भारत 2024 में 46वीं ATCM और 26वीं CEP की बैठक की मेज़बानी करेगा
स्रोत :पी.आई.
चर्चा में क्यों
भारत, केरल के कोच्चि में 20 से 30 मई 2024 तक, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MOES) तथा राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (National Centre for Polar and Ocean Research- NCPOR) के माध्यम से, 46वीं अंटार्कटिक संधि परामर्शदात्री बैठक (ATCM 46) एवं पर्यावरण संरक्षण समिति (CEP 26) की 26वीं बैठक की मेज़बानी करने के लिये तैयार है
यह अंटार्कटिका क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण तथा वैज्ञानिक सहयोग पर वैश्विक बातचीत के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अंटार्कटिक संधि परामर्शदात्री बैठक (ATCM) क्या है?
- परिचय:
- ATCM, अंटार्कटिक संधि के मुख्य 12 देशों तथा अनुसंधान के माध्यम से अंटार्कटिका में रुचि दिखाने वाले अन्य देशों की एक वार्षिक बैठक है।
- 1959 में हस्ताक्षरित अंटार्कटिक संधि ने अंटार्कटिका को शांतिपूर्ण उद्देश्यों, वैज्ञानिक सहयोग और पर्यावरण संरक्षण के लिये समर्पित क्षेत्र घोषित किया।
- विगत कुछ वर्षों में इस संधि को व्यापक समर्थन मिला है तथा वर्तमान में 56 देश इसमें सम्मिलित हैं।
- भारत वर्ष 1983 से अंटार्कटिक संधि के सलाहकार पक्ष के समर्थन में रहा है। वर्ष 2022 में भारत ने अंटार्कटिक संधि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करते हुए अंटार्कटिक अधिनियम लागू किया
- 1959 में हस्ताक्षरित अंटार्कटिक संधि ने अंटार्कटिका को शांतिपूर्ण उद्देश्यों, वैज्ञानिक सहयोग और पर्यावरण संरक्षण के लिये समर्पित क्षेत्र घोषित किया।
- वर्ष 1961 से 1994 तक ATCM की सामान्यतः पर प्रत्येक दो वर्ष में एक बार बैठक होती थी, परंतु 1994 के बाद से बैठकें वार्षिक रूप से होने लगी हैं।
- ATCM, अंटार्कटिक संधि के मुख्य 12 देशों तथा अनुसंधान के माध्यम से अंटार्कटिका में रुचि दिखाने वाले अन्य देशों की एक वार्षिक बैठक है।
- 46वाँ ATCM एजेंडा:
- इसमें अंटार्कटिका और उसके संसाधनों के स्थायी प्रबंधन के लिये रणनीतिक योजना, नीतियाँ, विधिक, जैवविविधता की खोज, निरीक्षण तथा सूचना डेटा का आदान-प्रदान, अनुसंधान, सहयोग, क्षमता निर्माण व सहयोग, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संबोधित करना, पर्यटन ढाँचे का विकास एवं जागरूकता को बढ़ावा देना सम्मिलित है।
- ATCM में भारत की भागीदारी:
- भारत एक सलाहकार पक्ष के रूप में, अन्य सलाहकारी पक्षों के साथ निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेता है
- अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन:
- स्थापना: 1983 में इसका पहला अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र, दक्षिण गंगोत्री था
- मैत्री (1989) और भारती (2012) भारत द्वारा अंटार्कटिका में संचालित दो वर्षीय अनुसंधान स्टेशनों के नाम हैं।
- अंटार्कटिका में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा अभियान 1981 से प्रतिवर्ष आयोजित किये जाते रहे हैं।
- स्थापना: 1983 में इसका पहला अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र, दक्षिण गंगोत्री था
पर्यावरण संरक्षण समिति (CEP) क्या है?
