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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 04 May, 2023
  • 22 min read
प्रारंभिक परीक्षा

ब्लैक टाइगर

हाल ही में ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व में एक दुर्लभ ब्लैक टाइगर की मौत की सूचना मिली है।

  • सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व में विश्व में ब्लैक टाइगर देखे जाने की दर सबसे ज़्यादा है।

नोट:

  • इस प्रकार की मौत का बाघों की आबादी पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। ब्लैक टाइगर की आबादी काफी सीमित है और नर बाघ की मौत से क्षेत्र में बाघों के प्रजनन पर असर पड़ेगा।

ब्लैक टाइगर:

  • परिचय:
    • ब्लैक टाइगर, बंगाल टाइगर की ही दुर्लभ रंग-रूप की प्रजाति है और यह कोई विशिष्ट प्रजाति या भौगोलिक उप-प्रजाति नहीं है।
    • ट्रांसमेम्ब्रेन एमिनोपेप्टिडेज़ क्यू (टैकपेप) जीन में एकल उत्परिवर्तन ऊपरी खाल के रंग और स्वरूप हेतु होता है जो जंगली बिल्लियों को उनका काला रंग प्रदान करता है।
  • स्यूडो मेलानिस्टिक:
    • ऐसे बाघों के असामान्य रूप से गहरे या काले रंग को स्यूडो मेलानिस्टिक या छद्म रंग कहा जाता है।
      • मेलानिस्टिक से तात्पर्य वर्णक के सामान्य स्तर से अधिक होने के कारण त्वचा/बालों का बहुत गहरा होना है (पदार्थ जो त्वचा/बालों को रंजकता देता है उसे मेलेनिन कहा जाता है)।
    • इस बात की बहुत अधिक संभावना (लगभग 60%) है कि सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व से यादृच्छिक रूप से चुने गए बाघ में उत्परिवर्तित जीन होगा।

  • काले रंग का कारण:
    • सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व के बाघ पूर्वी भारत में एक अलग आबादी है और उनके एवं अन्य बाघ आबादी के बीच जीन प्रवाह बहुत प्रतिबंधित है।
    • भौगोलिक अलगाव के कारण आनुवंशिक रूप से संबंधित प्रजातियाँ कई पीढ़ियों से एक दूसरे के साथ मिलन करते आ रहे हैं, जिससे अंतर्प्रजनन होता है।
      • बाघ संरक्षण में इसका महत्त्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि इस तरह की अलग-थलग और जन्मजात आबादी के कम समय में ही विलुप्त होने का खतरा है।

सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व के प्रमुख बिंदु:

भारत में बाघ संरक्षण के प्रयास:

  • प्रोजेक्ट टाइगर (1973): प्रोजेक्ट टाइगर वर्ष 1973 में शुरू की गई पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की एक केंद्र प्रायोजित योजना है। यह देश के राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों को आश्रय प्रदान करती है।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA): यह MoEFCC के तहत एक वैधानिक निकाय है और वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद स्थापित किया गया था। NTCA का गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 L (1) के तहत किया गया है।
  • संरक्षण का आश्वासन/बाघ मानक: CA/TS मापदंड का एक समूह है जो बाघ स्थलों को यह जाँचने की अनुमति देता है कि क्या उनके प्रबंधन से बाघ संरक्षण सफल होगा।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. दो महत्त्वपूर्ण नदियाँ- जिनमें से एक का स्रोत झारखंड है ( जो ओडिशा में दूसरे नाम से जानी जाती है) तथा दूसरी जिसका स्रोत ओडिशा में है- समुद्र में प्रवाह करने से पूर्व एक ऐसे स्थान पर संगम करती हैं जो बंगाल की खाड़ी से कुछ ही दूर है। यह वन्य जीवन तथा जैवविविधता का प्रमुख स्थल और सुरक्षित क्षेत्र है। निम्नलिखित में वह स्थल कौन-सा है?

