प्रिलिम्स फैक्ट्स (03 Jan, 2025)



भारतीय संसद में गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों की अस्वीकृति

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल के वर्षों में, संसद सदस्यों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिये महत्त्वपूर्ण गैर-सरकारी विधेयकों को सीमित समय आवंटन के कारण भारत की संसद में अस्वीकृत कर दिया गया है। 

गैर-सरकारी सदस्यों का विधेयक क्या है?

  • परिचय: गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयक उन सांसदों द्वारा प्रस्तावित किये जाते हैं जो मंत्री नहीं होते (अर्थात सरकार का हिस्सा नहीं होते), जिससे उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर कानून या संशोधन प्रस्तुत करने की अनुमति मिलती है।
  • मुख्य विशेषताएँ: केवल गैर-सरकारी सदस्य ही इन विधेयकों को प्रस्तुत कर सकते हैं, जिससे स्वतंत्र विधायी प्रस्तावों को अवसर मिलता है।
    • सांसद विशिष्ट मामलों पर ध्यान आकर्षित करने के लिये प्रस्ताव भी प्रस्तुत कर सकते हैं।
  • प्रक्रिया: 
    • प्रस्ताव तैयार करना और नोटिस देना: सांसद कम से कम एक महीने के नोटिस पर विधेयक का प्रस्ताव तैयार करते हैं और उसे प्रस्तुत करते हैं।
    • परिचय: विधेयक संसद में पेश किये जाते हैं, उसके बाद प्रारंभिक चर्चा होती है।

    • बहस: यदि चयन हो जाता है, तो विधेयकों पर बहस की जाती है, आमतौर पर शुक्रवार दोपहर को सीमित सत्रों में।

    • निर्णय: विधेयक वापस लिये जा सकते हैं या मतदान के लिये आगे बढ़ाए जा सकते हैं।

  • महत्त्व: ये विधेयक सांसदों को दलीय दबाव के बिना, प्रायः महत्त्वपूर्ण या विवादास्पद मुद्दों पर अपनी बात कहने का मंच प्रदान करते हैं।

    • इसका एक ऐतिहासिक उदाहरण वर्ष 1966 में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद एच.वी. कामथ द्वारा प्रस्तुत विधेयक है, जिसमें संविधान में संशोधन करके केवल लोकसभा सदस्यों को ही प्रधानमंत्री पद के लिये पात्र बनाने का प्रयास किया गया था।
    • स्वतंत्रता के बाद से अब तक केवल 14 गैर-सरकारी विधेयक पारित किये गये हैं, तथा वर्ष 1970 के बाद से कोई भी विधेयक पारित नहीं हुआ है।

सरकारी विधेयक बनाम गैर-सरकारी विधेयक

सरकारी विधेयक

गैर-सरकारी विधेयक

इसे संसद में एक मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

यह मंत्री के अतिरिक्त किसी अन्य सांसद द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

यह सरकार की नीतियों को प्रदर्शित करता है।

यह विपक्ष की नीतियों को प्रदर्शित करता है।

संसद में इसके पारित होने की संभावना अधिक होती है।

संसद में इसके पारित होने के संभावना कम होती है।

संसद द्वारा सरकारी विधेयक अस्वीकृत होने पर सरकार को इस्तीफा देना पड़ सकता है।

इसके अस्वीकृत होने पर सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

सरकारी विधेयक को संसद में पेश होने के लिये सात दिनों का नोटिस होना चाहिये।

इस विधेयक को संसद में पेश करने के लिये एक महीने का नोटिस होना चाहिये

इसे संबंधित विभाग द्वारा विधि विभाग के परामर्श से तैयार किया जाता है।

इसे संबंधित सदस्य द्वारा तैयार किया जाता है।

सरकारी सदस्यों के विधेयकों में कमी क्यों आई है?

