नवाचार हेतु टार्डिग्रेड्स जीन
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शोधकर्त्ताओं द्वारा चिकित्सा, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अन्वेषण में प्रगति को प्रेरित करने के क्रम में अद्वितीय टार्डिग्रेड विशेषताओं की खोज को महत्त्व दिया जा रहा है।
टार्डिग्रेड्स के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- टार्डिग्रेड्स (टार्डिग्रेडा ), जिन्हें वॉटर बियर या मॉस पिगलेट के रूप में भी जाना जाता है, माइक्रोस्कोपिक आठ पैर वाले जीव होते हैं जिनमें रीढ़ का अभाव होता है।
- प्रजातियाँ और विकास: ये टार्डिग्रेडा संघ से संबंधित हैं।
- इसके सबसे पुराने ज्ञात जीवाश्म लगभग 90 मिलियन वर्ष पूर्व, क्रेटेशियस काल (145-66 मिलियन वर्ष पूर्व) के हैं।
- मॉलिक्यूलर डेटिंग-निर्धारण से पता चलता है कि इनकी उत्पत्ति कम से कम 600 मिलियन वर्ष पूर्व हुई थी।
- अनुकूलन: टार्डिग्रेड्स को अत्यधिक विकिरण के साथ ऑक्सीजन, जल एवं खाद्य पदार्थों की कमी और शून्य से नीचे के तापमान को सहन करने की क्षमता के लिये जाना जाता है।
- ये आर्कटिक, गहन समुद्र के तल, रेगिस्तान और यहाँ तक कि अंतरिक्ष में निर्वात जैसे चरम पारिस्थितिक तंत्रों में भी मिल सकते हैं।
- क्रिप्टोबायोसिस: टार्डिग्रेड्स क्रिप्टोबायोसिस कर सकते हैं जिससे निर्जलीकरण, ठंड और विकिरण क्षति जैसी चरम स्थितियों से बचने के लिये जैविक गतिविधि रुक जाती है।
- DODA1 जीन, बीटालेन्स (एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट) के संश्लेषण में मदद करता है जो संभवतः कोशिकाओं को विकिरण क्षति से बचाता है और उन्हें ठीक होने तथा उसके बाद सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू करने में सक्षम बनाता है।
टार्डिग्रेड के गुणों का मानव जीवन में किस प्रकार अनुप्रयोग किया जा सकता है?
- आंतरिक रूप से अव्यवस्थित प्रोटीन (IDPs): सूक्ष्मजीवों में संश्लेषित स्रावी-प्रचुर ऊष्मा-घुलनशील IDPs से शुष्कन (पूरी तरह से सूख जाना) सहनशीलता में सुधार होने से संभावित रूप से सूक्ष्मजीवों और जीवों को प्रतिकूल परिस्थितियों के प्रति अनुकूलित किया जा सकता है।
- छोटे हीट शॉक प्रोटीन: जब सूक्ष्मजीवों में क्लोन किया जाता है तो ये प्रोटीन गर्म या शुष्क वातावरण में सूक्ष्मजीवों के अस्तित्व और स्थिरता में सुधार कर सकते हैं।
- प्रोटीन स्थिरता: टार्डिग्रेड्स की चरम वातावरण में अपने प्रोटीन को स्थिर करने की क्षमता का उपयोग दवाओं में प्रयुक्त टीकों, एंटीबॉडी और एंजाइमों के शेल्फ जीवन और प्रभावशीलता को बेहतर बनाने के लिये किया जा सकता है।
- कोशिका संरक्षण: कोशिकीय क्षति का प्रतिरोध करने के लिये टार्डिग्रेड्स के तंत्र का उपयोग कोशिका चिकित्सा के लिये किया जा सकता है जिससे परिवहन और भंडारण में सहायता के साथ अंततः उपचार वितरण में सुधार होगा।
- इससे शोधकर्त्ता बाह्य अंतरिक्ष में मनुष्यों और सामग्रियों के लिये उन्नत सुरक्षात्मक उपाय विकसित कर सकते हैं।
प्रथम एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन
स्रोत: पीआईबी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के संस्कृति मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (International Buddhist Confederation- IBC)) द्वारा नई दिल्ली में प्रथम एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन (Asian Buddhist Summit- ABS) का आयोजन किया गया।
प्रथम एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- परिचय: यह एक महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है जिसका उद्देश्य एशिया भर में बौद्ध समुदाय के सामने आने वाली समकालीन चुनौतियों का समाधान करते हुए संवाद और समझ को बढ़ावा देना है।
- विषय: "एशिया को मज़बूत करने में बुद्ध धम्म की भूमिका" जो एशिया के सामूहिक, समावेशी और आध्यात्मिक विकास पर बल देता है।
- शिखर सम्मेलन के मुख्य विषय:
- बौद्ध कला, वास्तुकला और विरासत: साँची स्तूप तथा अजंता गुफाओं जैसे बौद्ध स्थलों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला गया।
- बुद्ध चारिका और बुद्ध धम्म का प्रसार: बुद्ध की यात्राओं (बुद्ध चारिका) तथा भारत भर में शिक्षाओं के प्रसार में उनकी भूमिका पर केंद्रित है।