(a) भितरकनिका
(b) चांदीपुर-ऑन-सी
(c) गोपालपुर-ऑन-सी
(d) सिमलीपाल

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित बाघ आरक्षित क्षेत्रों में से "क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat)" के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र किसके पास है? (2020)

(a) कॉर्बेट
(b) रणथंभौर
(c) नागार्जुनसागर-श्रीशैलम
(d) सुंदरबन

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित संरक्षित क्षेत्रों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. बांदीपुर
  2. भितरकनिका
  3. मानस
  4. सुंदरबन

उपर्युक्त में से किसे बाघ आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


प्रारंभिक परीक्षा

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day- WPFD) प्रतिवर्ष 3 मई को मनाया जाता है। इस दिवस के उपलक्ष्य में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023 प्रकाशित किया गया।

  • 180 देशों के इस सूचकांक में 36.62 अंक के साथ भारत 161वें स्थान पर है, वर्ष 2022 में भारत का रैंक 150 था।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस:

  • परिचय:
    • वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिवस की घोषणा वर्ष 1991 में यूनेस्को के आम सम्मेलन की सिफारिश के बाद की गई थी।
    • यह दिवस वर्ष 1991 के विंडहोक घोषणा (यूनेस्को द्वारा अपनाया गया) को भी चिह्नित करता है।
    • प्रेस की स्वतंत्रता के महत्त्व, पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा और स्वतंत्र, मुक्त मीडिया को प्रोत्साहित करने के महत्त्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिये इस दिवस का आयोजन किया जाता रहा है।
  • वर्ष 2023 की थीम:
    • 'शेपिंग ए फ्यूचर ऑफ राइट्स: फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन एज़ अ ड्राइवर फॉर ऑल अदर ह्यूमन राइट्स' ('Shaping a Future of Rights: Freedom of Expression as a Driver for All Other Human Rights')।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023 के प्रमुख बिंदु:

  • रैंकिंग:
    • शीर्ष तथा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देश:
      • नॉर्वे, आयरलैंड और डेनमार्क सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले शीर्ष 3 देश हैं।
      • इस सूची में वियतनाम, चीन और उत्तर कोरिया सबसे निचले पायदान पर रहे।
    • भारत के पड़ोसी:
      • श्रीलंका ने भी 2022 के 146वें की तुलना में इस वर्ष सूचकांक रैंकिंग में 135वें स्थान पर महत्त्वपूर्ण सुधार किया।
      • पाकिस्तान 150वें स्थान पर है।
      • तीन अन्य देशों- ताजिकिस्तान (1 स्थान नीचे 153वें पर), भारत (11 स्थान नीचे 161वें पर) और तुर्की (16 स्थान नीचे 165वें पर) में स्थिति 'समस्याप्रद' से 'काफी खराब' हो गई है।
  • भारत का प्रदर्शन विश्लेषण:
    • सूचकांक में भारत की स्थिति में वर्ष 2016 (जब यह 133वें स्थान पर था) के बाद से लगातार गिरावट आ रही है।
    • इस गिरावट का कारण पत्रकारों और राजनीतिक रूप से पक्षपाती मीडिया के खिलाफ बढ़ती हिंसा है।
    • दूसरी घटना जो सूचना के मुक्त प्रवाह को खतरनाक रूप से प्रतिबंधित करती है, वह है कुलीन वर्गों द्वारा मीडिया आउटलेट्स का अधिग्रहण, जो राजनेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हैं।
    • संगठन का दावा है कि भारत में कई पत्रकार अत्यधिक दबाव के कारण खुद को सेंसर करने के लिये मजबूर हैं।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक:

  • परिचय:
    • यह वर्ष 2002 से ‘रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स’ (RSF) या ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है।
      • पेरिस में स्थित RSF संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोपीय परिषद और फ्रैंकोफोनी के अंतर्राष्ट्रीय संगठन (International Organisation of the Francophonie- OIF) के परामर्शी स्थिति के साथ एक स्वतंत्र गैर-सरकारी संगठन है।
        • OIF, 54 फ्रेंच भाषी राष्ट्रों का एक समूह है।
    • सेंसरशिप, मीडिया स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट में 180 देशों को उनके प्रेस की स्वतंत्रता के स्तर के आधार पर रैंक प्रदान किया गया है। हालाँकि यह पत्रकारिता की गुणवत्ता का संकेतक नहीं है।
  • स्कोरिंग मानदंड:
    • सूचकांक की रैंकिंग 0 से 100 तक के स्कोर पर आधारित होती है जो प्रत्येक देश या क्षेत्र को प्रदान की जाती है, जिसमें 100 सर्वश्रेष्ठ संभव स्कोर (प्रेस स्वतंत्रता का उच्चतम संभव स्तर) और 0 सबसे खराब स्तर को प्रदर्शित करता है।
  • मूल्यांकन मानदंड:
    • प्रत्येक देश या क्षेत्र के स्कोर का मूल्यांकन पाँच प्रासंगिक संकेतकों का उपयोग करके किया जाता है, जिनमें राजनीतिक संदर्भ, कानूनी ढँचा, आर्थिक संदर्भ, सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ और सुरक्षा शामिल है।