  • समय की कमी: PRS लेज़िस्लेटिव रिसर्च के आँकड़ों से पता चलता है कि 17वीं लोकसभा में गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों पर सिर्फ 9.08 घंटे जबकि राज्य सभा में 27.01 घंटे का व्यय हुआ, जो कुल सत्र के घंटों का एक अंश है।
  • 18वीं लोकसभा के दो सत्रों में निचले सदन में ऐसे विधेयकों पर केवल 0.15 घंटे तथा राज्य सभा में 0.62 घंटे व्यय किये गए, तथा प्रस्तावों पर सबसे कम समय लगा।
  • शुक्रवार को गैर-सरकारी सदस्यों के कार्य की तिथि निर्धारित होने से चर्चा सीमित हो जाएगी, क्योंकि कई सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में चले जाएँगे, जिससे चर्चा के लिये समय और कम हो जाएगा।
  • इन विधेयकों की लोकप्रियता में गिरावट का कारण सांसदों की गंभीरता की कमी को माना जा सकता है, क्योंकि कई सांसद चर्चाओं में भाग ही नहीं लेते।
  •  गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों को पुनः शुरू करना:  गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों को सप्ताह के मध्य में स्थानांतरित करने से भागीदारी और चर्चा को बढ़ावा मिल सकता है।
  • सांसदों को उनके प्रस्तावित उपायों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करना तथा संसद में स्वतंत्र भाषण के मौलिक अधिकार की रक्षा करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारत की संसद् के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. गैर-सरकारी विधेयक ऐसा विधेयक है जो संसद् के ऐसे सदस्य द्वारा प्रस्तुत किया जाता है जो निर्वाचित नहीं है किन्तु भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्दिष्ट है।
  2. हाल ही में, भारत की संसद् के इतिहास में पहली बार एक गैर-सरकारी विधेयक पारित किया गया है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (d)

व्याख्या: 

  • कानून बनाने की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन में विधेयक पेश किये जाने से शुरू होती है। विधेयक को मंत्री या मंत्री के अलावा कोई अन्य सदस्य पेश कर सकता है। पहले मामले में इसे सरकारी विधेयक कहा जाता है और दूसरे मामले में इसे गैर-सरकारी सदस्य का विधेयक कहा जाता है।
  • दूसरे शब्दों में, एक गैर-सरकारी सदस्य का विधेयक किसी मंत्री के अलावा संसद के किसी भी सदस्य (निर्वाचित या मनोनीत) द्वारा पेश किया जा सकता है। इसे पेश करने से पहले एक महीने की नोटिस अवधि की आवश्यकता होती है। इसका मसौदा तैयार करना उस सदस्य की एकमात्र ज़िम्मेदारी है जो विधेयक पेश करता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • संसद द्वारा पारित पहला गैर-सरकारी विधेयक मुस्लिम वक्फ विधेयक, 1952 था, जिसका उद्देश्य वक्फों का बेहतर शासन और प्रशासन प्रदान करना था। इसे वर्ष 1954 में पारित किया गया था। अतः कथन 2 सही नहीं है। 
  • वर्ष 2015 में राज्य सभा द्वारा पारित ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2014 पिछले 45 वर्षों में राज्य सभा की स्वीकृति पाने वाला पहला गैर-सरकारी विधेयक बन गया। अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।


ब्राज़ीलियन वेलवेट चींटी

स्रोत: द हिंदू

बेइलस्टीन जर्नल ऑफ नैनोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है, कि ब्राज़ीलियन वेलवेट चींटी (ट्राउमेटोमुटिला बिफुरका) के शरीर के अंग "अत्यंत काले" होते हैं।

ये हिस्से 99.5% से ज़्यादा दृश्यमान प्रकाश को अवशोषित कर लेते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ये लगभग अदृश्य हो जाते हैं। यह खोज प्रौद्योगिकी में संभावित अनुप्रयोगों के साथ अद्वितीय जैविक नैनो संरचनाओं को उज़ागर करती है।