- परिचय:
- CEP की स्थापना वर्ष 1991 में अंटार्कटिक संधि (मैड्रिड प्रोटोकॉल) के पर्यावरण संरक्षण प्रोटोकॉल के तहत की गई थी
- CEP अंटार्कटिका में पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण पर ATCM को सलाह देता है
- अंटार्कटिका के सुभेद्द पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के चल रहे प्रयासों में ATCM तथा CEP महत्त्वपूर्ण हैं।
- अंटार्कटिक संधि प्रणाली के तहत प्रतिवर्ष आहूत की जाने वाली ये बैठकें अंटार्कटिका के महत्त्वपूर्ण पर्यावरण, वैज्ञानिक और शासन संबंधी मुद्दों को संबोधित करने के लिये अंटार्कटिक संधि सलाहकार दलों तथा अन्य हितधारकों के लिये एक मंच के रूप में कार्य करती हैं।
- 26वीं CEP एजेंडा:
- यह अंटार्कटिक पर्यावरण का मूल्यांकन करने, प्रभावों का आकलन करने, प्रबंधन एवं रिपोर्टिंग; जलवायु परिवर्तन का जवाब देने; समुद्री स्थानिक संरक्षण सहित क्षेत्र संरक्षण और प्रबंधन योजनाओं को विकसित करने; तथा अंटार्कटिक जैवविविधता के संरक्षण पर केंद्रित है।
1991 में अंटार्कटिक संधि (मैड्रिड प्रोटोकॉल) के लिये पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल:
- प्रोटोकॉल अंटार्कटिका को "शांति और विज्ञान के लिये समर्पित प्राकृतिक रिज़र्व" के रूप में नामित करता है।
- यह अंटार्कटिका में मानव गतिविधियों के लिये आधारभूत सिद्धांत निर्धारित करता है और वैज्ञानिक अनुसंधान को छोड़कर खनिज संसाधन गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है
- प्रोटोकॉल को केवल 2048 तक सभी सलाहकार दलों की सर्वसम्मत सहमति से संशोधित किया जा सकता है और खनिज संसाधन गतिविधियों पर प्रतिबंध को बाध्यकारी कानूनी व्यवस्था के बिना हटाया नहीं जा सकता है।
- प्रोटोकॉल अंटार्कटिक पर्यावरण की रक्षा में संधि की प्रभावशीलता को बढ़ाने तथा सुधार करने हेतु अंटार्कटिक संधि और अनुशंसाओं पर आधारित है।
राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR):
- NCPOR, MoES के तहत वर्ष 1998 में स्थापित एक स्वायत्त संस्थान है।
- ध्रुवीय क्षेत्रों (आर्कटिक और अंटार्कटिक), हिमालय तथा दक्षिणी महासागर में भारत के वैज्ञानिक एवं रणनीतिक प्रयास गोवा में NCPOR के तहत संचालित होते हैं।
और पढ़ें: अंटार्कटिक में भारत का नया डाकघर
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षप्रिलिम्स:प्रश्न. जून की 21वीं तारीख को सूर्य: (2019) (a) उत्तरध्रुवीय वृत्त पर क्षितिज के नीचे नहीं डूबता है, उत्तर: (a) प्रश्न. अंटार्कटिक क्षेत्र में ओज़ोन होल का होना चिंता का कारण रहा है। इस होल के बनने का कारण क्या होगा? (2011) (a) प्रमुख क्षोभमंडल विक्षोभ की उपस्थिति; और क्लोरोफ्लोरो कार्बन का अंतर्वाह उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. आर्कटिक की बर्फ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना किस तरह अलग-अलग ढंग से पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप और मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव डालते हैं? स्पष्ट कीजिये। (2021) |
विश्व का सबसे गहरा ब्लू होल
स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया
हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने मेक्सिको में चेतुमल खाड़ी में स्थित विश्व के सबसे गहरे ब्लू होल की खोज की है, जिसे ताम जा’ ब्लू होल (TJBH) के नाम से जाना जाता है।
- मूलतः यह दूसरा सबसे गहरा होल माना जाता था, हालाँकि, हाल के अध्ययनों द्वारा पता चला है कि यह समुद्र तल से 420 मीटर नीचे है, जो अन्य ज्ञात ब्लू होल्स से भी अधिक गहरा है।
- नया माप मेसोपेलैजिक क्षेत्र तक पहुँच गया, जहाँ सूर्य का प्रकाश काफी कम है और वहाँ समुद्री जीवों की सघनता है।
- TJBH की गहराई अन्य प्रसिद्ध ब्लू होल जैसे दक्षिण चीन सागर में संशा योंगले ब्लू होल (301 mbsl) और बहामास में डीन के ब्लू होल (202 mbsl) से भी अधिक है।
