प्रिलिम्स फैक्ट्स (03 Oct, 2024)



मौसम पूर्वानुमान पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव

स्रोत: द हिंदू 

वर्ष 2023-2024 में पड़ने वाली गर्मी ने वैश्विक तापमान को 1.5ºC सीमा से आगे धकेल दिया है, जिससे जलवायु पैटर्न की अप्रत्याशितता बढ़ गई है और हीटवेव, चक्रवात तथा बाढ़ जैसी चरम घटनाओं के बीच वर्तमान पूर्वानुमान मॉडल को चुनौती मिल रही है

मौसम और जलवायु पूर्वानुमान को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं?

  • ग्लोबल वार्मिंग:
    •  ग्लोबल वार्मिंग से तात्पर्य मानवीय गतिविधियों, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और मीथेन (CH4) जैसी ग्रीनहाउस गैसों (GHG) के उत्सर्जन के कारण पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि से है
  • जलवायु पूर्वानुमान पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव:
  • मौसम की बढ़ती अप्रत्याशितता: 
  • वायुमंडलीय गतिशीलता में परिवर्तन: 
    • बढ़ते तापमान से वायुमंडलीय भंवरों की वृद्धि में तेजी आती है - ये भंवर क्षोभमंडल में छोटे पैमाने पर परिसंचरण होते हैं, जो मौसम प्रणालियों को प्रभावित करते हैं। 
      • इस तीव्र वृद्धि के कारण मौसम मॉडल में प्रारंभिक स्थितियों की स्मृति कम हो जाती है, जिससे सटीक पूर्वानुमान लगाना थोडा कम हो जाता है, विशेष रूप से उष्ण क्षेत्रों में।
  • पूर्वानुमान मॉडल पर प्रभाव: 
    • लोरेन्ज़ का "तितली प्रभाव:
      • यह दर्शाता है कि तापमान, आर्द्रता और वायु में लघु परिवर्तन जलवायु पूर्वानुमान पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं ।

अन्य कारक:

  • डेटा गुणवत्ता और उपलब्धता: 
    • सटीक पूर्वानुमान व्यापक और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा पर निर्भर करते हैं। डेटा अंतराल सटीक पूर्वानुमान लगाने की क्षमता में बाधा डाल सकता है।
  • मॉडल की सीमाएँ: 
    • जलवायु मॉडल, हालाँकि परिष्कृत हैं, लेकिन उनमें अंतर्निहित सीमाएँ हैं क्योंकि वे अक्सर ऐतिहासिक प्रवृत्तियों को दोहराने में संघर्ष करते हैं और अपनी संरचनाओं के आधार पर अलग-अलग परिणाम दे सकते हैं।
  • प्राकृतिक परिवर्तनशीलता: 

 

अधिक पढ़ें: विश्व के महासागर गंभीर अम्लीकरण स्तर के करीब पहुँच रहे हैं , वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

प्रारंभिक परीक्षा

प्रश्न 1. 'मेथैन हाइड्रेट' के निक्षेपों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं? (2019)

  1. भूमंडलीय तापन के कारण इन निक्षेपों से मेथैन गैस का निर्मुक्त होना प्रेरित हो सकता है।
  2. 'मेथैन हाइड्रेट' के विशाल निक्षेप उत्तरध्रुवीय टुंड्रा में तथा समुद्र अधस्तल के नीचे पाए जाते हैं।
  3. वायुमंडल के अंदर मेथैन एक या दो दशक के बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


सामाजिक अधिकारिता शिविर

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में ADIP (दिव्यांग व्यक्तियों को सहायता) योजना के तहत 9000 से अधिक पूर्व-चिह्नित दिव्यांगजन लाभार्थियों को सहायता और सहायक उपकरणों के वितरण के लिये संपूर्ण भारत में 75 स्थानों पर सामाजिक अधिकारिता शिविर का आयोजन किया गया था।

सामाजिक अधिकारिता शिविर क्या है?