ब्राज़ीलियन वेलवेट चींटी से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • वर्गीकरण: वेलवेट चींटियाँ "सामान्य चींटियाँ" नहीं हैं, ये म्यूटिलिडे परिवार से संबंधित ततैया की एक प्रजाति हैं।
  • वेलवेट जीव हाइमनोप्टेरा गण से संबंधित है, जिसमें मधुमक्खियाँ और अन्य ततैया भी शामिल हैं।
    • कुछ प्रजातियाँ, जैसे कि ट्रौमेटोमुटिला बिफुरका (ब्राजीलियन वेलवेट चींटी), स्पष्ट काले और सफेद निशान प्रदर्शित करती हैं, जिससे ये उष्णकटिबंधीय सवाना और शुष्क झाड़ीयुक्त रेगिस्तानों में देखने में आकर्षक लगती हैं।
  • अल्ट्राब्लैक गुण: मादा वेलवेट चींटियाँ अल्ट्राब्लैक रंग प्रदर्शित करती हैं, जिसे सर्वप्रथम ट्रौमेटोमुटिला बिफुरका में देखा गया था, जो लगभग सभी दृश्य प्रकाश को अवशोषित कर लेती है।
  • यह अनोखा रंग एक्सोस्केलेटन में मौज़ूद विशेष सूक्ष्म संरचनाओं से आता है, जो प्रकाश को रोकती हैं। अल्ट्राब्लैक पिगमेंटेशन छलावरण, तापमान नियंत्रण और साथी को आकर्षित करने में मदद करता है।
    • नर बनाम मादा: केवल मादा वेलवेट चींटियाँ ही अत्यंत काला रंग प्रदर्शित करती हैं, हालाँकि नर में भी समान काले निशान होते हैं, लेकिन ये अधिक प्रकाश को परावर्तित करते हैं।
  • पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका: यह परागणकर्त्ता के रूप में कार्य करता है तथा पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में योगदान देता है।
  • विकासात्मक महत्त्व: अल्ट्राब्लैक गुणधर्म अभिसारी विकास को उज़ागर करता है, जहाँ असंबंधित प्रजातियाँ समान लक्षण विकसित करती हैं। 
    • यह अनुकूलन बर्ड्स ऑफ पैराडाइस और डीप-सी फिश में भी देखा जाता है, जो छलावरण और जीवित रहने में सहायक होता है। 
  • संभावित वैज्ञानिक अनुप्रयोग: अल्ट्राब्लैक गुणधर्म नैनोसंरचनाओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्रकट करता है तथा स्टील्थ टेक्नोलॉजी और सौर पैनल दक्षता में प्रगति को प्रेरित करता है।

नोट: 

  • चींटियाँ, आकार में छोटी होने के बावज़ूद, पृथ्वी के लगभग प्रत्येक  भूभाग पर बसी हुई हैं। इनका कुल बायोमास पक्षियों और स्तनधारियों के संयुक्त बायोमास से भी अधिक होने की उम्मीद है।
    • पारिस्थितिक संदर्भ में बायोमास, किसी आवास के दिये गए क्षेत्र या आयतन के भीतर पौधों एवं जानवरों समेत जीवित जीवों के कुल द्रव्यमान को संदर्भित करता है।
  • चींटियाँ अत्यंत संगठित कॉलोनियों वाली यूसोशल कीट हैं, जो महत्त्वपूर्ण सहयोग और श्रम विभाजन को प्रदर्शित करती हैं।
  • विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, चींटियाँ भोजन की तलाश को नियंत्रित करने, ऊर्जा और संसाधनों को संरक्षित करने के लिये प्रतिक्रिया (क्रियाओं के प्रति प्रतिक्रिया) का उपयोग करती हैंअपशिष्ट को कम करने का यह सिद्धांत ऊर्जा उपयोग या डेटा प्रबंधन जैसी प्रणालियों में दक्षता बढ़ा सकता है।
    • इसके अतिरिक्त चींटियाँ बिना किसी केंद्रीय नियंत्रण के कार्य करती हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि जटिल कार्यों को सरल अंतःक्रियाओं के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है।
  • नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की कार्यवाही में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि चींटियाँ, विशेष रूप से लॉन्गहॉर्न क्रेजी चींटियाँ (पैराट्रेचिना लॉन्गिकोर्निस) मौखिक संचार के बिना प्रयासों का समन्वय करके सामूहिक समस्या-समाधान में उत्कृष्टता प्राप्त करती हैं।
  • अध्ययन के अनुसार बाधाओं के बीच से T-आकार की वस्तु को ले जाने के प्रयोग में चींटियों ने मनुष्यों से बेहतर प्रदर्शन किया।

सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में, वर्ष 2024 में सर्वोच्च न्यायालय में नामित 116 नए वरिष्ठ अधिवक्ताओं की गुणवत्ता पर चिंताएँ व्यक्त की गई हैं।

