प्रारंभिक परीक्षा
मध्य प्रदेश में बाघों की मृत्यु पर SIT रिपोर्ट
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में मध्य प्रदेश के बाँधवगढ़ टाइगर रिज़र्व और शहडोल वन सर्कल में वर्ष 2021 और 2023 के बीच 43 बाघों की मृत्यु पर एक विशेष जाँच दल (Special Investigation Team- SIT) की रिपोर्ट ने भारत में वन्यजीव संरक्षण उपायों की प्रभावशीलता के बारे में महत्त्वपूर्ण चिंताएँ जताई हैं।
- रिपोर्ट में जाँच में गंभीर खामियों, अपर्याप्त साक्ष्य संग्रह तथा बाघ संरक्षण के लिये ज़िम्मेदार अधिकारियों में जवाबदेही की कमी पर प्रकाश डाला गया है।
भारत में बाघों की मृत्यु दर:
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority- NTCA) ने हाल के वर्षों में बाघों की मृत्यु में वृद्धि की प्रवृत्ति की सूचना दी है, जिसमें वर्ष 2019 में 96, वर्ष 2020 में 106, वर्ष 2021 में 127, वर्ष 2022 में 121 और वर्ष 2023 में 178 बाघों की मृत्यु हुई, जो वर्ष 2012 के बाद से बाघों की मृत्यु की सबसे अधिक संख्या है।
- भारत में वर्ष 2019 से 2024 के बीच कुल 628 बाघों की मौत हुई।
- वर्ष 2022 में भारत में बाघों की संख्या 3,682 थी, जो वैश्विक जंगली बाघ आबादी का लगभग 75% थी।
- भारत ने बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की थी।
- वर्तमान में, भारत में 55 बाघ अभयारण्य हैं, जो 78,735 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैले हैं, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 2.4% है।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (BTR)
- यह मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में विंध्य पहाड़ियों के भीतर स्थित है।
- इस पार्क में 3 अलग-अलग क्षेत्र शामिल हैं: 'बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान', 'पंपाथा वन्यजीव अभयारण्य' ("कोर एरिया") और उमरिया, शहडोल और कटनी ज़िलों में फैले आस-पास के अधिसूचित "बफर एरिया"।
- इसे वर्ष 1968 में राष्ट्रीय उद्यान और वर्ष 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के तहत पनपथा अभयारण्य के साथ एक बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था।
- यहाँ पाई जाने वाली वन्यजीव प्रजातियों में बाघ, तेंदुआ, ढोल (भारतीय जंगली कुत्ता), बंगाल या भारतीय लोमड़ी, स्लोथ बेयर, चिकने बालों वाला ऊदबिलाव, भारतीय रॉक पायथन, रस्टी स्पॉटेड कैट , फिशिंग कैट, गौर और जंगली हाथी शामिल हैं।
- BTR रॉयल बंगाल टाइगर्स के उच्च घनत्व के लिये प्रसिद्ध है, जो भारत और विश्व में सबसे अधिक है।
SIT रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- अपर्याप्त जाँच: बाघों की मृत्यु के कम से कम 10 मामलों की अपर्याप्त रूप से जाँच की गई, जिसमें अप्राकृतिक मृत्यु के लिये केवल दो गिरफ्तारियाँ हुईं। अधिकारियों ने उदासीनता दिखाई, जिसके कारण कई बाघों के शारीरिक अंग गायब पाए गए।
- महत्त्वपूर्ण साक्ष्य का अभाव: विद्युत-आघात के मामलों में मोबाइल फोरेंसिक और इलेक्ट्रिक ट्रिप डेटा का अभाव तथा अवैध शिकार से संबंधित भूमि स्वामित्व जाँच की उपेक्षा।
- मृत्यु के कारणों का गलत वर्गीकरण: बिना गहन जाँच किये आपसी संघर्ष को मृत्यु का कारण बताने की प्रवृत्ति, जिससे शिकार के मामलों को छिपा दिया जाता है।
- पोस्टमार्टम संबंधी समस्याएँ: अपर्याप्त पोस्टमार्टम प्रक्रियाएँ, अपर्याप्त नमूना संग्रह और दस्तावेज़ीकरण।