- ब्लू होल कोरल्स, स्पंज, मोलस्क, समुद्री कछुए और शार्क सहित विविध समुद्री जीवन की मेज़बानी करने वाले जैविक हॉटस्पॉट के रूप में कार्य करते हैं।
- यहाँ पहुँचने के लिये चुनौतीपूर्ण स्थितियों के कारण ब्लू होल की खोज सीमित कर दी गई है, क्योंकि अधिकांश ब्लू होल में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिनकी गहराई जल के नीचे कई सौ फीट तक हो सकती है, तथा ये स्वचालित सबमर्सिबल के लिये व्यवधान उत्पन्न करते हैं।
विशेषता |
ब्लू होल्स |
गहरी खाइयाँ |
निर्माण |
गुफा का ढहना |
विवर्तनिक प्लेट का प्रविष्ठन |
स्थान |
महाद्वीपीय शेल्फ, चट्टानें आदि। |
अभिसरण प्लेट सीमाएँ |
गहराई |
परिवर्तनशील, ऊपरी सतह से लेकर बहुत गहरे तक परिवर्तनशील |
महासागर के सबसे गहरे भाग (मारियाना ट्रेंच>36,000 फीट) |
और पढ़ें: जैविक हॉटस्पॉट
NADA का प्ले ट्रू अभियान
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (National Anti Doping Agency-NADA) भारत ने विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA) के प्ले ट्रू दिवस के उपलक्ष्य में #PlayTrue अभियान का समापन किया।
- यह अभियान खिलाड़ियों, कोचों तथा खेल समुदाय को डोपिंग रोधी नियमों को आत्मसात करने, भारत को खेलों में नैतिकता का प्रणेता बनाने के लिये NADA इंडिया की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालता है।
- यह अभियान एथलीटों एवं हितधारकों के लिये 2024 में होने वाले पेरिस ओलंपिक में एक लचीला एंटी-डोपिंग ढाँचा स्थापित करने, अंतर्दृष्टि का आदान-प्रदान करने तथा रणनीतियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम के रूप में कार्य करता है।
- NADA:
- राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) की स्थापना भारत में डोप मुक्त खेलों के लिये एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में की गई थी।
- WADA:
- विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (World Anti-Doping Agency- WADA) की स्थापना सभी खेलों और देशों में डोपिंग रोधी नियमों के विकास, सामंजस्य एवं समन्वय के लिये अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के तहत की गई थी।
- राष्ट्रीय औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (NDPS) अधिनियम, 1985:
- यह अधिनियम किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की नशीली दवा या मादक पदार्थ के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण तथा उपभोग करने से रोकता है।
और पढ़ें: भारत में डोपिंग नियम
खनिज उत्पादन में वृद्धि
स्रोत: पीआईबी
हाल ही में भारतीय खान ब्यूरो के आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल-फरवरी 2023-24 की अवधि में भारत के खनिज उत्पादन में वर्ष-दर-वर्ष 8.2% की वृद्धि देखी गई
- फरवरी 2024 में खनन और उत्खनन क्षेत्र के लिये खनिज उत्पादन का सूचकांक 139.6 है, जो फरवरी 2023 की तुलना में 8.0% अधिक है
- फरवरी 2024 के दौरान फरवरी 2023 की तुलना में सकारात्मक वृद्धि दर्शाने वाले महत्त्वपूर्ण खनिजों में सम्मिलित हैं: सोना (86%), ताँबा (28.7%), बॉक्साइट (21%), कोयला (12%), प्राकृतिक गैस (11%), पेट्रोलियम (कच्चा) (8
- नकारात्मक वृद्धि दर्शाने वाले अन्य महत्त्वपूर्ण खनिजों में लौह अयस्क (-0.7%) और सीसा (-14%) सम्मिलित हैं।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक:
- IIP एक संकेतक है जो एक निश्चित अवधि के दौरान औद्योगिक उत्पादों के उत्पादन की मात्रा में होने वाले परिवर्तनों को मापता है।
- इसे राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा मासिक रूप से संकलित एवं प्रकाशित किया जाता है।
- IIP के लिये आधार वर्ष 2011-2012 है।
और पढ़ें: औद्योगिक उत्पादन सूचकांक
क्रिटिकल मिनरल्स शिखर सम्मेलन