- बौद्ध अवशेषों की भूमिका और समाज में इसकी प्रासंगिकता: बुद्ध के अवशेष भक्ति तथा जागरूकता को प्रेरित करते हैं, तीर्थ पर्यटन के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करते हैं एवं शांति व करुणा को बढ़ावा देते हैं।
- 21वीं सदी में बौद्ध साहित्य और दर्शन की भूमिका: आधुनिक दार्शनिक विमर्श में बौद्ध धर्म की स्थायी प्रासंगिकता को प्रदर्शित करता है।
- वैज्ञानिक अनुसंधान और कल्याण में बुद्ध धम्म: मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिये बौद्ध सिद्धांतों को वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ एकीकृत करता है।
- प्रदर्शनी: "भारत एशिया को जोड़ने वाला धम्म सेतु है" शीर्षक से एक विशेष प्रदर्शनी में एशिया भर में बौद्ध धर्म के प्रसार में भारत की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
- भारत के लिये महत्त्व: यह शिखर सम्मेलन एशिया में सामूहिक, समावेशी और आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और नेबरहुड फर्स्ट नीति के अनुरूप है।
नोट:
- भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council of Cultural Relations- ICCR) द्वारा वर्ष 2022 में बुद्ध भूमि वंदन यात्रा का आयोजन किया गया, जिससे जापान, दक्षिण कोरिया और श्रीलंका जैसे देशों के बौद्ध विद्वानों को भारत के बौद्ध स्थलों का पता लगाने और इसकी बौद्ध विरासत के बारे में जानने मदद मिली।
- IBC नई दिल्ली स्थित एक बौद्ध छत्र निकाय है जो विश्व भर के बौद्धों के लिये एक साझा मंच के रूप में कार्य करता है।
बौद्ध धर्म को समर्थन देने के लिये भारत की हालिया पहल क्या हैं?
- भारत में बौद्ध पर्यटन सर्किट
- प्रथम वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन
- शांति के लिये एशियाई बौद्ध सम्मेलन
- पाली भाषा को शास्त्रीय दर्जा
- अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-सी विशेषता/विशेषताएँ बौद्धमत की है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न: भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
आयातित कॉस्मेटिक के लिये DCGI के नए मानक
स्रोत: लाइव मिंट
हाल ही में भारत में आयातित कॉस्मेटिक (सौंदर्य प्रसाधन) की गुणवत्ता, सुरक्षा और विनियामक में सुधार के लिये भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) द्वारा नए मानक निर्धारित किये गए हैं।
- भारत में कॉस्मेटिक बाज़ार का मूल्य वर्ष 2023 में 8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, वर्ष 2032 तक 18.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
दिशा-निर्देश:
- कॉस्मेटिक/सौंदर्य प्रसाधनों का आयात केवल तभी किया जा सकता है जब उनकी समाप्ति तिथि आयात की तारीख से कम-से-कम छह महीने बाद हो।
- नियामक ने नवंबर 2014 के बाद हेक्साक्लोरोफेन युक्त सौंदर्य प्रसाधनों और जानवरों पर परीक्षण किये गए सौंदर्य प्रसाधनों के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
- हेक्साक्लोरोफेन, एक सामयिक जीवाणुरोधी क्लींजर है जिसका उपयोग सर्जरी से पहले त्वचा को साफ करने और संक्रमण को रोकने के लिये किया जाता था, लेकिन सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण इसे सौंदर्य प्रसाधनों में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
- मूल देश में प्रतिबंधित किसी भी सौंदर्य प्रसाधन के आयात की अनुमति केवल विशिष्ट प्रयोजनों (जैसे, परीक्षण, विश्लेषण) के लिये ही दी जा सकती है।
- कॉस्मेटिक रूल्स, 2020 में कहा गया है कि किसी भी कॉस्मेटिक उपयोगकर्त्ता को कोई गलत या भ्रामक जानकारी नहीं देनी चाहिये।
- नए कॉस्मेटिक उत्पादों के आयातकों को सुरक्षा और प्रभावकारिता के प्रमाण के साथ केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण से अनुमोदन लेना आवश्यक है।
- DCGI: DCGI केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) का प्रमुख है, जो पूरे देश में गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार है।
और पढ़ें: भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग
वर्ष 2036 के ओलंपिक की मेज़बानी के लिये भारत का आशय पत्र
