सामाजिक न्याय
टीकाकरण की दिशा में वैश्विक प्रयास
- 24 Jul 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, DTP वैक्सीन, कोविड-19 महामारी, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV), प्रतिरक्षण रणनीति 2030, विश्व टीकाकरण सप्ताह, सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम, मिशन इंद्रधनुष मेन्स के लिये:भारत में टीकाकरण की स्थिति |
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund- UNICEF) ने एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में घोषणा की है कि वर्ष 2022 के दौरान वैश्विक टीकाकरण प्रयासों में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है।
पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2022 में 4 मिलियन से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया गया, जो वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों से निपटने के लिये देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सामूहिक प्रयासों को दर्शाता है।
वैश्विक टीकाकरण प्रयासों में प्रमुख प्रगति:
- टीकाकरण कवरेज में सकारात्मक रुझान:
- वैश्विक मार्कर के रूप में DTP3 वैक्सीन का उपयोग:
- DTP3 वैक्सीन, डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (काली खाँसी) से बचाती है, जो विश्व में टीकाकरण कवरेज के लिये मानक संकेतक के रूप में कार्य करती है।
- WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में शून्य खुराक वाले बच्चों (जिन्हें DTP वैक्सीन,की पहली खुराक भी नहीं मिली है) की संख्या वर्ष 2021 के 4.6 मिलियन से आधी होकर वर्ष 2022 में 2.3 मिलियन हो गई।
- भारत में DTP की कवरेज दर वर्ष 2022 में बढ़कर 93% हो गई, जो वर्ष 2019 में दर्ज की गई महामारी से पहले की तुलना में 91% (सबसे अच्छा लक्ष्य) तक रही।
- महामारी से संबंधित व्यवधानों से उभरना:
- महामारी के दौरान टीकाकरण कवरेज में महत्त्वपूर्ण गिरावट का अनुभव करने वाले 73 देशों में से 15 महामारी-पूर्व स्तर पर पहुँच गए हैं और 24 देश सुधार की राह पर हैं।
- HPV टीकाकरण दरें:
- ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) टीकाकरण दरें महामारी-पूर्व स्तर पर वापस आ गई हैं, लेकिन वे 90% के लक्ष्य से नीचे बनी हुई हैं।
- वैश्विक मार्कर के रूप में DTP3 वैक्सीन का उपयोग:
- दीर्घकालीन असमानताएँ और वर्तमान चुनौतियाँ:
- पुनर्प्राप्ति और प्रणाली सुदृढ़ीकरण में असमानता:
- अनेक छोटे और गरीब देशों को अभी भी टीकाकरण सेवाओं को बहाल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जबकि कुछ देशों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
- 34 देशों में टीकाकरण की दर स्थिर है या इसमें और गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है जो वर्तमान में संचालित कैच-अप और प्रणाली को सुदृढ़ करने के प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- खसरा टीकाकरण को लेकर चिंता का कारण:
- खसरा (वायरल बीमारी जो आमतौर पर बच्चों को प्रभावित करती है) टीकाकरण की दर में अन्य टीकों की तरह प्रभावी वृद्धि नहीं हो रही है।
- इससे वैश्विक स्तर पर अतिरिक्त 35.2 मिलियन बच्चों में खसरे के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
- खसरा टीकाकरण की पहली खुराक की दर वर्ष 2022 में बढ़कर 83% हो गई है लेकिन यह वर्ष 2019 के 86% से कम है।
- खसरा (वायरल बीमारी जो आमतौर पर बच्चों को प्रभावित करती है) टीकाकरण की दर में अन्य टीकों की तरह प्रभावी वृद्धि नहीं हो रही है।
- पुनर्प्राप्ति और प्रणाली सुदृढ़ीकरण में असमानता:
टीकाकरण से संबंधित प्रमुख वैश्विक पहल:
- टीकाकरण एजेंडा 2030 (IA2030): यह 2021-2030 के दशक के लिये टीकों और टीकाकरण हेतु एक महत्त्वाकांक्षी, व्यापक वैश्विक नीति एवं रणनीति निर्धारित करता है।
- दशक के अंत तक IA2030 का लक्ष्य:
- शून्य टीके की खुराक प्राप्त करने वाले बच्चों की संख्या में 50% की कमी करना।
- निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 500 नए या कम उपयोग वाले टीकों की शुरुआत का लक्ष्य प्राप्त करना।
- बचपन के आवश्यक टीकों के लिये 90% कवरेज प्राप्त करना।
- दशक के अंत तक IA2030 का लक्ष्य:
- विश्व टीकाकरण सप्ताह: यह प्रत्येक वर्ष अप्रैल के अंतिम सप्ताह में मनाया जाता है।
- वर्ष 2023 के लिये थीम- 'द बिग कैच-अप'।
भारत में टीकाकरण की स्थिति:
- परिचय:
- भारत अपने सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से वार्षिक तौर पर 30 मिलियन से अधिक गर्भवती महिलाओं एवं 27 मिलियन बच्चों का टीकाकरण करता है।
- एक बच्चे को पूरी तरह से प्रतिरक्षित तब माना जाता है जब उसे जीवन के पहले वर्ष के भीतर राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार सभी आवश्यक टीके लगा दिये जाते हैं।
- हालाँकि यूनिसेफ के अनुसार, भारत में केवल 65% बच्चों का पूर्ण टीकाकरण उनके जीवन के पहले वर्ष के दौरान किया जाता है।
- भारत में प्रमुख टीकाकरण कार्यक्रम:
- सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP):
- यह कार्यक्रम 12 वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ मुफ्त टीकाकरण सुनिश्चित करता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर 9 बीमारियों के उन्मूलन हेतु प्रयास: ये हैं- डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, पोलियो, खसरा, रूबेला, बचपन के तपेदिक का गंभीर रूप, हेपेटाइटिस बी तथा मेनिनजाइटिस एवं हेमोफिलस इन्फ्लुएंज़ा प्रकार बी के कारण होने वाला निमोनिया।
- उप-राष्ट्रीय स्तर पर 3 बीमारियों के उन्मूलन हेतु प्रयास: इनमें रोटावायरस डायरिया, न्यूमोकोकल निमोनिया और जापानी इंसेफेलाइटिस शामिल हैं।
- UIP द्वारा हासिल किये गए दो प्रमुख लक्ष्य हैं- वर्ष 2014 में पोलियो का उन्मूलन और वर्ष 2015 में माताओं और नवजातों में टेटनस का उन्मूलन।
- मिशन इंद्रधनुष:
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014 में UIP के तहत सभी अप्रतिरक्षित और आंशिक रूप से प्रतिरक्षित बच्चों का टीकाकरण करने के उद्देश्य से मिशन इंद्रधनुष शुरू किया गया था।
- इसका चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन किया जा रहा है।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014 में UIP के तहत सभी अप्रतिरक्षित और आंशिक रूप से प्रतिरक्षित बच्चों का टीकाकरण करने के उद्देश्य से मिशन इंद्रधनुष शुरू किया गया था।
- अन्य सहायक उपाय:
- इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN) रोलआउट
- राष्ट्रीय कोल्ड चेन प्रबंधन सूचना प्रणाली (National Cold Chain Management Information System- NCCMIS)
- सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP):
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. ‘भारत सरकार द्वारा चलाया गया 'मिशन इंद्रधनुष' किससे संबंधित है? (2016) (a) बच्चों और गर्भवती महिलाओं का प्रतिरक्षण उत्तर: (a) |