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में रणनीतिक सहयोग और नीतिगत अंतर्दृष्टि के आधार पर नई दिल्ली में क्रिटिकल मिनरल्स (महत्त्वपूर्ण खनिज) शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ, जो भारत के महत्त्वपूर्ण खनिज (Critical Minerals) उद्देश्यों की दिशा में आवश्यक प्रगति को दर्शाता है।
- इस शिखर सम्मेलन का आयोजन खान मंत्रालय (Ministry of Mines) द्वारा ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (Energy, Environment and Water- CEEW) तथा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (IISD) के सहयोग से किया गया था।
- शिखर सम्मेलन का उद्देश्य सरकार और उद्योग हितधारकों को महत्त्वपूर्ण खनिजों के घरेलू उत्पादन में तेज़ी लाने के लिये आवश्यक जानकारी, संबंध एवं उपकरणों से सुसज्जित करना था।
- चर्चा में विशेष रूप से कम कार्बन प्रौद्योगिकियों में खनिज निष्कर्षण, शोधन और उपयोग में तालमेल बढ़ाने के लिये क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण पर बल दिया गया।
- शिखर सम्मेलन में निवेशकों को आकर्षित करने के लिये नियामक स्पष्टता, वित्तपोषण संरचनाओं और ESG मानकों की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- भारत में प्रसंस्करण क्षमताओं की स्थापना में उनकी सुविधा सेवाओं के लिये भारत में निवेश संवर्द्धन (Invest India) जैसे संगठनों की सराहना की गई।
और पढ़ें: भारत में महत्त्वपूर्ण खनिज
NPCI इंटरनेशनल की बैंक ऑफ नामीबिया के साथ हुई साझेदारी
स्रोत: द हिंदू
इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL) ने भारत के यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के समान वास्तविक समय तत्काल भुगतान प्रणाली तैयार करने के लिये बैंक ऑफ नामीबिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- नई प्रणाली तेज़ी से व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) लेन-देन की सुविधा प्रदान करेगी, जिससे वंचित जनसंख्या के लिये वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
- NPCI की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में 3 अप्रैल, वर्ष 2020 में स्थापित NIPL, रुपे कार्ड योजना और UPI मोबाइल भुगतान समाधान के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर केंद्रित है।
- NIPL का लक्ष्य अपने व्यापक अनुभव और उन्नत भुगतान ज्ञान का लाभ उठाते हुए, दुनिया भर में, विशेष रूप से संसाधन-सीमित देशों में भुगतान प्रणालियों को बढ़ाकर, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से वैश्विक भुगतान में क्रांति लाना है।
- नामीबिया दूसरा सबसे कम घनी जनसंख्या वाला देश है, जो दक्षिणी अफ्रीकी तट पर स्थित है।
- नामीबिया की सीमा दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, ज़िम्बाब्वे, ज़ाम्बिया और अंगोला आदि निकटवर्ती देशों के साथ लगती है।
- इसका वातावरण विविध प्रकार का है जिसमें रेगिस्तान, दलदली भूमि, सवाना, पहाड़ और नदी घाटियों का घर है।
और पढ़ें: यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI)
प्युसेटिया छापराजनिर्विन की खोज
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
हाल ही में अरेकनोलॉजिस्ट (कीटशास्त्रियों) ने ग्रीन लिंक्स मकड़ी (green lynx spider) की पहचान की है, जो पहले कभी नहीं खोजी गई थी।
- यह नई पहचानी गई मकड़ी की प्रजाति, राजस्थान के ताल छापर वन्यजीव अभयारण्य में पाई गयी है, जिसे प्यूसेटिया छापराजनिर्विन नाम दिया गया है।
- यह रात्रिचर मकड़ी, अपने हरे रंग के कारण बबूल (Vachellia nilotica) के वृक्ष की पत्तियों में छिप कर, छोटे कीटों का शिकार करती है तथा कीटों की आबादी को नियंत्रित रखने और पारिस्थितिकी को संतुलन बनाए रखने में एक महत्त्वपूर्ण शिकारी के रूप में कार्य करती है।
- अभयारण्य की अत्यधिक तापमान वाली जलवायु, इस मकड़ी की अनुकूलनशीलता को रेखांकित करती हैं।
