाई 742.1 किमी. है।
- प्रधानमंत्री ने तेलंगाना में चरलापल्ली टर्मिनल स्टेशन का उद्घाटन किया तथा पूर्वी तटीय रेलवे ज़ोन के अंतर्गत ओडिशा में रायगढ़ रेलवे डिवीज़न (69 वें डिवीज़न) भवन की आधारशिला रखी।
- भारतीय रेलवे में अब 17 ज़ोन और 70 डिवीज़न (मंडल) हैं।
- जम्मू रेलवे डिवीज़न: जम्मू रेलवे डिवीज़न को फिरोजपुर डिवीज़न से अलग किया गया है और इसकी लंबाई 742.1 किमी. है।
- 26 जनवरी, 2025 से एक नए रेलवे सेक्शन ‘कटरा-रियासी रेलवे सेक्शन’ तथा श्रीनगर के लिये वंदे भारत ट्रेन सेवा भी शुरू की जाएँगी।
- प्रधानमंत्री ने मेट्रो नेटवर्क, समर्पित माल ढुलाई गलियारों के विस्तार के साथ-साथ सौर ऊर्जा संचालित स्टेशनों तथा हाई-स्पीड रेल सिस्टम के विकास जैसी पहलों के लिये चल रहे प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।
- भारतीय रेल के बारे में:
- इसकी स्थापना वर्ष 1853 में हुई थी और यह विश्व के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है।
- भारत में पहली रेलगाड़ी ने बम्बई और थाने को कनेक्ट करते हुए 21 मील की दूरी तय की थी।
- चीन और अमेरिका के बाद भारत में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो-रेल नेटवर्क है। अनुमान है कि वर्ष 2050 तक वैश्विक रेल गतिविधि में भारत की हिस्सेदारी 40% होगी।