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) द्वारा वर्ष 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों की मेज़बानी करने की देश की इच्छा व्यक्त करने से संबंधित आशय पत्र अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) को सौंपा गया है।
- भारत का आशय पत्र IOC की स्थिरता नीति के अनुरूप है, जो लागत कम करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये मौजूदा बुनियादी ढाँचे के उपयोग तथा नए निर्माण को प्रोत्साहित करता है।
- केवल तीन एशियाई देशों ने ही अब तक ओलंपिक की मेजबानी की है - चीन, दक्षिण कोरिया और जापान, जबकि जापान ने वर्ष 1964 और 2020 में दो बार खेलों की मेज़बानी की है।
- IOA सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में पंजीकृत है। इसे युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है।
- यह भारत में ओलंपिक आंदोलन और राष्ट्रमंडल खेलों को नियंत्रित करता है; ओलंपिक, राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और संबंधित बहु-खेल आयोजनों में एथलीटों की भागीदारी की देखरेख करता है।
- IOC स्विट्ज़रलैंड के लुसाने में स्थित एक गैर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो वर्ष 1894 में अस्तित्त्व में आया।
- IOC का उद्देश्य ओलंपिक खेलों का नियमित आयोजन सुनिश्चित करना तथा ओलंपिक को बढ़ावा देना है।
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सूर्य का विभेदक घूर्णन
स्रोत: द हिंदू
सूर्य एक अद्वितीय घूर्णन पैटर्न प्रदर्शित करता है, घूर्णन गति के इस अंतर को विभेदक घूर्णन कहा जाता है, जिसमें इसके विभिन्न भाग विभिन्न गति से घूर्णन करते हैं।
- सूर्य की घूर्णन अवधि अक्षांश के अनुसार बदलती रहती है, भूमध्य रेखा क्षेत्र में एक चक्कर पूरा करने में सिर्फ 26.5 दिन, सनस्पॉट क्षेत्र (16° उत्तर) में 27.3 दिन, तथा ध्रुव क्षेत्र में 31.1 दिन लगते हैं।
- सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव अपनी धुरी पर ही घूर्णन करते हैं। हालाँकि, सूर्य भूमध्य रेखा पर हर 25 दिन में एक चक्कर पूरा करता है तथा पृथ्वी (सभी अक्षांशों पर एक चक्कर पूरा करने में 24 घंटे लगते है) की तुलना में उच्च अक्षांशों पर इसे अधिक समय लगता है, घूर्णन गति के इस अंतर को विभेदक घूर्णन कहते हैं।
- सनस्पॉट सूर्य की सतह पर काले दिखाई देने वाले क्षेत्र हैं। यह काले इसलिये दिखाई देते हैं क्योंकि ये सूर्य की सतह के अन्य भागों की तुलना में ठंडे होते हैं।
- सूर्य के केंद्र का तापमान 15 मिलियन डिग्री केल्विन तथा इसकी सतह का तापमान 6,000 डिग्री केल्विन है, जिससे उच्च दाब वाली गैसीय अवस्था उत्पन्न होती है, जिसे प्लाज़्मा के नाम से जाना जाता है।
- सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव अपनी धुरी पर ही घूर्णन करते हैं। हालाँकि, सूर्य भूमध्य रेखा पर हर 25 दिन में एक चक्कर पूरा करता है तथा पृथ्वी (सभी अक्षांशों पर एक चक्कर पूरा करने में 24 घंटे लगते है) की तुलना में उच्च अक्षांशों पर इसे अधिक समय लगता है, घूर्णन गति के इस अंतर को विभेदक घूर्णन कहते हैं।
- व्यापक शोध के बावजूद, विभेदक घूर्णन का मूल कारण सौर भौतिकविदों के लिये एक अनसुलझी पहेली बनी हुई है।
'MAHASAGAR' का तीसरा संस्करण
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में भारतीय नौसेना की प्रमुख पहल MAHASAGAR का तीसरा संस्करण, हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय क्षेत्रों के बीच वर्चुअल इंटरेक्शन के लिये आयोजित किया गया था।
- MAHASAGAR (Maritime Heads for Active Security And Growth for All in the Region) संबंधित क्षेत्र में सभी के लिये सक्रिय सुरक्षा और विकास हेतु समुद्री प्रमुखों के बीच उच्च स्तरीय आभासी बातचीत हेतु भारतीय नौसेना की प्रमुख पहल है। वर्ष 2023 में शुरू की गई यह पहल वर्ष में दो बार आयोजित की जाती है।
- इसका विषय- “हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में आम समुद्री सुरक्षा चुनौतियों को कम करने के लिये प्रशिक्षण सहयोग” था।
- MAHASAGAR के तीसरे संस्करण में हिंद महासागर के तटीय देश अर्थात् बांग्लादेश, कोमोरोस, केन्या, मेडागास्कर, मालदीव, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक, सेशेल्स, श्रीलंका और तंज़ानिया देश शामिल थे।
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