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भारत में डोपिंग गतिविधियाँ

  • 07 Oct 2023
  • 6 min read

स्रोत :इंडियन एक्सप्रेस 

दिल्ली एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हाल की घटनाओं ने डोपिंग के मुद्दे की सीमा को उजागर कर दिया है, क्योंकि कई प्रतियोगी डोपिंग परीक्षण से भाग गए थे और कुछ प्रतियोगिताओं में केवल एक ही प्रतिभागी शामिल हुआ था।

डोपिंग का खतरा: 

  • परिचय:
    • प्रदर्शन बढ़ाने के लिये एथलीटों द्वारा कुछ प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन।
  • क्षेत्र:
    • स्कूल मीट से लेकर राष्ट्रीय चैंपियनशिप तक सभी स्तरों के एथलीट आदतन डोपिंग प्रकियाओं में संलग्न हैं।
    • करियर में सफलता और राष्ट्रीय टीम में स्थान पाने की उम्मीदें इन जोखिम भरे व्यवहारों को प्रेरित करती हैं।
    • सबसे आम उपयोग में एनाबॉलिक स्टेरॉयड जैसी दवाएँ शामिल हैं।

भारतीय खेलों में निरंतर बनी रहने वाली डोपिंग समस्या:

  • व्यापक सीरिंज संस्कृति:
    • स्टेडियम के बाथरूमों में सीरिंज के उपयोग साक्ष्य दशकों से देख जा सकते हैं।
    • डोपिंग गतिविधि को रोकने के लिये सक्रिय उपायों का अभाव।
  • राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी की अप्रभावीता:
    • दिल्ली चैंपियनशिप जैसे आयोजनों के नेतृत्व में NADA की स्पष्ट अनुपस्थिति।
    • औपचारिक परीक्षण के दौरान शीघ्रता से प्राप्त निष्कर्ष व्यापक डोपिंग का संकेत देते हैं।
  • सुदूर क्षेत्रों में उपेक्षित परीक्षण:
    • दूरदराज़ के क्षेत्रों में प्रतियोगिताएँ डोपिंग रोधी अधिकारियों के बिना आगे बढ़ती हैं, जिससे संभावित रूप से उच्च डोपिंग दर छिप जाती है।

डोपिंग संकट के मूल कारण:

  • प्रशिक्षकों तथा अभिभावकों की त्वरित मानसिकता सुधार:
    • कोच और माता-पिता एथलीटों को सफलता के लिये शॉर्टकट ढूंढने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।
    • उभरते एथलीटों के बीच दबाव अनैतिक विकल्पों की ओर ले जाता है।
  • भारत की सुस्त एंटी-डोपिंग मशीनरी:
    • डोपिंग को रोकने तथा परीक्षण के प्रति भय उत्पन्न करने के अपर्याप्त उपाय।
    • लगातार और कड़े डोपिंग रोधी प्रयासों का अभाव।
  • सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारण: 
    • एथलीटों तथा आम जनता के बीच प्रभावी डोपिंग रोधी शिक्षा और जागरूकता का अभाव।
    • प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं  की उपलब्धता और पहुँच
    • खेल तथा समाज की संस्कृति एवं वातावरण। एथलीटों को ऐसी संस्कृति से अवगत कराया जा सकता है जो स्पष्ट रूप से अथवा परोक्ष रूप से डोपिंग को सहन करती है या प्रोत्साहित करती है।

संभावित समाधान:

  • एक स्वच्छ खेल संस्कृति को बढ़ावा देना:
    • छोटी उम्र से ही खेलों में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा को प्रोत्साहित करना।
    • एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देना जहाँ डोपिंग अस्वीकार्य है।
  • डोपिंग रोधी उपायों को सुदृढ़ करना:
    • सुदूर क्षेत्रों में भी प्रतियोगिताओं में डोपिंग रोधी अधिकारियों की उपस्थिति बढ़ाना।
    • अधिक कठोर और औचक परीक्षण लागू करना।
  • जागरूकता अभियान:
    • डोपिंग के खतरों के विषय में एथलीटों, प्रशिक्षकों और अभिभावकों को शिक्षित करना।
    • एथलीटों के स्वास्थ्य और करियर पर डोपिंग के परिणामों के विषय में जागरूकता बढ़ाना।
    • भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के माध्यम से डोपिंग मिश्रित इनपुट और आहार की उपलब्धता को कम करना जो खिलाड़ी अनजाने में उपभोग करते हैं।

खेलों में डोपिंग को समाप्त करने हेतु सरकार द्वारा किये गये उपाय:

  • NADA:
    • राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (National Anti-Doping Agency- NADA) की स्थापना भारत में डोप मुक्त खेलों के लिये सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में की गई थी।
    • लोकसभा ने राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक 2021 पारित कर दिया, जो राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) के लिये एक वैधानिक ढाँचा बनाने का प्रयास करता है।
    • स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (NDPS) अधिनियम, 1985: यह किसी व्यक्ति को किसी भी नशीली दवा या मन:प्रभावी पदार्थ के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण या उपभोग करने से रोकता है।
  • WADA:
    • विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (World Anti-Doping Agency- WADA) की स्थापना सभी खेलों और देशों में डोपिंग रोधी नियमों के विकास, सामंजस्य तथा समन्वय के लिये अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के तहत की गई थी।

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