परिचय:

  • सामाजिक अधिकारिता शिविर (सामाजिक अधिकारिता शिविर) विकलांग लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को सहायक उपकरण प्रदान करने के लिये आयोजित वितरण शिविरों की एक शृंखला है। यह वर्ष 1981 से संचालित है।

आयोजक:

  • इसका आयोजन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत विकलांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण विभाग (DEPWD) द्वारा ALIMCO (कृत्रिम अंग निर्माण निगम) और ज़िला प्रशासन के सहयोग से किया जाता है।

परिभाषा:

अनुदान:

  • ADIP योजना के अंतर्गत सहायता उपकरणों की खरीद और वितरण के लिये विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों (ALIMCO, राष्ट्रीय संस्थान, समग्र क्षेत्रीय केंद्र, ज़िला विकलांगता पुनर्वास केंद्र, राज्य विकलांग विकास निगम, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) आदि) को अनुदान जारी किया जाता है।

दिव्यांग व्यक्तियों को सहायक उपकरण/सहायक उपकरणों की खरीद/फिटिंग के लिये सहायता योजना (ADIP योजना)

  • ADIP योजना विकलांग व्यक्तियों को पुनर्वास के लिये आधुनिक सहायता और उपकरण प्रदान करके सहायता करती है।
  • इसमें सहायक उपकरण प्रदान करने से पहले सुधारात्मक सर्जरी हेतु सहायता शामिल है।
  • इसे अंतिम बार अप्रैल 2024 में अद्यतन किया गया था, जो मार्च 2026 तक जारी रहेगा।

दिव्यांगजनों के लिये अन्य संबंधित पहल:

मानसिक स्वास्थ्य के लिये पहल:

और पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस - दृष्टि आईएएस


IN-STEP में उपराष्ट्रपति का संबोधन

स्रोत: पी.आई.बी

हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति ने नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सामरिक सहभागिता कार्यक्रम (आईएन-स्टेप) के उद्घाटन समारोह में प्रतिभागियों को संबोधित किया।

  • इस सभा के दौरान उपराष्ट्रपति ने साइबर अपराध, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसे आधुनिक खतरों से निपटने के लिये बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
  • उन्होंने "वसुधैव कुटुम्बकम" (विश्व एक परिवार है) के दर्शन पर ज़ोर देते हुए कहा कि ये सिद्धांत सीमा पार चुनौतियों से निपटने के लिये एकता और सहयोग को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

चरणबद्ध तरीके से:

  • यह प्रतिभागियों के लिये विचारों का आदान-प्रदान करने, विभिन्न दृष्टिकोणों का पता लगाने और दबावपूर्ण सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये रणनीति विकसित करने हेतु एक मूल्यवान मंच के रूप में कार्य करता है।
  • इस सम्मेलन में 21 देशों के 27 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि और 11 वरिष्ठ भारतीय सैन्य एवं असैन्य अधिकारी शामिल थे।
  • यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय , विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।

अधिक पढ़ें: नई दिल्ली में 18वाँ जी-20 शिखर सम्मेलन


भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

हाल ही में, भारत और उज़्बेकिस्तान ने दोनों देशों के निवेशकों की उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) पर हस्ताक्षर किये।

  • यह विवाद समाधान के लिये स्वतंत्र मध्यस्थता की पेशकश करते हुए न्यूनतम मानक उपचार और गैर-भेदभाव का आश्वासन देता है।
  • हालाँकि दोनों देशों को निवेशकों की सुरक्षा से समझौता किये बिना, सार्वजनिक हित विनियमन के लिये पर्याप्त नीतिगत स्थान उपलब्ध कराने और विनियमन करने का अधिकार है।
  • भारत 756.60 मिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ उज़्बेकिस्तान के शीर्ष 10 व्यापार साझेदारों में से एक है।
  • उज़्बेकिस्तान में कुल भारतीय निवेश 61 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। 
  • वर्ष 2019 में, भारत और उज़्बेकिस्तान एक तरजीही व्यापार समझौते (PTA) पर बातचीत के लिये व्यवहार्यता अध्ययन करने पर सहमत हुए।
  • भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में ताशकंद घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही घंटों बाद मृत्यु हो गई, जिसके तहत 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में युद्ध विराम हुआ।

