मध्य प्रदेश
विश्व की सबसे बड़ी ‘डायनासोर हैचरी’ में से एक का खुलासा
- 31 Jan 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में पुरातत्त्वविदों द्वारा की गई खोज के अनुसार, मध्य प्रदेश विश्व की सबसे बड़ी डायनासोर हैचरी में से एक है।
मुख्य बिंदु:
- राज्य के कई ज़िलों में विस्तृत नर्मदा घाटी में सैकड़ों डायनासोर के अंडे और घोंसले के जीवाश्म मिले हैं, जो कि सबसे बड़े ज्ञात डायनासोरों में से एक शाकाहारी टाइटेनोसॉर से संबंधित हैं।
- सबसे हालिया खोज धार ज़िले के लमेटा में की गई थी, जहाँ विभिन्न संस्थानों के पुरातत्त्वविदों की एक टीम ने निकट स्थित 92 डायनासोर घोंसले और शाकाहारी टाइटेनोसॉर के 256 जीवाश्म अंडे की खोज की, जिनमें से प्रत्येक क्लच में एक से बीस अंडे थे, जो लगभग 66 मिलियन वर्ष पहले के थे।
- इन डायनासोरों के अंडों का व्यास 15 सेमी. से 17 सेमी. के बीच था, प्रत्येक घोंसले में एक से 20 तक अंडे थे। कुछ अंडों में से बच्चे निकलने के प्रमाण मिले, जबकि अन्य में नहीं।
- लमेटा शैल समूह मास्ट्रिचियन युग (उत्तर क्रेटेशियस) की है और गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में भी पाई जाती है।
- यह डायनासोर प्रजातियों की विविधता के लिये उल्लेखनीय है, जिसमें टाइटनोसॉर सॉरोपॉड आइसिसॉरस व एबेलिसॉरस इंडोसॉरस, इंडोसुचस, लेविसुचस और राजासॉरस शामिल हैं।
- लमेटा शैल समूह में स्तनधारियों, सांपों और अन्य जानवरों के जीवाश्म भी शामिल हैं।
- यह प्रागैतिहासिक शैल समूह क्रिटेशियस काल के अंत में उनके विलुप्त होने से पहले, भारत में डायनासोर के विकास के अंतिम चरण का प्रतिनिधित्व करती है।
- भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, दिल्ली के नेतृत्व में टीम ने वैज्ञानिक पत्रिका PLOS ONE में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किये।
- उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि नर्मदा घाटी एक डायनासोर हैचरी क्षेत्र था, जहाँ टाइटेनोसॉर विशेष रूप से अंडे देने के लिये आते थे।
- उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस क्षेत्र की जलवायु गर्म और आर्द्र है, जिसमें प्रचुर वनस्पति तथा जल स्रोत हैं, जो डायनासोर के अस्तित्व के लिये उपयुक्त हैं।
- पिछले अध्ययनों में जबलपुर ज़िले और गुजरात के बालासिनोर शहर में भी इसी तरह के निष्कर्ष सामने आए।
- धार ज़िले में पाए गए कुछ जीवाश्म अंडों को स्थानीय ग्रामीणों, जो पीढ़ियों से उन्हें पवित्र पत्थर के रूप में पूजते आ रहे थे, को मान्यता नहीं दी।
- हथेली के आकार की ये वस्तुएँ, जिन्हें 'काकर भैरव' या भूमि के स्वामी के रूप में जाना जाता है, खेतों और पशुधन के सुरक्षात्मक देवता माने जाते थे।
- मध्य प्रदेश में डायनासोर के जीवाश्मों और अंडों की खोज ने न केवल क्षेत्र के पुरापाषाण इतिहास के वैज्ञानिक ज्ञान को समृद्ध किया है, बल्कि पर्यटन तथा शिक्षा के लिये नए रास्ते भी खोले हैं।
- राज्य सरकार की इन स्थलों को पर्यटक आकर्षण के रूप में विकसित करने और राज्य की समृद्ध डायनासोर विरासत के विषय में जनता के बीच जागरूकता उत्पन्न करने की योजना है।
लमेटा शैल समूह
- लमेटा शैल समूह को ‘इन्फ्राट्रैपियन बेड’ के रूप में भी जाना जाता है, एक भू-वैज्ञानिक संरचना है, जो दक्कन ट्रैप से जुड़े मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पाई जाती है।
- ‘इंटरट्रैपियन बेड’ भारत में एक उत्तर क्रेटेशियस और पूर्व पेलियोसीन भू-गर्भिक संरचना है। यह दक्कन ट्रैप परतों के बीच इंटरबेड के रूप में पाए जाते हैं, जिसमें अधिक विविध लमेटा शैल समूह भी शामिल है।
मास्ट्रिचियन युग (उत्तर क्रेटेशियस)
- मास्ट्रिचियन ICS भूगर्भिक समय पैमाने में है, जो उत्तर क्रेटेशियस युग या ऊपरी क्रेटेशियस शृंखला, क्रेटेशियस अवधि या प्रणाली और मेसोज़ोइक युग या एराथेम का नवीनतम युग (ऊपरी चरण) है। इसका अंतराल 72.1 से 66 मिलियन वर्ष पूर्व तक फैला हुआ था।