- उपचार में लापरवाही: उपचार के दौरान बाह्य कारकों की पहचान करने में विफलता सहित चिकित्सा लापरवाही के कारण बाघिन की मृत्यु हुई।
सर्वोच्च न्यायालय की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) - सरिस्का बाघ अभयारण्य (STR) हेतु सिफारिशें (2024)
- उच्च यातायात प्रभाव: मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों के भारी वाहन यातायात के कारण प्राकृतिक आवासों का विनाश हो रहा है तथा प्रदूषण बढ़ रहा है।
- संस्तुति: मार्च 2025 तक निजी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाए जाएँ और इलेक्ट्रिक शटल बसें शुरू की जाएँ। व्यवहार्यता अध्ययनों के आधार पर ट्रामवे, एलिवेटेड रोड या रोपवे के विकल्प अपनाए जाएँ।
- विशेष बाघ संरक्षण बल: बढ़ती बाघ आबादी और आस-पास के गाँवों के कारण मानव-पशु संघर्ष एवं अवैध शिकार के जोखिम से निपटने के लिये एक संरक्षण बल की स्थापना करने की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित बाघ आरक्षित क्षेत्राें में ‘‘क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat)’’ के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र किसके पास है? (2020) (a) कॉर्बेट उत्तर: (c) प्रश्न. पारिस्थितिक दृष्टिकोण से पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट के बीच एक अच्छा संपर्क होने के रूप में निम्नलिखित में किसका महत्त्व अधिक है? (2017) (a) सत्यमंगलम बाघ अरक्षित क्षेत्र (सत्यमंगलम टाइगर रिज़र्व) उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित संरक्षित क्षेत्रों पर विचार कीजिये: (2012)
उपर्युक्त में से किसे बाघ आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
प्रारंभिक परीक्षा
समय मापने वाले उपकरणों का विकास
स्रोत : द हिंदू
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में, शोधकर्ताओं ने थोरियम-229 नाभिक उत्तेजना के लिये एक लेज़र विकसित करके और इसे एक ऑप्टिकल क्लॉक से जोड़कर परमाणु घड़ियों में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है।
- समय ज्ञात करने के लिये सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर गणना करने से लेकर परमाणुओं और उनके नाभिकों का उपयोग करने तक विश्व का विकास होता आया है।
समय मापने वाले उपकरण इतिहास में कैसे विकसित हुए?
- ऐतिहासिक समय मापने वाले उपकरण:
- सनक्लॉक: प्राचीन उपकरण जो सूर्य के प्रकाश की छाया डालकर समय बताते थे।
- वाटर क्लॉक: बर्तन में धीरे-धीरे पानी भरकर समय मापा जाता था।
- ऑवरग्लास: समय मापने के लिये पानी की जगह रेत का प्रयोग किया जाता था।
- यांत्रिक घड़ियों का विकास:
- प्रारंभिक मैकेनिकल क्लॉक: उन्नत वाटर क्लॉक में अतिरिक्त टैंक, गियर और पुली शामिल थे।
- एस्ट्रारियम (मध्यकालीन एस्ट्रोनॉमिकल क्लॉक): आकाशीय हलचलों को ट्रैक करने के लिये एक परिष्कृत उपकरण।
- पेंडुलम क्लॉक: स्प्रिंग से चलने वाली घड़ियों में वज़न की जगह कुंडलित स्प्रिंग का प्रयोग किया जाता है।
- मॉडर्न क्लॉक:
- इलेक्ट्रिक क्लॉक: इन घड़ियों का विकास 19वीं सदी में हुआ, जिसमें स्प्रिंग या वज़न के बजाय बैटरी या इलेक्ट्रिक मोटर का इस्तेमाल किया जाता था।
- क्वार्ट्ज़ क्लॉक: इन घड़ियों में क्वार्ट्ज़ क्रिस्टल का इस्तेमाल किया जाता है जो विद्युत से चार्ज होने पर दोलन करता है। ये घड़ियाँ सस्ती और व्यापक रूप से उपलब्ध हैं, जिससे क्वार्ट्ज़ क्लॉक तथा वाॅल क्लॉक की लोकप्रियता बढ़ गई है।