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में:

  • संविधान का अनुच्छेद 19 भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो 'भाषण की स्वतंत्रता आदि के संबंध में कुछ अधिकारों के संरक्षण' से संबंधित है।
  • अनुच्छेद 19 (1) (a): बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रत्येक नागरिक को भाषण, लेखन, मुद्रण, चित्र या किसी अन्य तरीके से स्वतंत्र रूप से विचारों और विश्वासों को व्यक्त करने का अधिकार प्रदान करता है।
  • प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय कानूनी प्रणाली द्वारा स्पष्ट रूप से संरक्षित नहीं है, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत संरक्षित है, जिसमें कहा गया है- "सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा"।
  • वर्ष 1950 में सर्वोच्च न्यायालय ने रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य मामले में कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता सभी लोकतांत्रिक संगठनों की नींव है।
  • हालाँकि प्रेस की स्वतंत्रता भी पूर्ण नहीं है। यह अनुच्छेद 19(2) के तहत कुछ प्रतिबंधों का सामना करती है, जो इस प्रकार हैं-
    • भारत की संप्रभुता और अखंडता के महत्त्व से संबंधित मामले, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता या अदालत की अवमानना, मानहानि या किसी अपराध के लिये उकसाने के संबंध में।

स्रोत: द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 मई, 2023

समलैंगिक जोड़ों के जीवन को आसान बनाएगी सरकार

केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह बैंकिंग, बीमा आदि जैसे क्षेत्रों में अपने दैनिक जीवन में समलैंगिक जोड़ों द्वारा सामना की जाने वाली "वास्तविक, मानवीय चिंताओं" का निदान करने हेतु प्रशासनिक उपायों पर विचार करने के लिये कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनाने को तैयार है। सर्वोच्च न्यायालय ने सुझाव दिया है कि समलैंगिक जोड़े इसे ऑल-ऑर-नॉन दृष्टिकोण के बजाय भविष्य में सुधार की नींव के रूप में देखें। हालाँकि याचिकाकर्त्ता कानूनी रूप से समलैंगिक विवाह को मान्यता देने हेतु न्यायालय से न्यायिक घोषणा की मांग कर रहे हैं, यह तर्क देते हुए कि विवाह एक रिश्ते को अर्थ, उद्देश्य और पहचान देता है। न्यायालय ने कहा कि भले ही यह समलैंगिक विवाह को मान्यता दे, इन संबंधों से उत्पन्न होने वाली मानवीय चिंताओं को दूर करने हेतु प्रशासनिक एवं विधायी परिवर्तनों की अभी भी आवश्यकता होगी। सरकार इन मानवीय चिंताओं को दूर करने हेतु तैयार है लेकिन समलैंगिक संबंधों को विवाह का दर्जा देने के लिये अनिच्छुक है।
और पढ़ें…समलैंगिक विवाह: समानता हेतु संघर्ष

अंग दान और प्रत्यारोपण निर्देश पुस्तिका

भारत में राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (National Organ and Tissue Transplant Organisation- NOTTO) अस्पतालों में अंग दान और प्रत्यारोपण कार्यक्रमों को बेहतर ढंग से लागू करने के लिये प्रत्यारोपण समन्वयकों के प्रशिक्षण के लिये एक प्रत्यारोपण मैनुअल/निर्देश पुस्तिका तथा मानक प्रक्रिया विकसित कर रहा है। NOTTO ने समन्वय, प्रशिक्षण एवं मानव संसाधन/लेखा के लिये वर्टिकल भी बनाए हैं। भारत सरकार ने अंगदान करने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को कल्याणकारी उपाय के रूप में 42 दिनों तक का विशेष आकस्मिक अवकाश प्रदान किया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बताया कि देश में अंग प्रत्यारोपण की संख्या वर्ष 2013 में 5,000 से बढ़कर वर्ष 2022 में 15,000 से अधिक हो गई है, इसका प्रमुख कारण राष्ट्रीय, राज्य तथा क्षेत्रीय स्तर पर अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठनों के नेटवर्क के माध्यम से बेहतर समन्वय है। वर्ष 2016 में 930 मृतक दाताओं से प्राप्त 2,265 अंगों का प्रत्यारोपण हेतु उपयोग किया गया था, जबकि वर्ष 2022 में 904 मृत दाताओं से प्राप्त 2,765 अंगों का उपयोग किया गया।
और पढ़ें… राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण दिशा-निर्देश