  • वरिष्ठ अधिवक्ता:
    • पदनाम: यह उपाधि कानूनी विचक्षणता, बार में प्रतिष्ठा, तथा कम से कम 10 वर्षों के अनुभव के बाद विशेष ज्ञान के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा प्रदान की जाती है।
    • भूमिका: वे कानूनी प्रस्तावों पर बहस करते हैं, लेकिन मुवक्किलों से सीधे निर्देश नहीं ले सकते हैं और उन्हें एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoR) द्वारा जानकारी दी जाती है।
      • वरिष्ठ अधिवक्ता सर्वोच्च न्यायालय में प्रमुख कानूनी व्यक्ति होते हैं, जो मृत्यु दंड, कंपनी परिसमापन, बाल हिरासत और जमानत आवेदन जैसे उच्च जोखिम वाले मामलों को संभालते हैं।
    • प्रतिबंध: वरिष्ठ अधिवक्ता सीधे तौर पर मुवक्किलों को नहीं ले सकते हैं या कुछ कानूनी कार्यों में संलग्न नहीं हो सकते हैं, जैसे कि याचिकाओं का प्रस्ताव तैयार करना, हलफनामा तैयार करना या साक्ष्य पर सलाह देना।
    • वर्ष 2017 सुधार: बॉम्बे उच्च न्यायालय की पहली महिला वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की जनहित याचिका के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं को नामित करने के लिये वस्तुनिष्ठ मानदंड स्थापित किये। 
      • इन मानदंडों में निर्णय, शैक्षणिक योगदान और अनुभव शामिल हैं, जिसका उद्देश्य प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाना है।
  • एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड: वे दस्तावेज़ दाखिल करने, पक्षों का प्रतिनिधित्व करने तथा सर्वोच्च न्यायालय में उपस्थिति दर्ज कराने के लिये अधिकृत एकमात्र अधिवक्ता हैं।
  • अन्य अधिवक्ता: ये अधिवक्ता राज्य बार काउंसिल की सूची में सूचीबद्ध हैं और सर्वोच्च न्यायालय में मामलों पर बहस कर सकते हैं, लेकिन दस्तावेज़ दाखिल नहीं कर सकते (औपचारिक फाइलिंग में शामिल नहीं)।

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NPCI ने UPI ऐप्स के लिये मार्केट कैप की समयसीमा बढ़ाई

स्रोत: लाइव मिंट 

हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने थर्ड-पार्टी ऐप प्रोवाइडर्स (TPAP) के लिये UPI  ट्रांजेक्शन पर 30% ट्रांजेक्शन कैप का अनुपालन करने की समय सीमा 31 दिसंबर, 2026 तक बढ़ा दी है।

  • यह निर्णय फोनपे और गूगलपे जैसे प्रमुख TPAP को प्रभावित करता है, जिसके द्वारा  सामूहिक रूप से 80% से अधिक का UPI ट्रांजेक्शन होता है। 
    • 30% की सीमा का अनुपालन करने के लिये, सीमा से अधिक वाले TPAP को नवीन ग्राहकों को शामिल करना बंद करना होगा।
  • पृष्ठभूमि: नवंबर 2020 में, NPCI ने एकाग्रता जोखिमों को कम करने और एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने के लिये प्रत्येक TPAP UPI ट्रांजेक्शन की मात्रा पर 30% की सीमा पेश की। हालाँकि यह समय सीमा दिसंबर 2022 तक बढ़ा दी गई थी।
    • यह सीमा विगत तीन माह के औसत UPI ट्रांजेक्शन की मात्रा पर आधारित है, तथा मौज़ूदा TPAP द्वारा सीमा पार कर लेने के बाद, उन्हें चरणबद्ध तरीके से अनुपालन करने के लिये दो वर्ष का समय दिया गया है।
  • NPCI: इसकी स्थापना RBI और भारतीय बैंक संघ द्वारा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007  के प्रावधानों के तहत की गई थी।
  • TPAP: ये वह संस्थाएँ हैं जो मोबाइल ऐप या प्लेटफॉर्म के माध्यम से UPI-आधारित वित्तीय सेवाएँ प्रदान करती हैं, जो उपयोगकर्त्ताओं और बैंकों (प्रायोजक बैंक के रूप में संदर्भित) के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करती हैं। 
    • TPAP बैंकों या वित्तीय संस्थाओं का हिस्सा नहीं हैं।