और पढ़ें: द्विपक्षीय निवेश संधि


सस्त्र रामानुजन पुरस्कार 2024

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में वर्ष 2024 का सस्त्र रामानुजन पुरस्कार जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, अमेरिका के अलेक्जेंडर डन (Alexander Dunn) को प्रदान किया गया। 

  • डन ने मॉड्यूलर फॉर्म, हाफ-इंटीग्रल वेट फॉर्म (half-integral weight form), मेटाप्लेक्टिक फॉर्म और अभाज्य संख्याओं और पूर्णांक विभाजनों के साथ उनके संबंधों के अध्ययन में महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल की है।

सस्त्र रामानुजन पुरस्कार:

  • इसकी स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी, यह शनमुघा कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान अकादमी (SASTRA) विश्वविद्यालय, तमिलनाडु द्वारा दिया गया था।
  • इसमें 10,000 अमेरिकी डॉलर का नकद पुरस्कार राशि शामिल है। 
  • यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष 32 वर्ष या उससे कम आयु के गणितज्ञों को असाधारण योगदान के लिये विशेष रूप से श्रीनिवास रामानुजन के कार्य से प्रेरित क्षेत्रों में, प्रदान किया जाता है।

श्रीनिवास रामानुजन:

  • उनका जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु में हुआ था, उन्होंने संख्या सिद्धांत, दीर्घवृत्तीय कार्यों, विभाजन सिद्धांत और हाइपरज्यामितीय शृंखला में अग्रणी योगदान दिया। 
  • वर्ष 1913 में जी.एच. हार्डी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कैम्ब्रिज में कार्य करने का अवसर मिला।

अधिक पढ़ें: श्रीनिवास रामानुजन


रॉश हशनाह

स्रोत: पी.आई.बी

हाल ही में प्रधानमंत्री ने रॉश हशनाह के अवसर पर इज़राइल के प्रधानमंत्री को बधाई दी साथ ही यहूदी समुदाय को भी शुभकामनाएँ दीं।

  • रोश हशनाह यहूदी नववर्ष है, जो यहूदी धर्म में सबसे पवित्र दिनों में से एक है। 
  • यह यहूदी महीने तिश्री की शुरुआत का प्रतीक है, जो हिब्रू कैलेंडर के अनुसार 7वाँ महीना है।
  • यहूदी समुदाय का मानना ​​है कि यह वह दिन है जब ईश्वर ने आदम और हव्वा सहित संसार का निर्माण किया था।
  • रोश हशनाह को योम हादिन (न्याय का दिन) के रूप में भी जाना जाता है, जिस दिन ईश्वर जीवन और मृत्यु की पुस्तकें खोलते हैं, जिन्हें बाद में योम किप्पुर पर सील कर दिया जाता है।
    • योम किप्पुर का अर्थ है "प्रायश्चित का दिन" जिस दिन यहूदी लोग प्रार्थना करते हैं, क्षमा मांगते हैं और एक नई शुरुआत की कामना करते हैं।
  • इस समारोह में चुनिंदा आराधनालयों में शॉफर हार्न बजाया जाता है, साथ ही जलाशय के किनारे पर सामुदायिक प्रार्थना भी की जाती है।
    • शॉफर एक प्राचीन संगीत वाद्ययंत्र है, जो आमतौर पर मेढ़े (भेड़ की एक प्रजाति) के सींग से बनाया जाता है, जिसका उपयोग यहूदी धार्मिक उद्देश्यों के लिये किया जाता था। 

और पढ़ें: हनुक्का