भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय ‘कॉयर’ उद्योग
- 07 May 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:कॉयर, एमएसएमई, इको मार्क, कॉयर से संबंधित पहल। मेन्स के लिये:संसाधनों का संग्रहण, कॉयर उद्योग की स्थिति और उसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में 'एंटरप्राइज़ इंडिया नेशनल कॉयर कॉन्क्लेव 2022' का उद्घाटन किया।
- यह आयोजन कॉयर और कॉयर उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देने तथा इनके अनुप्रयोग के नए क्षेत्रों की पहचान करने के लिये राज्य एवं केंद्र सरकारों के बीच एक समन्वित प्रयास के रूप में आयोजित किया जा रहा है।
- प्राकृतिक रूप से निम्नीकरण योग्य, पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद के रूप में कॉयर के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये 6 मई, 2022 को 'रन फॉर कॉयर' का भी आयोजन किया जा रहा है। इस दौड़ में गणमान्य व्यक्तियों, कॉलेज के छात्रों और आम जनता सहित एक हज़ार से अधिक लोगों के भाग लेने की उम्मीद है।
कॉयर:
- यह प्रकृति में नारियल के एक उपोत्पाद के रूप में पाया जाने वाला ‘नारियल पाम’ द्वारा प्रचुर मात्रा में उत्पादित पदार्थ है।
- यह प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला रेशेदार पदार्थ है जो नारियल के खोल के बाहर पाया जाता है जिसे प्राकृतिक रूप से उपयोग के लिये संसाधित किया जाता है।
- कॉयर का उपयोग सदियों से नाविकों द्वारा रस्सी के रूप में सामान को बाँधने तथा जहाज़ों के केबल्स (Ship Cables) के लिये किया जाता रहा है।
- आज कॉयर का उपयोग उत्पादों के वर्गीकरण करने हेतु किया जाता है, जिसमें कालीनों और डोरमैट से लेकर प्लांट पॉट्स व हैंगिंग बास्केट लाइनर्स, खेती में उपयोग होने वाली बागवानी सामग्री और मृदा क्षरण को नियंत्रण करने के लिये उपयोग की जाने जाली शीट्स शामिल हैं। कुछ पोटिंग मिक्स उत्पादों में भी कॉयर का उपयोग किया जाता है।
भारत में कॉयर उद्योग की स्थिति:
- भारत सरकार द्वारा देश में कॉयर उद्योग के समग्र सतत् विकास हेतु कॉयर उद्योग अधिनियम, 1953 के तहत कॉयर बोर्ड की स्थापना की गई थी।
- बोर्ड के कार्य वैज्ञानिक, तकनीकी और आर्थिक अनुसंधान, आधुनिकीकरण, गुणवत्ता सुधार, मानव संसाधन विकास, बाज़ार संवर्द्धन तथा इस उद्योग में लगे सभी लोगों का कल्याण करना, उन्हें सहायता प्रदान करना व प्रोत्साहित करना है।
- कॉयर उद्योग अधिनियम के तहत अधिदेशों को कॉयर बोर्ड द्वारा विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है, जिसमें अनुसंधान और विकास गतिविधियाँ, प्रशिक्षण कार्यक्रम, कॉयर इकाइयों की स्थापना के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना, घरेलू और निर्यात बाज़ार का विकास करना, कर्मचारियों के लिये कल्याणकारी उपाय आदि शामिल हैं।
महत्व:
- रोज़गार:
- नारियल उत्पादक राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में कॉयर उद्योग 7 लाख से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान करता है।
- दिलचस्प बात यह है कि इनमें से 80% कारीगर महिलाएँ हैं, लेकिन इसका उत्पादन अब तक देश के दक्षिणी नारियल उत्पादक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों तक ही सीमित है।
- नारियल उत्पादक राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में कॉयर उद्योग 7 लाख से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान करता है।
- निर्यात:
- वर्ष 2020-21 के दौरान भारत से कॉयर और कॉयर उत्पादों के निर्यात ने पिछले वर्ष की तुलना में 1021 करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि के साथ 3778.98 करोड़ रुपए का अब तक का उच्च रिकॉर्ड दर्ज किया है।
- घरेलू खपत:
- दुनिया भर में सालाना उत्पादित कॉयर फाइबर की 50% से अधिक खपत मुख्य रूप से भारत में ही होती है।
- पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के प्रति बढ़ती जागरुकता ने घरेलू और विदेशी बाज़ारों में कॉयर एवं कॉयर उत्पादों की मांग में वृद्धि की है।
- पर्यावरण के अनुकूल:
- कॉयर उत्पाद प्रकृति में पर्यावरण के अनुकूल हैं और भारत के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, द्वारा इसे "इको मार्क" से प्रमाणित किया गया है।
- कॉयर उत्पाद पर्यावरण को बचाते हैं और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करते हैं।
- मृदा के कटाव को रोकने के लिये कॉयर जियो टेक्सटाइल्स के उपयोग, कॉयर पिथ (Coir Pith) को एक मूल्यवान जैव-उर्वरक और मृदा कंडीशनर में बदलने तथा कॉयर गार्डन उत्पाद जैसे कॉयर के नए अंतिम उपयोग अनुप्रयोगों ने भारत व विदेशों में लोकप्रियता हासिल की है।
कॉयर से संबंधित कुछ भारतीय पहलें:
- कॉयर जियो टेक्सटाइल:
- कॉयर जियो टेक्सटाइल प्राकृतिक रूप से सड़न, गलन और नमी के लिये प्रतिरोधी हैं और किसी भी माइक्रोबियल हमले से मुक्त होते हैं, इसलिये इसे किसी रासायनिक उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।
- कॉयर उद्यमी योजना:
- कॉयर उद्यमी योजना 10 लाख रुपए तक की परियोजना लागत और कार्यशील पूंजी के एक चक्र के साथ कॉयर इकाइयों की स्थापना के लिये एक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना है, जो परियोजना लागत के 25% से अधिक नहीं होगी। यह योजना कॉयर बोर्ड द्वारा क्रियान्वित की जा रही है।
- कॉयर विकास योजना:
- यह योजना घरेलू और निर्यात बाज़ारों के विकास, कौशल विकास एवं प्रशिक्षण, महिलाओं के सशक्तीकरण, रोज़गार/उद्यमिता, निर्माण और विकास, कच्चे माल के उपयोग में वृद्धि, व्यापार से संबंधित सेवाओं, कॉयर श्रमिकों के लिये कल्याणकारी गतिविधियों आदि की सुविधा प्रदान करती है।
- यह कार्य निम्नलिखित 6 योजनाओं के माध्यम से किया जाता है:
- कौशल उन्नयन और महिला कॉयर योजना
- निर्यात बाज़ार संवर्द्धन (EMP)
- उत्पादन अवसंरचना का विकास (DPI)
- घरेलू बाज़ार संवर्द्धन (DMP)
- व्यापार और उद्योग से संबंधित कार्यात्मक सहायता सेवाएंँ (TRIFSS)
- कल्याणकारी उपाय (समूह व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना)
आगे की राह
- कॉयर में अपार संभावनाएंँ हैं, यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में MSME के हिस्से और निर्यात को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- कॉयर 'अपशिष्ट से धन' का एक अच्छा उदाहरण है, यह पर्यावरण के अनुकूल है क्योंकि यह जल और मृदा के संरक्षण हेतु स्थायी समाधान प्रदान करता है।