RVNL को नवरत्न का दर्जा

RVNL को नवरत्न का दर्जा प्रदान कर इसे अधिक परिचालन स्वतंत्रता, वित्तीय स्वायत्तता और शक्तियों का प्रत्यायोजन प्रदान किया गया है। रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL), रेल मंत्रालय के तहत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम, को नवरत्न का दर्जा दिया गया है। इस कंपनी को वर्ष 2003 में नवरत्न की सूची में शामिल किया गया था, जिसे रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को लागू करने और विशेष प्रयोजन वाहनों (SPV) के लिये अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाने के लिये स्थापित किया गया था। RVNL ने 2005 में परिचालन शुरू किया और वर्ष 2013 में इसे मिनी-रत्न का दर्जा दिया गया। RVNL रेल परियोजना के विकास एवं कार्यों के निष्पादन, परियोजना विशिष्ट SPV बनाने तथा संचालन एवं रखरखाव हेतु संबंधित क्षेत्रीय रेलवे को पूरी की गई रेलवे परियोजनाओं को सौंपने के लिये ज़िम्मेदार है। RVNL को नवरत्न का दर्जा प्रदान करने से इसे अधिक परिचालन स्वतंत्रता, वित्तीय स्वायत्तता और शक्तियों का प्रत्यायोजन प्रदान किया गया है। नवरत्न का दर्जा भारत सरकार द्वारा चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (PSEs) को दी गई एक मान्यता है, जिनके पास वित्तीय और परिचालन स्वायत्तता है। यह स्थिति PSEs को केंद्र सरकार से बिना किसी अनुमोदन के 1000 करोड़ रुपए तक का निवेश करने में सक्षम बनाती है, जिससे वे निर्णय लेने, कार्मिक प्रबंधन और संयुक्त उपक्रमों में अधिक लचीलापन ला सकें।
और पढ़ें… REC को महारत्न का दर्जा

मेटावेलेंट बॉन्डिंग

जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बंगलूरू के वैज्ञानिकों की एक टीम ने ठोस पदार्थों में एक नए प्रकार के रासायनिक बंधन की खोज की है जिसे मेटावैलेंट बॉन्डिंग कहा जाता है। इसमें धातुओं में मौजूद बॉन्डिंग और ग्लास में पाए जाने वाले बॉन्डिंग दोनों के गुण होते हैं, जो रसायन विज्ञान में शास्त्रीय ऑक्टेट नियम की अवहेलना करता है। मेटावैलेंट बॉन्डिंग का उपयोग क्वांटम सामग्री में थर्मोइलेक्ट्रिक प्रदर्शन को अनुकूलित करने और अपशिष्ट गर्मी को कुशलता से बिजली में बदलने के लिये किया जा सकता है। उन्होंने जाँच के लिये एक प्रसिद्ध टोपोलॉजिकल इंसुलेटर TlBiSe2 को चुना तथा उत्कृष्ट विद्युत गुणों वाली सामग्रियों की खोज ने उन्हें क्वांटम सामग्रियों की ओर आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि TlBiSe2 मेटावैलेंट बॉन्डिंग को प्रदर्शित करता है, जो जालीय कतरनी (lattice shearing) के माध्यम से आंतरिक रूप से बिखरने वाले फोनोंस के एक नए तरीके की सुविधा प्रदान करता है। तर्कसंगत रासायनिक डिज़ाइनिंग द्वारा उन्होंने क्वांटम सामग्री में दिलचस्प उभरते गुणों को महसूस किया है, जो हरित ऊर्जा उत्पादन के लिये उत्कृष्ट संभावनाएँ दर्शाता है और भारत के नए लॉन्च किये गए क्वांटम मिशन को एक नई दिशा प्रशस्त कर सकता है।
और पढ़ें… राष्ट्रीय क्वांटम मिशन


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