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माउंट कनलाओन

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

हाल ही में, फिलीपींस में 2,435 मीटर ऊँचा सक्रिय ज्वालामुखी माउंट कानलाओन में विस्फोट हुआ, जिससे कई कि.मी. तक राख और गैसें फैल गई।

  • माउंट कनलाओन नेग्रोस द्वीप के उत्तर मध्य भाग मे एक स्ट्रैटोवोलकानो (या मिश्रित शंकु (Composite Cone) एक ऊँचा, शंकु के आकार का ज्वालामुखी) है।
  • फिलीपींस और माउंट कनलाओन प्रशांत महासागर के अग्नि वलय (Pacific Ring of Fire) में स्थित है, जो अपनी उच्च भूकंपीय गतिविधियों तथा विश्व स्तर पर सबसे अधिक आपदा-प्रवण क्षेत्रों में से एक के रूप में जाना जाता है।

ज्वालामुखी:

  • ज्वालामुखी (एक अंतर्जात प्रक्रिया) पृथ्वी की भू-पर्पटी में एक दरार/ छिद्र है जिसके माध्यम से विस्फोट उया ज्वालामुखी उद्गार के दौरान लावा, राख, वाष्प और गैसें बाहर निकलती हैं

प्रशांत अग्नि वलय (रिंग ऑफ फायर): 

  • रिंग ऑफ फायर, या सर्कम-पैसिफिक बेल्ट, प्रशांत महासागर के चारों ओर एक भूकंपीय क्षेत्र है, यह सक्रिय ज्वालामुखियों और लगातार भूकंपों के लिये जाना जाता है, जो प्रशांत प्लेट तथा आसपास के कम घनत्व वाले प्लेटों के बीच परस्पर क्रिया के कारण होता है।
  • 40,000 किलोमीटर में विस्तृत रिंग ऑफ फायर कई टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं को रेखांकित करती है, जिनमें प्रशांत, जुआन डे फूका, कोकोस, भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई, नाज़का, उत्तरी अमेरिकी और फिलीपीन प्लेटें शामिल हैं

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VSSC में ध्रुवीय सूर्यघड़ी

स्रोत:द हिंदू

हाल ही में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) द्वारा डिजाइन की गई एक ध्रुवीय सूर्यघड़ी को केरल के थुंबा स्थित अंतरिक्ष संग्रहालय के 'रॉकेट गार्डन' में प्रदर्शित किया गया है।

  • यह सूर्यघड़ी एक शैक्षणिक उपकरण के रूप में कार्य करती है, जो जटिल खगोलीय अवधारणाओं को दृश्यात्मक रूप से आकर्षक ढंग से प्रदर्शित करती है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • सूर्यघड़ी में एनालेमेटिक सुधार की सुविधा है, जिससे यह भारतीय मानक समय (IST) और तारीख को सटीक रूप से प्रदर्शित कर सकती है।
      • पारंपरिक सूर्यघड़ी के विपरीत, यह सूर्यघड़ी सीधी घंटे की रेखाओं को पर उल्टे एनालेम्मा वक्र से बदल देती है, जो पूरे वर्ष स्थानीय सौर समय को स्वचालित रूप से औसत सौर समय में परिवर्तित कर देती है।
      • एनालेम्मा सुधार, पृथ्वी के झुकाव और दीर्घवृत्तीय कक्षा के कारण, एक वर्ष के दौरान आकाश में सूर्य द्वारा बनाए गए आठ के आकार के पैटर्न पर आधारित है।
  • सूर्यघड़ी को ध्रुवीय विन्यास के साथ डिजाइन किया गया है, जहाँ सूर्यघड़ी प्लेट को पृथ्वी के ध्रुवीय अक्ष के समानांतर संरेखित किया गया है और थुंबा के अक्षांश के आधार पर एक कील के आकार की संरचना से जोड़ा गया है।
  • इस सूर्यघड़ी में रोहिणी शृंखला के RH200 साउंडिंग रॉकेट का 1.6 फीट ऊँचा, 3D-मुद्रित लघु संस्करण अंकित है।

और पढ़ें: विक्रम साराभाई शताब्दी कार्यक्रम