- एटॉमिक क्लॉक:
- ऑपरेशन/परिचालन: समय मापने के लिये लेज़र और समान आइसोटोप के परमाणुओं का प्रयोग किया जाता है। ऊर्जा स्तरों के बीच संक्रमण के दौरान परमाणुओं द्वारा उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति द्वारा समय निर्धारित होता है।
- वन-नेशन-वन-टाइम परियोजना के एक भाग के रूप में भारत पूरे देश में एटॉमिक क्लॉक स्थापित कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डिजिटल उपकरणों पर समय भारतीय मानक समय के अनुरूप हो।
- सीज़ियम एटॉमिक क्लॉक: इसमें सीज़ियम-133 परमाणुओं का प्रयोग होता है और IST को बनाए रखने में अत्यधिक सटीक होती हैं।
- IST एक सीज़ियम एटॉमिक क्लॉक है जिसका प्रयोग राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) नई दिल्ली में किया जाता है।
- वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (CSIR–NPL) IST का रखरखाव करती है।
- नेक्स्ट जनरेशन ऑप्टिकल क्लॉक: समय की और भी अधिक सटीकता प्राप्त करने के लिये स्ट्रॉन्टीयम या यटरबियम जैसे परमाणुओं का प्रयोग किया जाता है।
- ऑपरेशन/परिचालन: समय मापने के लिये लेज़र और समान आइसोटोप के परमाणुओं का प्रयोग किया जाता है। ऊर्जा स्तरों के बीच संक्रमण के दौरान परमाणुओं द्वारा उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति द्वारा समय निर्धारित होता है।
- समय-निर्धारण में भावी विकास:
- न्यूक्लियर क्लॉक/परमाणु घड़ी: और भी अधिक परिशुद्धता के लिये घड़ियों के निर्माण में परमाणुओं के नाभिक का प्रयोग किया जाता है। इन परमाणु घड़ियों की उत्सर्जन आवृत्ति लगभग 2,020 टेराहर्ट्ज़ होती है जो अति-उच्च परिशुद्धता को दर्शाती है।
भारत में घड़ियों का इतिहास किस प्रकार विकसित हुआ?
- भारतीय इतिहास में घड़ियों का विकास स्वदेशी सरलता और बाह्य प्रभावों का एक समृद्ध मिश्रण दर्शाता है।
- प्राचीन भारत में समय निर्धारित करने के विभिन्न तरीके अपनाए जाते थे, जैसे कि जल घड़ियाँ (जिसे घटिका यंत्र के नाम से जाना जाता है) और सूर्य घड़ियाँ जिनका प्रयोग मंदिरों और दैनिक गतिविधियों में किया जाता था।
- प्राचीन भारतीय महत्त्वपूर्ण घटनाओं को सटीक रूप से रिकॉर्ड करने के लिये सितारों और ग्रहों की स्थिति (नक्षत्रों) का उपयोग करके समय का पता लगाते थे।
- ग्रहों की स्थिति से जुड़ी समय-सारिणी ने ज्योतिष के विकास और मानव जीवन पर ग्रहों के प्रभाव की खोज़ को जन्म दिया।
- उन्नत प्रणाली के बावजूद, दैनिक समय का निर्धारण प्रायः घंटों या पहरों में किया जाता था और सामान्य जनता के उपयोग के लिये साधारण घड़ी टॉवर ही पर्याप्त थे।
- इस्लामी शासकों के आगमन के साथ, स्थानीय परंपराओं के साथ मिश्रित होकर अधिक एडवांस वॉटर क्लॉक और खगोलीय उपकरण विकसित हुए।
- औपनिवेशिक काल में यांत्रिक घड़ियों और पॉकेट घड़ियों का प्रचलन हुआ।
रैपिड फायर
पश्चिम बंगाल में OBC आरक्षण का मुद्दा
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वह वर्ष 2010 और 2012 के दौरान मुख्यतः मुस्लिम समुदायों की 77 जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में वर्गीकृत करने के लिये प्रयोग किये गए मानदंडों को स्पष्ट करे।
- सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य से अनुरोध किया है कि वह इन समुदायों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन तथा सार्वजनिक सेवाओं में उनके प्रतिनिधित्व का आकलन करने के लिये प्रयुक्त सर्वेक्षण विधियों को स्पष्ट करे।
- मई 2024 में कलकत्ता उच्च न्यायालय (HC) ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (SC और ST के अलावा) (पदों में आरक्षण) अधिनियम, 2012 की विशिष्ट धाराओं को अमान्य करार देते हुए वर्ष 2010 से पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी सभी OBC प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया।
- उच्च न्यायालय के अनुसार कार्यकारी आदेशों और ज्ञापनों के माध्यम से OBC का वर्गीकरण व उपवर्गीकरण अवैध तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16(4) के उल्लंघन हैं।
- अनुच्छेद 16(4) राज्य को नागरिकों के पिछड़े वर्गों के लिये कुछ नियुक्तियाँ या पद निर्दिष्ट करने की अनुमति देता है, जिन्हें सार्वजनिक सेवाओं में कम प्रतिनिधित्व वाला माना जाता है।
अन्य राज्यों में भी इस प्रकार का धर्म-आधारित आरक्षण :
- केरल: अपने 30% OBC कोटे के भीतर 8% मुस्लिम कोटा प्रदान करता है।
- तमिलनाडु और बिहार: अपने OBC कोटे में मुस्लिम जाति समूहों को भी शामिल करते हैं।
- कर्नाटक: 32% OBC कोटे के भीतर मुसलमानों के लिये 4% उप-कोटा है।
- राज्य सरकार ने वर्ष 2023 में इस उप-कोटा को वोक्कालिगा और लिंगायतों के मध्य पुनर्वितरित किया।
और पढ़ें: OBC का उप-वर्गीकरण, भारत में आरक्षण
रैपिड फायर
हिरोशिमा दिवस 2024
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
6 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने की स्मृति में 6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस मनाया जाता है।
- 6 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने हिरोशिमा पर B-29 बमवर्षक एनोला गे का उपयोग करके "लिटिल बॉय" नामक परमाणु बम गिराया था।
- इसमें लगभग 70,000-80,000 लोग तुरंत मर गए और बाद में कई लोगों की चोट और विकिरण से मृत्यु हो गई।
- 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम "फैट मैन" गिराया, जिसके कारण 15 अगस्त 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया।
- इसने युद्ध में परमाणु हथियारों के पहले उपयोग को चिह्नित किया और 15 अगस्त 1945 को जापान के आत्मसमर्पण का कारण बना, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया।
- जनरल डगलस मैकआर्थर और अन्य शीर्ष कमांडरों ने निरंतर बमबारी और योजनाबद्ध बड़े पैमाने पर आक्रमण, "ऑपरेशन डाउनफाॅल" का समर्थन किया, जिसके परिणामस्वरूप 1 मिलियन अमेरिकी कैजुअल्टी होने का अनुमान था।
- ऐसी उच्च कैजुअल्टी से बचने के लिये, राष्ट्रपति ट्रूमैन ने परमाणु बम का प्रयोग करने का फैसला किया।
- दिसंबर 1941 में, अमेरिकी सरकार ने जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर के नेतृत्व में बम विकसित करने हेतु मैनहट्टन परियोजना शुरू की।
- परमाणु बमबारी की घटना ने परमाणु हथियारों के प्रसार को प्रतिबंधित करने के लिये व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT), परमाणु अप्रसार संधि, सीमित परीक्षण प्रतिबंध संधि, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह आदि को उत्पन्न किया ।
और पढ़ें: हिरोशिमा बमबारी की 75वीं वर्षगांठ
रैपिड फायर