- ग्रीन लिंक्स मकड़ियाँ सक्रिय शिकारी मकड़ियों (Oxyopide) के समूह का एक भाग हैं, जो सामान्यतः जाला नहीं बनाती हैं।
- ये मकड़ियाँ, जो अक्सर वनस्पतियों में पाई जाती हैं, अपनी तीव्र दृष्टि के लिये जानी जाती हैं तथा शिकार को पकड़ने के लिये घात लगाने या पीछा करने की रणनीति का उपयोग करती हैं, तथा अक्सर फूलों पर कीड़ों के निकट आने की प्रतीक्षा करती हैं।
और पढ़ें: मकड़ियाँ
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
3 मई 2024 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस सम्मेलन के अवसर पर, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization - UNESCO) ने एक नई रिपोर्ट जारी की जिसमें दुनिया भर में पर्यावरण पत्रकारों के विरुद्ध हिंसा में वृद्धि का संकेत दिया गया है।
- इसने दुनिया भर में पर्यावरण पत्रकारों के विरुद्ध बढ़ती हिंसा पर प्रकाश डाला, जिसमें 15 वर्षों में 44 पत्रकारों की हत्या हुई।
- यह एशिया और प्रशांत क्षेत्र में हत्याओं की सबसे अधिक संख्या को दर्शाता है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक क्या है?
- परिचय:
- यह वैश्विक मीडिया निगरानी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा जारी एक वार्षिक रिपोर्ट है।
- वर्ष 2024 में भारत का स्कोर:
- भारत की स्थिति में मामूली सुधार हुआ है और यह वर्ष 2023 में 161वें से बढ़कर वर्ष 2024 में 180 देशों में 159वें स्थान पर पहुँच गई है।
- रैंकिंग में बदलाव के बावजूद, भारत के स्कोर में गिरावट देखी गई, जो 36.62 से गिरकर 31.28 रह गया और साथ ही सुरक्षा संकेतक को छोड़कर सभी श्रेणियों में स्कोर कम हो गया।
- RSF के अनुसार, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ खतरे में है।
- जनवरी 2024 से अब तक भारत में 9 पत्रकारों और 1 मीडियाकर्मी को हिरासत में लिया जा चुका है।
- दूरसंचार अधिनियम 2023, प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक, 2023 एवं डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 जैसे कई कानून बड़े पैमाने पर मीडिया तथा सेंसर समाचारों को विनियमित करते हैं।
- इस रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि आर्थिक तथा राजनीतिक दबाव मीडिया की स्वतंत्रता को सीमित करते हैं।
- वैश्विक स्कोर:
- वर्ष 2024 की रिपोर्ट में नॉर्वे, डेनमार्क तथा स्वीडन क्रमशः पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर बने हुए हैं। इरीट्रिया सूची में सबसे नीचे था और सीरिया उसके ठीक आगे था।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (WPFI):
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (World Press Freedom Index - WPFI), वर्ष 2002 से फ्राँस स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन RSF द्वारा संकलित एवं प्रकाशित देशों की एक वार्षिक रैंकिंग है।
- यह विशेष रूप से प्रेस की स्वतंत्रता पर ध्यान केंद्रित करता है और जिन देशों का यह आकलन करता है उनके भीतर पत्रकारिता की गुणवत्ता या व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन का मूल्यांकन नहीं करता है।
- प्रेस स्वतंत्रता प्रश्नावली में पाँच प्रमुख श्रेणियाँ शामिल हैं: राजनीतिक संदर्भ, कानूनी ढाँचा, आर्थिक संदर्भ, सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ एवं सुरक्षा।
और पढ़ें… भारत में प्रेस की स्वतंत्रता
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में रक्षित किया जाता है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है? (2018) (a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. आप 'वाक् और अभिव्यक्ति स्वातंत्रय' संकल्पना से क्या समझते हैं? क्या इसकी परिधि में घृणा वाक् भी आता है? भारत में फिल्में अभिव्यक्ति के अन्य रूपों से तनिक भिन्न स्तर पर क्यों हैं? चर्चा कीजिये। (2014) |