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में 7 अगस्त, 2024 को 10वाँ राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया। यह दिवस वर्ष 2015 से मनाया जा रहा है और यह 7 अगस्त, 1905 को स्वदेशी आंदोलन के शुभारंभ का प्रतीक है, जो घरेलू हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा देने वाले स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा था।
- अद्वितीय हथकरघा उत्पाद: बनारसी, जामदानी, बालूचरी, मधुबनी, कोसा, इक्कत, पटोला, टसर सिल्क, माहेश्वरी, मोइरंग फी, फुलकारी, लहेरिया, खंडुआ और तंगलिया।
- हथकरघा कपड़े आमतौर पर उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक रेशों जैसे कपास, लिनन, रेशम और ऊन से बनाए जाते हैं, जो लचीले होते हैं और लंबे समय तक चलते हैं।
- सरकारी पहल:
- राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम (NHDP): हथकरघा समूहों को वित्तीय सहायता, विपणन सहायता और पुरस्कार प्रदान करता है। 10,000 करघों के लिये 30 करोड़ रुपए के साथ मेगा क्लस्टरों को वित्तपोषित करने की योजना है।
- बाज़ार पहुँच पहल (MAI): बाज़ार अनुसंधान, अंतर्राष्ट्रीय विपणन और छोटे उद्योगों के लिये समर्थन के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देता है। यह मार्च 2026 तक प्रभावी रहेगा।
- कच्चा माल आपूर्ति योजना (RMSS): यह योजना सब्सिडीयुक्त धागा उपलब्ध कराती है, रंगाई सुविधाओं में सुधार करती है, तथा हथकरघा बुनकरों को माल ढुलाई प्रतिपूर्ति और मूल्य सब्सिडी प्रदान करती है, जो 2025-26 तक प्रभावी रहेगी।
- हथकरघा निर्यात संवर्द्धन परिषद (HPEC) वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत एक गैर-लाभकारी एजेंसी है जिसका उद्देश्य कपड़े, घरेलू सामान और कालीन जैसे हथकरघा उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना है।
अधिक पढ़ें: हथकरघा क्षेत्र में सुधार
रैपिड फायर
भारत के राष्ट्रपति को फिजी का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार प्राप्त हुआ
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को फिजी के सर्वोच्च नागरिक सम्मान कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी से सम्मानित किया गया है, जो भारत-फिजी के मज़बूत संबंधों को मान्यता देता है। यह सम्मान उन्हें द्वीप राष्ट्र की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान मिला है, जो पहली बार किसी भारतीय राष्ट्रपति द्वारा फिजी की यात्रा का प्रतीक है।
- भारत के राष्ट्रपति ने प्रवासी भारतीयों, विशेषकर गिरमिटिया मज़दूरों के योगदान की सराहना की तथा प्रवासी भारतीय समुदायों के महत्त्व पर बल दिया।
- 'गिरमिटिया' शब्द 'गिरमिट' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'समझौता'। फिजी और मॉरीशस जैसे स्थानों पर भेजे जाने वाले भारतीय गिरमिटिया मज़दूरों को 'गिरमिटिया' के नाम से जाना जाता था।
- यद्यपि गिरमिटिया तकनीकी रूप से गुलाम नहीं थे, फिर भी उन्हें "ब्लैकबर्डिंग" (लोगों को धोखा देकर या छल करके गुलाम या कम वेतन पर मज़दूर के रूप में काम कराना) के अधीन किया जाता था।
- फिजी, दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित एक देश और द्वीपसमूह है। यह न्यूज़ीलैंड के ऑकलैंड के उत्तर में कोरो सागर से घिरा हुआ है। इसमें 300 से ज़्यादा द्वीप हैं, जिनमें से सिर्फ 100 द्वीपों पर ही लोग रहते हैं।
- इसे "सॉफ्ट कोरल कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड" के रूप में जाना जाता है, फिजी में 4,000 वर्ग किमी० से अधिक जीवंत प्रवाल भित्तियाँ हैं।
- गन्ना कई वर्षों तक फिजी का प्रमुख आर्थिक प्रेरक रहा है।
- फिजी एक संसदीय लोकतंत्र है, इसकी आबादी में स्वदेशी फिजी, भारतीय, यूरोपीय और अन्य जातीय समूहों का मिश्रण है। फिजी के दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा हिंदू मंदिर, श्री शिव सुब्रमण्य स्वामी मंदिर स्तिथ है।
- इसे "सॉफ्ट कोरल कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड" के रूप में जाना जाता है, फिजी में 4,000 वर्ग किमी० से अधिक जीवंत प्रवाल भित्तियाँ हैं।
और पढ़ें: दक्षिण-प्रशांत में नई भू-राजनीति
रैपिड फायर
अमेरिका और भारत में गूगल की एंटीट्रस्ट शिकायतें
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में एक अमेरिकी ज़िला न्यायालय ने गूगल को खोज और टेक्स्ट विज्ञापन में एकाधिकारवादी प्रथाओं का दोषी पाया है, जिससे उसका दीर्घकालिक प्रभुत्व बाधित हुआ है और यह भारत के नए डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून की चर्चाओं के साथ भी मेल खाता है।
- गूगल ने उपकरणों पर अपनी डिफॉल्ट खोज इंजन स्थिति को बनाए रखने के लिये प्रतिवर्ष 26 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जिसमें सामान्य खोज सेवाओं में 89.2% और मोबाइल पर 94.9% की पर्याप्त हिस्सेदारी बाज़ार में है।
- भारत में अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (Alliance of Digital India Foundation- ADIF) ने भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें दावा किया गया है कि गूगल का प्रभुत्व प्रतिस्पर्द्धा में बाधा डालता है और भारतीय व्यवसायों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- ADIF भारत के डिजिटल स्टार्टअप के लिये एक उद्योग निकाय है जिसका गठन वर्ष 2020 में किया गया था ताकि वर्ष 2030 तक भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक स्तर पर शीर्ष 3 में बदला जा सके।
- ADIF को चिंता है कि गूगल की प्राइवेसी सैंडबॉक्स पहल, जो क्रोम से तीसरे पक्ष के कुकीज को हटाती है, डिजिटल विज्ञापन में गैर-गूगल डिमांड साइड प्लेटफॉर्म की प्रभावशीलता में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
- यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब भारत डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून पर चर्चा कर रहा है, जिससे बड़ी टेक कंपनियों द्वारा अनुपालन में वृद्धि हो सकती है। यह CCI द्वारा Google पर अविश्वास जाँच के बीच भी सामने आया है, जिसने वर्ष 2022 में Android से संबंधित श्रेणियों में "बाज़ार में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग" करने के लिये ज़ुर्माना लगाया था।
- भारत डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा विधेयक, 2024 का प्रस्ताव कर रहा है, जिसका उद्देश्य अनुमानित मानदंड निर्धारित करके और भारी ज़ुर्माना लगाकर प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं पर अंकुश लगाना है।
- विधेयक में समूह कंपनियों के बीच डेटा उपयोग को विनियमित करने में एसोसिएट डिजिटल एंटरप्राइजेज (Associate Digital Enterprises- ADE) की भूमिका पर भी ध्यान दिया गया है।
और पढ़ें: बिग-टेक का विनियमन: भारत और विश्व